शुक्राणु और अंडाणु का नामांकित चित्र - shukraanu aur andaanu ka naamaankit chitr


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शुक्राणु और अंडाणु का नामांकित चित्र - shukraanu aur andaanu ka naamaankit chitr

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मानव शुक्राणु या मानव अंडाणु क...

Video Solution: मानव शुक्राणु या मानव अंडाणु का नामांकित चित्र बनाइए।

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Answer

Step by step video solution for [object Object] by Biology experts to help you in doubts & scoring excellent marks in Class 12 exams.

Question Details till 23/10/2022

Question
Chapter Name Human Reproduction
Subject Biology (more Questions)
Class 12th
Type of Answer Video
Question Language

In Video - English

In Text - English
Students Watched 3.8 K +
Students Liked 0 +
Question Video Duration 2m30s

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हेलो फ्रेंड लिस्ट में है ऐसा नहीं अंडाणु का केवल नामांकित चित्र बनाइए तो आइए इस समय इस समय में हम उदाहरण ले सकते हैं मनुष्य का ठीक है इतनी वह होते हैं जो कि अपने शिशुओं को अपने स्तनपान द्वारा पोषण प्रदान करते हैं इसमें कि मनुष्य कुत्ता बिल्ली आदि की बातें इसमें हमें बताना है अंडाणु का उसके अंडाणु का चित्र आइए देखते हैं तो दोस्तों यह चित्र है मानव के अंडाणु का ठीक है जिसमें कि आप को सबसे बाहरी परत जो दिखाई दे रही हो कि उस बाहरी परत को कहते हैं कोरोनावायरस कोरोनावायरस का बाहरी भरत को कहा जाता है उसके अंदर की जो लेयर है वह जो ना पहले सोडा कहलाती है क्या कहलाती है उसे कहते हैं जो ना पहली सोडा अंदर की परत को कहते हैं

ठीक है उसके अंदर की जो परत है यह यहां पर वह कहलाती हैप्पी तक कला क्या कहलाती है पी तक कला व कहलाती है ठीक है उसके बाद बीच में जो आपको एक रचना दिख रही होगी उसे केंद्र कहा जाता है और इन पदों के अंदर जो दर्द भरा होता है केंद्र के बाहर वह द्रव कहलाताहै कोशिका द्रव्य क्या कहलाता है कोशिका द्रव्य यह कहलाता है तो कुछ इस तरीके की मानव के अंडाणु की जो है रचना होती है ठीक है इसे इसके अलावा यहां पर इस वाली जो बाहरी पूरी परत होती है इस पर शुक्राणु आकर जो है यहां पर क्या करते हैं यहां पर शुक्राणु आते हैं और निषेचन होता है आशा करते हैं आपको प्रश्न का उत्तर समझ आया होगा वीडियो को देखने के लिए धन्यवाद

विपुल कीर्ति

वैसे तो सभी अंगो का निर्माण कोशिका विभाजन से होता है- शुक्राणु और अंडाणु का भी। लेकिन फिर भी किस्‍सा थोड़ा फर्क है।

शुक्राणु और अंडाणु का नामांकित चित्र - shukraanu aur andaanu ka naamaankit chitr
किसी भी प्राणी में अंडाणु और शुक्रणु के मेल से जब अंडाणु निषेचित हो जाता है तो निषेचन के कुछ समय बाद से ही इस निषेचित अंडाणु में विभाजन शुरू हो जाता है। एक से दो, से चार, चार से आठ . . . । स तरह समसूत्रीय विभाजन होते होते कोशिकाओं की एक गेंद सी बन जाती है। चित्र में दिखाए मुताबिक ब्‍लास्‍टुला अवस्‍था में पहुंचने के बाद कोशिकाएं अपनी जगह से इध-उधर खिसक जाती हैं, कईयों की दिशा बदल जाती है – इस सब से अब तक ऐसी गेंद बन जाती है जो तीन परत वाली होती है। जो प्रत्‍येक परत की कोशिकाएं अन्‍य कोशिकाओं से भिन्‍न होती हैं। ये वे तीन परतें हैं जिनसे आगे चलकर भ्रूण के सभी अंग बनते हैं। मतलब ये कि हमारा पूरा शरीर इन तीन परत की कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। प्रत्‍येक परत की कोशिकाओं को यह मालूम रहता है कि उसे कौन-सा अंग बनाना है। सामान्‍य भ्रूण में ये तीनों परत दिए गए कार्य को अन्‍जाम देती हैं। इन तीन परतों को एक्‍टोडर्म, मिज़ोडर्म व एन्‍डोडर्म कहते हैं अर्थात बाह्य परत, मध्‍य परत और अंत: परत।

