जौ का आटा खाने से क्या फायदा होता है? - jau ka aata khaane se kya phaayada hota hai?

जौ का आटा सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसमें कई तरह के मिनरल्स और विटामिन होते हैं। ये वेट लॉस में तो मदद करता है इसी के साथ स्किन और सेहत को भी इससे कई बेनिफिट्स मिलते हैं। जानते हैं इसके फायदे

Avantika Jainटीम लाइव हिंदुस्तान,नई दिल्लीSun, 10 Apr 2022 05:26 PM

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Jau ke fayde: जौ में मिनरल्स और विटामिन के साथ कुछ जरूरी पोषक तत्व होते हैं। ये शारीरिक समस्याओं को कम करने में भी मदद करता है। ऐसे में जानते हैं जौ के कुछ लाजवाब फायदे-


1) वेट लॉस में करता है मदद

अगर आप वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं तो इसमें जरूरी विटामिन और मिनरल्स के साथ पैक किया जाता है। यह फाइबर और प्रोटीन में भी समृद्ध है और फैट, कोलेस्ट्रॉल और शुगर सामग्री में बहुत कम है। जौ का सबसे जरूरी गुण यह है कि इसमें घुलनशील फाइबर होता है। जौ का पानी पीने से कैलोरी बर्न हो सकती है। इसे आसानी से तैयार किया जा सकता है, और आपके मेटाबॉलिज्म को तेज करने और ज्यादा से ज्यादा कैलोरी बर्न के लिए हर दिन लगभग 2 से 3 गिलास का पीया जा सकता है। 


2) हड्डियों और दांत के लिए फायदेमंद 
 
जौ का आटा हेल्थ और दांतों को बढ़ावा देता है। इस आटे में कई जरूरी विटामिन और मिनरल्स होते हैं, जिनमें से कुछ फास्फोरस, मैंगनीज, कैल्शियम और कॉपर है। ये सभी पोषक तत्व हेल्दी हड्डियों और दांतों को बनाए रखने के लिए जरूरी हैं।

 

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3) इम्यून सिस्टम होता है बूस्ट

जौ में बीटा-ग्लुकन होता है, जो एक तरह का फाइबर जो एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। इसमें विटामिन सी की भरपूर मात्रा होती है। जौ में एक पोषक तत्व है जो इम्यूनिटी सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है।


4) डायजेशन और पाचन के लिए मददगार

जौ में सभी अनाजों में सबसे अधिक मात्रा में फाइबर होता है। रिपोर्ट्स की मानें तो एक कप जौ में 13 ग्राम फाइबर  होता है। जौ में मौजूद अघुलनशील फाइबर आंत में अनुकूल बैक्टीरिया को फायदा पहुंचाने के लिए प्रोबायोटिक के रूप में काम करता है, ये पाचन में मदद करता है और कब्ज को रोकता है।


5) प्रेगनेंसी में फायदेमंद 

बेहतर पाचन को बढ़ावा देने और मॉर्निंग सिकनेस को कम करने के लिए हर दिन जौ का पानी पीने से फायदा मिल सकता है। यह ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में भी मदद करता है, वहीं ये प्रेगनेंसी के दौरान डायबिटीज के खतरे को भी कम करता है।

 

6) स्किन के लिए फायदेमंद 

जौ में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। जब आप जौ के पानी को स्किन पर लगाते हैं तो यह मुंहासों को कम करता है और स्किन के संक्रमण से लड़ता है। जौ को स्किन पर लगाने के लिए आटे और नींबू के रस का पेस्ट चेहरे पर लगाएं और इसे लगभग 10-15 मिनट के लिए लगाएं और इसे ठंडे पानी से धो लें।

