भूकंप के मानवीय कारण क्या है? - bhookamp ke maanaveey kaaran kya hai?

मानवीय क्रियाएँ: भूकंपीय गतिविधियों के सक्रिय होने का कारण

  • 27 May 2019
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चर्चा में क्यों?

हाल ही में किये गए एक नए अध्ययन में यह खुलासा किया गया है कि बड़े जलाशयों के निर्माण या तेल एवं गैस के उत्पादन के लिये ज़मीन में अपशिष्ट जल के अंतःक्षेपण जैसी मानवीय क्रियाएँ भूकंपीय गतिविधियों को सक्रिय करने के लिये ज़िम्मेदार हो सकती हैं।

  • साइंस नामक जर्नल में प्रकाशित इस नए अध्ययन में भारत और अमेरिका के शोधकर्त्ताओं ने पूर्व में प्रयोग किये गए डेटा और उनके द्वारा विकसित एक हाइड्रो-मैकेनिकल मॉडल का उपयोग करके द्रव-प्रेरित या तरल के अंतःक्षेपण के कारण आने वाले भूकंपों के पूर्ण आयामों की व्याख्या की है।

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष

  • हालाँकि यह सर्वविदित है कि पृथ्वी की उप-सतह में तरल पदार्थों का अंतःक्षेपण (एक किलोमीटर की गहराई तक) भूकंप जैसी घटनाओं का कारण बन सकता है लेकिन अब तक यही माना जाता था कि इस प्रकार की घटना अंतःक्षेपण स्थल के निकट एक क्षेत्र तक सीमित होती है। इस नए अध्ययन के अनुसार, द्रव/तरल के अंतःक्षेपण के कारण सतह में उत्पन्न होने वाली अशांति एक बड़े क्षेत्र को प्रभावित करने वाले भूकंप के रूप में परिणत हो सकती है। इसका तात्पर्य यह है कि भूकंप को सक्रिय करने वाले कारको का प्रभाव  दूर तक हो सकता है।
  • यह भी माना जाता है कि ऐसे क्षेत्र जहाँ भूकंप का कारण मानवीय गतिविधियाँ हैं, में आने वाले भूकंप का स्तर दक्षिणी कैलिफोर्निया जैसे क्षेत्र की भूकंपीय गतिविधि के स्तर को पार करते हैं।
  • तरल अंतःक्षेपण के उपयोग से तेल और गैस का निष्कर्षण, साथ ही अपशिष्ट जल के निपटान को आस-पास के क्षेत्रों में भूकंपीय दर में वृद्धि के लिये जाना जाता है।
  • ऐसा माना जाता है कि इन गतिविधियों को सक्रिय बनाने वाले कंपनों की उत्पत्ति का कारण आस-पास की चट्टानों में द्रव के उच्च दबाव के कारण पहले से मौजूद भ्रंशों के नेटवर्क में आने वाली अस्थिरता है।
  • हालाँकि अंतःक्षेपण के कारण भ्रंश रेखा (Fault Line) के निकट बिना किसी भूकंपीय तरंग के विरूपण की क्रिया उत्पन्न हो सकती है, जो बारी-बारी से भूकंपों को सक्रिय कर सकता है।

मानव गतिविधि के कारण आने वाले भूकंपों के उदाहरण

  • भारत में तरल अंतःक्षेपण के कारण भूकंप की सर्वविदित घटना वर्ष 1967 में महाराष्ट्र के कोयना में घटित हुई थी और इस भूकंपीय गतिविधि के लिये कोयना बांध निर्माण को ज़िम्मेदार ठहराया गया था।
  • ओक्लाहोमा (संयुक्त राज्य के दक्षिण-मध्य क्षेत्र में स्थित एक राज्य) के विवर्तनिक रूप से शांत क्षेत्र में आने वाले भूकंपों के लिये वहाँ होने वाले तेल और गैस अन्वेषण को ज़िम्मेदार माना गया है।

अध्ययन का महत्त्व

  • द्रव-प्रेरित या द्रव के अंतःक्षेपण के कारण उत्पन्न भूकंपों के पीछे के विज्ञान का अध्ययन करने से कोयना में जलाशय निर्माण के कारण आए भूकंपों के अध्ययन में मदद मिल सकती है। नोएडा स्थित राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र और हैदराबाद स्थित वैज्ञानिक तथा औद्योगिकी अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान की अगुवाई में ‘कोयना में डीप ड्रिलिंग’ पहल के ज़रिये द्रव-प्रेरित भूकंप का विस्तृत अध्ययन किया जा रहा है।
  • इन प्रयासों से भू-पर्पटी में अधिक गहराई पर स्थित भ्रंश के व्यवहार के बारे में डेटा प्राप्त करने की उम्मीद है। यह अध्ययन इस बात का प्रमाण है कि भूकंप जैसे खतरे का अधिक विश्वसनीय मॉडल तैयार करने के लिये इस तरह के डेटा का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है।

भूकंप के मानवीय कारण क्या है? - bhookamp ke maanaveey kaaran kya hai?