‘बाह्य परत’ त्‍वचा की ऊपरी परत व उसकी ग्रन्थियां और केन्‍द्रीय तंत्रिका तंत्र बनाती है। इसी प्रकार ‘मध्‍य परत’ त्‍वचा की निचली परत, समस्‍त रूधिर वाहिनियां बनाती है। ‘अंत: परत’ आहाराल व उससे बनने वाली पाचक ग्रन्थियां जैसे लीवर, अग्‍नाशय आदि बनाती है। साथ ही ये फेफड़े, श्‍वसनली, मूत्राशय, थाइराइड व थायमस भी बनाती है। कई अंग एक से ज्‍़यादा पर्तो से भी बनते हैं।

मुख्‍य रूप से जिस परत से शरीर का एक भाग बनता है, उसकी सभी रचनाएं भी उसी परत से बनती हैं। चलिए, इसे इस प्रकार से समझें। हमें पता है कि मिज़ोडर्म (मध्‍य परत) से हदय व समस्‍त रूधिर वाहिनियां बनती हैं। अगर यह पूछा जाए कि लाल रक्‍त कोशिकाएं व श्‍वेत रक्‍त कोशिकाएं किस परत से बनती हैं, तो आप कहेंगे कि चूंकि हदय व समस्‍त रूधिर वाहिनियां मध्‍य परत से बनती हैं तो रक्‍त की कोशिकाएं भी मध्‍य परत से ही बनेंगी। आप बिलकुल सही कह रहे हैं।

अब मैं आप से एक ओर प्रश्‍न पूछता हूं कि बताइए पसीने की ग्रंथियां किस परत से बनती हैं? तो शायद आप फिर से कहेंगे कि चूंकि त्‍वचा की ऊपरी परत व उसकी ग्रंथियां बाह्य परत से बनती हैं तो पसीने की ग्रंथियां भी बाह्य परत से ही बनेंगी। आप फिर से बिलकुल ठीक कह रहे हैं।

लेकिन क्‍या मैं आप से, एक और प्रश्‍न करने की गुस्‍ताखी करूं। अब जनाब, मुझे यह बताइए कि शुक्राणु भी मध्‍य परत से ही बनेगा। वैसे बहुत-सी किताबों मे भी यही लिखा गया है और बहुत से शिक्षक भी पढ़ाते समय यही भूल कर बैठते हैं।

शुक्राणु और अंडाणु का नामांकित चित्र - shukraanu aur andaanu ka naamaankit chitr
शुक्राणु और अंडाणु का नामांकित चित्र - shukraanu aur andaanu ka naamaankit chitr
मनुष्‍य में वृषण या टैसटीज़ असंख्‍य कुंडलित नलिकाओं का बना होता है। इन नलिकाओं के ठीक भीतर जननएपिथीलियम होती है। कुछ समय पहले तक यह माना जाता था कि जनन एपिथी लियम की कोशिकाओं के विभाजन और परिपक्‍व होने से शुक्राणु बनते हैं। पर पाया गया है कि शुक्राणु और अंडाणु बनने का किस्‍सा अनय सब अंगों के निर्माण से फर्क और थोड़ा अजीबोगरीब भी है। ये प्रारंभिक कोशिकाओं से बनते हैं।

प्रारंभिक कोशिकाएं जनन अंगों में पैदा होती हैं, ओर फिर जनन अंगों में पहुंच जाती हैं। जनन अंगों में पहंचकर इनमें कोशिका विभाजन होता है। जिसके फलस्‍वरूप जनन कोशिकाएं- शुक्राणु और अंडाणु बनते हैं।

