स्कंद पुराण के रेवाखंड में भगवान श्री सत्यनारायण की कथा का उल्लेख किया गया है। यह कथा सभी प्रकार के मनोरथ पूर्ण करने वाली, अनेक दृष्टि से अपनी उपयोगिता सिद्ध करती है। यह कथा समाज के सभी वर्गों को सत्यव्रत की शिक्षा देती है। भगवान श्री सत्यनारायण की व्रत कथा आस्थावान हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए जानी-मानी कथा है। संपूर्ण भारत में इस कथा के प्रेमी अनगिनत संख्या में हैं, जो इस कथा और व्रत का नियमित पालन व पारायण करते हैं। Show
श्री सत्यनारायण व्रत
गुरुवार को भी किया जाता है। महत्व- सत्य को ईश्वर मानकर, निष्ठा के साथ समाज के किसी भी वर्ग का व्यक्ति यदि इस व्रत व कथा का श्रवण करता है, तो उसे इससे निश्चित ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में कहा गया है कि सत्यनारायण कथा कराने से हजारों साल तक किए गए यज्ञ के बराबर फल मिलता है। साथ ही सत्यनारायण कथा सुनने को भी सौभाग्य की बात माना गया है। आमतौर पर देखा जाता है किसी भी शुभ काम से पहले या मनोकामनाएं पूरी होने पर सत्यनारायण व्रत की कथा सुनी जाती है। श्री सत्यनारायण की व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार, चिरकाल में एक बार जब भगवान श्री हरि विष्णु क्षीरसागर में विश्राम कर रहे थे। उसी समय नारद जी वहां पधारे। नारद जी को देख भगवान श्री हरि विष्णु बोले- हे महर्षि आपके आने का प्रयोजन क्या है? तब नारद जी बोले- नारायण नारायण प्रभु! आप तो पालनहार हैं। सर्वज्ञाता हैं। प्रभु-मुझे ऐसी कोई सरल और छोटा-सा उपाय बताएं, जिसे करने से पृथ्वीवासियों का कल्याण हो। इस पर भगवान श्री हरि विष्णु बोले- हे देवर्षि! जो व्यक्ति सांसारिक सुखों को भोगना चाहता है और मरणोपरांत परलोक जाना चाहता है। उसे सत्यनारायण पूजा अवश्य करनी चाहिए। विष्णु जी द्वारा बताए गए व्रत का वृत्तांत व्यास मुनि जी द्वारा स्कंद पुराण में वर्णन करना। नैमिषारण्य तीर्थ में सुखदेव मुनि जी द्वारा ऋषियों को इस व्रत के बारे में बताना। सुखदेव मुनि जी ने कहा और इस सत्यनारायण कथा के व्रत में आगे जिन लोगों ने व्रत किया जैसे बूढ़ा लकड़हारा, धनवान सेठ, ग्वाला और लीलावती कलावती की कहानी इत्यादि और आज यही एक सत्यनारायण कथा का भाग बन चुका है। यही है सत्यनारायण कथा का उद्गम नारद जी और विष्णु जी का संवाद। व्रत-पूजन कैसे करें- इसके बाद नारद जी ने भगवान श्रीहरि विष्णु से व्रत विधि बताने का अनुरोध किया। तब भगवान श्रीहरि विष्णु जी बोले- सत्यनारायण व्रत करने के लिए व्यक्ति को दिन भर उपवास
रखना चाहिए। श्री सत्यनारायण व्रत पूजनकर्ता को स्नान करके कोरे अथवा धुले हुए शुद्ध वस्त्र पहनें। माथे पर तिलक लगाएं और शुभ मुहूर्त में पूजन शुरू करें। इस हेतु शुभ आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके सत्यनारायण भगवान का पूजन करें। इसके पश्चात् सत्यनारायण व्रत कथा का वाचन अथवा श्रवण करें। संध्याकाल में किसी प्रकांड पंडित को बुलाकर सत्य नारायण की कथा श्रवण करवाना चाहिए। भगवान को भोग में चरणामृत, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, फल, फूल, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा आदि अर्पित करें। इससे सत्यनारायण देव प्रसन्न होते हैं। सत्यनारायण व्रत पूर्णिमा के दिन करने का विशेष महत्व है, क्योंकि पूर्णिमा सत्यनारायण का प्रिय दिन है, इस दिन चंद्रमा पूर्ण कलाओं के साथ उदित होता है और पूर्ण चंद्र को अर्घ्य देने से व्यक्ति के जीवन में पूर्णता आती है। पूर्णिमा के चंद्रमा को जल से अर्घ्य देना चाहिए। घर का वातावरण शुद्ध करके चौकी पर कलश रखकर भगवान श्री विष्णु की मूर्ति या सत्यनारायण की फोटो रख कर पूजन करें। परिवारजनों को एकत्रित करके भजन, कीर्तन, नृत्य गान आदि करें। सबके साथ प्रसाद ग्रहण करें, तदोपरांत चंद्रमा को अर्घ्य दें। यही सत्यनारायण भगवान की कृपा पाने का मृत्यु लोक में सरल उपाय है। मंत्र- आरके. वास्तव में सत्य ही नारायण हैं। सत्य को साक्षात भगवान मानकर सत्यव्रत को जीवन में उतारना ही सत्यनारायण की कथा का मूल उद्देश्य है। सत्यनारायण की कथा के माध्यम से मनुष्य सत्यव्रत ग्रहण करके वास्तविक सुख-समृद्धि का अधिकारी बन सकता है। इस कथा से एक संदेश स्पष्ट रूप से उभरता है कि यदि मनुष्य अपने जीवन में सत्यनिष्ठा का व्रत अपना ले तो उसे इहलोक और परलोक दोनों में सच्चे सुख की प्राप्ति होती है। इसके विपरीत यदि मनुष्य