भूकंप क्या है ? (What is Earthquake in hindi), भूकंप के कारण (Major causes of Earthquake in hindi), भूकंप क्या होता है, भूकंप का कारण, भूकंप कैसे आता है आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं।

भूकंप क्या है ? (What is Earthquake in hindi)

भूकंप का शाब्दिक अर्थ ”भूमि का कंपन” है जिसका तात्पर्य भूमि के भीतर होने वाला कंपन या हलचल होता है। पृथ्वी की सतह पर अचानक तेज़ हलचल होने के कारण पृथ्वी की आंतरिक ऊर्जा बहार निकलती है जिससे भूकंपीय तरंगों का निर्माण होता है। भूकंपीय तरंगों के निर्माण के कारण पृथ्वी की अवस्था में परिवर्तन होने लगता है और इस परिवर्तन को भूकंप कहा जाता है जो छोटे या विशाल दोनों रूपों में हो सकता है। भूकंपीय तरंगों को सिस्मोग्राफ नामक यंत्र से मापा जाता है इसके अलावा जिस यंत्र से भूकंप की तीव्रता मापते है उसे रिक्टर पैमाना कहा जाता है।

  • भूकंप के प्रमुख कारण (Major causes of Earthquake in hindi) –
    • ज्वालामुखी का विस्फोट –
    • भूमि असंतुलन –
    • जलीय भार –
    • पृथ्वी का सिकुड़ना –
    • प्रत्यास्थ प्रतिक्षेप सिद्धांत (Elastic-rebound theory) –
    • प्लेट विवर्तनिकी का सिद्धांत (Plate tectonics theory) –

भूकंप के प्रमुख कारण (Major causes of Earthquake in hindi) –

भूकंप के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –

ज्वालामुखी का विस्फोट –

ज्वालामुखी विस्फोट किसी क्षेत्र में भूकंप होने का एक प्रमुख कारण हो सकता है। जब किसी क्षेत्र में ज्वालामुखी विस्फोट होता है तो उसका प्रभाव उस क्षेत्र के निकटवर्ती क्षेत्रों में प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। ज्वालामुखी विस्फोट के कारण निकटवर्ती क्षेत्रों की भूमि पर हलचल या कंपन उत्पन्न होता है जिसे भूकंप कहा जाता है। ज्वालामुखी विस्फोट के प्रभाव में आने वाले क्षेत्रों में भूकंप का प्रभाव अधिक और कम दोनों हो होता है यह ज्वालामुखी के प्रकार पर निर्भर करता है।

भूमि असंतुलन –

भूमि की विभिन्न परतों के असंतुलित होने के कारण भी भूकंप की संभावनाएं होती है। भूमि की ऊपरी सतह निचली सतह से हल्की होती है और यदि किसी क्षेत्र में इन दोनों सतहों में असंतुलन होने लगता है तो उस स्थान में कंपन के कारण भूमि कटाव आदि होने लगता है जिसे भूकंप कहा जाता है। अतः भूमि के असंतुलन के व्यवहार के कारण भी भूकंप आते है।

जलीय भार –

नदियों पर बाँध बनाकर बड़े-बड़े जलाशयों का निर्माण किया जाता है। जलाशयों में जल की मात्रा आवश्यकता से अधिक हो जाने के कारण जल चट्टानों में अपना प्रभाव डालने लगता है जिससे चट्टानों में दबाव बढ़ जाने के कारण उनकी स्थिति में परिवर्तन होने लगता है और इन परिवर्तनों से भूमि में हलचल होने लगती है जिससे तीव्र भूकंप की संभावनाएं रहती है।