निषेचित अंडाणु में विभाजन होने पर जो कोाशिकाएं बनती हैं उन्‍हें शुरूआती अथवा प्रारंभिक कोशिकाएं कहा जाता है। ब्‍लास्‍टुला अवस्‍था में पहुंचने के बाद इन कोशिकाओं में विभेदन होना शुरू हो जाता है जिससे तय हो जाता है कि कौन-सी कोशिकाओं से अंतत: कौन-सा अंग बनेगा।

इन कोशिकाओं से भ्रूण के अलावा बहुत–सी और झिल्लियां एवं रचनाएं भी बनती हैं। जिनमें से एक वह हिस्‍सा होता जिससे भ्रूण को पोषण मिलता है। इसे योक सेक भी कहते हैं। मनुष्‍य में इस हिस्‍से की अंत:परत की प्रारंभिक कोशिकाएं शुक्राणु व अंडाणु में तब्‍दील होती हैं। ‘योक सेक’ से अलग होकर ये प्रारंभिक कोशिकाएं विचरती हुई वृषण व अंडाशय तक पहुंच जाती हैं।

जनन अंग हमेशा मध्‍य परत से उत्‍पन्‍न होते हैं। पर यह ज़रूरी नहीं कि जनन कोशिकाओं को बनाने वाली प्रारंभिक कोशिकाएं भी ‘मध्‍य परत’ की ही हों।

शुक्राणु और अंडाणु का नामांकित चित्र - shukraanu aur andaanu ka naamaankit chitr
प्रारंभिक कोशिकाएं किस जगह से जनन अंगों में आती हैं, यह वैज्ञानिकों के बीच मतभेद का विषय रहा है। उभयचर जीवों में, मेंढक जैसे बिना पूंछ वाले प्राणियों में, अण्‍डे के एक सिरे में पहले से ही प्रारंभिक कोशिकाओं का जर्म प्‍लाज़म रहता है। जबकि पूंछ वाले उभयचरों मे मध्‍य परत से ही प्रारंभिक कोशिकाएं बनती हैं।

सरीसृप प्राणियों में प्रारंभिक कोशिकाएं बाह्य परत व मध्‍य परत के बीच की जगह से निकलकर रक्‍तवाहिनियों में आ जाती हैं। रक्‍त द्वारा ये फिर जनन अंगों में पहुंच जाती हैं।

बहुत से स्‍तनधारियों (जैसे चूहों) मेंयह देखा गया है कि अंत: परत की कुछ कोशिकाएं, जनन अंगों में पहुंच जाती हैं जो जनन कोशिकाओं का निर्माण करती हैं। इनमें कोशिकाएं रक्‍त वाहिनियों द्वारा जाने की बजाए अमीबा की तरह विचरती अपने गंतव्‍य तक पहुंच जाती हैं।

जनन कोशिकाओं में अल्‍केलाइन फास्‍फेटेज़ नामक एन्‍जाइम की सांद्रता अधिक होती है। सांद्रता के आधार पर यह पता चल जाता है कि एन्‍जाइम की ज्‍़यादा सांद्रता वाली कोशिकाएं अन्‍त: परत से होती हुई जनन अंगां तक आ पहुंची हैं। भ्रूण में अंग निर्माण के समय ही हम कुछ विशेष रंजक पदार्थों द्वारा केवल प्रारंभिक कोशिकाओं का पता लगा सकते हैं। इन रंगीन कोशिकाओं को अगर हम एक्‍स किरणों से या फिर सूक्ष्‍म गर्म पिन से जलाकर नष्‍ट कर दें तो पाएंगे कि वयस्‍क में जनन अंग बनते तो हैं पर उनमें जनन कोशिकाएं अर्थात शुक्राणु या अंडाणु का निर्माण नहीं हो पाता है। मतलब यह कि इन कोशिकाओं को यदि मारा न जाता तो वे धीरे-धीरे जनन अंगों तक पहुंच कर जनन कोशिकाओं का निर्माण करती। अर्थात मनुष्‍य व अन्‍य रीढ़धारियों के परिवर्धन के दौरान प्रजनन अंग तो निष्‍ज्ञेचित युग्‍मक से बनते हैं परन्‍तु जनन कोशिकाएं यानी अंडाणु और शुक्राणु अन्‍त: परत से विचरती हुई आई प्रारंभिक कोशिकओं से बनते हैं।

. . . कौन सा अंग बनेगा . . .

