हिंदी व संस्कृत की लिपि देवनागरी है | देवनागरी लिपि भारत की सर्वाधिक महत्वपूर्ण लिपि है | संविधान में इसे राज लिपि का पद प्राप्त है | हिंदी व संस्कृत का संपूर्ण साहित्य इसी लिपि में मिलता है | पालि, प्राकृत, अपभ्रंश आदि भाषाओं का साहित्य भी इसी लिपि में मिलता है | यह लिपि संसार की प्राचीन लिपियों में से एक है | अति प्राचीन लिपि होने पर भी विद्वानों ने देवनागरी लिपि को संसार की सर्वाधिक वैज्ञानिक ने स्वीकार किया है | Show देवनागरी लिपि की विशेषताएं / Devnagari Lipi Ki Visheshtayen देवनागरी लिपि की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएं निम्नलिखित है जो इसे वैज्ञानिक लिपि सिद्ध करती हैं :-
स्वर 🔹ह्रस्व स्वर – अ, इ, उ, ऋ 🔹दीर्घ स्वर – आ, ई, ऊ, 🔹संयुक्त स्वर – ए, ऐ, ओ, औ व्यंजनों का वर्गीकरण भी वैज्ञानिक आधार पर किया गया है | व्यंजन कवर्ग- क, ख, ग, घ, ङ चवर्ग- च, छ, ज, झ, ञ टवर्ग- ट, ठ, ड, ढ, ण तवर्ग- त, थ, द, ध, न पवर्ग- प, फ, ब, भ, म क से म तक 25 स्पर्श व्यंजन हैं | य, र, ल, व अंत:स्थ व्यंजन हैं | श, ष, स, ह ऊष्म व्यंजन हैं | क्ष, त्र, ज्ञ, श्र संयुक्त व्यंजन हैं | क़, ख़, ग़, ज़, फ़ आगत ध्वनियाँ हैं | 4. गतिशीलता :- नागरी लिपि गत्यात्मक और व्यावहारिक है ||इसमें आवश्यकता अनुसार कुछ लिपि चिह्नों को शामिल कर लिया गया है | जैसे जिह्वामूलीय ध्वनियों, जैसे – क़, ख़, ग़, ज़, फ़ आदि को फारसी से ग्रहण कर लिया गया है | जिससे यह लिपि वैज्ञानिक बन गई है | 5. वर्णात्मकता :- नागरी लिपि वर्णात्मक है | इसका अर्थ यह है कि इसके वर्णों का लेखन में उच्चारण समान है | फारसी और रोमन लिपि में यह विशेषता नहीं मिलती | उदाहरण के लिए जीम, दाल आदि वर्णों का उच्चारण होता है लेकिन वर्णों को मिलाते समय ये ज, द की ध्वनि देते हैं | इसी प्रकार रोमन लिपि में H और S को क्रमशः एच और एस उच्चरित करते हैं | लेकिन यह वर्ण भी शब्द बनाने पर ह और स की ध्वनि देते हैं | 6. एक ध्वनि के लिए एक चिह्न :- नागरी लिपि में प्रत्येक ध्वनि के लिए एक लिपि चिह्न की व्यवस्था है लेकिन अन्य लिपियों में यह व्यवस्था नहीं है | उदाहरण के लिए रोमन लिपि में क ध्वनि के लिए K, C, Q, CH चार लिपि-चिह्न हैं | इसी प्रकार फारसी में भी एक ध्वनि के लिए अनेक लिपि चिह्न मिलते हैं | 7. एक चिन्ह से केवल एक ध्वनि :- नागरी लिपि में एक चिन्ह केवल एक ध्वनि को प्रकट करता है | उदाहरण के लिए नागरी लिपि में क केवल क की ध्वनि के लिए है लेकिन रोमन जैसी कई लिपियों में ऐसा नहीं होता है | उदाहरण के लिए रोमन लिपि में C चिह्न स, च, क आदि ध्वनियों के लिये प्रयोग होता है | 8. स्वरों की ह्रस्व-दीर्घ मात्राएँ उपलब्ध :- नागरी लिपि में केवल अ को छोड़कर सभी स्वरों की ह्रस्व-दीर्घ मात्राएं उपलब्ध हैं | व्यंजनों के साथ जोड़कर इन मात्राओं का प्रयोग किया जाता है | अ – कोई मात्रा नहीं आ -ा इ – ि ई – ी उ – ु ऊ – ू ऋ – ृ ए – े ऐ – ै ओ – ो औ – ौ 9. प्रत्येक वर्ण का उच्चारण :- देवनागरी लिपि में हर वर्ण का उच्चारण किया जाता है अर्थात जो वर्ण लिखा जाता है ||उसका उच्चारण अवश्य किया जाता है परंतु रोमन लिपि में कुछ वर्ण लिखें तो जाते हैं परन्तु उनका उच्चारण नहीं किया