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d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व NCERT पाठ्यनिहित प्रश्नोत्तरप्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न
3. प्रश्न 4. प्रशन 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. इस प्रकार तीन अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं। ‘चक्रण केवल’ चुम्बकीय आघूर्ण प्रश्न 9. प्रश्न 10. d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व NCERT पाठ्य-पुस्तक प्रश्नोत्तरप्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 3d4 आद्य अवस्था में कोई d4 विन्यास नहीं होता। प्रश्न 6. प्रश्न 7. लैन्थेनाइड संकुचन का प्रभाव : प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. (ii) संक्रमण धातुओं में उच्च प्रभावी न्यूक्लियर आवेश तथा संयोजी इलेक्ट्रॉनों की अधिक संख्या होती है इसलिए ये बहुत मजबूत धात्विक बंध बनाते हैं। परिणामस्वरूप संक्रमण धातुओं के परमाण्विकरण की एन्थैल्पी उच्च होती है। (iii) संक्रमण धातु आयनों का रंग अपूर्ण रूप से भरे हुए (n-1)d कक्षकों के कारण होता है। संक्रमण धातु आयनों में जिनमें अयुग्मित d-इलेक्ट्रॉन हैं, इस इलेक्ट्रॉन का एक d-कक्षक से दूसरे d-कक्षक में संक्रमण होता है। इस संक्रमण के समय वे दृश्य प्रकाश के कुछ विकिरणों का अवशोषण करते हैं तथा शेष विकिरणों को रंगीन प्रकाश के रूप में उत्सर्जित कर देते हैं। अत: आयन का रंग उसके द्वारा अवशोषित रंग का पूरक (Complementary) होता है। उदाहरणार्थ, [Cu(H2O)6]+2 आयन नीला दिखता है, क्योंकि यह दृश्य प्रकाश के लाल रंग को इलेक्ट्रॉन के उत्तेजना के लिए अवशोषित करता है तथा उसके पूरक (नीले) रंग को उत्सर्जित कर देता है। कुछ आयनों के रंग – (iv) संक्रमण तत्व परिवर्ती संयोजकता प्रदर्शित करते हैं, क्योंकि (n-1)d-कक्षक तथा ns-कक्षक के इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा में बहुत अधिक अन्तर नहीं होता है, जिससे d-कक्षक के इलेक्ट्रॉन भी संयोजी इलेक्ट्रॉन का कार्य करते हैं। इन तत्वों में Mn अधिकतम परिवर्ती संयोजकता प्रदर्शित करता है। प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. बनाने की विधि-K2Cr2O7 को क्रोमाइट अयस्क (Fe2Cr2O4) या क्रोम आयरन (FeO.Cr203) से बनाया जाता है, जो निम्नलिखित पदों में होते हैं। (1) क्रोमाइट अयस्क का सोडियम क्रोमेट में परिवर्तन-क्रोमाइट अयस्क को NaOH या Na2CO3 के साथ वायु की उपस्थिति में एक परावर्तनी भट्टी में गर्म करने पर सोडियम क्रोमेट (पीला रंग) बनता है। पदार्थ को छिद्रमय रखने हेतु कुछ मात्रा में शुष्क चूने को मिलाते हैं । जल के साथ निष्कर्षण करने पर Na2Cr2O3 विलयन में चला जाता है। जबकि Fe2O3 रह जाता है जिसे छानकर पृथक् कर लेते हैं। (2) सोडियम क्रोमेट (Na2CrO4) का सोडियम डाइक्रोमेट (Na2Cr2O7) में परिवर्तन-सोडियम क्रोमेट विलयन सान्द्र H2SO4 के साथ अपचयित करके सोडियम डाइक्रोमेट बनाते हैं। 