तीज कब और क्यों मनाई जाती है? - teej kab aur kyon manaee jaatee hai?

Hariyali Teej 2022: हिंदू धर्म में प्रत्येक त्योहार का एक विशेष महत्व है और खासतौर पर सावन का महीना व्रत व त्योहारों से भरा होता है. सावन के महीने में भगवान ​भोलेनाथ का पूजन किया जाता है.

तीज कब और क्यों मनाई जाती है? - teej kab aur kyon manaee jaatee hai?

​Hartalika Teej 2022: सावन माह में सोमवार का व्रत का विशेष महत्व है. इसके अलावा रक्षाबंधन, हरतालिका तीज और शिवरात्रि जैसे महत्वपूर्ण त्योहार भी इसी महीने में आते हैं. सावन में हरियाली तीज (Haritalika Teej 2022 Date) का विशेष महत्व है और इस दिन सु​हागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र (Haritalika Teej Vrat) के लिए व्रत करती हैं. वहीं कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना से इस दिन मां पार्वती का पूजन करती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हरियाली तीज का त्योहार क्यों और कैसे मनाया जाता है?

कब है ​हरियाली तीज 2022

हरियाली तीज को कुछ क्षेत्रों में हरितालिका तीज के नाम से भी जाना जाता है. इस साल यह त्योहार 31 जुलाई, रविवार के दिन पड़ रहा है. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगा औश्र 8 बजकर 33 मिनट तक रहेगा. वहीं प्रदोष पूजा सायंकाल में 6:33 बजे से रात 8:51 बजे तक की जा सकती है.

क्यों मनाते हैं हरियाली तीज?

हिंदू धर्म में हरियाली तीज का त्योहार महिलाओं के लिए काफी खास होता है. इस त्योहार को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. एक लोकप्रिय पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने घोर तप किया था और 107 जन्म लिए थे. कठोर तप के बाद 108वें जन्म में भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. कहा जाता है कि ​तभी से इस त्योहार की शुरुआत हुई.

कैसे मनाते हैं हरियाली तीज का त्योहार?

हरियाली तीज का त्योहार अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. कई जगह सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए इस दिन व्रत करती हैं. वहीं कई क्षेत्रों में हरियाली तीज के दिन पकवान बनाएं जाते हैं. हरियाली तीज के दिन बेटी या बहन के घर सिंधारा भेजा जाता है जिसे कुछ इलाकों में सिंजारा भी कहा जाता है. सिंधारे में बेटी के कपड़े, श्रृंगार और कुछ मीठा होता है. इस दिन लड़कियां अपने मायके जाती हैं और उनके लिए विशेष प्रकार के पकवान आदि बनाएं जाते हैं. जो महिलाएं हरियाली तीज के दिन व्रत करती हैं वह दिन भी जल भी ग्रहण नहीं करतीं. व्रत खोलने के बाद ही कुछ जाते हैं.

डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. India.Com इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए 107 जन्म लिए थे। 
  • हरियाली तीज के ही दिन माता पार्वती ने कठोर तप किया था और इसी से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. 
  • इस दिन स्त्रियां माता पार्वती जी और भगवान शिव जी की पूजा करती हैं।
  • इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। तो वहीं कुंवारी लड़कियां मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं।
  • व्रत को करने से मां पार्वती प्रसन्न होकर व्रत रखने वाली महिलाओं के पतियों को दीर्घायु होने का आशीर्वाद देती हैं।

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    रिपोर्ट- सर्वेश श्रीवास्तव

    अयोध्या. सावन के पवित्र महीने में कई त्योहार पड़ते हैं उसी में से एक हरियाली तीज भी आता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष हरियाली तीज का व्रत 31 जुलाई को है. हरियाली तीज का व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए रखती हैं. वहीं कुंवारी लड़कियां अच्छे वर पाने के लिए इस व्रत को रखती हैं. हरियाली तीज में भगवान शंकर के साथ माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.

    ज्योतिषाचार्य कल्कि राम महाराज बताते हैं कि धार्मिक मान्यता है कि माता पार्वती ने भोले शंकर को पाने के लिए कठिन तप और तपस्या करने के बाद हरियाली तीज का व्रत रखा था. इस दिन महिलाएं हरे रंग का कपड़ा पहनती हैं और सोलह सिंगार करती हैं. हरियाली तीज का व्रत करवा चौथ की तरह होता है जो निर्जल होता है.