सत्यनिष्ठा के व्रत का त्याग कर दे तो उसे अपने जीवन में और मृत्यु के उपरांत भी अनेक कष्टों को भोगना पड़ता है। अपने जीवन में सत्यव्रत को अपनाने वाला मनुष्य परमात्मा की कृपा से धन-धान्य से परिपूर्ण हो जाता है। यह कथा घर में अन्न, धन, लक्ष्मी का आशीष लाती है। एक मालवी लोकगीत है ... आज म्हारा घर सत्यनारायण आया, सत्यनारायण आया वे तो अन्न, धन, लक्ष्मी लाया... इस कथा से वंशजों को सुख, समृद्धि, संतान, यश, कीर्ति, वैभव, पराक्रम, संपत्ति, ऐश्वर्य, सौभाग्य और शुभता का वरदान मिलता है। यह कथा घर में कराने से पूर्वजों को भी शांति और मुक्ति मिलती है। वे प्रसन्न होकर आशीष देते हैं। लोग क्यों कराते हैं सत्यनारायण व्रत कथा, जानिए क्या हैं इसके लाभ!शास्त्रों में कहा गया है कि सत्यनारायण कथा कराने से हजारों साल तक किए गए यज्ञ के बराबर फल मिलता है। साथ ही सत्यनारायण कथा सुनने को भी सौभाग्य की बात माना गया है।नई दिल्ली Updated: November 23, 2018 12:22:24 pm किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले या फिर मनोकामना की पूर्ति होने पर सत्यनारायण व्रत की कथा सुनाई जाती है। आपने भी इस कथा में हिस्सा लिया होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सत्यनारायण व्रत की कथा क्यों कराई जाती है? इसके क्या लाभ बताए गए हैं? यदि नहीं तो हम आपको इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं। सत्य को नारायण के रूप में पूजने को ही सत्यनारायण की पूजा कहा गया है। इसका अर्थ यह है कि इस संसार में नारायण ही एकमात्र सत्य हैं, बाकी सब माया है। सत्य में ही यह संसार समाया हुआ है। सत्य के बिना यह संसार कुछ भी नहीं होगा। शास्त्रों में कहा गया है कि सत्यनारायण कथा कराने से हजारों साल तक किए गए यज्ञ के बराबर फल मिलता है। साथ ही सत्यनारायण कथा सुनने को भी सौभाग्य की बात माना गया है। कहते हैं कि सत्यनारायण कथा सुनने वाले व्यक्ति को व्रत जरूर रखना चाहिए। इससे श्री हरि विष्णु द्वारा जीवन के सभी कष्टों को हर लिए जाने की बात कही गई है। स्कंद पुराण में कहा गया है कि सत्यनारायण भगवान विष्णु के ही रूप हैं। ऐसे में सत्यनारायण कथा कराने और सुनने से भक्त पर विष्णु जी की भी कृपा बरसने की मान्यता है। इससे जीवन में सुख-शांति आने की बात कही गई है। बता दें कि पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण कथा कराना काफी शुभ माना गया है। कहते हैं कि इस दिन सत्यनारायण कथा बेहद ही खास होती है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की विशेष कृपा मिलती है। साथ ही सत्यनारायण कथा का पाठ केले के पेड़ के नीचे या फिर घर के ब्रम्हा स्थान पर कराना उत्तम माना गया है। सत्यनारायण कथा के भोग में पंजीरी, पंचामृत, केला और तुलसी अश्वय शामिल करना चाहिए। सत्यनारायण कथा भक्त अपने परिजनों, पड़ोसियों और अन्य भक्तों के साथ सुननी चाहिए। इससे जीवन में समृद्धि आने की मान्यता है। पढें Religion (Religion News) खबरें, ताजा हिंदी समाचार (Latest Hindi News)के लिए डाउनलोड करें Hindi News App. First published on: 21-11-2018 at 07:35:25 pm सत्यनारायण भगवान की कथा करने से क्या लाभ मिलता है?इस कथा से वंशजों को सुख, समृद्धि, संतान, यश, कीर्ति, वैभव, पराक्रम, संपत्ति, ऐश्वर्य, सौभाग्य और शुभता का वरदान मिलता है। यह कथा घर में कराने से पूर्वजों को भी शांति और मुक्ति मिलती है। वे प्रसन्न होकर आशीष देते हैं।
सत्यनारायण कथा कब नहीं करनी चाहिए?
सत्यनारायण की कथा कौन से दिन करनी चाहिए?श्री सत्यनारायण की कथा को एकादशी या पूर्णिमा के दिन किया जाता है। इस व्रत के पीछे मूल उद्देश्य सत्य की पूजा करना है। इस व्रत में भगवान शालिग्राम का पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाले उपासक को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान सत्यनारायण का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
सत्यनारायण की कथा सुनने से क्या होता है?श्री सत्यनारायण व्रत गुरुवार को भी किया जाता है। महत्व- सत्य को ईश्वर मानकर, निष्ठा के साथ समाज के किसी भी वर्ग का व्यक्ति यदि इस व्रत व कथा का श्रवण करता है, तो उसे इससे निश्चित ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में कहा गया है कि सत्यनारायण कथा कराने से हजारों साल तक किए गए यज्ञ के बराबर फल मिलता है।
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