साबुत अनाज पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इसलिए अपनी डाइट में साबुत अनाजों को शामिल करना काफी फायदेमंद होता है। साबुत अनाजों में कई तरह के विटामिन और खनिज पाए जाते हैं, जो आपकी सेहत के लिए लाभदायक होते हैं। इन्हीं साबुत अनाजों में से एक जौ भी है। इसे बार्ले के नाम से भी जाना जाता है। जौ के आटे से तैयार होने वाली रोटी खाने से आपकी सेहत को कई तरह के फायदे हो सकते हैं। इसमें कई तरह के पोषक तत्व जैसे डाइटरी फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, सेलेनियम, कॉपर, ट्रिप्टोफैन प्रोपेन, मैंगनीज, प्रोटीन, सोडियम आदि पाए जाते हैं। खास तौर पर वजन घटाने वाले लोगों को तो अपनी डाइट में जौ की रोटी जरूर शामिल करनी चाहिए। क्योंकि इसमें कैलोरी की मात्रा कम होती है। तो आइए जानते हैं जौ की रोटी खाने से होने वाले फायदों के बारे में...

बार्ले जिसे हिंदी मे जौ (barley in hindi) के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन कल से पाए जाने अनाजों में से एक है।

हालांकि, जौ अन्य अनाजों की तुलना मे ज्यादा लोकप्रिय नहीं है और भारत में रोजमर्रा के खाने में कम इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन, जौ में अन्य अनाजों की तुलना में अधिक मिनरल्स और पोष्टिक तत्त्व पाए जाते हैं।

बार्ले (barley) जिसे हम हिंदी मे जौ कहते हैं बहुत लाभकारी खाद्य पदार्थ है। यह हमारे शरीर से जुड़ी काफी परेशानियों का इलाज करने मे सक्षम माना जाता है। भारत के अलावा जौ अन्य पश्चिमी देशों जैसे, अमेरिका, जर्मनी और रूस में उगाया जाता है।

मिनरल्स से भरपूर बार्ले (जौ) आपके पाचन शक्ति को सुधारने के साथ -साथ वजन कम करने में भी मदद करता है।

सेलेनियम, जिंक, कॉपर, प्रोटीन, अमीनो एसिड विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स, मैग्नीशियम, मैगनीज, आयरन, कैल्शियम जैसे पोषक तत्व से भरपूर जौ सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है। अनाज के रूप में जौ का उपयोग आपकी सेहत के लिए स्वास्थवर्धक है।

आइये इस लेख में जानते हैं क्या हैं जौ का उपयोग और इसका सेवन कैसे करना चाहिए और जौ के क्या फ़ायदे और नुकसान हैं!

इस लेख़ में

  1. 1.जौ या बार्ले क्या होता है?
  2. 2.जौ में मौजूद पोषक तत्व
  3. 3.जौ के प्रकार
  4. 4.जौ के फायदे और हेल्दी गुण
  5. 5.जौ के पानी को घर पर बनाने की विधि
  6. 6.जौ के नुकसान और उससे जुड़े सावधानी
  7. 7.निष्कर्ष

 

जौ या बार्ले क्या होता है?

What is Barley? in hindi

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जौ को अनाज का ही एक रूप माना जाता है जिसका भारत में प्राचीन काल से सबसे बड़ा उपयोग वेदों में बताए गए यज्ञों व अन्य धार्मिक रीति-रिवाज़ों में किया जाता था। कई राज्यों में नवरात्रि या दुर्गा पूजा में जौ का इस्तेमाल किया जाता है।

रूस, अमरीका, कनाडा और जर्मनी में जौ को अँग्रेजी भाषा में बार्ले (barley) कहते हैं। शुरुआत में इसका उपयोग अधिकतर पशु चारे के रूप में किया जाता था।

बाद में इसके हेल्दी गुणों को देखते हुए बार्ली वाटर (barley water) के रूप में इसका उपयोग किया जाने लगा। जौ के पाने के साथ जौ का उपयोग सूप और सलाद के रूप में भी किया जाता है।

शोध के दौरान एक स्वीडिश शोधकर्मी द्वारा जौ के कोलेस्ट्रॉल को कम करने के गुण की खोज के बाद तो बाक़ायदा जौ को मुख्य भोजन में रोटी के रूप में भी शामिल कर लिया गया।

 

