इसे सुनेंरोकेंउत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली 360 रेखाओं को देशांतर रेखाएं कहा जाता है. यह ग्लोब पर उत्तर से दक्षिण की ओर खींची जाने वाली काल्पनिक रेखा है.
अक्षांश और देशांतर रेखा के बीच का कोण कितना होता है?
इसे सुनेंरोकेंयाम्योत्तरों के बीच की दूरी विषुवत वृत्त पर अधिकतम (111.3 किलोमीटर) तथा ध्रुवों पर न्यूनतम (0 किलोमीटर) होती है। मध्य में अर्थात् 45° अक्षांश पर यह 79 किलोमीटर होती है। देशांतर 360° के होते हैं, जो प्रमुख याम्योत्तर से पूर्व एवं पश्चिम दोनों ओर 180° में बँटे होते हैं।
ध्रुवों को मिलाने वाले अर्धवृत्त को क्या कहते हैं?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: 1 एकदम सही उत्तर है। क्योंकि हम जानते हैं पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली रेखाओं को अक्षांश रेखाएं कहते हैं।
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अक्षांश एवं देशांतर रेखाएं क्या है class 6?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर: अक्षांश रेखाएँ- विषुवत वृत(भूमध्य रेखा) से ध्रुवों तक स्थित सभी समानांतर काल्पनिक वृतो को अक्षांश(समानांतर) रेखाएँ कहते हैं। देशांतर रेखाएँ- उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव को जोड़ने वाली काल्पनिक रेखा को देशांतर रेखाएँ कहते हैं।
अक्षांश रेखा से आप क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंअक्षांश रेखा ग्लोब या मानचित्र पर खींची गई एक महत्वपूर्ण रेखा है। यह ग्लोब या मानचित्र पर पश्चिम से पूर्व खींची जाती है। इस रेखा से पृथ्वी पर किसी भी स्थान के “उत्तर-दक्षिण” स्थिति ज्ञात की जाती है। यह रेखा किसी भी दो स्थान के बीच दिन और रात की अवधि में अंतर पता लगाने में मदद करता है।
अक्षांश रेखाओं को समानांतर रेखाएं क्यों कहते हैं?
इसे सुनेंरोकेंध्रुवों की ओर बढ़ने पर भूमध्यरेखा से अक्षांश का मान बढ़ता है और ध्रुवों का अक्षांश मान 90° है। सभी अक्षांश रेखाएँ परस्पर समानान्तर और पूर्ण वृत्त होती हैं। ध्रुवों की ओर जाने से वृत्त छोटे होने लगते हैं। दो अक्षांश रेखाएँ के बीच में जो स्थान पाया जाता है उस स्थान को जोन कहते हैं।
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दो प्रमुख देशांतर रेखा कौन सी है?
इसे सुनेंरोकेंदेशांतर 360° के होते हैं, जो प्रमुख याम्योत्तर से पूर्व एवं पश्चिम दोनों ओर 180° में बँटे होते हैं।
अक्षांश का कौन सा समानांतर भारत के मध्य से होकर गुजरता है?`?
इसे सुनेंरोकेंसही उत्तर कर्क रेखा है।
अक्षांश और देशांतर रेखा के जाल को क्या कहते हैं?
