शिशुनाग वंश का अंतिम शासक कौन है? - shishunaag vansh ka antim shaasak kaun hai?

शिशुनाग वंश 412 से 345 ई॰पू॰ गद्दी पर बैठे। महावंश के अनुसार वह लिच्छवि राजा की एक पत्‍नी से उत्पन्‍न पुत्र था । इसने सर्वप्रथम मगध के प्रबल प्रतिद्वन्दी राज्य अवन्ति पर वहां के शासक अवंतिवर्द्धन के विरुद्ध विजय प्राप्त की और उसे अपने साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया। इस प्रकार मगध की सीमा पश्‍चिम मालवा तक फैल गई। तदुपरान्त उसने वत्स को मगध में मिलाया। वत्स और अवन्ति के मगध में विलय से, मत्स्य जनपद के लिए पश्‍चिमी देशों से, व्यापारिक मार्ग के लिए रास्ता खुल गया।इतिहास Archived 2021-06-14 at the Wayback Machine

इतिहास[संपादित करें]

(मगध राज्य-दक्षिण बिहार) का एक प्राचीन राजवंश कहलाता था। इस वंश का संस्थापक शिशुनाग को माना जाता है! उसीके नाम पर इस वंश का नाम शिशुनाग वंश रखा गया शिशुनाग वंश का शासन का समय बिम्बिसार और अजातशत्रु के बाद का था। शिशु नाग वंश का शासन काल लगभग 412 ई. पूर्व से 345 ई. पूर्व के बिच तक का है। शिशुनाग वंश के राजाओं ने मगध की प्राचीन राजधानी गिरिव्रज को अपनी राजधानी बनाया और वैशाली (उत्तर बिहार) को पुनर्स्थापित किया था।

  • शिशुनाग ने मगध से बंगाल की सीमा से मालवा तक विशाल भू-भाग पर अधिकार कर लिया।
  • शिशुनाग एक शक्‍तिशाली शासक था जिसने गिरिव्रज के अलावा वैशाली नगर को भी अपनी राजधानी बनाया। ३९४ ई. पू. में इसकी मृत्यु हो गई।

कालाशोक – यह शिशुनाग का पुत्र था जो शिशुनाग के 315 ई. पू. मृत्यु के बाद मगध का शासक बना। महावंश में इसे कालाशोक तथा पुराणों में काकवर्ण कहा गया है। इसने २८ वर्षों तक शासन किया। कालाशोक के काल को प्रमुखत: दो महत्त्वपूर्ण घटनाओं के लिए जाना जाता है- वैशाली में दूसरी बौद्ध संगीति का आयोजन (आधुनिक पटना) में मगध की राजधानी का स्थानान्तरण।

  • बाणभट्ट रचित हर्षचरित के अनुसार काकवर्ण को राजधानी पाटलिपुत्र में घूमते समय महापद्यनन्द नामक व्यक्‍ति ने चाकू मारकर हत्या कर दी थी। 366 ई. पू. कालाशोक की मृत्यु हो गई।
  • महाबोधिवंश के अनुसार कालाशोक के दस पुत्र थे, जिन्होंने मगध पर 22.वर्षों तक शासन किया।
  • ३४४ ई. पू. में शिशुनाग वंश का अन्त हो गया और नन्द वंश का उदय हुआ।

शासकों की सूची[संपादित करें]

शिशुनाग राजवंश के शासकों की सूची
क्रम-संख्या शासक शासन अवधि (ई.पू) शासन वर्ष टिप्पणी
1. महाराजा शिशुनाग 413–395 18 महाराजा नागदशक की हत्या करने के बाद राजवंश की स्थापना की।
2. महाराजा काकवर्ण 395–377 18 महाराजा शिशुनाग का पुत्र
3. महाराजा क्षेमधर्मन 377–365 12 महाराजा काकवर्ण का पुत्र
4. महाराजा क्षत्रौजस 365–355 10 महाराजा क्षेमधर्मन का पुत्र
5. महाराजा नंदिवर्धन 355–349 6 महाराजा क्षत्रौजस का पुत्र
6. महाराजा महानन्दि 349–345 4 वंश का अंतिम शासक, उसका साम्राज्य उसके नाजायज बेटे महापद्म नन्द को कब्जा लिया।

Q. शिशुनाग वंश का अंतिम राजा कौन था?
Answer: [C] नंदिवर्धन
Notes: शिशुनाग वंश का अंतिम राजा नंदिवर्धन था। उसने 367 ई पू से 345 ई पू में राज्य किया। इसके बाद महापद्मनंद ने नंद वंश की स्थापना की।

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Shishunag Vansh Ka Antim Shashak Kaun Tha

Pradeep Chawla on 14-10-2018


शिशुनाग वंश का अंतिम राजा नंदिवर्धन था

सम्बन्धित प्रश्न

शिशुनाग वंश का अंतिम शासक

शिशुनाग वंश का अंतिम राजा

शिशुनाग ने किस राज्य का विलय मगध सम्राज्य में नहीं किया -



Comments Prince on 31-01-2021

कालाशोक की मृत्यु कब और कैसै हुई

Sishunagwans ka antim sasak kon tha on 02-10-2019

Shishunaga Vansh ka antim shasak kaun tha

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शिशुनाग वंश के अंतिम शासक कौन था?

Notes: शिशुनाग वंश का अंतिम राजा नंदिवर्धन था। उसने 367 ई पू से 345 ई पू में राज्य किया। इसके बाद महापद्मनंद ने नंद वंश की स्थापना की।

शिशुनाग वंश का दूसरा शासक कौन था?

कालाशोक(394 - 366 ई. पू.)

शिशुनाग वंश के बाद कौन सा वंश आया?

शिशुनाग वंश के बाद नन्द वंश ने शासन किया । मगध साम्राज्य की महत्ता का वास्तविक संस्थापक राजा बिम्बिसार (544 - 492 ई०पू० ) था ।

शिशुनाग वंश का अंत कैसे हुआ?

कालाशोक के शासनकाल में दो अहम इवेंट हुए जिनमें पहला वैशाली में दूसरी बौद्ध संगीति का आयोजन तथा दूसरा मगध की राजधानी को बदलना था. हर्षचरित के अनुसार कालाशोक को महापद्मनंद नामक व्यक्ति ने पाटलिपुत्र में चाक़ू मारकर हत्या कर दी थी, इस तरह कालाशोक की मृत्यु के पश्चात शिशुनाग वंश समाप्त हो गया.