दस महाविद्या देवी का वर्ण : Show
1.माता कालीका : मां काली का रंग कहीं-कहीं काला और कहीं पर नीले का वर्णन मिलता है। कुछ विद्वान इन्हें श्यामरंग की मानते हैं। 2.तारा : भगवती तारा के तीन स्वरूप हैं:- 1.नील सरस्वती 2.एक जटा 3.उग्र तारा। 'आद्या शक्ति महाकाली ने हयग्रीव नमक दैत्य के वध हेतु घोर नीला वर्ण धारण किया तथा वे उग्र तारा के नाम से जानी जाने लगी। 3.त्रिपुर सुंदरी : देवी का शारीरिक वर्ण हजारों उदयमान सूर्य के कांति की भांति है। 4.भुवनेश्वरी : दस महाविद्याकों में से एक माता भुवनेश्वरी का वर्ण लाल बताया गया है। कुछ जगह पर इन्हें स्वर्ण आभा के सामान कांति वाली और देवी उगते सूर्य या सिंदूरी वर्ण से शोभिता हैं। 5.देवी छिन्नमस्तका : देवी का शारीरक वर्ण पिला या लाल-पीले मिश्रित रंग का हैं। 6.देवी महा त्रिपुरभैरवी : देवी भैरवी कि शारीरिक कांति हजारों उगते हुए सूर्य के समान है। कभी-कभी देवी का शारीरिक वर्ण गहरे काले रंग के समान प्रतीत होती है, जैसे काली या काल रात्रि देवियों का हैं। 7.धूमावती : देवी धूमावती का वास्तविक रूप धुएं जैसा है अर्थात मटमेला। 8.बगलामुखी : दस महाविद्याओं में से एक बगलामुखी देवी का रंग पीला है। 9.देवी मातंगी : देवी मातंगी का वर्ण गहरे नीले रंग (नील कमल के समान) या श्याम वर्ण का है। 10.कमला : देवी कमला का स्वरूप अत्यंत ही मनोहर तथा मनमोहक हैं तथा स्वर्णिम आभा लिया हुए हैं। अर्थात इनका रंग पीला है।
सदियों से रंगों के शक्तिशाली प्रभावों की पैरवी होती आ रही है। वास्तु के अनुसार नकारात्मक शक्तियों को दूर करने की बात हो या सुख-सौभाग्य में वृद्धि की। रंगों का चयन अगर सोच-समझकर किया जाए तो ये पलक झपकते ही आपकी प्रॉब्लम सॉल्व कर सकते हैं। लेकिन अगर इनके प्रयोग में सावधानी न बरती जाए तो ये उलट परिणाम भी देते हैं। इसलिए रंगों का चयन बहुत ही सावधानी से करना चाहिए। इस आर्टिकल में हम आपको ऐसे ही 9 रंगों की जानकारी दे रहे हैं, जिनके प्रयोग से सुख-समृद्धि मिलती है और नकारात्मकता दूर होती है। यह रंग लाता है सुख-समृद्धिवास्तुशास्त्र के अनुसार, लाल रंग का हर रंग की अपेक्षा अधिक बलशाली माना गया है। इसलिए इसका प्रयोग उन कमरों में करें जहां हमेशा हलचल रहती हो। इस रंग का प्रयोग जिम्नेजियम या फिर ड्राइंग रूम में किया जा सकता है। मान्यता है यह रंग जीवन में सुख-समृद्धि लेकर आता है। लेकिन बेडरूम में भूलकर भी इसका प्रयोग न करें। यह रंग देता है मानसिक संबलवास्तुशास्त्र के अनुसार, लाल रंग की तुलना में नारंगी रंग अत्यधिक संकोची माना गया है। लेकिन यह समाजिकता का प्रतीक होता है। साथ ही इसके प्रयोग से मानसिक संबल भी मिलता है। यही वजह है कि इसका प्रयोग उस कमरे में करें, जहां आप अमूमन परिवार के सदस्यों के साथ बैठकर बातचीत करते हों। मान्यता है कि इस रंग से जीवन में आने वाली परेशानी से बचने के लिए मानसिक तौर पर मजबूती मिलती है। यह रंग कभी भी निराश नहीं होने देतापीले रंग का विशेष महत्व माना जाता है। उत्साह का प्रतीक यह ऐसा रंग है जो कभी भी निराश नहीं होने देता। गंभीर से गंभीर परिस्थिति में भी यह जातक को हिम्मत देता है और अंतत: जातकों को सफल होते हुए भी देखा गया है। इस रंग का प्रयोग ड्राइंग रूम या फिर हॉल में किया जा सकता है। यह रंग लाता है जीवन में शांतिइंद्रधनुष के बीच में स्थित होने वाला हरा रंग शांति का रंग होता है। इसे सद्भावना का भी रंग मानते हैं। कहते हैं कि इस रंग का बेडरूम में प्रयोग करने से जीवन में कोई तनाव नहीं होता। साथ ही जो भी जातक इस रंग का प्रयोग करते हैं उनके जीवन में सुख के साथ ही शांति और सद्भावना