2Na2CrO4 कम विलेय होता है जिसका वाष्पन करने पर Na2SO410H2O के रूप में क्रिस्टलीकृत हो जाता है जिसे पृथक् कर लिया जाता है। (3) Na2Cr2O7 का K2Cr2O7 में परिवर्तन-सोडियम डाइक्रोमेट के जलीय विलयन का उपचार KCI के साथ किये जाने पर पोटैशियम डाइ क्रोमेट प्राप्त होता है। K2Cr2O7 के अल्प विलेय प्रकृति के कारण इसके क्रिस्टल ठण्डे में प्राप्त किये जाते हैं। K2Cr2O7 की निम्न के साथ होने वाली रासायनिक अभिक्रिया – (1) अम्लीय फेरस सल्फेट के
साथ-K2Cr207 अम्लीय माध्यम में यह फेरस सल्फेट को फेरिक सल्फेट में ऑक्सीकृत कर देता है। K2Cr2O7 पहले H2SO4 से क्रिया करके नवजात ऑक्सीजन का तीन परमाणु देता है जो Fe2+ को Fe3+ आयन में ऑक्सीकृत कर देता है। pH बढ़ाने पर प्रभाव-पोटैशियम क्लोराइड सोडियम क्लोराइड से कम विलेयशील होता है। ये ऑरेंज क्रिस्टल के रूप में प्राप्त होते
है तथा इन्हें फिल्ट्रेशन से हटाया जा सकता है। pH 4 पर डाइक्रोमेट आयन (CrO72-) क्रोमेट आयन CrO4 2-के रूप में उपस्थित होते हैं । ये pH के मान में परिवर्तन के अनुसार एक-दूसरे में परिवर्तनशील होते हैं। प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्राप्त 2K2MnO4 (ग्रीन) को जल द्वारा छाना जा सकता है। फिर विद्युत्-अपघटन या क्लोरीन/ओजोन को विलयन मे प्रवाहित कर ऑक्सीकृत किया जाता है। विद्युत्-अपघटनी ऑक्सीकरण – क्लोरीन द्वारा ऑक्सीकरण – ओजोन द्वारा ऑक्सीकरण – अम्लीकृत पोटैशियम परमैंग्नेट SO2 को H2SO4 में ऑक्सीकृत करता है। अम्लीकृत पोटैशियम परमैंग्नेट ऑक्सेलिक अम्ल को कार्बन डाइ-ऑक्साइड में ऑक्सीकृत करता है। प्रश्न 17. उपर्युक्त आँकड़ों का उपयोग कर निम्न पर टिप्पणी कीजिए – (i) Cr3+ अथवा Mn3+ की तुलना में Fe3+ का अम्लीय विलयन में स्थायित्व एवं (ii) वो कौन-सी स्थितियाँ हैं, जहाँ आयरन, समान विधियों में क्रोमियम अथवा मैंगनीज धातु की तुलना में ऑक्सीकृत होता है। उत्तर (i) जैसे- \(\mathrm{E}_{\mathrm{Cr}}^{\circ} / \mathrm{Cr}^{+2}\) ऋणात्मक (-04V) है, जिसका अर्थ है cr+3 आयन विलयन में सरलता से Cr+2 में अपचयित नहीं होता, अत: Cr+3 आयन अधिक स्थायी है। इसी प्रकार \(\mathrm{E}^{\circ}_{\mathrm{Mn}^{+} 3} / \mathrm{Mn}^{+2}\) धनात्मक (+1:5V) है, Mn+3 आयन सरलता से Mn+2 आयन में Fe+3 आयन की तुलना में अपचयित होता है अत: इन आयनों की आपेक्षिक स्थायित्व निम्न है – (ii) दिए गए जोड़ों का ऑक्सीकरण विभव +09V, +1-2V एवं 0-4V है। अत: इनके ऑक्सीकरण का क्रम निम्न है – Mn>Cr>Fe