    - इसे सबसे पहले गिरिराज हिमालय की पुत्री पार्वती ने किया था जिसके फलस्वरूप भगवान शंकर उन्हें पति के रूप में प्राप्त हुए।

    - कुंवारी लड़कियां भी मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखकर माता पार्वती की पूजा करती हैं।

    - हरियाली तीज के दिन भगवान शिव ने देवी पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया।

    - पार्वती के कहने पर शिव जी ने आशीर्वाद दिया कि जो भी कुंवारी कन्या इस व्रत को रखेगी उसके विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होंगी।

    निर्जला व्रत और भगवान शिव और माता पार्वती जी की विधि पूर्वक पूजा करने का विधान है। इस दिन व्रत के साथ-साथ शाम को व्रत की कथा सुनी जाती है। माता पार्वती जी का व्रत पूजन करने से धन, विवाह संतानादि भौतिक सुखों में वृद्धि होती है।

    सावन मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को महिलाएं शिव-पार्वती का विशेष पूजन करती हैं, वही हरियाली तीज कहा जाता है। देश के बड़े भाग में यही पूजन आषाढ़ तृतीया को मनाया जाता है उसे हरितालिका तीज कहते हैं। दोनों में पूजन एक जैसा होता है अत: कथा भी एक जैसी है।

    श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को श्रावणी तीज कहते हैं। परन्तु ज्यादातर लोग इसे हरियाली तीज के नाम से जानते हैं। यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है।

    इस दिन स्त्रियां माता पार्वती जी और भगवान शिव जी की पूजा करती हैं।

    इस व्रत को करवा चौथ से भी कठिन व्रत बताया जाता है।

    इस दिन महिलाएं पूरा दिन बिना भोजन-जल के दिन व्यतीत करती हैं तथा दूसरे दिन सुबह स्नान और पूजा के बाद व्रत पूरा करके भोजन ग्रहण करती हैं।

    विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं।

    इस दिन स्त्रियों के मायके से श्रृंगार का सामान और मिठाइयां उनके ससुराल भेजी जाती है।

    हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह घर के काम और स्नान करने के बाद सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं। इसके बाद मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा होती है।

    पूजा के अंत में तीज की कथा सुनी जाती है। कथा के समापन पर महिलाएं मां गौरी से पति की लंबी उम्र की कामना करती है। इसके बाद घर में उत्सव मनाया जाता है और भजन व लोक नृत्य किए जाते है।

    इस दिन हरे वस्त्र, हरी चुनरी, हरा लहरिया, हरा श्रृंगार, मेहंदी, झूला-झूलने का भी रिवाज है। जगह-जगह झूले पड़ते हैं। इस त्योहार में स्त्रियां हरी लहरिया न हो तो लाल, गुलाबी चुनरी में भी सजती हैं, गीत गाती हैं, मेंहदी लगाती हैं,श्रृंगार करती हैं, नाचती हैं। हरियाली तीज के दिन अनेक स्थानों पर मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी बड़े धूमधाम से निकाली जाती है।

    साल 2018 में हरियाली तीज अलग-अलग मतानुसार 13 और 14 अगस्त को मनाई जाएगी। लेकिन अधिकांश लोग इसे 14 को ही मनाएंगे।

    तीज क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है?

    हरतालिका तीज को मनाने का एक कारण माता पार्वती और भगवान शिव हैं। मान्यता है कि माता पार्वती ने ही सबसे पहले हरतालिका तीज का व्रत करते भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था। माता पार्वती का अनुसरण करते हुए महिलाएं शिवजी और माता पार्वती जैसा दांपत्य जीवन पाने की कामना करती हैं।

    तीज पर्व का महत्व क्या है?

    हरतालिका तीज व्रत का महत्व इस पर्व को लेकर मान्यता है कि भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने कठोर तपस्या की थी. तभी से हर वर्ष यह हरतालिका तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए रखती हैं. इस पर्व के दौरान सुहागन महिलाएं सुहाग की सभी चीजों को मां पार्वती को अर्पित करती हैं.

    तीज की शुरुआत कैसे हुई?

    सर्वप्रथम इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव शङ्कर के लिए रखा था। इस दिन विशेष रूप से गौरी−शंकर का ही पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाली स्त्रियां सूर्योदय से पूर्व ही उठ जाती हैं और नहा धोकर पूरा श्रृंगार करती हैं।

    तीज की कहानी क्या है?

    12 साल तक माता पार्वती ने भोलेनाथ को पाने के लिए कठोर तप किया. मां पार्वती के इस कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें दर्शन दिए और इच्छा अनुसार उनको अपनी पत्नी के रूप में अपना लिया. तब से सुयोग्य और मनचाहा पति पाने और सुहाग की रक्षा हेतु महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत करती हैं.