पृथ्वी का सिकुड़ना –

पृथ्वी अपने जन्म के बाद से सिकुड़ रही है जिसकी वजह से इसकी विभिन्न परतों में भी कई परिवर्तन देखे जा सकते है। पृथ्वी की सतह सिकुड़ने पर वह अपनी अवस्था में परिवर्तित होने लगती है और इससे भूमि के आतंरिक भाग में कंपन होने लगता है जिससे ऊपरी सतह हिलने लगती है और भूमि कई खण्डों में विभाजित होने लगती है। भूमि का कई खण्डों में विभाजित होना ही भूकंप कहलाता है।

प्रत्यास्थ प्रतिक्षेप सिद्धांत (Elastic-rebound theory) –

प्रत्यास्थ प्रतिक्षेप सिद्धांत का प्रतिपादन अमेरिका के एक प्रसिद्ध भू-गर्भवेत्ता डॉ. एसएफ रीड द्वारा किया गया था और इसी वजह से इस सिद्धांत को डॉ. एसएफ रीड का सिद्धांत भी कहते है। ”इस सिद्धांत के अनुसार किसी भी क्षेत्र में होने वाला भूकंप यांत्रिक रचना शैलों के लचीलेपन पर निर्भर करता है। जब किसी स्थान के शैलों पर तनाव बढ़ता है तो वे मुड़ जाती हैं लेकिन जब तनाव शैलों के लचीलेपन की सीमा से अधिक हो जाता है तो शैलें टूटने लगती है और दो अलग-अलग खण्डों में विभाजित हो जाती है। विभाजन के कारण शैल के खंडो के बीच दरार आ जाने से चट्टान विपरीत दिशा में खिसक जाती है। इस क्रिया से चट्टान का तनाव समाप्त हो जाता है और चट्टान के दोनों खंड अपनी स्थिति में आने का प्रयास करती है और इसका परिणाम भूकंप होता है।

प्लेट विवर्तनिकी का सिद्धांत (Plate tectonics theory) –

प्रशांत महासागरीय क्षेत्रों में आने वाले अधिकांश भूकंप का कारण प्लेट विवर्तनिकी ही होते है। भूकंप मुख्यतः प्लेटों के किनारे पर अधिक आते है। लगभग सभी प्लेटों के किनारे कम केंद्र वाले भूकंप पाए जाते है तथा महासागरीय खाइयों में मध्यम गहराई वाले भूकंपों देखे जाते है इन भूकंपों का केंद्र लगभग 200 किमी की गहराई पर होता है। मध्यम गहराई वाले भूकंप तनाव एवं संपीड़न से उत्पन्न होते है तथा अधिक गहराई वाले भूकंप केवल संपीड़न से उत्पन्न होते है।

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भूकंप के 3 मुख्य कारण क्या हैं?

विवर्तनिक क्रिया, ज्वालामुखी क्रिया, समस्थितिक समायोजन तथा वितलीय कारणों से भूकंप की उत्पत्ति होती है। ज्वालामुखी क्रिया द्वारा भूगर्भ से तप्त मैग्मा, जल गैसें आदि ऊपर निकलने के लिए शैलों पर तेजी से धक्के लगाते हैं तथा दबाव डालते हैं जिसके कारण भूकंप उत्पन्न होते हैं

भूकम्प के कारण क्या है?

भूपटल के नीचे गैसों के प्रसार से सामान्यतः भूकम्प का अनुभव होता है। जब भूपटल के नीचे जल पहुंचता है तो पृथ्वी के आंतरिक भाग में अत्यधिक ताप के कारण उसके गैस और वाष्प में बदलने से आयतन में वृद्धि होती है तथा वह ऊपर की ओर गतिशील होता है। इससे भूकम्प की उत्पत्ति होती है

मानवीय भूकंप क्या है?

इसका तात्पर्य यह है कि भूकंप को सक्रिय करने वाले कारको का प्रभाव दूर तक हो सकता है। यह भी माना जाता है कि ऐसे क्षेत्र जहाँ भूकंप का कारण मानवीय गतिविधियाँ हैं, में आने वाले भूकंप का स्तर दक्षिणी कैलिफोर्निया जैसे क्षेत्र की भूकंपीय गतिविधि के स्तर को पार करते हैं।

भूकंप कितने प्रकार के होते हैं?

छिछले उद्गम केंद्र के भूकंप :- जिस भूकंप का भूकंप मूल्य 0 से 50 किलोमीटर की गहराई पर हो। ... .
माध्यम उद्गम केंद्र के भूकंप :- जिस भूकंप का मूल 50 से 250 किलोमीटर की गहराई पर हो।.
गहरे उद्गम केंद्र के भूकंप :- जिस भूकंप का मूल 250-700 किलोमीटर की गहराई तक हो।.