स्मृति दिवस क्यों मनाया जाता है? - smrti divas kyon manaaya jaata hai?

Police Martyrs’ Day, जब भी देशभक्ति की बात आती है तो अक्सर भारतीय सैनिकों को ही देश में याद किया जाता है, लेकिन देश के पुलिस के लिए यह खास दिन ज्यादातर लोगों को याद नहीं रहता है। ऐसे में 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस, पुलिस शहीद दिवस, पुलिस रिमेंबरयंस डे, पुलिस कमेमोरेशन डे, पुलिस मेमोरियल डे जैसे नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भारत के स्वतंत्रता के बाद देश की सेवा करते हुए भारतीय पुलिसकर्मियों को याद करने के लिए मनाया जाता है। लेकिन 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस के अलावा यह दिन चीन युद्ध से भी संबंधित है। अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं   FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download here

 क्या हुआ था 21 अक्टूबर 1949 को इस दिन का इतिहास क्या है

 

21 अक्टूबर 1962 को भारत चीन सीमा पर रखवाली करते हुए 10 पुलिस जवान शहीद हो गए थे। उन्हीं की शहादत की याद में इस दिन को मनाया जाता है।

स्मृति दिवस क्यों मनाया जाता है? - smrti divas kyon manaaya jaata hai?

Source: safalta

20 अक्टूबर को इस इतिहास की शुरुआत हुई थी, जब भारत और तिब्बत के बीच ढाई हजार मील लंबी सीमा की देखरेख का जिम्मा भारतीय रिजर्व पुलिस बल के पुलिसकर्मियों के हाथ में सौंपा गया था। उत्तर पूर्वी लद्दाख में यह घटना तिब्बत के लगी सीमा पर हुई थी, लेकिन यह मामला चीन का था क्योंकि तब तक तिब्बत चीन से का ही हिस्सा बन चुका था। उत्तर पूर्वी लद्दाख की सीमा पर निगरानी  के लिए हॉट स्प्रिंग स्थान पर सीआरपीएफ तीसरी बटालियन की  तीन टुकड़ियों को अलग-अलग गश्त पर रखवाली के लिए भेजा गया था।

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गश्त के लिए गई तीन में से दो टुकड़ियों वापस दोपहर तक वापस आ गई थी लेकिन तीसरी टुकड़ी नहीं आई थी।

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अगले दिन इस टुकड़ी की तलाश के लिए एक नई टीम बनाई गई, खोई हुई टुकड़ी की खोज में डीसीआईओ करण सिंह की अगुवाई में एक नई टीम 21 अक्टूबर को रवाना हुई थी, जिसमें 20 पुलिसकर्मी शामिल थे। इस टीम का भी तीन हिस्सों में बंटवारा किया गया था। एक पहाड़ी के करीब पहुंचने पर चीनी सैनिकों ने इस टुकड़ियों पर गोली और ग्रेनेड से हमला कर दिया था।

स्मृति दिवस क्यों मनाया जाता है? - smrti divas kyon manaaya jaata hai?

यह टुकड़ी सैन्य टुकड़ी की हिस्सा नहीं थी और इसके पास सेना की तरह खुद की सुरक्षा के लिए हथियार भी नहीं थे। जिसमें इन टुकड़ियों की मृत्यु हो गई।

इस युद्ध में चीन की भूमिका 

अचानक हुए इस हमले के कारण पुलिसकर्मी घायल होने लगे और 10 पुलिसकर्मी इसमें शहीद हो गए और सात घायल कर्मियों को चीनी सैनिकों ने बंदी बना लिया था। तीन पुलिसकर्मी वहां से बचने में सफल रहे, जिसके बाद 13 नवंबर को चीनी सैनिकों ने शहीद हुए 10 पुलिसकर्मियों के शव को लौटा दिया, जिनका अंतिम संस्कार पुलिस में सम्मान के साथ किया था।  इस घटना के बाद से भारत तिब्बत सीमा की सुरक्षा का जिम्मा एक विशेष सैन्य बल भारत तिब्बत सीमा सुरक्षा बल आईटीबीपी इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस को सौंपा गया, जो एक अर्ध सैनिक बल है। लेकिन सीआरपीएफ की सुरक्षा की जिम्मेदारी उस दौरान भी जारी रही और 1965 में भारत और पाकिस्तान युद्ध के बाद सीमा सुरक्षा बल के गठन के बाद उसे सीमा सुरक्षा की जिम्मेदारी से मुक्त कर देश के आंतरिक सुरक्षा के लिए पुलिस की सहायता करने की जिम्मेदारी दी गई। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इस ऐप से करें फ्री में प्रिपरेशन - Safalta Application