जाता | उदाहरण : Knife – नाइफ ( k का उच्चारण नहीं किया जाता ) Night – नाइट ( g का उच्चारण यहीं किया जाता ) 10. वर्णों का निश्चित उच्चारण :- देवनागरी लिपि में वर्णों का उच्चारण निश्चित है परंतु रोमन लिपि में अनेक स्थानों पर वर्णों का उच्चारण बदल जाता है | जैसे – Put – पुट But – बट Go – गो To – टू 11. वर्ण का निर्माण उच्चारण– स्थान के अनुसार :- देवनागरी लिपि की एक विशेषता यह है कि इसमें वर्णों का निर्माण उच्चारण स्थान को ध्यान में रखकर वैज्ञानिक ढंग से किया गया है | यथा – कवर्ग – क, ख, ग, घ, ङ ( कण्ठ ) चवर्ग – च, छ, ज, झ, ञ ( तालु ) टवर्ग – ट, ठ, ड, ढ, ण ( मूर्द्धा ) तवर्ग – त, थ, द, ध, न ( दन्त ) पवर्ग – प, फ, ब, भ, म ( ओष्ठ ) 12. वर्णों का परिवर्तन स्वन-प्रक्रिया के नियमों पर आधारित – नागरी लिपि में वर्णों का परिवर्तन स्वन-प्रक्रिया के नियमों पर आधारित है | 13. लेखन, टंकण व मुद्रण की एकरूपता :- रोमन लिपि में लेखन, टंकण व मुद्रण में भिन्नता पाई जाती है परंतु नागरी लिपि में लेखन, टंकण व मुद्रण में एकरूपता है | रोमन में सभी वाक्य कैपिटल वर्ण से शुरू होते हैं | नागरी लिपि में यह समस्या भी नहीं है | 14. अनुस्वार व चंद्रबिंदु जैसे सूक्ष्म लिपि-चिह्नों की व्यवस्था :- देवनागरी लिपि में अनुस्वार व चंद्रबिंदु जैसे सूक्ष्म लिपि चिह्नों की व्यवस्था है | इन लिपि चिन्हों के माध्यम से हंस और हँस ; रंग और रँगना जैसे उच्चारण के सूक्ष्म भेदों को भी दर्शाया जा सकता है | ◼️ उपर्युक्त विवेचन के आलोक में यह निर्भ्रांत रूप से कहा जा सकता है कि देवनागरी लिपि एक व्यावहारिक, विकासशील और वैज्ञानिक लिपि है | इसके स्वनिमों और लेखिमों में एकरूपता है | यह लिपि हर ध्वनि को लिपिबद्ध करने में सक्षम है ||यही कारण है कि स्वदेशी और विदेशी भाषा वैज्ञानिक इस लिपि को सर्वाधिक उन्नत, समर्थ और वैज्ञानिक लिपि मानते हैं | देवनागरी लिपि की क्या विशेषता है?वे संकेत लिपि के समान थे वहीं से इसे देवनागरी कहा जाने लगा। देवनागरी के व्यंजनों की विशेषता इस लिपि को और वैज्ञानिक बनाती है, जिसके फलस्वरूप क,च,ट,त,प, वर्ग के स्थान पर आधारित है और हर वर्ग के व्यंजन में घोषत्व का आधार भी सुस्पष्ट है, जैसे- पहले दो व्यंजन (च,छ) अघोष और शेष तीन व्यंजन (ज,झ,ञ) घोष होते हैं।
लिपि की विशेषता क्या है?'लिपि ' या लेखन प्रणाली का अर्थ होता है किसी भी भाषा की लिखावट या लिखने का ढंग। ध्वनियों को लिखने के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, वही लिपि कहलाती है। लिपि और भाषा दो अलग अलग चीज़ें होती हैं। भाषा वो चीज़ होती है जो बोली जाती है, लिखने को तो उसे किसी भी लिपि में लिख सकते हैं।
देवनागरी लिपि की कौन सी विशेषता नहीं है?निम्नलिखित में से देवनागरी लिपि की कौनसी विशेषता नहीं है?(क)एक ध्वनि के लिए एक ही ध्वनि चिह्न निश्चित है। (ख) जैसा सुनो वैसा ही उच्चारण नहीं होता (ग) कुछ वर्षों का उच्चारण स्पष्ट नहीं।
देवनागरी लिपि का मतलब क्या है?देवनागरी लिपि, जिसमें 14 स्वर और 33 व्यंजन सहित 47 प्राथमिक वर्ण हैं, दुनिया में चौथी सबसे व्यापक रूप से अपनाई जाने वाली लेखन प्रणाली है, जिसका उपयोग 120 से अधिक भाषाओं के लिए किया जा रहा है।
|