Advertisement Remove all ads Advertisement Remove all ads Short Note ‘तुम घन बन हम मोरा’-ऐसी कवि ने क्यों कहा है? Advertisement Remove all ads
Solutionरैदास अपने प्रभु के अनन्य भक्त हैं, जिन्हें अपने आराध्य को देखने से असीम खुशी मिलती है। कवि ने ऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि जिस प्रकार वन में रहने वाला मोर आसमान में घिरे बादलों को देख प्रसन्न हो जाता है, उसी प्रकार कवि भी अपने आराध्य को देखकर प्रसन्न होता है। Concept: पद्य (Poetry) (Class 9 B) Is there an error in this question or solution? Advertisement Remove all ads Chapter 7: रैदास - अब कैसे छूटे राम नाम … ऐसी लाल तुझ बिनु … - अतिरिक्त प्रश्न Q 3Q 2Q 4 APPEARS INNCERT Class 9 Hindi - Sparsh Part 1 Chapter 7 रैदास - अब कैसे छूटे राम नाम … ऐसी लाल तुझ बिनु … Advertisement Remove all ads Formulae Handbook for Class 9 Maths and ScienceEducational Loans in India NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 9 अब कैसे छूटे राम नाम … ऐसी
लाल तुझ बिनु … is part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 9 अब कैसे छूटे राम नाम … ऐसी लाल तुझ बिनु …. पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास प्रश्न 1.
(ख) अन्य तुकांत शब्द इस प्रकार हैं
(ग)
(घ) दूसरे पद में कवि ने अपने प्रभु को ‘गरीब निवाजु’ कहा है। इसका अर्थ है-दीन-दुखियों पर दया करने वाला। प्रभु ने रैदास जैसे अछूत माने जाने वाले
प्राणी को संत की पदवी प्रदान की। रैदास जन-जन के पूज्य बने। उन्हें महान संतों जैसा सम्मान मिला। रैदास की दृष्टि में यह उनके प्रभु की दीन-दयालुता और अपार कृपा ही है। प्रयुक्त रूप प्रचलित रूप
प्रश्न 2. (ख) भाव यह है कि रैदास अपने आराध्य प्रभु से अनन्य भक्ति करते हैं। वे अपने प्रभु के दर्शन पाकर प्रसन्न होते हैं। प्रभु-दर्शन से उनकी आँखें तृप्त नहीं होती हैं। वे कहते हैं कि जिस प्रकार चकोर पक्षी चंद्रमा को निहारता रहता है। उसी प्रकार वे भी अपने आराध्य का दर्शनकर प्रसन्नता का अनुभव करते हैं। (ग) भाव यह है कि अपने आराध्य प्रभु से अनन्यभक्ति एवं प्रेम करने वाला कवि अपने प्रभु को दीपक और खुद को उसकी बाती मानता है। जिस प्रकार दीपक और बाती प्रकाश फैलाते हैं उसी प्रकार कवि अपने मन में प्रभु भक्ति की ज्योति जलाए रखना चाहता है। (घ) प्रभु की दयालुता, उदारता और गरीबों से विशेष प्रेम करने के विषय में कवि बताता है कि हमारे समाज में अस्पृदश्यता के कारण जिन्हें कुछ लोग छूना भी पसंद नहीं करते हैं, उन पर दयालु प्रभु असीम कृपा करता है। प्रभु जैसी कृपा उन पर कोई नहीं करता है। प्रभु कृपा से अछूत समझे जाने वाले लोग भी आदर के पात्र बन जाते हैं। (ङ) संत रैदास के प्रभु अत्यंत दयालु हैं। समाज के दीन-हीन और गरीब लोगों पर उनका प्रभु विशेष दया दृष्टि रखता है। प्रभु की दया पाकर नीच व्यक्ति भी ऊँचा बन जाता है। ऐसे व्यक्ति को समाज में किसी का डर नहीं रह जाता है। अर्थात् प्रभु की कृपा पाने के बाद नीचा समझा जाने वाला व्यक्ति भी ऊँचा और निर्भय हो जाता है। प्रश्न 3. योग्यता विस्तार प्रश्न 1. प्रश्न 2. अन्य पाठेतर हल प्रश्न लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए। प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. More Resources for CBSE Class 9
We hope the given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 9 अब कैसे छूटे राम नाम … ऐसी लाल तुझ बिनु … will help you. If you have any query regarding NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 9 अब कैसे छूटे राम नाम … ऐसी लाल तुझ बिनु …, drop a comment below and we will get back to you at the earliest. |