पेठा उत्तर भारत की एक पारदर्शी नरम मिठाई है। आमतौर पर आयताकार या बेलनाकार आकृति का यह व्यंजन, एक विशेष सब्जी, सफ़ेद लौकी (या सफेद कद्दू, या बस पेठा) से बनाया जाता है। आगरा नगर से संबंधित होने के कारण इसे अक्सर आगरा का पेठा भी कहा जाता है। बढ़ती मांग और नवाचार के साथ, मूल रूप में तैयार पेठे की अनेक किस्में विकसित हो चुकी हैं। अनेक स्वादिष्ट प्रकार उपलब्ध हैं, जैसे कि केसर पेठा, अंगूरी पेठा आदि। सामग्री के आधार पर कुछ अन्य बदलाव किए जाते हैं, उदाहरणतः नारियल के साथ एक मिश्रित, या केवड़ा सार पेठा को स्वादिष्ट व सुगंधित करने के लिए प्रयोग किया जाता है।[1] इतिहास[संपादित करें]ऐसा कहा जाता है कि पेठे ने मुगल सम्राट शाहजहां की रसोई में जन्म लिया था। [2] मूल रूप से आगरा में निर्मित होने के कारण यह आगरा का पेठा के नाम से स्थानीय मिठाई प्रमाणित होता है।[3] इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
पेठा कहाँ की मशहूर मिठाई है?पेठा हिंदुस्तान के कई अन्य राज्यों में भी बनाया जाता है, लेकिन जितना मशहूर आगरे का पेठा पूरी दुनिया में है उतना दूसरा और कोई नहीं। यही वजह है कि आगरा को 'ताज नगरी' के साथ साथ 'पेठा नगरी' के रूप में भी जाना जाता है। ताज की तरह पेठे की भी विश्व स्तरीय पहचान है।
आगरा का पेठा क्यों प्रसिद्ध है?कहते हैं कि पेठा ताजमहल से भी पुराना है. इतिहासकारों के अनुसार, 17वीं शताबदी में जब शाहजहां ताजमहल का निर्माण कर रहे थे, तब उसके निर्माण में लगे कारीगर रोज़ाना एक जैसा खाना खाकर उकता गए थे. ... उसके बाद शाहजहां ने अपने 500 खानसामों को पेठे की मिठाई को बनाने का आदेश दिया था और तब से पेठा शाही रसोई का हिस्सा बना।
पेठा कितने प्रकार का होता है?एक कुम्हडे का वजन एक किलो से 30 किलो तक होता है। सात-आठ किलो कच्चे फल से करीब पांच किलो पेठा तैयार हो जाता है।
पेठा फल क्या होता है?पेठा, कुम्हड़ा या कुष्माण्ड (अंग्रेज़ी:winter melon ; वानस्पतिक नाम : बेनिनकेसा हिस्पिडा (Benincasa hispida)), एक बेल पर लगने वाला फल है, जो सब्जी की तरह खाया जाता है। यह हल्के हरे वर्ण का होता है और बहुत बड़े आकार का हो सकता है। पूरा पकने पर यह सतही बालों को छोड़कर कुछ श्वेत धूल भरी सतह का हो जाता है।
|