पृथ्वी सम्मेलन 1992 का मुख्य उद्देश्य क्या है? - prthvee sammelan 1992 ka mukhy uddeshy kya hai?

(UN COP25) जलवायु परिवर्तन और वैश्विक पहल: समझौते एवं उपलब्धियां (Climate Change and Global Initiatives: Agreements and Achievements)


श्रृंखला-2: स्टॉकहोम सम्मेलन 1972 से पृथ्वी सम्मेंलन 1992 तक की यात्रा (Journey from Stockholm Conference 1972 to Earth Conference 1992)

स्टॉकहोम सम्मेलन (1972)

  • अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण चेतना एवं पर्यावरण आंदोलन के प्रारंभिक सम्मेलन के रूप में 1972 में संयुक्त राष्ट्रसंघ ने स्टॉकहोम (स्वीडन) में दुनिया के सभी देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया था। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में 119 देशों ने भाग लिया और एक ही धरती के सिद्धांत को सर्वमान्य तरीके से मान्यता प्रदान की गई।
  • लगातार हो रहे पर्यावरणीय क्षरण, मौसम परिवर्तन एवं आपदाओं पर नियंत्रण हेतु पर्यावरण संरक्षण के संदर्भ में यह प्रथम वैश्विक प्रयास था। संक्षेप में पर्यावरण संरक्षण पर अंतरराष्ट्रीय ध्यान केंद्रित करने में स्कॉटहोम सम्मेलन का योगदान निम्नलिखित है -
  1. मानवीय पर्यावरण पर घोषणापत्र प्रस्तुत करना,
  2. मानवीय पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में कार्ययोजना बनाए जाने की आवश्यकता पर बल,
  3. संस्थागत, प्रशासनिक तथा वित्तीय व्यवस्थाओं को अपनाए जाने पर बल,
  4. प्रति वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस की घोषणा का प्रस्ताव,
  5. पर्यावरण संरक्षण की दिशा में राष्ट्रीय स्तर पर कार्यवाही को सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य,
  6. पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ने के लिए पुनः दूसरे सम्मेलन बुलाए जाने का प्रस्ताव।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम

  • स्कॉटहोम सम्मेलन के दौरान 1972 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme -UNEP) का शुभारंभ हुआ। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का मुख्यालय कीनिया की राजधानी नैरोबी में है। वैश्विक पर्यावरण एजेंडा के निर्माण एवं जलवायु नीतियों के कार्यान्वयन के संदर्भ में यह शीर्ष वैश्विक पर्यावरण प्राधिकरण है जो संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर कार्य करता है। संक्षेप में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के निम्नलिखित कार्य हैं
  1. वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पर्यावरणीय परिस्थितियों और रुझानों का आकलन करना
  2. अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण संरक्षण उपायों को विकसित करना
  3. पर्यावरण के विवेकपूर्ण प्रबंधन हेतु संस्थानों को सशक्त बनाना
  4. सतत विकास के लिए ज्ञान और प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करना
  5. सिविल सोसाइटी और निजी क्षेत्र के भीतर साझेदारी और विचारों को प्रोत्साहित करना
  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के कार्यक्षेत्र को सात व्यापक क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है-
  1. जलवायु परिवर्तन,
  2. आपदाओं और संघर्ष
  3. पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन
  4. पर्यावरण अभिशासन,
  5. रसायन और अपशिष्ट,
  6. संसाधन की दक्षता
  7. पर्यावरण की समीक्षा
  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के कार्यों का क्रियान्वयन निम्न सात विभागों द्वारा किया जाता हैः
  1. जल्द चेतावनी एवं उनका आकलन (Early Warning and Assessment)
  2. पर्यावरणीय नीति क्रियान्वयन (Environmental Policy Implementation)
  3. तकनीक, उद्योग एवं अर्थशास्त्र
  4. क्षेत्रीय सहयोग
  5. पर्यावरणीय कानून एवं सम्मेलन
  6. वैश्विक पर्यावरण सुविधा सहयोग (Environmental law and convention)
  7. संचार एवं जन सूचना
  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम पर्यावरण से संबंधित चुनौतियां, बहुपक्षीय पर्यावरणीय समझौतों और इससे जुड़े अनुसंधान निकायों की मेजबानी कर राष्ट्रों और समुदायों को एक साथ लाता है। इसके द्वारा निम्नलिखित पर्यावरणीय समझौते/ कन्वेंशन की मेजबानी की जाती है
  1. जैविक विविधता पर कन्वेंशन
  2. वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन
  3. पारे पर मिनामाता सम्मेलन
  4. बेसल, रॉटरडैम और स्टॉकहोम कन्वेंशन
  5. ओजोन परत के संरक्षण और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के लिए वियना कन्वेंशन
  6. प्रवासी प्रजातियों पर कन्वेंशन
  7. कार्पेथियन कन्वेंशन
  8. बमाको कन्वेंशन
  9. तेहरान सम्मेलन
  • संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के द्वारा निम्नलिखित रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है
  1. Actions on Air Quality- एक्शन ऑन एयर क्वालिटी
  2. Global Environment Outlook- ग्लोबल एनवायरमेंट आउटलुक
  3. The Rise of Environmental Crime - द राइज ऑफ़ एनवायर्नमेंटल क्राइम (इंटरपोल के सहयोग से)

जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (IPCC)

  • जलवायु परिवर्तन के आकलन के लिए इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) अग्रणी अंतरराष्ट्रीय निकाय है। इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) द्वारा 1988 में संयुक्त रूप से की गई।
  • आईपीसीसी के गठन का उद्देश्य वर्तमान परिदृश्य और भविष्य में पर्यावरण, आजीविका, अर्थशास्त्र पर जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले प्रभाव पर एक समन्वित दृष्टिकोण विकसित करना है।
  • आईपीसीसी कोई शोध कार्य नहीं करती है और ना ही यह जलवायु संबंधी डाटा या मापदंडों का निर्धारण करता है। या केवल जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में एक उचित दृष्टिकोण विकसित करने हेतु सबसे हालिया वैज्ञानिक, तकनीकी और सामाजिक-आर्थिक जानकारी का आकलन करता है। विश्व भर के हजारों वैज्ञानिक स्वेच्छा से इस संगठन को जानकारी प्रदान करने में अपना योगदान देते हैं।
  • इसकी सदस्यता संयुक्त राष्ट्र (UN) और WMO के सभी सदस्य देशों के लिए खुला है। वर्तमान में 195 देश आईपीसीसी के सदस्य हैं।

संक्षेप में देखे तो IPCC का उद्देश्य निम्नलिखित प्रासंगिक वैज्ञानिक जानकारी का आकलन करना है:

  1. मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन,
  2. मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन के प्रभाव,
  3. अनुकूलन और शमन के लिए विकल्प

ग्लोबल एन्वायरमेंट फेसिलिटी (GEF)

  • हमारे ग्रह की पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने के लिए ग्लोबल एन्वायरमेंट फैसिलिटी (GEF) की स्थापना 1992 में आयोजित हुए पृथ्वी सम्मेलन से पहले की गई। तब से, GEF ने अनुदानों के माध्यम से 19 बिलियन डॉलर प्रदान किया है और 170 देशों में 4,700 से भी ज्यादा परियोजनाओं के सह-वित्तपोषण हेतु अतिरिक्त $ 100 बिलियन जुटाए।
  • जीईएफ को वित्त दानकर्ता देशों से प्राप्त होता है। विश्व बैंक जीईएफ ट्रस्ट फंड के ट्रस्टी के रूप में कार्य करता है। अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दायित्व और समझौतों को पूरा करने के लिए सभी संक्रमणशील और विकासशील देशों को जीईएफ फंड उपलब्ध हैं।
  • यह जैव विविधता के संरक्षण, जलवायु परिवर्तन को कम करने एवं प्रदूषण की रोकथाम वाली परियोजनाओं को वित्तपोषित करता है। इससे प्राप्त धन अनुदान व रियायती वित्तीयन के रूप में देशों को प्राप्त होता है।

