तांबे से सोना कैसे बनाया जाता है? - taambe se sona kaise banaaya jaata hai?

Tambe Se Sona Banane Ki Vidhi

Pradeep Chawla on 12-05-2019

चांदी की पैनी को गर्म प्लेट पर लगभग 570 डिग्री फ़ारेनहाइट (300 डिग्री सेल्सियस) तक रखें। देखो क्योंकि गर्मी तांबे के साथ जस्ता को पीतल मिश्र धातु बनाने के लिए फैलती है। यह रंग में सुनहरे के रूप में दिखाई देगा।

एक बार पैसा एक पीतल / सुनहरे रंग का होता है, तो पैनी लेने के लिए चिमटी का उपयोग करें और उसे धोने और ठंडा करने के लिए धोने वाले बीकर में स्थानांतरित करें।

एक बार ठंडा हो जाने पर, आपके पास एक अच्छा सोना रंगीन पैसा है

सम्बन्धित प्रश्न



Comments Sanjay joshi on 20-04-2022

Tambe se gold kaise banta hai?

Aaditya kushawha on 10-06-2021

Sona Kaise banaa sakte hain

Amarsinh Nivrutti kenjale on 12-12-2020

Tamba se sona kase banate hai

Sons.banane.ki.puree.vidhibatayain. on 18-08-2019

Sonabanane.ki.pure.vidhi.batayain.

विशवमेसबसेपहलेदहीकौनबनायाथा on 12-05-2019

विशवमेसबसेपहलेदहीकौनबनायाथा

Hitesh soni on 12-05-2019

Pranam gurig parad ke 16 la sanskar ki vidhi bataye kistaraha se ki jati he 1 kg pared ko lekar Karena cahtahu kone sanskar me konsi osadhi ki tani macrame ati he air kitani der take ko
Nsi vidhi kitani der take karani he ye bata ne ke krupa kare pranam koti koti vandan

PAtwari hanmant on 06-04-2019

Nitric proof tamba banana. Zink high tempreture banana

Nitric Acid Me Tambha Kaise Tikta Hai on 25-11-2018

Nitric Proof Tambha Kai Se Banate Hai



तांबे से सोना कैसे बनाएं?

इसे सुनेंरोकेंचांदी की पैनी को गर्म प्लेट पर लगभग 570 डिग्री फ़ारेनहाइट (300 डिग्री सेल्सियस) तक रखें। देखो क्योंकि गर्मी तांबे के साथ जस्ता को पीतल मिश्र धातु बनाने के लिए फैलती है। यह रंग में सुनहरे के रूप में दिखाई देगा।

कौन से पेड़ से सोना बनता है?

इसे सुनेंरोकेंभू-रसायन विज्ञानी मेल लिनटेर्न कहते हैं कि रिसर्च टीम को उस इलाके के यूकेलिप्टस के पेड़ों की पत्तियों में सोने के कण मिले हैं. लिनटेर्न के मुताबिक, “यूकेलिप्टस एक हाइड्रॉलिक पम्प की तरह काम करता है, इसकी जड़ें जमीन में बहुत ही गहराई तक जाती हैं और ऐसा पानी खींच लेती हैं जिसमें सोना भी है.”

घर पर गोल्ड कैसे बनाएं?

गोल्ड ब्लीच घर पर कैसे करें (how to do gold bleach at home)

  1. घर पर गोल्ड ब्लीच करने के लिए सबसे पहले आलू का बचा हुआ गूदा लें।
  2. आधे घंटे बाद घर पर तैयार गोल्ड ब्लीच (gold bleach) को अपने पूरे चेहरे पर अच्छी तरह से लगा लें।
  3. 15 मिनट बाद ब्लीच को एक गीले कपड़े से पोंछ लें।
  4. इसके बाद चेहरे को अच्छी तरह से पानी से धो लें।

सोना कैसे बना था?

इसे सुनेंरोकेंप्राचीन काल में भारत देश में पाऱे से भी सोना बनाए जाने का उल्लेख ग्रंथो में मिलता है। आधुनिक विधि द्वारा स्वर्णयुक्त क्वार्ट्‌ज (quartz) को चूर्ण कर पारद की परतदार ताम्र की थालियों पर धोते हैं जिससे अधिकांश स्वर्ण थालियों पर जम जाता है। परत को खुरचकर उसके आसवन (distillation) द्वारा स्वर्ण को पारद से अलग कर सकते हैं।

सत्यानाशी से सोना कैसे बनता है?

इसे सुनेंरोकेंये दहकते कोयलों पर डालने से भड़भड़ बोलते हैं। उत्तर प्रदेश में इसे भड़भाँड़ भी कहते हैं। सत्यानाशी (argemone mexicana in hindi) के किसी भी भाग को तोड़ने से सोने जैसा पीला दूध निकलता है, इसलिए इसको स्वर्णक्षीरी भी कहते हैं, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार, सत्यानाशी स्वर्णक्षीरी से पूर्णतः भिन्न है।

सत्यानाशी के पौधे से सोना कैसे बनता है?