जौ में मौजूद पोषक तत्व

Nutritional value of barley in hindi

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जौ न सिर्फ मिनरल्स, प्रोटीन और विटामिन से भरपूर आहार है बल्कि इसको पचाना भी बहुत आसान है। इस कारण जिन लोगों पाचन से जुड़ी परेशानी होती है उन्हें जौ की खिचड़ी खिलाई जाती है।

जौ की खिचड़ी न केवल पाचन की समस्या से गुज़र रहे व्यक्ति को अपेक्षित पोषण प्रदान करती है बल्कि इसे आसानी से पचाया भी जा सकता है। आइये जानते हैं कि जौ के अन्य पौष्टिक गुणों के बारे में।

जौ के पौष्टिक गुण इस प्रकार हैं :

  • अनाज के रूप में जौ में पोटाशियम, फॉस्फोरस एसिड, और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व भरपूर होते हैं।
  • जौ और गेहूँ में अंतर मुख्य रूप से प्रोटीन की मात्रा के कारण होती है, क्योंकि जौ में गेहूं की तुलना में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है।
  • जौ में फाइबर की मात्रा अधिक होने के कारण यह जल्दी पचने वाला भोजन भी माना जाता है।
  • इसीलिए इसे वजन कम करने वालों की इच्छा करने वालों के लिए आदर्श भोजन माना जाता है।
  • 8 प्रकार के अमीनो एसिड होने के कारण, जौ शरीर में इंसुलिन का निर्माण सरलता से करने में भी मदद करता है।
  • जौ के पौधों में विभिन्न प्रकार के विटामिन जैसे बी3 (नियासिन), बी1 (थियामिन), सेलेनियम, तांबा और मैग्नीशियम भी होते हैं।
  • इसे हृदय रोगियों के लिए अच्छा भोजन माना जाता है।
  • जौ के सेवन से शरीर में एंटीओक्सीडेंट्स की मात्रा बढ़ जाती है।

एक कटोरी जौ में पौष्टिक तत्व निम्न मात्रा में मौजूद होते हैं : 651 कैलोरी, 96 ग्राम प्रोटीन, 23 कार्बोहाइड्रेट, 23 ग्राम फैट, 8 ग्राम डाइट्री फाइबर और 0 कौलेस्टेरोल। इस तरह देखा जाये तो जौ का सेवन आपके दिल और सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए भी बहुत उपयोगी है।

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जौ के प्रकार

Types of Barley in hindi

Jau ke prakar in hindi

अधिकतर लोग यह नहीं जानते कि जौ विभिन्न रूपों में उपलब्ध होती है। आमतौर पर जौ को दो रूपों में भोजन में इस्तेमाल किया जाता है - जौ के छिलेक और जौ के बीज! आइये जानते हैं कि बाजार में जौ किन मुख्य प्रकार में उपलब्ध है!

जौ के मिलने वाले मुख्य प्रकार निम्न हैं :-

  • फ़्लेक्स (Flakes)

यह जौ के बीजों को चपटा करके बनाया जाता है। यह एक प्रकार से रेडी टू इट (ready to eat) होता है, यानि इसे पकाने की आवश्यकता नहीं होती है। इसे ठंडे या गर्म दूध या दलिया में मिलाकर खाया जाता है।

जौ के दानों से बने फ्लैक्स सेहत के नज़रिये से काफ़ी फ़ायदेमंद होते हैं और इसे नाश्ते में खाने से आपको लाभ मिलेगा।

  • आटा (Flour)

जौ के दानों को बारीक पीस कर आटे का रूप दिया जाता है। इसे पानी के साथ गूंद कर रोटी बनाकर खाया जा सकता है।

  • मोटा आटा (Grits)

इसे तैयार करने के लिए जौ के ऊपर के दानों पर लगे छिलकों को पहले हल्का सा भून कर फिर उन्हें साफ किया जाता है। इसके बाद यह हल्के-मोटे आटे का रूप ले लेता है।

  • चोकर (Hulled barley)