प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21. प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न 24. Cr2+ अत्यधिक स्थायी है, इसमें अर्द्धपूर्ण t2gस्तर होते हैं। प्रश्न 25. धातु की निम्न ऑक्सीकरण अवस्था में, धातु परमाणु के कुछ संयोजी इलेक्ट्रॉन बन्धन में भाग नहीं लेते। अत: ये इलेक्ट्रॉन को दानकर क्षार की भाँति व्यवहार करते हैं। उच्च ऑक्सीकरण अवस्था में, संयोजी इलेक्ट्रॉन बन्धन में भाग लेते हैं एवं जो उपलब्ध नहीं होते। इसके अतिरिक्त प्रभावी नाभिकीय आवेश अधिक होने पर यह इलेक्ट्रॉन स्वीकार करता है एवं अम्ल की भाँति व्यवहार दर्शाते हैं। (ii) संक्रमण धातु ऑक्साइडों एवं फ्लुओराइडों में उच्च ऑक्सीकरण अवस्थायें रखते हैं, क्योंकि ऑक्सीजन एवं फ्लुओरीन का आकार छोटा एवं उच्च ऋणविद्युतता है एवं ये धातुओं को सरलता से ऑक्सीकृत करते हैं। उदाहरण के लिए- O5F6 [O5(VI)],V2O5 [v(v)] . (iii) धातुओं के ऑक्सो ऋणायन उच्च ऑक्सीकरण अवस्थायें रखते हैं। उदाहरण के लिए, Cr2O72- में Cr की ऑक्सी-करण अवस्था + 6 है, जबकि MnO4– में Mn की ऑक्सी-करण अवस्था +7 है। क्योंकि ऑक्सीजन की उच्च ऋणविद्युतता एवं उच्च ऑक्सीकारक गुण है। प्रश्न 26. प्रश्न 27. प्रश्न 28. प्रश्न 29. प्रश्न 30. प्रश्न 31. प्रश्न 32. प्रश्न 33. प्रश्न 34. प्रश्न 35. प्रश्न 36. प्रश्न 37. प्रश्न 38. उत्तर K4[Mn(CN)6] Mn+2 . 3d5 , चुम्बकीय आघूर्ण 2.2 दर्शाता है कि इसमें एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन है एवं अन्तर कक्षक संकुल अथवा निम्न चक्रण संकुल बनाता है। इसका विन्यास है – t22g[Fe(H2 O)6 ]2+ Fe+2: 3d6 चुम्बकीय आघूर्ण का मान 4 अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों के समीप है, अत: यह बाह्य कक्षक संकुल अथवा उच्च चक्रण संकुल बनाता है। इसका विन्यास है – t42g e2g K2[MnCl4] Mn+2 : 3d5 चुम्बकीय आघूर्ण का मान 5 अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों के सापेक्ष है। d-कक्षक प्रभावित नहीं होते। अतः यह चतुष्फलकीय संकुल बनाता है। इसका विन्यास है – t32g e2g d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरd एवं f-ब्लॉक के तत्त्व वस्तुनिष्ठ प्रश्न 1. सही विकल्प चुनकर लिखिए- प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
उत्तर
3. सत्य/असत्य बताइए –
उत्तर
4. उचित संबंध जोडिए – उत्तर 1. (1), 2. (g), 3. (e), 4. (c), 5. (b), 6, (d), 7. (a). 5. एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिए –
उत्तर-
d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. जिसमें μ = चुम्बकीय आघूर्ण, n = अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या। प्रश्न 6. (i) इनके मानक इलेक्ट्रोड विभव का मान कम होता है । प्रश्न 7.
