Show नमस्कार दोस्तों आपका AnekRoop में स्वागत है। आज हम जानेंगे सरस्वती पूजा के बारे में। सरस्वती पूजा कब और क्यों मनाया जाता है ? इसका आध्यात्मिक रहस्य – महत्व और सिख क्या है ? सरस्वती का मतलब क्या होता है ? सरस्वती देवी कौन है और उनकी पूजा क्यों होती है ? सरस्वती पूजा कब होती है और उसे हम कैसे मनाते हैं ? सरस्वती पूजा करने से क्या फायदा होता है ? और अंत में यह भी जानेंगे कि सरस्वती पूजा करना जरूरी है या उनके द्वारा बताये गए रास्ते पर चलना ज्यादा जरूरी है ? तो इस post को अंत तक पढ़े और जानिये अपने सरस्वती देवी के बारे में। सरस्वती पूजा क्यों मनाया जाता है? ब्रह्मा ने सृष्टि रचने के बाद , सृष्टि में ज्ञान और संगीत की जिम्मेवारी सरस्वती को सौंप दी। तब से सरस्वती देवी सृष्टि में ज्ञान को बनाये रखी है। सरस्वती ज्ञान की देवी है लोग जितना उनकी अराधना करते हैं उतना लोगों को ज्ञान प्राप्त होता है। Q . लेकिन प्रश्न यह है कि यदि वह ज्ञान की देवी है, ज्ञान लोगों को देती है तो इस दुनिया में सभी ज्ञानी होने चाहिए कोई भी कमअक्ल वाले नहीं होने चाहिए ? तो इसका जवाब है कि सरस्वती देवी किसी के साथ भेदभाव नहीं करती है , वह सभी को एकसमान ज्ञान देती है लेकिन लेने वाले ज्ञान लेने की प्रक्रिया को नहीं जानते इसीलिए वे ज्ञान को नहीं ले पाते। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अंधश्रद्धा ,भक्ति करते हैं और कुछ लोग ऐसे हैं जो ज्ञान और Proof पर यकीन रखते हैं। तो आध्यात्मिकता आपको ज्ञान बताती है जिससे कि आप सरस्वती पूजा के रहस्यों को समझ पाते हैं। समय – यदि हम भारतीय calendar को देखें तो ये साल के अंत होने से ठीक 1 महीने पहले मनाया जाता है। सरस्वती का वाहन – हंस , जिसके लिए कहा जाता है कि हंस मोती चुनते हैं यानि जो सरस्वती से ज्ञान चाहते हैं उन्हें हंस के जैसे मोती चुनना आना चाहिए। यहां मोती का मतलब है कि लोगों को ज्ञान लेते समय देखना चाहिए कि ये ज्ञान लोगों के भलाई के लिए है या बुराई के लिए। सफ़ेद कमल – सरस्वती देवी को हमेशा सफ़ेद कमल के ऊपर विराजमान दिखाया जाता है। क्या आप कीचड़ में भी रहकर कमल फूल की तरह खिल सकते हैं और वो भी सफ़ेद यानि पवित्र रहकर। शास्त्र और माला – जिस तरह ब्रह्मा के हाथों में शास्त्र दिखाते हैं उसी तरह सरस्वती के हाथों में भी शास्त्र दिखाते हैं यानि बुद्धि रुपी हाथों में सदैव ज्ञान रहे। बुद्धि में ज्ञान होगा तो विचार ज्ञान युक्त होंगे , विचार ज्ञान युक्त होंगे तो कर्म automatically ज्ञान युक्त ही होंगे इसीलिए बुद्धि में सदैव ज्ञान रखना। माला – माला यानि संगठन। क्या आप भी अपने ज्ञान से संगठन बना सकते हैं। लोगों को अपने ज्ञान से प्रभावित कर सकते हैं उन्हें एक सच्चा इंसान बना सकते हैं उनको अपने तरफ कर सकते हैं। यही है माला की निशानी। विणा – क्या आपके जीवन में संगीत है। जीवन में संगीत का मतलब क्या आपको जीवन जीने में मज़ा आता है। तो सरस्वती देवी से ज्ञान लेने का रहस्य है :- ज्ञान लेते समय पवित्र रहना , मोती के समान सच्चे ज्ञान पर चलना , भले ही आपके आस-पास का वातावरण ख़राब हो उसमे भी सफ़ेद कमल की तरह निखर कर रहना , ऐसा रहने से ज्ञान स्वतः ही बुद्धि में समाते रहेगी और फिर आपके ज्ञान से संगठन रुपी माला तैयार होने लगेंगे ,लोग आपके ज्ञान को सुनना चाहेंगे तो फिर आपके ज्ञान से आपका जीवन वीणा की तरह संगीतमय हो जाएगी।
