पायरूवेट के विखंडन से यह कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा ऊर्जा देता है और यह क्रिया होती है - paayaroovet ke vikhandan se yah kaarban daioksaid, jal tatha oorja deta hai aur yah kriya hotee hai

हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है? यह प्रक्रम कहाँ होता है?


उदर से प्राप्त अम्लीय और अधपची वसा का पाचन क्षुद्रांत्र में होता है। यह भाग यकृत से पित्त रस प्राप्त करता है। इसे अग्नाशयी रस से लाइपेज़ प्राप्त हो जाता है। अग्नाशयिक ऐंज़ाइमों की क्रिया के लिए पित्त रस इसे क्षारीय बनाता है। क्षुद्रांत्र में वसा बड़ी गोलिकाओं के रूप में होता है जिस कारण उस पर ऐंजाइम का कार्य कठिन हो जाता है। पित्त लवण उन्हें छोटी-छोटी गोलिकाओं में खंडित कर देता है जिससे ऐंजाइम की क्रियाशीलता बढ़ जाती है। अग्नाशय से प्राप्त होने वाले अग्नाशयिक रस में इमल्सीकृत वसा का पाचन करने के लिए लाइपेज़ ऐंजाइम होता है। क्षुद्रांत्र की भित्ति में ग्रंथि होती है जो आंत रस स्त्रावित करती है जो वसा अम्ल तथा ग्लिसरॉल में बदल देती है।

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पादप में जाइलम उत्तरदायी है

  • जल का वहन
  • भोजन का वहन

  • अमीनो अम्ल का वहन

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मनुष्य में वृक्क एक तंत्र का बहग है जो संबंधित है-

  • पोषण

  • श्वसन

  • उत्सर्जन

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पायरूवेट के विखंडन से यह कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा ऊर्जा देता है और यह क्रिया होती है

  • कोशिकाद्रव

  • माइटोकांड्रिया

  • हरित लवक

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स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक है

  • कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल

  • क्लोरोफिल

  • सूर्य का प्रकाश

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