वनस्पति से सोना कैसे बनाया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंकहा तो यह भी जाता है कि हिमालय में पारस नाम का एक सफेद पत्थर पाया जाता है जिसे यदि लोहे से छुआ दो तो वह लोहा स्वर्ण में बदल जाता था। पारे, जड़ी- वनस्पतियों और रसायनों से सोने का निर्माण करने की विधि के बारे में कई ग्रंथों में उल्लेख मिलता है।

सोना कौन से धातु से बनता है?

इसे सुनेंरोकेंकैलेवराइट, सिल्वेनाइट, पेटजाइट और क्रेनराइट… सोना आमतौर पर या तो अकेले या पारे या सिल्वर के साथ मिश्र धातु के रूप में पाया जाता है। कैलेवराइट, सिल्वेनाइट, पेटजाइट और क्रेनराइट अयस्कों के रूप में भी यह पाया जाता है। अब ज्यादातर स्वर्ण अयस्क या तो खुले गड्डों से आता है या फिर अंडरग्राउंड खानों से।

सत्यानाशी के बीज क्या काम आते हैं?

इसे सुनेंरोकेंइस जड़ी बूटी में एंटीमाइक्रोबायल, एंटीडाइबेटिक, एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। इसके अलावा इसके बीज में रेचक गुण होते हैं जो कब्ज का इलाज करने में उपयोगी होते हैं। सत्यानाशी आपके लिवर के लिए भी लाभकारी होती है। इस साब के अलावा सत्यानाशी आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है।

लेखकीय -- कुछ दिनों पहले मैंने " पारस पत्थर का रहस्य " नामक लेख प्रकाशित किया था । जिसमें सोना बनाने का हल्का सा जिक्र आया था । जिसकी मेरे तमाम पाठकों पर जबरदस्त प्रतिक्रिया हुयी और उन्होंने
फ़ोन । ई मेल । sms । आदि के द्वारा इस विषय पर विस्तार से लिखने को कहा ।हांलाकि मैं आप लोगों की जिग्यासा पूर्ति हेतु लिख अवश्य रहा हूं । पर ये सब क्रियायें बेहद कठिन हैं और इनके लिये विशेष साधन विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है । जिसमें सबसे मुश्किल तेज ताप की गलाने वाली भट्टी की ही आती है । फ़िर भी इनके छोटे प्रयोग कोई करना चाहें और वांछित वस्तुओं के वर्तमान नाम जानने की दिक्कत आये । तो किसी " आयुर्वेद " की मूल पुस्तक और संस्कृत के शब्दकोष का सहारा लें । वैसे पुराने विद्वान । और वैध लोग इन नामों को अक्सर जानते हैं । ये प्रयोग विशेष रुचि वालो के लिये । शोधकर्ताओं के लिये ही लाभदायक हैं । साधारण आदमी द्वारा ये प्रयोग करना समय और पैसे की बरबादी के अलावा कुछ नही है । लेख प्रकाशित करने का उद्देश्य पाठकों को भारत की महान प्राचीन ग्यान परम्परा से अवगत कराना है । " सोना बनाने के रहस्यमय नुस्खे " तीन भागों में प्रकाशित है । जो एक साथ ही प्रकाशित हो चुके हैं । कृपया लेख में दिये गये खाने के नुस्खे का प्रयोग कतई न करें । अन्यथा " मृत्यु " हो सकती है ।
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रसक calamine को तीन बार तांबे के साथ तपायें । तो तांबा सोने में बदल जाता है ।
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दरद cinnabar को कई बार भेड के दूध से । और अम्लवर्ग पदार्थों के साथ भावित करें । और धूप में रखें । तो चांदी केसरिया रंग के सोने में बदल जाती है ।
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चांदी को शुद्ध करना हो तो इसे शीशे के साथ गलायें । और क्षारों के साथ तपायें । फ़िर छोटी जटामासी ( पिशाची ) के तेल में तीन बार डुबायें । सोने जैसा रंग उत्पन्न करता है ।
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बन्दमूषा में मदार के दूध और रसक ( जिंक सल्फ़ाइड ) के साथ पारे का यदि तीन बार जारण करें तो इससे सोने का रंग आ जाता है ।
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एक मुठ्ठी शुद्ध पारा । एक मुठ्ठी गन्धक इन्हें धतूरे के रस में घोंट लें । फ़िर चक्रयोग के द्वारा भावना दें । ऐसा करने से पारा भस्म हो जाता है । फ़िर इन्हें बन्दमूषा में फ़ूंके तो सुन्दर खोट प्राप्त होता है । जिससे धातुओं का वेधन किया जा सकता है ।
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धूर्त तेल ( धतूरे का तेल ) अहिफ़ेन ( अफ़ीम ) कंगुनी तेल । मूंग तेल । जायफ़ल का तेल । हयमार तेल । शिफ़ा ( ब्रह्मकन्द का तेल ) आदि को बेधक माना गया है । इनके साथ पारे की इस प्रकार क्रिया करायी जाय । कि जो पारा बने । उसकी सहायता से साधारण धातुओं का बेधन कर स्वर्ण बनाया जा सके ।
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सहस्त्रवेधी पारा तैयार करने के लिये । मिट्टी की कूपी । सोने की कूपी । अथवा लोहे की कूपी लें । इस कूपी पर बहुत सी खडिया । लवड । और लौह चूर्ण मिले गारे का लेप करें । इसका प्रयोग भूधर यन्त्र में करें । पारे की मात्रा का सौ गुना गन्धक पाचित करा दिया जाय । तो ऐसा पारा चांदी । तांबा रांगा । सीसा आदि के प्रति सहस्त्रवेधी हो जाता है ।
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दरद ( सिंगरफ़ ) माक्षिक ( सोना माखी ) गन्धक । राजावर्त । मूंगा । मनशिला । तूतिया । और कंकुष्ठ इनका बराबर चूर्ण लें । फ़िर पीले और लाल वर्ग के फ़ूल बराबर लें । और कंगुनी के तेल के साथ पांच दिन धूप में बराबर भावना दें । फ़िर जारित पारे को कल्क के साथ सकोरे के सम्पुट में बालू की हांडी में भरकर तीन दिन पाक करें । पाक के समय ये कल्क बार बार डालें । ऐसा करने से पारा रंजित हो जाता है और उसमें शतवेधी शक्ति उत्पन्न हो जाती है ।
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पारा । दरद ( सिंगरफ़ ) ताप्य ( स्वर्ण माक्षिक ) गन्धक और मनशिला इनको क्रमानुसार एक एक भाग बडाकर लें । फ़िर इनके साथ एक भाग चांदी । तीन भाग तांबा मिलाकर जारित करें । तो श्रेष्ठ सोना तैयार हो जाता है ।
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शुद्ध रांगा सावधानी के साथ गलायें । और उसमें सोंवा भाग पारा मिलायें । ऐसा करने से 32 कला की शुद्ध चांदी बनती है ।
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" जाकी रही भावना जैसी । हरि मूरत देखी तिन तैसी । "
" सुखी मीन जहाँ नीर अगाधा । जिम हरि शरण न एक हू बाधा । "
विशेष--अगर आप किसी प्रकार की साधना कर रहे हैं । और साधना मार्ग में कोई परेशानी आ रही है । या फ़िर आपके सामने कोई ऐसा प्रश्न है । जिसका उत्तर आपको न मिला हो । या आप किसी विशेष उद्देश्य हेतु कोई साधना करना चाहते हैं । और आपको ऐसा लगता है कि यहाँ आपके प्रश्नों का उत्तर मिल सकता है । तो आप निसंकोच सम्पर्क कर सकते हैं । सम्पर्क.. 09837364129

