द्रव्यमान और ऊर्जा के बराबर क्या है? - dravyamaan aur oorja ke baraabar kya hai?

कुछ समय पश्चात फोटान उसी डिब्बे के दूसरे हिस्से से टकराता है, जिससे उसका संवेग डिब्बे में स्थानांतरित हो जाता है। इस प्रयोग मे पूरे तंत्र का संवेग संरक्षित रहता है, जिससे अब डिब्बे की गति बंद हो जाती है। अब एक समस्या है, इस प्रणाली में कोई बाह्य बल कार्य नहीं कर रहा है, जिससे द्रव्यमान-केंद्र(Center of Gravity) को स्थिर रहना होगा। लेकिन डिब्बे में गति हुयी है। डिब्बे में हुयी गति की पूर्ती द्रव्यमान-केंद्र स्थिर रख कर कैसे होगी? आइन्स्टाइन ने स्पष्ट विरोधाभाष के समाधान के लिए प्रस्तावित किया कि फोटान ऊर्जा का कोई ‘द्रव्यमान समकक्ष‘ होना चाहीये| दूसरे शब्दों में फोटान की ऊर्जा , डिब्बे में द्रव्यमान के बाएं से दायें गति के तुल्य होना चाहिए। साथ में यह द्रव्यमान इतना होना चाहीये कि पूरे तंत्र का द्रव्यमान-केंद्र स्थायी रहेगा।

Solution : द्रव्यमान-ऊर्जा सम्बन्ध : यदि द्रव्यमान m को ऊर्जा में परिवर्तन किया जाये, तो प्राप्त ऊर्जा E का मान आइंस्टीन के निम्न सम्बन्ध से दिया जाता है : `E=mc^(2)`
जहाँ c प्रकाश की निविर्त में चाल है।
उदहारण-सूर्य पर चल रही नाभिकीय संलयन की क्रियाओ में सूर्य का द्रव्यमान निरन्तर ऊर्जा में परिवर्तित हो रहा है।

भौतिकी में, द्रव्यमान-ऊर्जा समतुल्यता (mass–energy equivalence) के सिद्धान्त के अनुसार यदि किसी वस्तु में कुछ द्रव्यमान है तो उसमें उसके तुल्य एक ऊर्जा होती है और यदि उसमें कुछ ऊर्जा है तो उसके तुल्य एक द्रव्यमान होता है। द्रव्यमान और ऊर्जा, अलबर्ट आइंस्टीण के निम्नलिखित सूत्र से एक दूसरे से सम्बन्धित हैं-

E=mc2{\displaystyle E=mc^{2}}

अर्थात यदि १ kg द्रव्यमान की क्षति होती हैं तो उसके समतुल्य ९×१०१६ जुल ऊर्जा मुक्त होता हैं। यही कारण है कि सूर्य निरंतर रूप से द्रव्यमान क्षति के कारण अपार रूप से प्रकाश तथा उष्मीय ऊर्जा उत्सर्जित कर रहा हैं। पृथ्वी प्रति सेकंड सूर्य की जितनी ऊर्जा अवशोषित करती हैं, उतनी ऊर्जा से एक ट्रेन लगातार दश वर्षो तक बिना रुके चलाई जा सकती हैं। स्वाभाविक है कि ऊर्जा के इतने अपार रूप से हुए अवशोषण से पृथ्वी का द्रव्यमान सदियो से बढ़ रहा है। लेकिन पृथ्वी के द्रव्यमान के सापेक्ष यह उपेछणीय हैं।

द्रव्यमान और ऊर्जा में क्या संबंध है?

Solution : द्रव्यमान-ऊर्जा सम्बन्ध : यदि द्रव्यमान m को ऊर्जा में परिवर्तन किया जाये, तो प्राप्त ऊर्जा E का मान आइंस्टीन के निम्न सम्बन्ध से दिया जाता है : `E=mc^(2)` <br> जहाँ c प्रकाश की निविर्त में चाल है।

द्रव्यमान ऊर्जा संबंध का सूत्र क्या है?

Solution : `E = m c^(2)`, जहाँ c प्रकाश की चाल है।

द्रव्यमान ऊर्जा संबंधी नियम क्या है?

भौतिकी में, द्रव्यमान-ऊर्जा समतुल्यता (mass–energy equivalence) के सिद्धान्त के अनुसार यदि किसी वस्तु में कुछ द्रव्यमान है तो उसमें उसके तुल्य एक ऊर्जा होती है और यदि उसमें कुछ ऊर्जा है तो उसके तुल्य एक द्रव्यमान होता है।

द्रव्यमान का ऊर्जा में परिवर्तन क्या कहलाता है?

यह द्रव्यमान अन्तर 'द्रव्यमान क्षति' (Mass defect) कहलाता है। जब प्रोटॉन व न्यूट्रॉन मिलकर नाभिक की रचना करते हैं, तो कुछ द्रव्यमान लुप्त हो जाता है। यह लुप्त द्रव्यमान ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है। अतः न्यूट्रॉन व प्रोटॉन के संयोग से किसी नाभिक के बनने में जो ऊर्जा विमुक्त होती है उसे नाभिक की बन्धन ऊर्जा कहते हैं।