इसे सुनेंरोकेंक्षैतिज रेखाएं अक्षांश रेखाएं हैं और ऊर्ध्वाधर रेखाएं देशांतर रेखाएं हैं। ये रेखाएं एक दूसरे को आपस में समकोण पर काटती हैं और एक जाल बनाती हैं, जिसे ग्रिड (Graticule) कहते हैं।
भूगोल में किसी स्थान की स्थिति को बताने के लिए उस स्थान का अक्षांश (latitude) तथा देशांतर (longitude) बताया जाता है। किसी स्थान का अक्षांश, धरातल पर उस स्थान की 'उत्तर-दक्षिण स्थिति' को बताता है। उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों का अक्षांश क्रमशः ९० डिग्री उत्तर तथा ९० डिग्री दक्षिण होता है।
किसी स्थान के अक्षांश का मान = ९० - (उस स्थान को धरती के केन्द्र से मिलाने वाली रेखा तथा उसके रेखांश की रेखा विषुवत वृत्त को जहा मिलती है उस बिंदू से धरती के केन्द्र से मिलाने वाली रेखा के बीच बना कोण)इस प्रकार, विषुवत वृत्त के सभी बिन्दुओं का अक्षांश शून्य होता है। अर्थात भूमध्य रेखा, शून्य डिग्री अक्षांश से होकर जाने वाली रेखा है। विषुवत वृत्त की उत्तरी एवं दक्षिणी दिशा में 1 डिग्री के अंतराल से खींचे जाने पर नंबर 90 अक्षांश वृत्त होते हैं यानी कि किसी भी स्थान का अक्षांश 90 डिग्री से अधिक नहीं हो सकता। विषुवत वृत्त के उत्तरी भाग को उत्तरी गोलार्ध और दक्षिणी भाग को दक्षिणी गोलार्ध कहा जाता है।
अक्षांश रेखाएँ काल्पनिक रेखाएँ है, इनकी संख्या अनन्त है। एक अंश (डिग्री) के अंतराल पर कल्पित किये जाने पर अक्षांश रेखाओं की कुल संख्या = ९० + ९० + १ = १८१ और यदि दोनों ध्रुवों को रेखा न माना जाय क्योंकि ये बिंदु हैं, तो 179 बतायी जाती है। 1° के अन्तराल पर खींचे जाने पर किन्हीं दो क्रमागत अक्षांश रेखाओं के बीच की लम्बाई 111 किलोमीटर होती है ।
विशिष्ट अक्षांश रेखायें[संपादित करें]
दिसम्बर अयनान्त के समय पृथ्वी का झुकाव
धरती की कुछ अक्षांश रेखाएँ, जिनके विशेष नाम हैं, भूमध्य रेखा के अतिरिक्त ऐसी चार और अक्षांश रेखाएँ हैं जो विशेष हैं:
इस चित्र में धरती को एक गोला मानते हुए दिखाया गया है कि किस प्रकार किसी स्थान के अक्षांश (ϕ{\displaystyle \phi }
अक्षांश, भूमध्यरेखा से किसी भी स्थान की उत्तरी अथवा दक्षिणी ध्रुव की ओर की कोणीय दूरी का नाम है। भूमध्यरेखा को 0°' की अक्षांश रेखा माना गया है। भूमध्यरेखा से उत्तरी ध्रुव की ओर की सभी दूरियाँ उत्तरी अक्षांश और दक्षिणी ध्रुव की ओर की सभी दूरियाँ दक्षिणी अक्षांश में मापी जाती है। ध्रुवों की ओर बढ़ने पर भूमध्यरेखा से अक्षांश का मान बढ़ता जाता है और ध्रुवों का अक्षांश मान 90° है। सभी अक्षांश रेखाएँ परस्पर समानान्तर और पूर्ण वृत्त होती हैं। ध्रुवों की ओर जाने से वृत्त छोटे होने लगते हैं।
दो अक्षांश रेखाएँ के बीच में जो स्थान पाया जाता है उस स्थान को जोन कहते हैं।
पृथ्वी के किसी स्थान से सूर्य की ऊँचाई उस स्थान के अक्षांश पर निर्भर करती है। न्यून अक्षांशों पर दोपहर के समय सूर्य ठीक सिर के ऊपर रहता है। पृथ्वी के तल पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों की गरमी विभिन्न अक्षांशों पर अलग अलग होती हैं। पृथ्वी के तल पर के किसी भी देश अथवा नगर की स्थिति का निर्धारण उस स्थान के अक्षांश और देशांतर के द्वारा ही किया जाता है।
किसी स्थान के अक्षांश को मापने के लिए अब तक खगोलकीय अथवा त्रिभुजीकरण नाम की दो विधियाँ प्रयोग में लाई जाती रही हैं।
- विषुवत् वृत्त (0°) (E)
- उत्तर ध्रुव वृत्त (90°)
- दक्षिण ध्रुव वृत्त (90°)
अक्षांश रेखाओं की विशेषताएँ[संपादित करें]
1.सभी अक्षांश रेखाऐं एक दूसरे के समाना्तर खाने हुए पूर्ण वृत के रूप में होती हैं। अत: इन्हें Parallels भी कहा जाता है।