सरस्वती का मतलब क्या है ? महत्व और सिख। सरस्व= सारी दुनिया को सरस्वती =सारी दुनिया को ज्ञान द्वारा कल्याण करने वाली। सरस्वती अपने आप में एक inspirational नाम है। सरस्वती नाम से ही मन में पवित्रता आने लगती है। और इसी को लेकर भगवतगीता में एक श्लोक भी है :- ज्ञान और पवित्रता एक दूसरे के परस्पर हैं। जहां ज्ञान हैं वहाँ पवित्रता है और जहां पवित्रता है वहाँ ज्ञान स्वतः ही है। सरस्वती पूजा से सिख :- हम हरेक साल सरस्वती पूजा इसलिए मनाते हैं ताकि हमें सदैव याद रहे कि कैसी भी परिस्थिति आ जाये यदि हमारे पास ज्ञान है तो हम किसी भी समय ,कैसी भी परिस्थिति में ,किसी भी समस्या से बाहर आ सकते हैं। हम अपने बुरे हालातों का सामना कर सकते हैं और अच्छे समय में एक समान स्थितप्रज्ञ रह सकते हैं।
सरस्वती पूजा करना जरूरी है या उनके बताये रास्ते पर चलना ज्यादा जरूरी है ? आज सच्चे भक्त भी है तो झूठे भक्त भी हैं। सच्चे भक्त वो जो सरस्वती देवी के बताये मार्गों पर चलते हैं और झूठे भक्त वे जो सिर्फ दिखावे के लिए एक दिन के लिए पूजा करते हैं। पूजा करना यानि उनकी धारणाओं को मानना। कोई कहे हम महात्मा गाँधी की पूजा करते हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि गाँधी की पूर्ति लगाकर उनको अगरबत्ती दिखाना। गाँधी ने जैसा कर्म करके दिखाया उनको सम्मान करना उनके धारणाओं पर चलना ये ही पूजा है। एक दिन की पूजा से कुछ नहीं मिलता ये सब जानते हैं। आप परीक्षा में एक दिन की पूजा से पास नहीं हो सकते उसके लिए सरस्वती देवी ने जो धारणाये बताई है उसपर चलना जरूरी है। और वही असली पूजा है। उदाहरण:- यदि कोई बच्चा रोज अपने माँ -बाप के पैर छूता हो और उनकी बातों को नहीं मानता हो तो वह बच्चा माँ -बाप से सम्मान नहीं पाता। वहीँ दूसरा बच्चा पैर आदि नहीं छूता हो और अपनी माँ -बाप की बात मानता हो तो वो बच्चा अपने माँ -बाप से सम्मान पाता है। तो दोस्तों ये थी जानकारी सरस्वती पूजा के बारे में और उसके महत्व-सिख के बारे में। मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको ये जानकारी जरूर पसंद आयी होगी। सरस्वती पूजा का मतलब क्या है?शिक्षा, ज्ञान और उत्कृष्टता की देवी मां सरस्वती की पूजा का हिंदू धर्म में खास महत्व होता है. बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विशेष पूजा-उपासना की जाती है. मां सरस्वती ज्ञान का प्रतीक मानी जाती हैं. ये चार भुजाधारी होती हैं और हर भुजाएं हिंदू धर्म ग्रंथ में मुख्य चार वेदों का प्रतीक माना जाता है.
सरस्वती ने ब्रह्मा को श्राप क्यों दिया?सरस्वती ब्रह्मा से शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाना चाहती थी इसीलिए उन्होंने अपना रूप बदल लिया। लेकिन ब्रह्मा ने हार नहीं मानी। विवश होकर उन्हें अपने पिता के साथ विवाह करना पड़ा। अंत में सरस्वती ने गुस्से में आकर ब्रह्मा को शाप दिया कि दुनिया का निर्माण करने के बावजूद उनकी पूजा नहीं की जाएगी क्योंकि वे पूजा के लायक नहीं हैं।
सरस्वती पूजा का उद्देश्य क्या है?इस दिन मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करने से बुद्धि और ज्ञान का वरदान मिलता है। माता सरस्वती को ज्ञान, संगीत, कला, विज्ञान और शिल्प-कला की देवी माना जाता है। लोग ज्ञान प्राप्ति और सुस्ती, आलस्य एवं अज्ञानता से छुटकारा पाने के लिए, बंसत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की उपासना करते हैं। इस दिन शिक्षा आरम्भ का भी विधान है।
सरस्वती पूजा का दूसरा नाम क्या है?वसंत पंचमी के विभिन्न नाम
वसंत पंचमी को सरस्वती पूजा होती है, इस वजह से इस दिन को सरस्वती पूजा के नाम से भी जानते हैं. मां सरस्वती का दूसरा नाम वागीश्वरी भी है, इसमें वसंत पंचमी को वागीश्वरी जयंती भी कहा जाता है. वसंत पंचमी का एक नाम श्रीपंचमी भी है.
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