जौ का आटा बनाते समय जो भूसी बच जाती है उसे चोकर या हुल्ड (Hulled Barley in hindi) कहा जाता है। इस चोकर में सबसे अधिक फाइबर की मात्रा होती है और इसी कारण जौ की यह किस्म सबसे अधिक हेल्दी मानी जाती है। कब्ज के समय इसके सेवन से आराम मिलता है।

  • सफ़ेद दाने (Pearl Barley)

जौ के दाने मोती की तरह सफ़ेद, गोल और छोटे आकार के होते हैं। मोती जैसे दिखने वाली जौ की यह किस्म पर्ल बारले (pearl barley) कहलाती है। इसका इस्तेमाल सलाद और सूप में किया जाता है।

  • अनहेल्‍ड बारले (unhulled barley)

जब जौ के दानों के ऊपर लगी भूसी को बिना हटाये ही इस्तेमाल किए जाता है तब यह अनहेल्‍ड बारले (unhulled barley) कहलाती है। आमतौर पर इसे अंकुरित करके इस्तेमाल किया जा सकता है। आप इसका इस्तेमाल नाश्ते में कर सकते हैं।

 

जौ के फायदे और हेल्दी गुण

Health benefits of barley in hindi

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जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं, मिनरल्स, विटामिन और अन्य पोषक तत्वों से युक्त जौ के फायदे अनेक हैं। आयुर्वेद में जौ को उन खाद्य पदार्थ की श्रेणी में रखा जाता है जिनकी तासीर (effect) एक समान होती है।

दूसरे शब्दों में कहा जाये तो जौ की तासीर न तो ठंडी मानी जाती है और न ही गरम होती है। जौ को पीस कर आटे का रूप दिया जाने के बाद इसकी रोटी बना कर खाई जा सकती है।

इसके अलावा, उपचार के लिए इसे पानी में उबाल कर भी लिया जा सकता है। सामान्य रूप से जौ को किसी भी रूप में प्रयोग किया जाये इससे मिलने वाले फायदे विभिन्न प्रकार की शारीरिक परेशानियों को दूर करने वाले सिद्ध होते हैं।

जौ के फायदे निम्न हैं : -

  • शारीरिक स्वास्थ्य की रक्षा में जौ का उपयोग (Jau for physical health in hindi)

जौ के नियमित उपयोग से विभिन्न प्रकार के रोग जैसे सर्दी-जुकाम, मौसमी बुख़ार आदि की दूर हो सकते हैं। सर्दी जुकाम में जौ के काढ़े (15 से 30 मिली.) को लेने से आराम मिलता है।

इसके अलावा चेहरे पर निकले मुँहासे भी जौ के पानी से बने काढ़े से ठीक हो जाते हैं। जौ के काढ़े को हलके हाथों से मुहासों पर मसाज करें। इसे रात-भर लगा रहने दें। सुबह इसे साफ़ पानी से धो लें।

जैसे कि हम पहले बता चुके हैं कि जौ में फैट की मात्रा शून्य और फाइबर की अधिक मात्रा होती है, इस कारण जौ, वजन कम करने के साथ-साथ पाचन क्षमता भी बढ़ाता है।

  • डाइजेस्टीव सिस्टम की हेल्थ में जौ का उपयोग (Jau for digestive health in hindi)

जौ के अंदर मौजूद फाइबर्स की मात्रा पेट और पाचन तंत्र संबंधी परेशानियों में फायदा पहुँचाती है। हल्का होने के कारण जौ जल्दी पच जाता है इस कारण जो लोग एसिडिटी से परेशान रहते हैं उन्हें इसके सेवन से आराम मिलता है। इसके अलावा पेट में होने वाला सामान्य दर्द भी दूध में जौ को मिलाकर पीने से ठीक हो सकता है।

जौ के पानी के इस्तेमाल से दस्त का इलाज और खाने की इच्छा में वृद्धि भी की जा सकती है। गर्भवती महिलाओं के लिए जौ का उपयोग बहुत लाभकारी माना जाता है, प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को कब्ज की शिकायत रहती है और जौ में मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को दुरुस्त रखते हैं।