 इस दिन को मनाने का इतिहास कब से है 

साल 1960 को हुए सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशकों के वार्षिक सम्मेलन में इस घटना में हुए शहीद पुलिसकर्मियों को सम्मानित करने का फैसला भारत सरकार द्वारा लिया गया और हर साल 21 अक्टूबर को देश के लिए जान गवाने वाले इन सभी पुलिसकर्मियों के सम्मान में स्मृति दिवस मनाने का फैसला लिया गया। पुलिस मेमोरियल डे की भी स्थापना की गई और इसकी अवधारणा में 1984 को हुई थी, लेकिन उसका बनने का निर्माण कार्य 2000 के बाद शुरू हुआ और इसका अनावरण साल 2018 में हुआ था। यह मेमोरियल दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में 6 एकड़ से ज्यादा के क्षेत्र में बना हुआ है। साल 2000 से हर साल इस दिवस पर पुलिस परेड का आयोजन और शहीदों को श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम होता है।

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पुलिस स्मृति दिवस

स्मृति दिवस क्यों मनाया जाता है? - smrti divas kyon manaaya jaata hai?

विवरण 'पुलिस स्मृति दिवस' प्रत्येक वर्ष 21 अक्टूबर को मनाया जाता है।
तिथि 21 अक्टूबर
शुरुआत सन 1959
उद्देश्य एक आम नागरिक पुलिस को नजदीक से जान सके और बहादुर नौजवानों को इस सेवा से जुड़ने के लिए कैसे उत्साहित कर पाएँ। हमारे लिए बहुत ज़रूरी है कि हम उन रास्तों को हमेशा याद रखें जिन पर चलकर हमें ये मालूम हुआ है कि एक राष्ट्र के रूप में हम कौन हैं और क्या हैं।
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अन्य जानकारी 21 अक्टूबर 1959 में लद्दाख में तीसरी बटालियन की एक कम्पनी को भारत - तिब्बत सीमा की सुरक्षा के लिए लद्दाख में ‘हाट-स्प्रिंग‘ में तैनात किया गया था। कम्पनी को टुकड़ियों में बांटकर चौकसी करने को कहा गया। जब बल के 21 जवानों का गश्ती दल ‘हाट-स्प्रिंग‘ में गश्त कर रहा था। तभी चीनी फौज के एक बहुत बड़े दस्ते ने इस गश्ती टुकड़ी पर घात लगाकर आक्रमण कर दिया। तब बल के मात्र 21 जवानों ने चीनी आक्रमणकारियों का डटकर मुकाबला किया। मातृभूमि की रक्षा के लिए लड़ते हुए 10 शूरवीर जवानों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया।
अद्यतन‎

12:43, 22 अक्टूबर 2016 (IST)

