Pathik के जल्दी जल्दी क्यों चलता है? - pathik ke jaldee jaldee kyon chalata hai?

Thursday, October 07, 2021

सवाल: पथिक जल्दी जल्दी क्यों चलता है?

उपरोक्त लिखी पंक्तियां पथिक जल्दी-जल्दी क्यों चलता है कवि डॉ हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखी गई है इस कविता कि कुछ चंद पंक्तियां इस प्रकार है

हो जाए ना पथ में रात कही, मंजिल भी तो है दूर नहीं सोच दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है।

जल्दी जल्दी ढलता है!बच्चे प्रत्याशा में होंगे निडो से झांक रहे होंगे यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है!दिन जल्दी-जल्दी ढलता है! उपरोक्त कविता में पथिक जल्दी-जल्दी इसलिए चलता है ताकि वह अपनी मंजिल तक पहुंच सके।

पंथी जल्दी-जल्दी क्यों चलता है?


पंथी इसलिए जल्दी- जल्दी चलता है कि दिन ढलने से पूर्व ही वह अपनी मंजिल पर पहुँच जाए। वह दिन ढलने से पूर्व मंजिल पर पहुँच जाना चाहता है।

307 Views


मैं और? और जग और कहाँ का नाता-पंक्ति में और शब्द की विशेषता बताइए।


इस पंक्ति में ‘और’ शब्द के प्रयोग में चमत्कार है। इसका प्रयोग तीन बार हुआ है। ‘मैं और’ से तात्पर्य है कि मैं अन्य लोगों से हटकर हूँ, ‘जग और’-यह संसार और ही प्रकार है। इन दोनों के मध्य आया ‘और’ योजक के रूप में आया है।

‘और’ शब्द दोनों संबंधों के मध्य अंतर को स्पष्ट कर रहा है। कवि स्वयं को समाज से हटकर अलग मानता है। उसमें और समाज में अलगाव है। दोनों में कोई नाता नहीं हैं।

2083 Views


जहाँ पर दाना रहते हैं वहीं नादान भी होते हैं-कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा?


ऐसा इसलिए कहा होगा क्योंकि यह जग स्वार्थी है। जहाँ पर उसे कुछ मिलता है वह वहीं जम जाता है। दाना का अर्थ चतुर, बुद्धिमान भी है। इस दृष्टि से इस पंक्ति का अर्थ हुआ कि जहाँ पर कुछ बुद्धिमान एवं चतुर लोग रहते हैं। वहीं इस संसार में कुछ नादान (मूर्ख) भी मिलते हैं। इस संसार में सभी प्रकार के व्यक्ति मिलते हैं। इस संसार में सभी प्रकार के व्यक्ति मिलते हैं। इस संसार में भाँति-भाँति के प्राणी रहते हैं। ये अच्छे भी है तो बुरे भी। विरोधी होते हुए भी इनका आपस में संबंध है।

1498 Views


शीतल वाणी में आग-के होने का क्या अभिप्राय है?


‘शीतल वाणी में आग’ होने का अभिप्राय यह है कि उसकी वाणी में शीतलता भले ही दिखाई देती हो, पर उसमें आग जैसे जोशीले विचार भरे रहते हैं। उसके दिल में इस जग के प्रति विद्रोह की भावना है पर वह जोश में होश नहीं खोता। वह अपनी वाणी में शीतलता बनाए रखता है। यहाँ आग से अभिप्राय कवि की आंतरिक पीड़ा से है। वह प्रिय वियोग की विरह वेदना को हृदय में समाए फिरता है। यह वियोग की वेदना उसे निरंतर जलाती रहती है।

‘शीतल वाणी में आग’ विरोधाभास की स्थिति है। पर यह पूरी तरह विरोधी नहीं है। यहाँ विरोध का आभास मात्र हाेता है।

1415 Views


कविता एक ओर जग-जीवन का भार लिए घूमने की बात करती है और दूसरी ओर मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ-विपरीत से लगते इन कथनों का क्या आशय है?


यह सही है कि ये दोनों भाव विपरीत प्रतीत होते हैं, पर कवि स्वयं को जग से जोड़कर भी और जग से अलग भी महसूस करता है। उसे यह बात भली प्रकार ज्ञात है कि वह पूरी तरह से जग-जीवन से निरपेक्ष नहीं रह सकता। दुनिया उसे चाहे कितने भी कष्ट क्यों न दे फिर भी वह दुनिया से कटकर नहीं रह सकता। वह भी इसी दुनिया का एक अंग है।

इसके बावजूद कवि जग की ज्यादा परवाह नहीं करता। वह संसार के बताए इशारों पर नहीं चलता। उसका अपना पृथक् व्यक्तित्व है। वह अपने मन के भावों को निर्भीकता के साथ प्रकट करता है और वह इस बात का ध्यान नहीं रखता कि यह जग क्या कहेगा। उसकी स्थिति तो ऐसी है-’मैं दुनिया में हूँ, पर दुनिया का तलबगार नहीं हूँ।’

2847 Views


बच्चे किस बात की आशा में नीड़ों से झाँक रहे होंगे?