इसके साथ ही जौ में मूत्रवर्धक गुण होने के कारण यह यूरिन इन्फेक्शन (urine infection) में भी लाभकारी होता है। इस कारण व्यक्ति की किडनी पर भी बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।

  • हृदय रोग में जौ का उपयोग (Jau for heart health in hindi)

कॉलेस्टेरॉल एक फैट जैसा पदार्थ है जो शरीर की कोशिकाओं में पाया जाता है।

कॉलेस्टेरॉल के दो प्रकार होते हैं : - एचडीएल कॉलेस्टेरॉल (HDL cholestrol) जिसे अच्छे कॉलेस्टेरॉल के नाम से भी जाना जाता है और एलडीएल कॉलेस्टेरॉल (LDL cholestrol) यानि बुरा कॉलेस्टेरॉल।

LDL कॉलेस्टेरॉल की अधिक मात्रा शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है जैसे स्ट्रोक और दिल का दौरा। लेकिन, चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि नियमित जौ के सेवन से शरीर में ख़राब कॉलेस्टेरॉल को नियंत्रण किया जा सकता है।

जौ में पाया जाने वाला बीटा ग्लुकन (beta glucan) LDL या ख़राब कॉलेस्टेरॉल को कम करने में मदद करता है।

जौ या बार्ले में पाया जाने वाला पोटैशियम और फाइबर शरीर में अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल को जमा होने से रोकता है और हृदय की धमनियों में ब्लड सर्क्युलेशन बना रहता है। इससे हृदय संबंधी परेशानियों के होने का ख़तरा भी न्यूनतम हो जाता है।

  • एंटीओक्सीडेंट से रोगों का बचाव (Antioxidant benefits of Jau in hindi)

जौ के पौधे में विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक एंटीओक्सीडेंट भरपूर होते हैं और साथ ही साथ यह विटामिन C का भी स्रोत है जो शरीर को इन्फेक्शन से बचाने में बहुत कारगर है।

जौ की रोटी में विभिन्न एंटीओक्सीडेंट होते हैं जो कैंसररोधी, एलर्जीरोधी, सूजन प्रतिरोधक होने के कारण इन सभी परेशानियों के होने की संभावना को कम कर देते हैं।

इसके अलावा जौ में विटामिन ई के होने के कारण, यह आयु के बढ़ते प्रभाव को कम करने में भी मदद करता है। इसके साथ ही साथ जौ में मौजूद विटामिन C शरीर में आयरन के अब्जॉर्बशन को भी बढ़ाता है।

  • टाइप 2 मधुमेह से बचाव (Jau for type 2 diabetes in hindi)

जौ ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है और इंसुलिन के स्त्राव को सुधारता है और टाइप 2 मधुमेह की संभावना को कम करता है। जौ में पाए जाने वाला मैग्नीशियम शरीर में ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सबसे अहम भूमिका निभाता है।

इसके साथ ही बार्ले में पाया जाने वाले फ़ाइबर शुगर के ऐबजॉर्ब को कम करता है, जिस कारण खून में ब्लड शुगर लेवल की मात्रा कम रहती है।

जौ से भरी एक कटोरी में मैग्निशियम की प्रचूर मात्रा होती है। इससे सेवन से, शरीर में बनने वाले 300 प्रकार के रसायनों का निर्माण हो जाता है जो शरीर में जरूरी ग्लूकोज और इंसुलिन की जरूरत को पूरा कर देते हैं।

सुबह के नाश्ते में जौ के सेवन से टाइप 2 मधुमेह होने की संभावना कम हो जाती है।

  • पथरी के होने से बचाव (Jau for gallbladder stone in hindi)

जौ का पानी पीने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स (triglycerides) के स्तर में संतुलन बना रहता है। सामान्य रूप से यह एक प्रकार का फैट होता है, जिसका शरीर में निर्माण एनर्जी लेवल को बनाए रखने के लिए किया जाता है।

