संघर्ष करने से क्या होता है? - sangharsh karane se kya hota hai?

अन्य प्रयोगों के लिए, संघर्ष (बहुविकल्पी) देखें।

संघर्ष या द्वन्द्व (Conflict) से तात्पर्य दो या अधिक समूहों के बीच मतभेद, प्रतिरोध, विरोध आदि से है। एक ही समूह के अन्दर भी द्वन्द्व हो सकता है। इस स्थिति में अन्तःसमूह द्वन्द्व (intragroup conflict) कहते हैं।

संघर्ष अपने स्वप्नों को प्राप्त करने का भी हो सकता है। यह संघर्ष परिस्थितियों से होता है। जिसमे व्यक्ति/जीव स्वयं को तपाता है।

संघर्ष करने से क्या होता है? - sangharsh karane se kya hota hai?
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संघर्ष की स्थिति तब निर्मित होती है जब अनेक व्यक्ति और समूह किसी सीमित लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते है। संघर्ष के साधनों पर उनका ध्यान नही जाता, जतना लक्ष्य प्राप्ति अर्थात् साध्य पर। यहि कारण है कि संघर्षरत व्यक्ति अथवा समूह किसी भी सीमा तब बल प्रयोग हिंसा कर सकते हैं। आज के इस लेख मे हम संघर्ष का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं एवं प्रकार जानेगें।

संघर्ष करने से क्या होता है? - sangharsh karane se kya hota hai?

संघर्ष का अर्थ (sangharsh ka arth)

संघर्ष किसी व्यक्ति या समूह द्वारा बल प्रयोग, हिंसा, प्रतिकार अथवा विरोधपूर्वक किया जाने वाला वह प्रयत्न है जो दो या दो से अधिक व्यक्तियों अथवा समूहों के कार्य मे बाधा डालता है।
संघर्ष मानवीय संबंधों मे विद्यमान रहने वाली एक अनिवार्य व स्वाभाविक सामाजिक प्रक्रिया हैं। जब सामाजिक संबंधों मे समझौते की कोई संभावना नही रह जाती तो कोई व्यक्ति या समूह अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के प्रतिस्पर्धा का मार्ग छोड़कर हिंसा की धमकी का सहारा लेता है। विरोधी को नुकसान पहुंचाने या समाप्त करने का प्रयत्न करता है तो संघर्ष प्रारंभ हो जाता हैं।

संघर्ष के अर्थ को जानने के बाद अब हम संघर्ष की भिन्नता विद्वानों द्धारा दी गई परिभाषाओं को जानेंगे।

संघर्ष की परिभाषा (sangharsh ki paribhasha)

जे. एस. फिचर के अनुसार " पारस्परिक अंत:क्रिया का वह रूप है जिसमे दो या दो से अधिक व्यक्ति एक दूसरे को दूर करने का प्रयत्न करते है।

गिलिन और गिलिन " संघर्ष वह सामाजिक प्रक्रिया है जिनमे व्यक्ति अथवा समूह अपने ध्ययों की प्राप्ति का प्रयाय विरोध को सीधे हिंसा की धमकी से चुनौती देकर करते है।


मैकाइवर और पेज " सामाजिक संघर्ष मे वे सभी क्रियाकलाप सम्मिलित होते है जिसमे मनुष्य किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एक दूसरे से लड़ते है अथवा विवाद करते है।

ए.डब्ल्यू ग्रीन "दूसरो या दूसरो की इच्छा के विरोध, प्रतिकार या बलपूर्वक रोकने के विचारपूर्वक प्रयत्न को संघर्ष कहते है।

संघर्ष की विशेषताएं (sangharsh ki visheshta)

1. संघर्ष किसी न किसी मात्रा मे सभी समाजों मे पाया जाता है। जहां भी सामाजिक संबंध होते है वहां संघर्ष भी प्रगट होता है। चाहे वह व्यक्तियों के बीच हो या समूहों के बीच। इस प्रकार संघर्ष एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है।
2. संघर्ष की प्रक्रिया हिंसात्मक या फिर अहिंसात्मक दोनों तरह से हो सकती है।
3. संघर्ष की प्रक्रिया के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के परिणाम हो सकते है। संघर्ष समाज मे एकता को भी जन्म देता है और समाज मे विरोध भी उत्पन्न करता हैं।
4. मानव संबंधों मे संघर्ष स्वाभाविक रूप से चलने वाली प्रक्रिया है।

5. संघर्ष एक चेतन प्रक्रिया है ना की अचेतन। क्योंकि विरोध करने का विचार परिणामस्वरूप पैदा होता हैं।
6. संघर्ष मे उव्देग इतना तीव्र हो जाता है कि विरोधी एक दूसरे के प्रति बहुत सतर्क हो जाते है।

