Solution : उपभोक्ताओं का शोषण निम्न तरीकों से होता है - <br> (i) माप-तौल में कमी, (ii) निर्धारित खुदरा मूल्य से अधिक मूल्य लेना, (iii) निम्न स्तर तथा समाप्ति की तिथि के बाद भी वस्तुओं का विक्रय, (iv) वस्तुओं में मिलावट, (v) वस्तुओं की गलत अथवा अधूरी जानकारी देना, (vi) सेवा की शर्तों के अनुसार उपभोक्ताओं को उपयुक्त सेवा नहीं देना, (vii) घरेलू उपकरणों और यंत्रों के उत्पादन में सुरक्षा मानकों का अनुपालन नहीं करना।
Solution : यह एक स्थिति है जिसमें उत्पादक द्वारा उपभोक्ता का शोषण होता है। यह शोषण निम्नलिखित तरीकों द्वारा किया जाता है <br> (i) अधिक मूल्य-बाजार में कुछ वस्तएँ अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) के बिना होती हैं। इस स्थिति में व्यापारी बाजार में प्रचलित मूल्य से अधिक मूल्य लेते हैं, इसका कारण है उपभोक्ता की अज्ञानता और अत्यावश्यकता। <br> (ii) कम तोलना और कम मापना-अपनी चालाकी से कुछ व्यापारी इतना अधिक नीचे गिर जाते हैं कि वे कम तोल तथा कम नाप कर उपभोक्ताओं को धोखा देते हैं। <br> (iii) घटिया सामान-कुछ व्यापारी अथवा विक्रेता उपभोक्ताओं को घटिया सामान बेचते हैं। आजकल बाजार नकली उत्पादों से भरा पड़ा है। <br> (iv) मिलावटी व अशुद्ध उत्पाद- अधिक लाभ कमाने के लोभ में महँगे खाद्य पदार्थों जैसे घी, तेल और मसालों में मिलावट की जाती है। इससे उपभोक्ताओं को बहुत अधिक आर्थिक तथा स्वास्थ्य का नुकसान होता है। आपने मिलावटी शराब पीकर लोगों के मरने के बारे में सुना होगा।
अध्याय : 5. उपभोक्ता अधिकार
उपभोक्ता शोषण
उपभोक्ता
वह व्यक्ति जो बाजार में कोर्इ वस्तु खरीदता है अथवा उस सेवा के लिए भुगतान करता है उपभोक्ता कहलाता है।
उपभोक्ता शोषण
जब एक उपभोक्ता किसी तरीके से धोखा देते है, या तो दुकानदार या उत्पादक द्वारा कम गुणवत्ता अथवा घटिया वस्तुएँ उसे दी जाएँ तथा इन वस्तुओं और सेवाओं के लिए अधिक मूल्य लिया जाए, तो इसे उपभोक्ता शोषण कहते हैं।
निम्न तरीकों द्वारा उपभोक्ता को
उत्पादन द्वारा धोखा दिया जाता है :
1. उच्च मूल्य : व्यापारी उच्च मूल्य रख सकते हैं जिससे बाजारों में उपभोक्ता की उपेक्षा तथा जरूरतों के कारण मूल्य अधिक होता है।
2. उचित तौल तथा उचित माप : अपनी चतुरार्इ के कारण कुछ व्यापारी तौल में कमी कर देते हैं जिससे कि ये उचित तौल तथा उचित माप में कमी द्वारा उपभोक्ता को धोखा देते हैं।
3. उप मानक गुणवत्ता : कुछ व्यापारी उपभोक्ता को उपमानक गुणवत्ता उत्पाद बेचते हैं। आजकल बाजार नकली उत्पादों से भरे हैं।
4. मिश्रित
तथा अशुद्ध उत्पाद : मिश्रित वस्तुओं में तेल, घी तथा मिलावटी मसाले लाभ कमाने के लिए निर्मित किए जाते है।
5. अनुचित सूचना : कम्पनियाँ उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए विज्ञापनों पर अधिक राशि खर्च करती है तथा खाद्य सूचनाएँ देती है जिससे कि उपभोक्ता इन्हें जानते हैं परन्तु ये उत्पाद के बारे में उपभोक्ता को कोर्इ सूचना नही देते हैं।
6. सुरक्षा उपकरणों की कमी : कुछ निर्माता बिना किसी मानक सुरक्षा, शर्त के घटिया गुणवत्ता की वस्तुऐं निर्मित करने की कोशिश करते हैं।
7.
बिक्री के बाद सेवा में कमी : कर्इ वस्तुओं को बेचने के बाद सेवा की आवश्यकता होती है। परन्तु अधिकांश व्यापारी इसे उपलब्ध नहीं कराते हैं।
8. झूठे दावे : व्यापारी मुख्य रूप से विज्ञापन से अपने उत्पादों के स्थायीत्व तथा गुणवत्ता के बारे में झूठे दावे करते हैं।
9. संचय तथा काला बाजारी : अधिक लाभ कमाने के लिए व्यापारी संचय तथा काला बाजारी से कृित्राम दुर्लभता में लिप्त होते हैं।
10. रूखा बर्ताव तथा परिस्थितियाँ : उपभोक्ता अपनी उत्पीड़न तथा अनावश्यक परिस्थितियाँ
अपनी आवश्यकता पूर्ण होने से पहले ही रख देता है।
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अध्याय : 5. उपभोक्ता अधिकार
उपभोक्ता के शोषण के लिए उत्तरदायी मुख्य कारक
1. सीमित सूचना : उत्पाद के विभिन्न पहलू यानी मूल्य, गुणवत्ता, घटक, उपयोग की स्थितियाँ आदि के बारे में सूचना के अभाव में उपभोक्ता गलत वस्तु खरीदने के लिए उत्तरदायी होते हैं तथा पैसों की हानि होती है।
2. गलत सूचना : पूर्ण तथा सही सूचना के अभाव में उपभोक्ता शोषण का शिकार होते है।
3. आपूर्ति की कमी : उद्योगों के विकास के कारण आपूर्ति की कमी
हो रही है। यह संचय को बढ़ाता है तथा मूल्य में वृद्धि करता है।
4. सीमित प्रतिस्पर्द्धा : उद्योगो के विकास के कारण बाजारों में प्रतिस्पर्धा की कमी है। यह उपभोक्ता के शोषण को बढ़ावा देता है।
5. उपभोक्ता की निरक्षरता तथा अज्ञानता : विकासशील तथा विकासोन्मुखी अर्थव्यवस्था की अधिकता में निरक्षरता दर काफी अधिक है उपभोक्ता आसानी से निर्माता द्वारा धोके में आ जाते हैं।
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