Show ऊष्मा का उपयोग ऊष्मा (Heat)ऊष्मा एक प्रकार की ऊर्जा है । जब किसी वस्तु को गर्म करते है तब वह ऊष्मा ग्रहण करती है । ऊष्मा को न तो बनाया जा सकता हे न ही नष्ट किया जा सकता हे ऊष्मा को सिर्फ एक निकाय से दूसरे निकाय में स्तान्तरित किया जा सकता हे ऊष्मा का प्रमाण सर्व प्रथम रदरफोर्ड ने दिया था । उष्मा का मात्रक कैलोरी व किलो कैलोरी मे होता है । S.I. पद्धति मे उष्मा का मात्रक जूल है । 1 कैलोरी =4.18 या 4.2 जूल ताप मापने की इकाई डिग्री सेल्सियस, फारेनहाइट, केल्विन इत्यादि है। ऊष्मा का उपयोग उष्मा मापन की 3 इकाइयां होती है
एक कैलोरी- 1 ग्राम पानी का तापमान 1 डिग्री बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊर्जा एक कैलोरी होती है अंतरराष्ट्रीय कैलोरी- 1 ग्राम पानी का तापमान 14.5℃ से 15.5℃ बढ़ाने के लिए ऊर्जा आवश्यक ऊर्जा अंतरराष्ट्रीय कैलोरी कहलाती है BTU ब्रिटिश थर्मल यूनिट – 1पौडं जल का तापमान 1 डिग्री फारेनहाइट बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊर्जा 1BTU कहलाती है
कोयले की ऊष्मा B T U में मापी जाती है ऊष्मा मापन की सबसे बड़ी इकाई B. T. U. है तापक्रम पैमानेC/5=F-32/9=R/4=T-273/5 विशिष्ट उष्मा – किसी पदार्थ के एकांक द्रव्यमान का ताप 1℃ बढांने के लिए आवश्यक उष्मा को उस पदार्थ कि विशिष्ट उष्मा कहते है । विशिष्ट उष्मा का मान 0 से लेकर अनन्त तक हो सकता है लेकिन कभी ऋणात्मक नही हो सकता। त्रिक बिन्दु- वह ताप व दाब जहाँ पर उर्ध्वपातन ,संगलन व वाष्पन वक्र मिलते है अर्थात् तीनो अवस्थाएँ सहवर्ती होती है, उसे पदार्थ का त्रिक बिन्दु कहते है । गुप्त उष्मा- पदार्थ के एकांक द्रव्यमान की अवस्था परिवर्तन करने के लिए आवश्यक उष्मा को को पदार्थ की गुप्त उष्मा कहते है । ऊष्मा के प्रभाव- ऊष्मा के प्रभाव से पदार्थ में कई बदलाव आते हैं जो यदा कदा स्थाई होते है और कभी-कभी अस्थाई। ऊष्मीय प्रसार – गर्म करने पर ठोस, द्रव या गैस के आकार में विस्तार होता है। पर वापस ठंढा करने पर ये प्रायः उसी स्वरूप में आ जाते हैं। इस कारण से इनके घनत्व में भी बदलाव आता है। अवस्था में परिवर्तन – ठोस अपने द्रवानांक पर द्रव बन जाते हैं तथा अपने क्वथनांक पर द्रव गैस बन जाते हैं। यह क्वथनांक तथा द्रवनांक ठोस तथा द्रव के कुल दाब पर निर्भर करता है। कुल दाब के बढ़ने से क्वथनांक तथा द्रवनांक भी बढ़ जाते हैं। विद्युतीय गुणों में परिवर्तन – तापमान बढाने पर यानि गर्म करने पर किसी वस्तु की प्रतिरोधक क्षमता (Resistivity) जैसे गुणों में परिवर्तन आता है। कई डायोड तथा ट्रांज़िस्टर उच्च तापमान पर काम करना बंद कर देते हैं। रसायनिक परिवर्तन – कई अभिक्रियाएं तापमान के बढ़ाने से तेज हो जाती हैं। उदाहरण स्वरूप 8400C पर चूना पत्थर का विखंडन – ऊष्मा का एक स्थान से दूसरे स्थान को संचरण तीन विधियों से होता है
तापमानगर्म या ठंढे होने की माप तापमान कहलाता है जिसे तापमापी यानि थर्मामीटर के द्वारा मापा जाता है। लेकिन तापमान केवल ऊष्मा की माप है, खुद ऊष्मीय ऊर्जा नहीं। इसको मापने के लिए कई प्रणालियां विकसित की गई हैं जिनमें सेल्सियस(Celsius), फॉरेन्हाइट(Farenhite) तथा केल्विन(Kelvin) प्रमुख हैं। इनके बीच का आपसी सम्बंध इनके व्यक्तिगत पृष्ठों पर देखा जा सकता है। ऊष्मा मापने का मात्रक कैलोरी है। विज्ञान की जिस उपशाखा में ऊष्मा मापी जाती है, उसको ऊष्मामिति (Clorimetry) कहते हैं। इस मापन का बहुत महत्व है। विशेषतया विशिष्ट ऊष्मा का सैद्धांतिक रूप से बहुत महत्व है और इसके संबंध में कई सिद्धांत प्रचलित हैं। ऊष्मा Heat का एस आई मात्रक जूल है। महत्वपुर्ण:- पानी 0°C पर जमता है। पानी 100°C पर उबलता है। मनुष्य के शरीर का सामान्य तापमान – 37°C / 98°F होता है। ऊष्मा का क्या कार्य है?ऊष्मा केवल तापमान अंतर के कारण स्थानांतरित ऊर्जा है। कार्य एक दूरी के माध्यम से बल के साथ संबंधित ऊर्जा स्थानांतरण है।
ऊष्मा से आप क्या समझते हैं?ऊष्मा (heat) या ऊष्मीय ऊर्जा (heat energy), ऊर्जा का एक रूप है जो ताप के कारण होता है। ऊर्जा के अन्य रूपों की तरह ऊष्मा का भी प्रवाह होता है। किसी पदार्थ के गर्म या ठंडे होने के कारण उसमें जो ऊर्जा होती है उसे उसकी ऊष्मीय ऊर्जा कहते हैं।
ऊष्मा का मात्रक क्या होता है?Solution : ऊष्मा और ताप के SI मात्रक क्रमशः जूल (J) और केल्विन (K) है।
ऊष्मा का सूत्र क्या होता है?किसी पदार्थ के द्रव्यमान का ताप एक डिग्री सेल्सियस बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को उस पदार्थ की ऊष्मा धारिता (Heat capacity) कहते हैं। इस भौतिक राशि का एस आई मात्रक जूल प्रति केल्विन (J/K) है। ऊष्मा धारिता की विमा [M1L2T-2Θ-1] है।
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