बच्चे इस बात की आशा में नीड़ों (घोंसलों-घरों) से झाँक रहे होंगे कि उनके माँ-बाप लौटकर घर आ रहे होंगे। ये बच्चे भूखे प्यासे होंगे। उन्हें खाने की चीज मिलने की भी प्रतीक्षा होगी। वे सारे दिन अकेले रहकर तंग आ गए होंगे अत: वे अपने माता-पिता से मिलने को उत्सुक होंगे। इसीलिए वे नीड़ों से झाँककर उनके आने की प्रतीक्षा कर रहे होंगे।

826 Views


विषयसूची

  • 1 दिन के जल्दी जल्दी डालने से क्या प्रेरणा मिलती है?
  • 2 दिन जल्दी जल्दी ढलता है कविता क्या संदेश देती है?
  • 3 मुझसे मिलने को कौन विकल दिन जल्दी जल्दी ढलता है गीत का यह प्रश्न और मैं क्या भरता है?
  • 4 Pathik जल्दी जल्दी क्यों चलता है?
  • 5 दिन जल्दी जल्दी ढलता है कविता का क्या उद्देश्य है लिखिए?

दिन के जल्दी जल्दी डालने से क्या प्रेरणा मिलती है?

इसे सुनेंरोकेंदिन के जल्दी-जल्दी ढलने से क्या प्रेरणा मिलती है? उत्तर: दिन के जल्दी-जल्दी ढलने के कारण व्यक्ति सजग हो जाता है। वह जल्दी से जल्दी अपनी मंजिल पर पहुँचना चाहता है।

पथ में रात हो जाने की आशंका से कौन भयभीत रहता है?

इसे सुनेंरोकेंपथ में होने वाली रात की आशंका से कौन भयभीत रहता है? (घ) थका पंथी। उत्तर :- (घ) थका पंथी।

दिन जल्दी जल्दी ढलता है कविता क्या संदेश देती है?

इसे सुनेंरोकें’दिन जल्दी -जल्दी ढलता है’ पंक्ति की आवृत्ति चार बार हुई है। यह पंक्ति कविता की टेक है। इस आवृत्ति से कविता की गेयता की विशेषता का पता चलता है। ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’ इस तथ्य की ओर संकेत करता है जीवन की घड़ियाँ जल्दी बीतती जाती हैं अत: लक्ष्य तक पहुँचने के प्रयास में देरी मत करो।

दिन जल्दी जल्दी ढलता है कविता में रात किसका प्रतीक है?

इसे सुनेंरोकेंप्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह, भाग-2’ में संकलित गीत ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’ से उद्धृत है। इस गीत के रचयिता हरिवंश राय बच्चन हैं। इस गीत में कवि ने एकाकी जीवन की कुंठा तथा प्रेम की व्याकुलता का वर्णन किया है। व्याख्या-कवि कहता है कि इस संसार में वह अकेला है।

मुझसे मिलने को कौन विकल दिन जल्दी जल्दी ढलता है गीत का यह प्रश्न और मैं क्या भरता है?

इसे सुनेंरोकेंइस कविता में कवि का मन निराशा एवं ककुंठासे क्षुब्ध है। लेकिन कवि हताश है, निराश है कि उसके पर में ऐसा कोई नहीं है जो उसकी उत्कंठापूर्ण प्रतीक्षा कर रहा हो, जो उससे मिलने के लिए व्याकुल हो। वह भला किसके लिए चंचल गति से अपने पैर बढ़ाए। यही निराशा का अहसास उसके कदमों में शिथिलता भर देता है और उसका मन पीड़ा से भर उठता है।

मुझसे मिलने को कौन विकल दिन जल्दी जल्दी ढलता है गीत का यह प्रश्न और में क्या भरता है?

इसे सुनेंरोकेंयह प्रश्न शिथिल करता पद को, भरता उर में विहवलता है | कवि हरिवंश राय बच्चन कहते हैं कि वह इस संसार में अकेला है, इस कारण उससे मिलने के लिए किसी के मन में व्याकुलता नहीं है। कोई ऐसा नहीं जो उसकी उत्कंठा से प्रतीक्षा करता हो। इसलिए कवि किसके लिए जल्दी-जल्दी घर जाए। इसी कारण कवि के कदमों में शिथिलता यानी थकावट आ गई है।

Pathik जल्दी जल्दी क्यों चलता है?

इसे सुनेंरोकें➲ पथिक जल्दी-जल्दी इसलिए चलता है कि उसे डर है कहीं उसके घर पहुंचने से पहले रात ना हो जाए। दिन ढल चुका है रात होने वाली है पथिक जल्दी-जल्दी चलकर जल शीघ्र अपने घर पर पहुंच जाना चाहता है। ‘पथिक’ कविता में पथिक मंजिल की ओर बढ़ने वाला कवि है, वह इसलिए जल्दी-जल्दी चलता है ताकि वह समय पर अपनी मंजिल तक पहुंच सके।

दिन जल्दी जल्दी ढलता है — शीर्षक के द्वारा कवि क्या संदेश देना चाहता है?

इसे सुनेंरोकेंयह पंक्ति कविता की टेक है। इस आवृत्ति से कविता की गेयता की विशेषता का पता चलता है। ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’ इस तथ्य की ओर संकेत करता है जीवन की घड़ियाँ जल्दी बीतती जाती हैं अत: लक्ष्य तक पहुँचने के प्रयास में देरी मत करो। समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता।

दिन जल्दी जल्दी ढलता है कविता का क्या उद्देश्य है लिखिए?

इसे सुनेंरोकें____ “दिन जल्दी -जल्दी ढलता है’ कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीतिए। उत्तर इस कविता में कवि ने प्रेम की व्यग्रता और जल्दी जाने की चाह को व्यक्त किया है। जहाँ एक ओर पथिक अपने प्रियजनों से मिलने के लिए जल्दी – जल्दी चलता है, वहीं दूसरी ओर अपने बच्चों के विषय में सोचकर पक्षियों के पंखों में फड़फड़ाहट भर जाती है।