प्रश्न 8. प्रश्न 9. आन्तरिक संक्रमण तत्व क्या होते हैं ? उत्तर वे तत्व जिनमें तीनों बाह्यतम कोश अपूर्ण भरे होते हैं अन्तर संक्रमण तत्व कहलाते हैं। संक्रमण तत्वों के भीतर वर्ग 3 व 4 के मध्य 14-14 तत्व f-ब्लॉक में आते हैं। अतः संक्रमण तत्वों के मध्य स्थित होने के कारण इन्हें अन्तर संक्रमण तत्व कहते हैं। चूँकि इनमें अंतिम इलेक्ट्रॉन बाह्यतम कोश से दो अन्दर के कोश उपउपान्त्य कोश अर्थात् (n-2)f-ऑर्बिटल में प्रवेश करते हैं। अत: इन तत्वों को f-ब्लॉक तत्व भी कहते हैं। (n-2)f1-14(n-12)d1-10ns2 इन्हें दो श्रेणियों में बाँटा गया है – (1) लैन्थेनाइड श्रेणी-लैन्थेनम के बाद
(La57) आने वाले 14 तत्व (Ce58-Lu71) लैन्थेनाइड कहलाते हैं। प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. (ii) ऐसे तत्व जिनमें (n-1)d- उपकोश आंशिक (Partially) रूप से भरे रहते हैं, उन्हें संक्रपण तत्व कहते हैं। प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्राप्त वाष्प को NaOH विलयन में प्रवाहित करने पर सोडियम क्रोमेट का पीले रंग का विलयन प्राप्त होता है, जो CH3COOH की उपस्थिति में लेड ऐसीटेट मिलाने पर, लेड क्रोमेट का पीला अवक्षेप देता है। प्रश्न 19. प्रश्न 20. (i) ज्वलनशील मिश्रधातु बनाने में ऐक्टिनाइड्स के उपयोग – (i) नाभिकीय रिएक्टर में प्रश्न 21. प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न 24. 1. प्रथम संक्रमण श्रेणी (3d- Series)- इसमें चतुर्थ आवर्त के Sc21 स्कैंडियम से जिंक (Zn = 30) तक 10 तत्व हैं। प्रश्न 25. d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. ऑक्सीकरण अवस्था – लैन्थेनाइड तत्त्वों की सर्वाधिक ऑक्सीकरण अवस्था (+3) होती है। यह लैन्थेनम से दो और एक d-कक्षक के इलेक्ट्रॉन के खोने से बनती है। La3+ का विन्यास जेनॉन (Xe = 54) जैसा होता है जो कि अत्यधिक स्थायी होता है। कुछ तत्व (+ 2) और (+4) ऑक्सीकरण भी प्रदर्शित करते हैं क्योंकि ये तत्व 2 या 4 इलेक्ट्रॉन खोने के बाद स्थायी f7 या f14 विन्यास प्राप्त करते हैं। उदाहरणार्थ – Ce4+(4f°), Tb+ (4f7),Eu2+ (4f7), Yb2+ (4f14), परन्तु Sm2+, Tm2+ इसके अपवाद हैं। प्रश्न 2. (1) क्रोमाइट अयस्क का सोडियम क्रोमेट में परिवर्तन-क्रोमाइट अयस्क को NaOH या Na2CO3 के साथ वायु की उपस्थिति में एक परावर्तनी भट्टी में गर्म करने पर सोडियम क्रोमेट (पीला रंग) बनता है। पदार्थ को छिद्रमय रखने हेतु कुछ मात्रा में शुष्क चूने को मिलाते हैं । जल के साथ निष्कर्षण करने पर Na2Cr2O3 विलयन में चला जाता है। जबकि Fe2O3 रह जाता है जिसे छानकर पृथक् कर लेते हैं। (2) सोडियम क्रोमेट (Na2CrO4) का सोडियम डाइक्रोमेट (Na2Cr2O7) में परिवर्तन-सोडियम क्रोमेट विलयन सान्द्र H2SO4 के साथ अपचयित करके सोडियम डाइक्रोमेट बनाते हैं। 2Na2CrO4 कम विलेय होता है जिसका वाष्पन करने पर Na2SO410H2O के रूप में क्रिस्टलीकृत हो जाता है जिसे पृथक् कर लिया जाता है। (3) Na2Cr2O7 का K2Cr2O7 में परिवर्तन-सोडियम डाइक्रोमेट के जलीय विलयन का उपचार KCI के साथ किये जाने पर पोटैशियम डाइ क्रोमेट प्राप्त होता है। K2Cr207 के अल्प विलेय प्रकृति के कारण इसके क्रिस्टल ठण्डे में प्राप्त किये जाते हैं। K2Cr2O7 की निम्न के साथ होने वाली रासायनिक अभिक्रिया – (1) अम्लीय फेरस सल्फेट के