इतना आसान नहीं था यह पता करना और तय करना कि किस परत की कौन-सी कोशिका से कौन-सा अंग बनता है। 1929 में जर्मनी के भ्रूण विज्ञानी डब्‍लू. वोग्‍ट ने एक शोध पत्र लिखा, जिसमें उन्‍होंने इस दिशा में किए गए अपने प्रयोगों की जानकारी दी थी। उन्‍होंने मेंढक के ब्‍लासटुआ की कई कोशिकाओं को विभि‍न्‍न रंगों के रंजक घुसेड़कर रंग दिया। थोड़ा विकसित हो जाने के बाद इन्‍हें काट-काट कर देखा कि अंत में ये रंगीन कोशिकाएं कहां पहुंचती हैं।

वैसे आजकल भ्रूणीय अवस्‍था में कोशिकाओं को चिन्हित करने के कई तरीके विकसित हो चुके हैं। जैसे कि कोशिकाओं में फ्लोरेसेन्‍ट पदार्थ (जो प्रकाश डालने पर चमकते हैं) डालना। इसके बाद ‘फलोरेसेन्‍ट सूक्मदर्शी’ की सहायता से इन कोशिकाओं पर निगाह रखी जाती है।

इसी तरह की एक ओर प्रक्रिया में विभाजित हो रही शुरूआती कोशिकाओं मं से कुछ में खास किस्‍म के एन्‍ज़ाइम प्रविष्‍ट करा दिए जाते हैं। तत्‍पश्‍चात भ्रूण के विकास की क्रिया आगे बढ़ती रहती है, कोशिकाओं में विभाजन जारी रहता है। कुछ समय बाद भ्रूण के विभिन्‍न भाग की कोशिकाओं को ऐसे पदार्थ में डुबाया जाता है जो उस एन्‍ज़ाइम से क्रिया करता है। जिन कोशिकाओं में वह एन्‍जाइम मौजूद होगा उन्‍हीं के साथ यह पदार्थ क्रिया करता है। इससे पता चल जाता है कि वे कोशिकाएं जिनमें एन्‍ज़ाइम डाला था, उनसे भ्रूण के कौन से अंगों का निर्माण हुआ है।


विपुल कीर्ति- बी.एस. सी. द्वितीय वर्ष के छात्र, इंदौर में रहते हैं।

अंडाणु और शुक्राणु का मिलन कब होता है?

बेबी बनने की क्रिया को स्पर्म, अंडे से मिलकर शुरू करता है. शुक्राणु को यह दूरी तय करने में लगभग 10 घंटे लगते हैं. फैलोपियन ट्यूब में कोई डिंब इंतज़ार कर रहा होता है तो वह उसमें प्रवेश कर जाता है और फिर यह निषेचित होता है. उसके बाद निषेचित डिंब, फैलोपियन ट्यूब से होते हुए गर्भाशय में पहुंचता है.

अंडाणु और शुक्राणु में क्या अंतर होता है?

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अंडाशय में शुक्राणु कैसे प्रवेश करता है?

जब एक पुरुष इजैक्यूलेट करता है या स्खलित होता है तो 5 करोड़ से 15 करोड़ शुक्राणु पैदा होते हैं और ये कोशिकाएं फौरन धारा के ख़िलाफ़ गर्भाशय नली में पहुंचने के लिए अपना सफर शुरू कर देती हैं.

मनुष्य के शुक्राणु क्या होते हैं?

शुक्राणु क्या है? (Sperm Kya Hai) शुक्राणु यानि स्पर्म पुरुष के वीर्य में मौजूद होते हैंशुक्राणु महिला के अंडे के साथ निषेचित होकर एक बच्चे को पैदा करने के लिए जिम्मेदार होता है। पुरुषों में शुक्राणु का उत्पादन वृषण यानि टेस्टिकल में होता है।