लेकिन जब यह जरूरत से ज्यादा हो जाती है तब पथरी के बनने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए जौ के पानी को नियमित रूप से लिया जाये तब इसमें मिला हुआ फाइबर ट्राइग्लिसराइड्स के लेवल को संतुलित बनाए रखता है।

एक 16 साल के रिसर्च में पाया गया है कि फ़ाइबर युक्त भोजन करने वाले व्यक्तियों में अन्य लोगों से 13% कम पथरी पायी जाती है।

  • हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने में सहायक (Makes your bones and teeth strong)

हड्डियों में कैल्शियम की कमी, कई तरह की बीमारियों जैसे ओस्टोपोरेसिस का कारण हो सकती है। इस बीमारी में व्यक्ति की हड्डियाँ बहुत कमजोर हो जाती हैं और ज्यादा जोर पड़ने पर हड्डी टूटने का भी डर रहता है।

जौ में कैलशियम प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। कैशियम हड्डियों और दाँतों को तंदरूस्त रखने और मजबूत बनाने में बहुत सहायक होता है।

इसके साथ ही जौ के सेवन से गठिया (arthritis) में होने वाले सूजन में भी आराम मिलता है। जौ के नियमित सेवन के अलावा दूध और दूध से बने उत्पाद भी कैशियम उत्तम स्रोत हैं।

  • कैंसर से बचाव में लाभकारी (Prevents from cancer)

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि जौ का सेवन कैंसर से बचाव में मदद करता है। जौ में पाये जाने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट, फाइबर और मिनरल्स कैंसर खासकर कोलोन कैंसर (colon cancer) के बचाव में लाभकारी है।

जौ में पाए जाने वाले अन्य तत्व जैसे - फाईटिक एसिड (phytic acid), फेनोलिक एसिड (phenolic acid) और सपोनियन (saponian) भी कैंसर से बचाव में अहम भूमिका निभाते हैं और कैंसर को विकसित होने से रोकते हैं।

  • गर्भावस्था में लाभकारी (Helpful in getting pregnant)

जौ के पानी का सेवन ना सिर्फ गर्भावस्था के दौरान न सिर्फ कब्ज को रोकती है बल्कि इसमें पाया जाने वाला फॉलिक एसिड, होने वाले माँ और बच्चे के लिए बहुत लाभकारी होता है।

फॉलिक एसिड, बच्चे में होने वाले जन्म दोष जैसे (neural tube defect) को बचाने के साथ-साथ भ्रूण के विकास में भी मदद करता है।

और पढ़ें:अनाज क्या हैं, अनाज के प्रकार और फायदे क्या हैं?

 

जौ के पानी को घर पर बनाने की विधि

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जौ के पानी को घर में निम्न रूप से तैयार करें : -

  1. जौ को अच्छे से पाने से धो कर लगभग 4 घंटे तक पाने में भिगो दें।
  2. इसके बाद भीगे हुए जौ को अच्छे से धो लें और एक कप जौ में 4 कप पानी डालें।
  3. इसे गैस पर धीमी आंच में अच्छे से 45 मिनट से लेकर 1 घंटे तक ढँक कर पकाएं।
  4. जब यह अच्छे से पक जाए तो गैस बंद कर दें और मिश्रण को ठंडा होने दें।
  5. ठंडा होने पर इस मिश्रण को अच्छे से छान लें।

आप इसमें नींबू के रस और शहद मिलाकर सेवन कर सकते हैं। दिन में 1 कप जौ के पाने का सेवन सेहत के लिए लाभकारी है।

और पढ़ें:अरंडी के तेल के 15 फ़ायदे, उपयोग, नुकसान

 

जौ के नुकसान और उससे जुड़े सावधानी

Risk and side effects of Barley in hindi

Jau ke istemal mein savdhani aur nuksan in hindi

जौ एक पोष्टिक और हेल्दी अनाज माना जाता है। लेकिन फिर भी यदि इसके उपभोग करते समय सावधानी न रखी जाये तब जौ के उपयोग से नुकसान भी हो सकते हैं।