गंधक से सोना कैसे बनाया जाता है?

सोना बनाने के लिए आपको 500 ग्राम शुद्ध लोहा, पीतल और शुद्ध कांसा लेकर उन्हें अलग-अलग पात्र में पिघलाना होगा। पिघलाने के बाद इन तीनों का मिश्रण कर इसे कढ़ाई या किसी कटोरे का रूप दें। इसके बाद आपको 200 ग्राम गंधक, 200 ग्राम नीला थोथा, 200 ग्राम नमक, 200 ग्राम कुमकुम और रस सिंदूर की आवश्यकता होगी।

कौन से पेड़ से सोना बनता है?

भू-रसायन विज्ञानी मेल लिनटेर्न कहते हैं कि रिसर्च टीम को उस इलाके के यूकेलिप्टस के पेड़ों की पत्तियों में सोने के कण मिले हैं. लिनटेर्न के मुताबिक, "यूकेलिप्टस एक हाइड्रॉलिक पम्प की तरह काम करता है, इसकी जड़ें जमीन में बहुत ही गहराई तक जाती हैं और ऐसा पानी खींच लेती हैं जिसमें सोना भी है."

प्राचीन काल में सोना कैसे बनाया जाता था?

यह आज भी एक रहस्य है। कहा तो यह भी जाता है कि हिमालय में पारस नाम का एक सफेद पत्थर पाया जाता है जिसे यदि लोहे से छुआ दो तो वह लोहा स्वर्ण में बदल जाता था। पारे, जड़ी- वनस्पतियों और रसायनों से सोने का निर्माण करने की विधि के बारे में कई ग्रंथों में उल्लेख मिलता है।

सत्यानाशी के पौधे से सोना कैसे बनाया जाता है?

सत्यानाशी के किसी भी अंग को तोड़ने से उसमें से स्वर्ण सदृश, पीतवर्ण (पीले रंग) का दूध निकलता है, इसलिए इसे स्वर्णक्षीरी भी कहते है। सत्यानाशी का फल चौकोर, कांटेदार, प्याले-जैसा होता है, जिनमें राई की तरह छोटे-छोटे काले बीज भरे रहते हैं, जो जलते कोयलों पर डालने से भड़भड़ बोलते हैं।