पुलिस स्मृति दिवस प्रत्येक वर्ष 21 अक्टूबर को मनाया जाता है। पुलिस स्मरण दिवस के महत्व के बारे में सीआरपीएफ की बहादुरी का एक क़िस्सा है, गौरतलब है कि आज से 55 वर्ष पहले 21 अक्टूबर 1959 में लद्दाख में तीसरी बटालियन की एक कम्पनी को भारत - तिब्बत सीमा की सुरक्षा के लिए लद्दाख में ‘हाट-स्प्रिंग‘ में तैनात किया गया था। कम्पनी को टुकड़ियों में बांटकर चौकसी करने को कहा गया। जब बल के 21 जवानों का गश्ती दल ‘हाट-स्प्रिंग‘ में गश्त कर रहा था। तभी चीनी फौज के एक बहुत बड़े दस्ते ने इस गश्ती टुकड़ी पर घात लगाकर आक्रमण कर दिया। तब बल के मात्र 21 जवानों ने चीनी आक्रमणकारियों का डटकर मुकाबला किया। मातृभूमि की रक्षा के लिए लड़ते हुए 10 शूरवीर जवानों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया। हमारे बल के लिए व हम सबके लिए यह गौरव की बात है कि केन्द्रीय रिजर्व पुलिउस बल के इन बहादुर जवानों के बलिदान को देश के सभी केन्द्रीय पुलिस संगठनों व सभी राज्यों की सिविल पुलिस द्वारा ‘‘पुलिस स्मरण दिवस‘‘ के रूप में मनाया जाता है।[1]

महत्व

पुलिस के सम्मान के प्रतीक इस दिवस को मीडिया ने एकदम महत्त्वहीन करार दिया वाकई यह दुःख की बात है। हर राज्य का पुलिस बल उन बहादुर पुलिस वालों की याद में इस दिवस का आयोजन करता है, जिन्होंने जनता एवं शांति की रक्षा के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया। ज्यादातर यही होता है कि इन परेडों में लोगों की उपस्थिति बहुत कम होती है। किरन बेदी के अनुसार दिल्ली पुलिस द्वारा आयोजित परेडों की वह गवाह है। उन्होंने इस परेड की कवरेज के लिए एक-दो मीडिया कर्मियों को ज़रूर देखा है, परंतु शाम की खबरों हेतु ‘टेलीविजन कवरेज’ के लिए वहां कोई भी मीडिया कर्मी उपस्थित नहीं था। यहां तक कि अगले दिन अधिकतर समाचार पत्रों ने भी इस दिवस के बारे में कोई खबर नहीं छापी। अतः उन्होंने मीडिया से पूछा ऐसा क्यों हुआ ? इस, देश के 13 लाख से ज्यादा कर्मचारियों (पुलिस कर्मियों) के इस महत्त्वपूर्ण दिन को मीडिया कैसे नकार सकता है ? प्रतिवर्ष लगभग 1000 पुलिसकर्मी अपना फर्ज निभाते हुए शहीद होते हैं, लेकिन इनमें से किसी को भी अपने कार्यों और फर्ज को अंजाम देते हुए शहीद हो जाने पर मीडिया की ओर से सराहना नहीं मिलती, न ही उनके बलिदानों की कहानी लोगों तक पहुँचती है। दरअसल फर्ज की बेदी पर अपनी जान कुर्बान करने वाले ये सिपाही छिपे हुए नायक होते हैं।[2]

5 नवम्बर 1963 को जयपुर में पुलिस स्मारक का उद्घा़टन करते हुए पंडित नेहरू जी ने कहा था—‘हम प्रायः पुलिसकर्मी को अपना फर्ज पूरा करते देखते रहते हैं और अक्सर हम उनकी आलोचना करते हैं। उन पर आरोप भी लगाते हैं जिनमें से कुछ सच भी साबित हो जाते हैं, कुछ गलत, पर हम भूल जाते हैं कि ये लोग कितना कठिन कार्य करते हैं। आज हमें उनकी सेवा के उस नजरिए को देखना है जिसमें वो दूसरों की जान व माल की रक्षाके बदले अपनी जिन्दगी से समझौता कर लेते हैं।’’ देश के प्रथम प्रधानमंत्री के 1963 में पुलिस कर्मियों के बारे में यही उद्गार थे।

नियम

आज हम 2003 में हैं और विगत वर्ष इस उत्सव पर देश के किसी भी नेता ने राष्ट्र के नाम कोई संदेश नहीं दिया, न तो प्रधानमंत्री ने और न ही गृहमंत्री ने इस गरिमापूर्ण अवसर पर कुछ कहा (कम से कम सार्वजनिक स्तर पर सरकार की ओर से कुछ भी किए जाने की सूचना जनता को नहीं है)। यह दिवस संकल्प का दिवस था। विशेषकर तब जब संपूर्ण देश की आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी हर पुलिस अधिकारी की योग्यता पर निर्भर है। इस अवसर के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है जो इस प्रकार हैं :

