सुमति कौन था उसके व्यक्तित्व की विशेषता लिखिए? - sumati kaun tha usake vyaktitv kee visheshata likhie?

सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग हर गाँव में लेखक को मिले। इससे सुमति के व्यक्तित्व की अनेक विशेषताएँ प्रकट होती हैं: जैसे -

1. सुमति उनके यहाँ धर्मगुरु के रूप में सम्मानित होता हैं।

2. सुमति के परिचय और सम्मान का दायरा बहुत बड़ा है।

3. सुमति सबको बोध गया का गंडा प्रदान करता है। लोग गंडे को पाकर धन्य अनुभव करते हैं।

4. सुमति बौद्ध धर्म में आस्था रखते थे तथा तिब्बत का अच्छा भौगोलिक ज्ञान रखते थे।

5. सुमति मिलनसार एवं हँसमुख व्यक्ति हैं।

6. मति स्वभाव से सरल, मिलनसार, स्नेही और मृदु रहा होगा। तभी लोग उसे उचित आदर देते होंगे।

सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गाँव में मिले। इस आधार पर आप सुमति के के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकते हैं?


सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग हर गाँव में लेखक को मिले। इससे सुमति के व्यक्तित्व की अनेक विशेषताएँ प्रकट होती हैं: जैसे -
1. सुमति उनके यहाँ धर्मगुरु के रूप में सम्मानित होता हैं।
2. सुमति के परिचय और सम्मान का दायरा बहुत बड़ा है।
3. सुमति सबको बोध गया का गंडा प्रदान करता है। लोग गंडे को पाकर धन्य अनुभव करते हैं।
4. सुमति बौद्ध धर्म में आस्था रखते थे तथा तिब्बत का अच्छा भौगोलिक ज्ञान रखते थे।
5. सुमति मिलनसार एवं हँसमुख व्यक्ति हैं।
6. मति स्वभाव से सरल, मिलनसार, स्नेही और मृदु रहा होगा। तभी लोग उसे उचित आदर देते होंगे।

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उस समय के तिब्बत में हथियार का क़ानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था?


उस समय के तिब्बत के पहाड़ों की यात्रा सुरक्षित नहीं थी। लोगों को डाकुओं का भय बना रहता था। डाकू पहले लोगों को मार देते और फिर देखते की उनके पास पैसा है या नहीं। तथा तिब्बत में हथियार रखने से सम्बंधित कोई क़ानून नहीं था। इस कारण लोग खुलेआम पिस्तौल बन्दूक आदि रखते थे। साथ ही, वहाँ अनेक निर्जन स्थान भी थे, जहाँ पुलिस का प्रबंध नहीं था।

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लेखक लङ्‌कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया?


लङ्‌कोर के मार्ग में लेखक का घोड़ा थककर धीमा चलने लगा था। उनका घोड़ा बहुत सुस्त था। इसलिए वे अपने साथियों से बिछड़ गया और अकेले में रास्ता भूल गया। वे रास्ता भटककर एक-डेढ़ मील ग़लत रास्ते पर चले गए थे। उन्हें वहाँ से वापस आना पड़ा।

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थोंगला के पहले के आख़िरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के वावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्यों?


लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला इसका मुख्य कारण था - संबंधों का महत्व। तिब्बत में इस मार्ग पर यात्रियों के लिए एक-जैसी व्यवस्थाएँ नहीं थीं। इसलिए वहाँ जान-पहचान के आधार पर ठहरने का उचित स्थान मिल जाता था। पहली बार लेखक के साथ बौद्ध भिक्षु सुमति थे। सुमति की वहाँ जान-पहचान थी। पर पाँच साल बाद बहुत कुछ बदल गया था। भद्र वेश में होने पर भी उन्हें उचित स्थान नहीं मिला था। उन्हें बस्ती के सबसे गरीब झोपड़ी में रुकना पड़ा। यह सब उस समय के लोगों की मनोवृत्ति में बदलाव के कारण ही हुआ होगा। वहाँ के लोग शाम होते हीं छंङ पीकर होश खो देते थे और सुमति भी साथ नहीं थे।

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लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका, परन्तु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया?