का वास होता है। यह रंग प्रबल करता है सुरक्षा की भावनावास्तु के अनुसार नीला रंग सुरक्षा की भावना को प्रबल करता है। इसके अलावा इस रंग को सत्य और वैचारिकता का भी रंग माना गया है। इसलिए जिस भी कमरे में आप चिंतन-मनन करते हों, वहां इसी रंग का प्रयोग किया जाना चाहिए। मान्यता है कि इस रंग के प्रयोग से जातकों में कठिन से कठिन परिस्थिति से निकलने की भावना प्रबल होती है। साथ ही जीवन में सत्य का वास होता है। वास्तु अनुसार चुनें व्यावसायिक स्थल का रंग फिर देखिए कैसे चमक उठेगी आपकी किस्मत यह रंग लाता है जीवन में आध्यात्मिकतावास्तु के अनुसार अगर जीवन में आध्यात्मिकता पानी हो तो बैंगनी रंग का प्रयोग किया जाना चाहिए। मान्यता है यह रंग जातकों को धर्म-अध्यात्म की ओर अग्रसर करता है। इसलिए इस रंग का प्रयोग पूजा घर में किया जा सकता है। इसके प्रभाव से जीवन में आने वाले दु:ख-तकलीफों का भी नाश होता है। यह रंग बढ़ाता है आत्मसम्मानवास्तु के अनुसार पुराने समय में राज परिवार के सदस्य हों या राजा अमूमन सुनहरे रंग के ही वस्त्र धारण करते थे। इसके पीछे यह मान्यता है कि यह रंग आत्म सम्मान और धन वृद्धि का सूचक है। इसलिए इसका प्रयोग जितना भी किया जाए वह धन और आत्मसम्मान में उतनी ही वृद्धि कराता है। इसके अलावा यह रंग जीवन में सौभाग्य भी लेकर आता है। इसका प्रयोग अपने धारण किए जाने वाले वस्त्रों और कमरों के पर्दों में किया जा सकता है। यह रंग धारण करने वाले होते हैं निष्कपटवास्तु के अनुसार सफेद रंग पवित्रता और निष्कपटता का प्रतीक होता है। इसके प्रयोग से मन शांत होता है। इसका प्रयोग किसी भी कमरे में किया जा सकता है। साथ ही वस्त्रों में भी इसे प्रमुखता दी जा सकती है। कहते हैं कि जिन जातकों को सफेद रंग पसंद होता है। उनके मन में किसी भी तरह का कपट नहीं होता है। कुंडली में हो राहु-केतु दोष तो इस दिन करें यहां बताई गई चीजों का दान, होगा लाभ यह रंग बढ़ाता है जीवन में उलझनेंवास्तुशास्त्र के अनुसार, काला रंग जीवन में उलझनें और मुसीबतें बढ़ाता है। यही वजह है कि इसका प्रयोग घर के कमरों में करने से बचना चाहिए। कहते हैं कि यह रंग सारे रंगों को अपने अंदर समाहित कर लेता है। इसके चलते जातकों को किसी न किसी तरह की मानसिक उलझन और मुसीबत लगी रहती है। यही वजह है कि मुख्य द्वार पर तो विशेष रूप से काले रंग के प्रयोग से बचने की सलाह दी जाती है। Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें रंगों का राजा कौन सा रंग है?रायपुर। 94.3 माय एफएम रायपुर ने बनाई है 943 फीट की गणपति की विशाल रंगोली। इस रंगोली को छत्तीसगढ़ के फेमस रंगोली आर्टिस्ट प्रमोद साहू ने बनाया है।
मुख्य रंग कौन सा होता है?लाल, पीला और नीला प्राथमिक रंग है । ये तीनों रंग अन्य रंगों का आधार हैं और इनसे अन्य रंग भी बनाये जा सकते हैं । दो प्राथमिक रंगों को बराबर मात्रा में मिलाकर बनने वाले रंगों को द्वितीयक रंग कहते हैं। ये रंग नारंगी, हरा और बैंजनी हैं ।
प्राकृतिक रंग कौन सा है?वैसे मूल रंग ३ होते हैं -- लाल, नीला, और पीला। इनमें सफेद और काला भी मूल रंग में अपना योगदान देते है। लाल रंग में अगर पीला मिला दिया जाये, तो केसरिया रंग बनता है। यदि नीले में पीला मिल जाये, तब हरा बन जाता है।
रंग के कितने गुण होते हैं?रंग के भौतिक गुण
प्रत्येक रंग के कुछ भौतिक गुण होते हैं, जिन्हें निम्न प्रकार से समझा जा सकता है। 1. रंगत - रंगों का स्वभाव रंगत कहलाता है। 'रंगत' रंग का वह गुण होता है जिसके द्वारा हम लाल, पीले व नीले के बीच का भेद समझते है।
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