  1. 21 अक्टूबर को राष्ट्रीय पुलिस दिवस घोषित किया जाए।
  2. देश की राजधानी में पुलिस स्मारक होना चाहिए जहां से राष्ट्रपति राष्ट्र की ओर से बहादुर शहीदों को श्रृद्धांजलि दें। उन्हें याद करें।
  3. प्रांतीय स्तर पर भी हर राज्य में ऐसे स्मारक बनाए जाएं, ताकि राज्यपाल नागरिकों की तरफ से पुलिस के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें।
  4. इन राष्ट्रीय व प्रांतीय स्मारकों को असाधारण सेवा व देशभक्ति का प्रतीक माना जाना चाहिए।
  5. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को ड्यूटी चार्ज सौंपने व लेने का कार्य भी इसी दिवस को शुरू करना होगा।
  6. दूसरे देशों में जब इन दिवसों का आयोजन होता है तो वहां इसे पूरे सप्ताह तक मनाया जाता है। इसमें कुछ और गतिविधियां भी शामिल की जाती हैं जिसमें सामाजिक व राजनीतिक नेता अपने विचार प्रकट करते हैं।[2]

टेलीविजन के दर्शकों को शायद स्मरण होगा कि 11 सितम्बर 2001 की घटना के तुरंत बाद अमरीकी राष्ट्रपति बुश ने कांग्रेस को संबोधित करते अपनी जेब से एक पदक निकाला व दिखाया। ये एक पुलिसकर्मी का पदक था जो विश्व व्यापार केन्द्र में अपनी सेवा के दौरान शहीद हुआ था। ये पदक राष्ट्रपति बुश को उस पुलिसकर्मी की माता ने तब दिया था जब वे उसके परिवार से मिलने गए थे। राष्ट्रपति द्वारा पदक दिखाने और उस पुलिसकर्मी की सेवा का जिक्र करने पर कांग्रेस के सभी सदस्यों ने उस पुलिसकर्मी की सेवा और संपूर्ण बल के प्रति अपना सम्मान, आभार और श्रद्धांजलि व्यक्त की। आज हमारे पुलिसकर्मी ठुकराए हुए, वंचित, असुरक्षा की भावना लिए हुए व थके हुए हैं। अगर वे ईमानदार हैं तो वे अकेले हैं। अगर वे शहीद होते हैं तो उनका परिवार अकेले ही दुःख झेलता है। देश उन्हें भूल जाता है। इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए कि जब दुनियादारी में निपुण कुछ पुलिसकर्मी अपने व अपने परिवार के सुरक्षित वर्तमान व भविष्य के लिए अपने आपको समर्पण से रोकते हैं और इसके लिए वो राष्ट्र सुरक्षा के साथ समझौता भी करते हैं। 21 अक्टूबर पुलिस सेवा के लिए महत्त्वपूर्ण दिवस है। यह वो दिन है जब आम नागरिक पुलिस को नजदीक से जान सके और बहादुर नौजवानों को इस सेवा से जुड़ने के लिए कैसे उत्साहित कर पाएँगे। हमारे लिए बहुत ज़रूरी है कि हम उन रास्तों को हमेशा याद रखें जिन पर चलकर हमें ये मालूम हुआ है कि एक राष्ट्र के रूप में हम कौन हैं और क्या हैं।[2]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आपको पता है क्यों मनाया जाता है 'पुलिस स्मरण दिवस (हिन्दी) hindi.eenaduindia.com। अभिगमन तिथि: 21 अक्टूबर, 2016।
  2. ↑ 2.0 2.1 2.2 पुलिस कीर्ति दिवस (हिन्दी) pustak.org। अभिगमन तिथि: 21 अक्टूबर, 2016।

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