(पृथ्वी सम्मेलन) 1992

  • पृथ्वी सम्मेलन की पृष्ठभूमि 1972 में स्टॉकहोम में आयोजित हुए ‘मानवीय पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन’ में ही तैयार हो जाती है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा 1983 में नार्वे के प्रधानमंत्री ग्रो हार्लेम ब्रटलैण्ड की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था जिसका कार्य था।
  1. विश्व में पर्यावरण की स्थिति का अध्ययन
  2. वर्ष 2000 के बाद विकास की समीक्षा
  • पृथ्वी सम्मेलन से 5 वर्ष पहले 1987 में ‘आवर कॉमन फ्यूचर- हमारा सांझा भविष्य’ नाम से ब्रटलैण्ड रिपोर्ट का प्रकाशन हुआ इस रिपोर्ट में इस बात पर बल दिया गया कि वर्तमान विकास का मॉडल आगे जाकर टिकाऊ साबित नहीं होगा एवं इससे हमारा भविष्य खतरे में पड़ जाएगा। ब्रटलैण्ड रिपोर्ट द्वारा बताए गए भविष्य के खतरे को प्राथमिकता प्रदान करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा 22 दिसम्बर, 1989 को दो प्रस्ताव पारित किये गए। इन प्रस्तावों में 1992 में ब्राजील में एक सम्मेलन को बुलाया जाने का आग्रह भी शामिल था। पर्यावरण एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित इस शिखर सम्मेलन को ही 'पृथ्वी सम्मेलन' या ‘रियो सम्मेलन’ के नाम से जाना जाता है। यह शिखर सम्मेलन ब्राजील की राजधानी रिओ डि जेनेरियों में 3 जून 1992 से 14 जून 1992 तक चला जिसमें 182 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
  • पृथ्वी सम्मेलनके दौरान निम्न विचारणीय विषय विद्यमान थे
  1. विश्व को प्रदूषण से बचाने के लिए वित्तीय प्रबन्ध
  2. वनों का प्रबंधन
  3. संस्थागत प्रबंधन
  4. तकनीक का हस्तांतरण
  5. जैविक विविधता
  6. सतत् विकास।

पृथ्वी सम्मेलन की उपलब्धियाँ

  • पृथ्वी सम्मेलन के दौरान 2 दस्तावेजों (एजेंडा-21 और रियो घोषणा) को प्रस्तुत किया गया तथा इसमें तीन महत्वपूर्ण कन्वेंशन ( यूएनएफसीसीसी, जैव विविधता और मरुस्थलीकरण पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन) को जन्म दिया

एजेंडा-21

  • एजेंडा- 21 पर्यावरण एवं विकास के संदर्भ में एक अन्तर्राष्ट्रीय दस्तावेज है जिसे सम्मेलन में उपस्थित 182 देशों के प्रतिनिधियों द्वारा सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया। यद्यपि एजेंडा-21 सदस्य राष्ट्रों पर बाध्यकारी नहीं है फिर भी राष्ट्रों से यह अपेक्षा की गई कि अपनी भावी विकास की नीतियां एजेंडा-21 की नीतियों के अनुरूप निर्माण करेंगे। एजेंडा-21 पारिस्थितिकी एवं आर्थिक विकास के संदर्भ में संतुलन स्थापित करते हुए निम्न विषयों पर बल प्रदान करता है -
  1. गरीबी
  2. उपभोग के ढंग
  3. स्वास्थ्य
  4. मानवीय व्यवस्थापन
  5. वित्तीय संसाधन
  6. प्रौद्योगिकीय उपकरण
  • एजेंडा-21 में निहित घोषणाओं के अनुपालन हेतु 1993 में एक आयोग का गठन किया गया जिसे सतत् विकास पर आयोग कहा गया। इस आयोग ने मई, 1993 से कार्य करना शुरू कर दिया।