लेखक ने शेकर विहार में सुमति को यजमानों के पास जाने से रोका था क्योंकि अगर वह जाता तो उसे बहुत वक्त लग जाता और इससे लेखक को एक सप्ताह तक उसकी प्रतीक्षा करनी पड़ती। परंतु दूसरी बार लेखक ने उसे रोकने का प्रयास इसलिए नहीं किया क्योंकि वे अकेले रहकर मंदिर में रखी हुई हस्तलिखित पोथियों का अध्ययन करना चाहते थे।

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अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाईयों का सामना करना पड़ा?


लेखक को निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ा-
1. जगह-जगह रास्ता कठिन तो था ही साथ में परिवेश भी बिल्कुल नया था।
2. चोरी के डर से भिखमंगों को वहाँ के लोग घर में घुसने नहीं देते थे। इसी कारण लेखक को भी ठहरने के स्थान को लेकर कठिनाई का सामना करना पड़ा।
3. उस समय भारतीयों को तिब्बत यात्रा की अनुमति नहीं थी। इसलिए उन्हें भिखमंगे के रुप में यात्रा करना पड़ी।
4. समय से न पहुँच पाने पर सुमति के गुस्से के सामना करना पड़ा।
5. तेज़ धूप में चलना पड़ा था।
6. डाँड़ा, थोङ्‌ला जैसी खतरनाक जगह को पार करना पड़ा।

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सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गाँव में मिले। इस आधार पर आप सुमति के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकते हैं?

सुमति के यजमान और उनके परिचित हर गाँव में लेखक को मिले। इससे सुमति के व्यक्तित्व की अनेक विशेषताएँ प्रकट होती हैं; जैसे|

  1. सुमति मिलनसार एवं हँसमुख व्यक्ति थे, जो लोगों से समय-समय पर मिलते रहते थे।
  2.  सुमति उन लोगों के बीच धर्मगुरु के समान थे, जो उन्हें बोधगया से लाए गंडे दिया करते थे।
  3. सुमति समय के पाबंद थे। वे समय पर लेखक के न पहुँचने पर नाराज हो जाते
  4.  सुमति लालची स्वभाव के व्यक्ति थे। वे यजमानों में बोधगया में लाए गंडे समाप्त हो जाने पर साधारण कपड़े का गंडा उन्हें देकर धन प्राप्त करते थे।
  5.  सुमति बौद्ध धर्म में आस्था रखते थे तथा तिब्बत का अच्छा भौगोलिक ज्ञान रखते थे।
  6. वे आतिथ्य सत्कार में कुशल थे। उन्होंने लेखक को इंतजार करते हुए चाय को तीन बार गर्म किया।

Concept: गद्य (Prose) (Class 9 A)

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सुमति कौन थे उनका स्वभाव कैसा था?

(1) सुमति व्यवहार कुशल व्यक्ति थे। (2) उनका व्यवहार सबसे मित्रतापूर्ण था। (3) वे जहाँ भी जाते थे वहीं अपने अच्छे स्वभाव के कारण मित्र बना लेते थे। (4) अलग-अलग जगहों पर घूमना उन्हें ज़्यादा पसंद था

सुमति कौन है?

सुमति मंगोल जाति का एक बौद्ध भिक्षु था। उसका वास्तविक नाम था - लोबज़ंग शेख। इसका अर्थ होता है - 'सुमति प्रज्ञं'। अतः लेखक ने उसे 'सुमति' नाम से पुकारा।

सुमति कौन था ल्हासा की ओर पाठ के आधार पर बताइए?

सुमति अपने यजमानों को बोध गया से लाए कपड़े के गंडे बनाकर दिया करते थे और उनसे दक्षिणा लेते थे। सुमति लोगों की आस्था का अनुचित लाभ उठाते थे पर इसकी खबर लोगों को नहीं लगने देते थे। वे बौद्ध धर्म में गहरी आस्था रखते थे। वह कई बार तिब्बत आ चुके थे और वहाँ के हर गाँव से पूरी तरह परिचित थे।

सुमति अपने यजमानों के लिए क्या ले गया था?

Answer: सुमति एक बौद्ध भिक्षु था जिसके यजमान हर गांव में थे। वह जब भी किसी गांव में जाता अपने यजमान से जरूर मिला करता था और उनकी आवश्यकता अनुसार मदद किया करता था। इसीलिए लेखक नहीं चाहता था कि यात्रा के दौरान सुमति अपने यजमानो से मिले क्योंकि इस वजह से उन्हें उनकी यात्रा में देर भी हो सकती थी।