साथ-K2Cr207 अम्लीय माध्यम में यह फेरस सल्फेट को फेरिक सल्फेट में ऑक्सीकृत कर देता है। K2Cr2O7 पहले H2SO4 से क्रिया करके नवजात ऑक्सीजन का तीन परमाणु देता है जो Fe2+ को Fe3+ आयन में ऑक्सीकृत कर देता है। प्रश्न 3. उदाहरण – (i) फेरस लवण का फेरिक लवण में ऑक्सीकरण – (ii) ऑक्जेलिक अम्ल का ऑक्सीकरण-अम्लीय माध्यम में KMnO4 ऑक्जेलिक अम्ल को CO2 में ऑक्सीकृत कर देता
है। (iii) आयोडाइड आयन का आयोडीन में परिवर्तन (iv) नाइट्राइट का नाइट्रेट में ऑक्सीकरण (2) क्षारीय माध्यम में-क्षारीय माध्यम में KMnOa, MnO, में अपचयित होता है तथा 3 नवजात ऑक्सीजन देता है। उदाहरण-(i) आयोडाइड का आयोडेट में ऑक्सीकरणक्षारीय माध्यम में KI का आयोडेट में ऑक्सीकरण होता है। 2KMnO4 + H2O +KI→KIO3 +2MnO2 + 2KOH (ii) एथिलीन का ग्लाइकॉल में ऑक्सीकरण – (3) उदासीन माध्यम में-उदासीन माध्यम में भी KMnO4 ऑक्सीकारक की तरह कार्य करता है। अभिक्रिया में बना KOH विलयन
को क्षारीय बना देता है। KMnO4, MnO2 में अपचयित हो जाता है एवं 2 मोल KMnO4 से 2 मोल नवजात ऑक्सीजन मुक्त होते हैं। प्रश्न 4. 2. K2MnO4 का KMnO4 में परिवर्तन-K2MnO4 के हरे पदार्थ को जल के साथ निष्कासित करके रासायनिक ऑक्सीकरण या विद्युत्-अपघटनी ऑक्सीकरण द्वारा KMnO4 में ऑक्सीकृत करते हैं। (b) विद्युत्-अपघटनी ऑक्सीकरण-इस विधि में आयरन कैथोड एवं निकिल ऐनोड के मध्य K2MnO4 विलयन का विद्युत्-अपघटन किया जाता है, तो मैंगनेट आयन का ऐनोड पर परमैंगनेट आयन (MnO–4) में ऑक्सीकरण हो जाता है तथा कैथोड पर H, मुक्त होती है। अम्लीय, क्षारीय तथा उदासीन माध्यम में ऑक्सीकारक गुणों के उदाहरण-दीर्घ उत्तरीय प्रश्न क्र. 3 देखिए। उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था वाला संक्रमण तत्व कौन सा है?हल स्कैन्डियम की मूल अवस्था में 3d कक्षक अपूर्ण ( 3d ) होने के कारण इसे संक्रमण तत्व माना जाता है। जबकि जिंक परमाणु में मूल अवस्था तथा ऑक्सीकृत अवस्था दोनों में ही इसका 3d कक्षक पूर्ण भरित (3d ) होता है, अतः इसे संक्रमण तत्व नहीं माना गया है।
प्रथम संक्रमण श्रेणी का कौन सा तत्व उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है?Solution : प्रथम संक्रमण श्रेणी में मैंगनीज सर्वाधिक `(MN^(+7))` तथा जिंक सबसे कम `(Zn^(2+))` ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं।
अधिकांश संक्रमण तत्व विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं क्यों?Solution : संक्रमण तत्व परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं क्योंकि 1 तथा (n-1) कक्षकों में आबन्ध निर्माण के लिए इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं।
संक्रमण तत्व ऑक्सीकरण अवस्था क्या है?Solution : संक्रमण धातुओं में ऑक्सीकरण अवस्था +1 से एक के क्रमिक परिवर्तन से उच्च अवस्थाओं में परिवर्तित होती है। जैसे - मैंगनीज में यह +2, +3, +4, +5, +6, +7 पायी जाती है।
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