कविता की प्रथम चार पंक्तियों का भावार्थ लिखिए। Show हाथ में संतोष की तलवार ले जो उड़ रहा है, Solutionकृषक के अभावों की कोई सीमा नहीं है। परंतु वह संतोष रूपी धन के सहारे अपना जीवन व्यतीत कर रहा है। पूरे संसार में कैसा भी वसंत आए, कृषक के जीवन में सदैव पतझड़ ही बना रहता है। अर्थात ऋतुएँ बदलती हैं, लोगों की परिस्थितियाँ बदलती हैं, परंतु कृषक के भाग्य में अभाव ही अभाव हैं। ऐसी दयनीय स्थिति के बावजूद उसे किसी से कुछ माँगना अच्छा नहीं लगता। वह हाथ फैलाना नहीं जानता। कृषक को अपनी दीन-हीन दशा पर भी नाज है। मैं ऐसे व्यक्ति पर अभिमान करना चाहता हूँ। कृषक के गीत गाना चाहता हूँ। Concept: पद्य (10th Standard) Is there an error in this question or solution? APPEARS INउपर्युक्त पद्यांश की पहले चार पंक्तियों का सरल भावार्थ ८ १० वाक्यों में लिखिए?कृषक के अभावों की कोई सीमा नहीं है। परंतु वह संतोष रूपी धन के सहारे अपना जीवन व्यतीत कर रहा है। पूरे संसार में कैसा भी वसंत आए, कृषक के जीवन में सदैव पतझड़ ही बना रहता है। अर्थात ऋतुएँ बदलती हैं, लोगों की परिस्थितियाँ बदलती हैं, परंतु कृषक के भाग्य में अभाव ही अभाव हैं।
पहली चार पंक्तियों का सरल अर्थ ६ ७ वाक्यों में लिखिए?अलग-अलग तरह की रचनाओं में आए शब्दों के अर्थ समझते है और 3-4- वाक्यों में लिखते है । 6.
३ पक्यांश से अंतिम चार पंक्तियों का भावार्थ लिखिए?Loved by our community
प्रस्तुत कविता की अंतिम चार पंक्तियों में कवि छापा मारनेवालों को सुझाव देते हुए कहता है कि आप जो करते हैं वह उचित है, परंतु जिनके घर में बैठने के लिए भी कुछ नहीं मिलता उनके घर में आपको एक तख्त की व्यवस्था जरूर करनी चाहिए। यहाँ पर कवि ने छापा मारनेवालों की कार्यप्रणाली पर व्यंग्य किया है।
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