7. संघर्ष सार्वभौमिक प्रक्रिया है अर्थात् किसी न किसी मात्रा मे दुनिया के सभी समाजों मे पायी जाती है। जहाँ कहीं भी कोई सामाजिक संबंध है वहां संघर्ष प्रकट होगा। चाहे वह व्यक्ति से व्यक्ति के बीच हो अथवा किसी समूह के विरुद्ध समूह के रूप मे हो।

8. संघर्ष मे विरोधियों को हानि पहुंचाकर भी अपने उद्देश्य को प्राप्त किया जाता है। 

9. संघर्ष मे अधिक शक्ति और परिश्रम की आवश्यकता होती है जो व्यक्ति मे सदैव नही पाई जाती है।
संघर्ष की विशेषताएं जानेगें के बाद अब हम संघर्ष के प्रकार जानेंगे।

संघर्ष के प्रकार (sangharsh prakar)

मैकाइवर और पेज ने संघर्ष के दो प्रकार बताएं है जो इस प्रकार है---
1. प्रत्यक्ष संघर्ष
जब दो या दो से अधिक व्यक्ति अथवा समूह एक दूसरे के विरूद्ध आमने-सामने होकर संघर्ष करते है तब प्रत्यक्ष संघर्ष कहलाता है। प्रत्यक्ष संघर्ष के तरीके, वाद-विवाद, वैचारिक मतभेद, मारपीट आदि रूप मे प्रकट होते हैं।

2. अप्रत्यक्ष संघर्ष
अप्रत्यक्ष संघर्ष, संघर्ष का वह रूप है जिसमे व्यक्ति और समूह दूसरे व्यक्ति और समूह के स्वार्थ और हितो मे बाधा पहुँचाकर स्वयं के हितो की पूर्ति करने का पूर्ण प्रयास करते है।

किंग्सले डेविस ने भी संघर्ष के दो प्रकार बताएं है---

1. आंशिक संघर्ष
वह ऐसी स्थिति है जिसमे व्यक्तियों या समूहों के बीच लक्ष्य तो निर्धारित होते  है लेकिन उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के साधनों को लेकर विवाद की स्थिति होती है। यह स्थिति आंशिक संघर्ष की होती हैं।

2. पूर्ण संघर्ष
पूर्ण संघर्ष वह है जिसमे न तो किसी प्रकार का समझौता होता है और न ही किसी अन्य तरीके से संघर्ष को टालने का प्रयास किया जाता है, बल्कि यह संघर्ष का वह रूप है जिसमे शारीरिक शक्ति के माध्यम से प्रत्यक्ष रूप से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।
संघर्ष के अन्य प्रकार इस तरह है--
1. वैयक्तिक संघर्ष
2. वर्ग संघर्ष
3. प्रजातीय संघर्ष
4. सामाजिक संघर्ष
5. राजनीतिक संघर्ष
6. अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष


शायद यह जानकारी आपके के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी

संघर्ष का परिणाम क्या होता है?

संघर्ष अपने स्वप्नों को प्राप्त करने का भी हो सकता है। यह संघर्ष परिस्थितियों से होता है। जिसमे व्यक्ति/जीव स्वयं को तपाता है। यह लेख एक आधार है।

जीवन में संघर्ष करने से क्या होता है?

कठिन संघर्ष हमारे व्यक्तित्व में सोने सा निखार व चमक पैदा कर देता है। संघर्ष से ही हम वह बन पाते हैं जो हमारी नियति ने हमारे लिए तय किया होता है। जीवन में कठिन संघर्ष से ही सफलता का शंखनाद किया जा सकता है। यदि हम कार्य में होने वाले संघर्ष को देखकर अपने हाथ पीछे कर लें तो हम लक्ष्य तक कभी नहीं पहुंच सकते।

जीवन का संघर्ष कैसे करें?

कहते हैं क‍ि जैसा करेंगे कर्म, वैसा म‍िलेगा फल. यानी क‍िसी लक्ष्य या काम के प्रत‍ि की गई मेहनत के अनुरूप ही हमें नतीजे प्राप्त होते हैं. लेकिन कभी-कभी कुछ लोगों के जीवन में हमें वैसा फल नहीं म‍िलता, ज‍ितना हम मेहनत करते हैं. ऐसे में क्या करना चाह‍िए.

संघर्ष की क्या विशेषताएं हैं?

संघर्ष की विशेषताएं वे अपने लक्ष्य की प्राप्ति के साथ-साथ विरोधी को मार्ग से हटाने का प्रयत्न भी करते हैंसंघर्ष एक वैयक्तिक प्रक्रिया है। इसका तात्पर्य यह है कि संघर्ष में ध्यान लक्ष्य पर केन्द्रित न होकर प्रतिद्विन्द्वयों पर केन्द्रित हो जाता है। संघर्ष एक अनिरन्तर प्रक्रिया है।