रिओं घोषणा

  • रियो घोषणा या पृथ्वी चार्टर को अपनाया जाना पृथ्वी शिखर सम्मेलन की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। रियो सम्मेलन के दौरान धनी विकसित देशों यानी उत्तरी गोलार्ध और गरीब एवं विकासशील देशों के पर्यावरण के मुद्दे पर मतभेद भी सामने आए। गौरतलब है कि विकसित एवं विकासशील देशों के लिए पर्यावरण को लेकर अपनाए जाने वाली नीतियों में मतभेद थे विकसित देश जहां ग्लोबल वार्मिंग और ओजोन परत में छिद्र को वरीयता प्रदान करते थे वही विकासशील देश आर्थिक विकास एवं पर्यावरण के मध्य सामंजस्य स्थापित करने हेतु ज्यादा प्रयत्नशील थे। रियो घोषणापत्र 27 सिद्धांतों पर आधारित थी जिसके दो प्रमुख विषय थे-
  1. पर्यावरण और उसकी स्थायित्व क्षमता का ह्रास, तथा;
  2. दीर्घकालीन आर्थिक प्रगति और पर्यावरण सुरक्षा की अंतर्निर्भरता।
  • यह घोषणा पत्र औद्योगिक विश्व के उत्तरदायित्वों और विकासशील देशों की विकासात्मक आवश्यकताओं के मध्य संतुलन स्थापित करता है। इस घोषणापत्र के 11वें सिद्धांत में राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण मानकों की स्थापना पर बल देता है। इस घोषणापत्र के 16 वे सिद्धांत में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पर्यावरण मूल्यों का अंतरराष्ट्रीयकरण होना चाहिए तथा प्रदूषक को इसका भुगतान करना चाहिये।
  • यद्यपि यह घोषणा कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है फिर भी सभी सदस्य देशों से अपेक्षा की गई कि वह नैतिक समर्पण की भावना से इन पर्यावरण विषय पर जिम्मेदारीपूर्वक रुख अपनाते हुए इस दिशा में अपेक्षित कार्य करें।

'युनाइटेड नेशन्स फ़्रेमवर्क कन्वेन्शन ऑन क्लाइमेट चेंज' - यूएनएफ़सीसी (UNFCCC)

  • रियो पृथ्वी सम्मेलन में पर्यावरण की रक्षा करने के लिए एक व्यापक संधि पर सहमति बनी जिसे 'युनाइटेड नेशन्स फ़्रेमवर्क कन्वेन्शन ऑन क्लाइमेट चेंज' या यूएनएफ़सीसीसी (UNFCCC) कहा जाता है। इसी सम्मेलन में 'युनाइटेड नेशन्स फ़्रेमवर्क कन्वेन्शन ऑन क्लाइमेट चेंज को सभी देशों के समक्ष हस्ताक्षर हेतु रखा गया। रियो सम्मेलन में UNFCCC के साथ इसकी बहनों के रूप में दो और कन्वेंशन की परिकल्पना की गई जिसमें एक था, जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन और दूसरा था मरुस्थलीकरण पर संयुक्त राष्ट्र का कन्वेंशन।
  • रियो शिखर सम्मेलन में प्रारंभ हुए जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) 21 मार्च, 1994 को अस्तित्व में आता है। इस संधि पर हस्ताक्षर करने वाले देशों को 'पार्टियों' के रूप में जाना जाता है।जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में समन्वित दृष्टिकोण एवं कार्रवाई विकसित करने के लिए प्रतिवर्ष कॉन्फ्रेंस आफ पार्टीज -COP के तत्वाधान में सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। यूएनएफसीसीसी का सचिवालय जेनेवा में स्थित है।

जैव विविधता पर अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन (Convention on Biological Diversity-CBD)

  • जैव विविधता पर अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन (CBD) की स्थापना 1992 में आयोजित हुए रियो डी जनेरियो में पृथ्वी शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी। इस संधि को भविष्य की आवश्यकताएं एवं वर्तमान जरूरतों को पूरा करने के क्रम में ‘सतत विकास की रणनीति’ पर बल देते हुए अपनाया गया। सीबीडी के द्वारा लोगों की आजीविका एवं वैश्विक आर्थिक विकास के मध्य सामंजस्य स्थापित करते हुए जैव विविधता को कायम रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई। इस संधि पर 193 सरकारों द्वारा इस पर हस्ताक्षर किए गए थे। भारत इस संधि का एक पक्षकार देश है।
  • जैव विविधता पर अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन (CBD) कानूनी रूप से बाध्यकारी एक अंतरराष्ट्रीय संधि है। जैव विविधता पर अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन के तीन प्रमुख लक्ष्य है :
  1. जैव विविधता का संरक्षण;
  2. जैव विविधता के घटकों का सतत उपयोग; और
  3. आनुवांशिक संसाधनों से उत्पन्न होने वाले लाभ का न्यायोचित और समान बंटवारा
  • CBD प्रत्येक 2 वर्षों में सभी सदस्य देशों के COP सम्मेलन को आयोजित करता है। इन सम्मेलनों में जैव विविधता से जुड़े नए मुद्दों की पहचान, जैव विविधता के नुकसान और लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में उठाए गए कदमों की समीक्षा की जाती है।
  • जैव विविधता पर अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन (CBD) के द्वारा आयोजित सम्मेलनों में दो प्रोटोकॉल बहुत ही महत्वपूर्ण है