जौ के नुकसान निम्न हैं :-

  • जौ का सेवन यदि बाज़ार में तैयार किए गई वस्तु के रूप में किया जा रहा है तब पैकेट पर लिखी गई जानकारी को ध्यान से पढ़कर ही उसका उपयोग करें।
  • स्तनपान करवाने वाली स्त्रियॉं के लिए जौ या जौ के पानी के नुकसान होने की संभावना हो सकती है।
  • ऐसे व्यक्ति जो डाइबिटिक की दवा ले रहे हैं उनके लिए जौ का पानी नुकसान कर सकता है। इसका कारण जौ में ब्लड शुगर को कम करने की तासीर होती है।
  • यह सच है कि जौ के पानी से वजन बढ़ने पर नियंत्रण रहता है। लेकिन यदि इस पानी का बहुत अधिक मात्रा में सेवन किया जाये तब इसमें शामिल कैलोरी शारीरिक वजन पर विपरीत प्रभाव भी डाल सकती हैं।
  • अत्यधिक मात्रा में जौ का सेवन करने से पेट संबंधी परेशानियाँ जैसे दस्त, पेट में दर्द, सूजन आदि शिकायतें हो सकती हैं।

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निष्कर्ष

Conclusionin hindi

Nishkarsh, Barley in hindi

आमतौर पर जौ, अन्य अनाजों की तुलना में अधिक प्रसिद्ध नहीं माना जाता है। लेकिन इसमें छिपे हेल्दी गुण इसे अनाज में सबसे ऊपर की श्रेणी में मानते हैं।

दरअसल जौ का प्रयोग बीज़ और पानी के रूप में अधिक किया जाता है। इसका सबसे अच्छा प्रयोग सूप, सलाद आदि में मिलाकर किया जा सकता है।

लेकिन हर अच्छी चीज़ की भांति इसके भी कुछ दोष होते हैं इसलिए इसका प्रयोग भी सावधानी से और सीमित मात्रा में किया जाना चाहिए।

जौ की रोटी खाने से क्या होता है?

जौ की रोटी खाने के फायदे (Jau Ki Roti Khane Ke Fayde).
हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद ... .
शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं ... .
यौन स्वास्थ्य के लिए ... .
वजन बढ़ाने में मददगार ... .
पाचन शक्ति को बढ़ाएं और पेट को ठीक रखें ... .
सर्दी खांसी में फायदेमंद ... .
हड्डियों और दांतों को स्वस्थ रखने में मददगार ... .
गर्भावस्था में लाभकारी.

जौ की रोटी और गेहूं की रोटी में क्या अंतर है?

जौ और गेहूँ में अंतर मुख्य रूप से प्रोटीन की मात्रा के कारण होती है, क्योंकि जौ में गेहूं की तुलना में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। जौ में फाइबर की मात्रा अधिक होने के कारण यह जल्दी पचने वाला भोजन भी माना जाता है। इसीलिए इसे वजन कम करने वालों की इच्छा करने वालों के लिए आदर्श भोजन माना जाता है।

जो का आटा खाने से क्या होता है?

नियमित रूप से जौ का आटा खाने से हार्ट हेल्दी रहता है और डायबिटीज को कंट्रोल करने में फायदेमंद है. बार्ले का आटा बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करता है. इसमें प्रोटीन, फाइबर, बी विटामिन, आयरन, जिंक जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं. ये काफी लो कैलोरी फूड है जो फाइबर से भरपूर होता है.

जौ के आटे की तासीर क्या होती है?

जौ की तासीर ठंडी होती है इसीलिए ये कई तरह की पेट संबंधी समस्‍याओं को प्रभावी रूप से दूर कर सकती है। अस्‍थमा वाले रोगी के लिए जौ का नियमित सेवन लाभकारी होता है। नियमित रूप से जौ खाने से अस्‍थमा के लक्षणों को कम किया जा सकता है। यह एलर्जी आदि के प्रभाव को भी आसानी से दूर कर सकता है।

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