1. कार्टाजेना प्रोटोकॉल:

  • 2000 में जैव विविधता पर बुलाए गए कन्वेंशन में कार्टागेना प्रोटोकोल को स्वीकार किया गया और 11 सिंतबर 2003 से लागू हुआ। इस प्रोटोकॉल के तहत आधुनिक जैव प्रौद्योगिकियों के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुए सजीव संवर्द्धित जीवों (living modified organisms LMOs) के सुरक्षित हैंडलिंग, परिवहन एवं उपयोग को सुनिश्चित किया गया जिससे जैव विविधता एवं मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े।

2. नागोया प्रोटोकॉल

  • आनुवंशिक संसाधनों तक सभी देशों की पहुंच एवं लाभों में साझेदारी के लिए नागोया प्रोटोकॉल को अपनाया गया। इस प्रोटोकॉल को जापान के नागोया में आयोजित हुए जैव विविधता पर आयोजित हुए 10वें कोप, 2010 में अंगीकार किया गया। नागोया प्रोटोकॉल 12 अक्टूबर, 2014 से प्रभावी हुआ। भारत इस प्रोटोकॉल को हस्ताक्षरकर्ता देश है। नागोया प्रोटोकोल के साथ-साथ इस सम्मेलन में जैव विविधता पर दबाव को कम करने एवं इसके लाभों को सभी हितधारको में समान रूप से बांटने हेतु आईची लक्ष्यों को भी स्वीकार किया गया। आईची लक्ष्यों को मुख्य रूप से पांच भागों में विभाजित किया जा सकता है;
  1. जैव विविधता नुकसान के कारणों को समझना,
  2. जैव विविधता पर प्रत्यक्ष दबाव को कम करना व सतत उपयोग को बढ़ावा देना,
  3. पारितंत्र, प्रजातियों एवं अनुवंशिक विविधता की सुरक्षा कर जैव विविधता स्थिति में सुधार लाना,
  4. जैव विविधता एवं पारितंत्र सेवाओं से लाभों का सभी में संवर्द्धन तथा
  5. साझीदारी नियोजन, ज्ञान प्रबंधन तथा क्षमता निर्माण के द्वारा क्रियान्वयन में वृद्धि।

यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन टू कॉम्बैट डिजरटिफिकेशन (United Nations Convention to Combat Desertification- UNCCD)

  • यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन टू कॉम्बैट डिजरटिफिकेशन-UNCCD को पृथ्वी शिखर सम्मेलन के दौरान अपनाया गया। पर्यावरण एवं विकास के संदर्भ में यह एक बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय समझौता है। संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में 1994 में मरुस्थलीकरण रोकथाम का प्रस्ताव रखा गया जिसका अनुमोदन दिसम्बर 1996 में किया गया। वहीं 14 अक्टूबर 1994 को भारत ने यूएनसीसीडी पर हस्ताक्षर किया।
  • विश्व में मरुस्थलीकरण की चुनौती से निपटने एवं लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 17 जून को ‘विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस’ मनाया जाता है।

:: संभावित प्रश्न ::

1. किस वर्ष संयुक्त राष्ट्र के द्वारा दुनिया के प्रथम पर्यावरण सम्मेलन स्कॉटहोम सम्मेलन का आयोजन किया गया था?

(a) 1970
(b) 1971
(c) 1972
(d) 1973

2. किस पर्यावरण सम्मेलन के दौरान एक ही धरती के सिद्धांत को सर्वमान्य तरीके से अपनाया गया?

(a) स्टॉकहोम सम्मेलन
(b) पृथ्वी सम्मेलन
(c) बाली शिखर सम्मेलन
(d) क्योटो सम्मेलन

3. किस वर्ष संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme -UNEP) का शुभारंभ हुआ?

(a) 1971
(b) 1972
(c) 1975
(d) 1982

4. एक्शन ऑन एयर क्वालिटी की रिपोर्ट किस संस्थान के द्वारा प्रकाशित की जाती है?

(a) विश्व स्वास्थ्य संगठन
(b) यूएनएफसीसीसी
(c) संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम
(d) ग्रीनपीस

5. ग्लोबल एनवायरमेंट आउटलुक रिपोर्ट किस संस्थान के द्वारा प्रकाशित की जाती है?

(a) विश्व स्वास्थ्य संगठन
(b) यूएनएफसीसीसी
(c) संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम
(d) ग्रीनपीस

6. द राइज ऑफ़ एनवायर्नमेंटल क्राइम रिपोर्ट बनाने में इंटरपोल के अलावा निम्नलिखित में से किस संस्थान की भूमिका रहती है?

(a) पेटा (PETA)
(b) यूएनएफसीसीसी
(c) संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम
(d) वर्ल्ड वाइल्ड फंड फॉर नेचर

7. इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की स्थापना कब हुई?

(a)1985
(b) 1986
(c) 1987
(d) 1988

8. निम्नलिखित में से कौन सा/ से संस्थाओं के द्वारा इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की स्थापना की गई?

1. खाद्य एवं कृषि संगठन
2. विश्व मौसम विज्ञान संगठन
3. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम

नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन करें

(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

9. किस संस्था को ग्लोबल एन्वायरमेंट फेसिलिटी (GEF) फंड का ट्रस्टी बनाया गया है?

(a) संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम
(b) वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर
(c) यूएनएफसीसीसी
(d) विश्व बैंक

10. ‘आवर कॉमन फ्यूचर’ रिपोर्ट को किस वर्ष प्रकाशित किया गया था?

(a) 1985
(b) 1986
(c) 1987
(d) 1988

11. किस पर्यावरण शिखर सम्मेलन के दौरान एजेंडा 21 को अपनाया गया था?

(a) स्टॉकहोम सम्मेलन
(b) रियो सम्मेलन
(c) रियो 20 सम्मेलन
(d) क्योटो सम्मेलन

12. कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी को किस पर्यावरण शिखर सम्मेलन में अपनाया गया?

(a) स्टॉकहोम सम्मेलन
(b) पृथ्वी शिखर सम्मेलन
(c) रियो 20 शिखर सम्मेलन
(d) पेरिस शिखर सम्मेलन

13. यूएनएफसीसीसी कन्वेंशन को कब अपनाया गया?

(a) 1990
(b) 1991
(c) 1992
(d) 1993

14. निम्नलिखित में से किस शिखर सम्मेलन के दौरान संयुक्त राष्ट्र पर मरुस्थलीकरण कन्वेंशन को अपनाया गया?

पृथ्वी सम्मेलन 1992 का मुख्य उद्देश्य क्या था?

यह 'एजेंडा 21' (1992) के बारे में था, रियो सम्मेलन उर्फ विश्व पृथ्वी शिखर सम्मेलन है, का उद्देश्य पृथ्वी की जैव विविधता की रक्षा के लिए था, एजेंडा 21 रियो डी जेनेरो, ब्राजील में आयोजित संधारणीय विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक गैर-बाध्यकारी कार्य योजना है।

पृथ्वी सम्मेलन 1992 में कितने देश शामिल थे?

पर्यावरण एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित इस शिखर सम्मेलन को ही 'पृथ्वी सम्मेलन' या 'रियो सम्मेलन' के नाम से जाना जाता है। यह शिखर सम्मेलन ब्राजील की राजधानी रिओ डि जेनेरियों में 3 जून 1992 से 14 जून 1992 तक चला जिसमें 182 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

1992 में कौन सा सम्मेलन हुआ?

प्रथम अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी सम्मलेन रियो डी जेनेरो में 3 से 14 जून 1992 में हुआ था। इस सम्मेलन में करीब 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। इस विश्वप्रसिद्ध सम्मलेन को पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन या रियो सम्मलेन के नाम से भी जाना जाता है।

एजेंडा 21 मुख्य उद्देश्य क्या है?

इसका उद्देश्य वैश्विक सतत विकास को प्राप्त करना है। यह आम हितों, आपसी जरूरतों और साझा जिम्मेदारियों पर वैश्विक सहयोग के माध्यम से पर्यावरणीय क्षति, गरीबी, रोग से निपटने का एक एजेंडा है।