पतिव्रता स्त्री को क्या क्या नहीं करना चाहिए? - pativrata stree ko kya kya nahin karana chaahie?

जयपुर: पूरे सावन शिव की पूजा कर लोग उनका अनुसरण करते है। कुंवारी लड़कियां उनके जैसा पति पाने की इच्छा में व्रत रखती है। रुद्र संहिता में शिव-पार्वती के विवाह कथा का वर्णन है साथ ही उसमें यह भी बताया गयै है कि पतिव्रता पत्नी को वैवाहिक नियमों का पालन जीवनपर्यंत करना चाहिए । इन नियमों का पालन खुद माता पार्वती ने भी किया था। उन्हें ये नियम एक पतिव्रता ब्राह्मण पत्नी ने विदाई के समय मां पार्वती को बताया था।

*पतिव्रता स्त्री को प्रसन्नतापूर्वक घर के सभी कार्य करना चाहिए। अधिक खर्च किए बिना ही परिवार का पालन-पोषण ठीक से करना चाहिए। देवता, पितर, अतिथि, सेवक, गाय व भिक्षुक के लिए अन्न का भाग दिए बिना स्वयं भोजन नहीं करना चाहिए।

*पति जो आदेश दे, पत्नी को उसका प्रसन्नतापूर्वक पालन करना चाहिए। पतिव्रता स्त्री को घर के दरवाजे पर अधिक देर तक नहीं खड़ा रहना चाहिए।

*पतिव्रता स्त्री को अपने पति की आज्ञा के बिना कहीं नहीं जाना चाहिए। पति की आज्ञा के बिना व्रत-उपवास भी नहीं करना चाहिए।

*धर्म में तत्पर रहने वाली स्त्री को अपने पति के भोजन कर लेने के बाद ही भोजन करना चाहिए। पति के सोने के बाद सोना चाहिए और जागने से पहले जाग जाना चाहिए।

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*पति बूढ़ा या रोगी हो गया हो तो भी पतिव्रता स्त्री को अपने पति का साथ नहीं छोडऩा चाहिए। जीवन के हर सुख-दु:ख में पति की आज्ञा का पालन करना चाहिए। अपने पति की गुप्त बात किसी को नहीं बताना चाहिए।

*पतिव्रता स्त्री को ऐसा काम करना चाहिए, जिससे पति का मन प्रसन्न रहे। ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए, जिससे कि पति के मन में विषाद उत्पन्न हो।

*पति की आयु बढऩे की अभिलाषा रखने वाली स्त्री को हल्दी, रोली, सिंदूर, काजल, मांगलिक आभूषण, केशों को संवारना, हाथ-कान के आभूषण, इन सबको अपने से दूर नहीं करना चाहिए यानी पति की प्रसन्नता के लिए सज-संवरकर रहना चाहिए।

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*यदि घर में किसी वस्तु की आवश्यकता आ पड़े तो अचानक ये बात नहीं कहनी चाहिए, बल्कि पहले अपने मधुर वचनों से उसे पति को प्रसन्न करना चाहिए, उसके बाद ही उस बात को बताना चाहिए।

*जो स्त्री अपने पति को बाहर से आने पर अन्न, जल आदि से उसकी सेवा करती है, मीठे वचन बोलती है, वह तीनों लोकों को संतुष्ट कर देती है।

*एक स्त्री अगर पतिव्रता है तो उसके पुण्य पिता, माता और पति के कुलों की तीन-तीन पीढिय़ों के लोग स्वर्गलोक में सुख भोगते हैं।

*पति को सम्मान न देने वाली स्त्री का आदर नहीं करना चाहिए।

आध्यात्मिक डायरी में जोड़ें।

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भगवान शिव की महिमा का वर्णन अनेक ग्रंथों में किया गया है, लेकिन शिवपुराण उन सभी ग्रंथों में सर्वोच्च है। इस ग्रंथ में न केवल भगवान शिव से संबंधित रहस्यों को उजागर किया गया है बल्कि आम जनमानस के जीवन से जुड़ी अनेक बातें भी बताई गई हैं। शिवपुराण की रुद्रसंहिता में शिव-पार्वती के विवाह प्रसंग में पतिव्रता स्त्री के लिए कई जरूरी नियम बताए हैं। ये नियम पार्वती को एक पतिव्रता ब्राह्मण पत्नी ने विदाई के समय बताए थे। व्यवहारिक दृष्टि से वर्तमान समय में इन नियमों का पालन करना बहुत ही कठिन है। शिवपुराण के अनुसार, पतिव्रता स्त्री को अपने पति के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए और किन नियमों का पालन करना चाहिए, सावन के पवित्र महीने में हम आपको वही बता रहे हैं- 1. शिवमहापुराण के अनुसार, पतिव्रत धर्म में तत्पर रहने वाली स्त्री को अपने पति के भोजन कर लेने के बाद ही भोजन करना चाहिए। 2. जब पति खड़ा हो तो पत्नी को भी खड़ा रहना चाहिए। उसकी आज्ञा के बिना बैठना नहीं चाहिए। 3. पति के सोने के बाद सोना चाहिए और जागने से पहले जाग जाना चाहिए। 4. पति की आज्ञा के बिना व्रत-उपवास भी नहीं करना चाहिए।

पतिव्रता स्त्री को क्या क्या नहीं करना चाहिए? - pativrata stree ko kya kya nahin karana chaahie?

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5. अपने पति की गुप्त बात किसी को नहीं बताना चाहिए। 6. पत्नी को बिना सिंगार किए अपने पति के सामने नहीं जाना चाहिए। जब पति किसी कार्य से परदेश गया हो तो उस समय सिंगार नहीं करना चाहिए। 7. पतिव्रता स्त्री को कभी अपने पति का नाम नहीं लेना चाहिए। पति के भला-बुरा कहने पर भी चुप ही रहना चाहिए। 8. पति के बुलाने पर तुरंत उसके पास जाना चाहिए और पति जो आदेश दे, उसका प्रसन्नतापूर्वक पालन करना चाहिए। 9. पतिव्रता स्त्री को घर के दरवाजे पर अधिक देर तक नहीं खड़ा रहना चाहिए। 10. पतिव्रता स्त्री को अपने पति की आज्ञा के बिना कहीं नहीं जाना चाहिए। पति के बिना मेला, विवाह आदि कार्यक्रमों में भी नहीं जाना चाहिए।

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1. पतिव्रता स्त्री को प्रसन्नतापूर्वक घर के सभी काम समय पर करना चाहिए। 12. अधिक खर्च किए बिना ही परिवार का पालन-पोषण ठीक से करना चाहिए। 13. देवता, पितर, मेहमान, नौकर, गाय व भिक्षुक के लिए अन्न का भाग दिए बिना स्वयं भोजन नहीं करना चाहिए। 14. पति बूढ़ा या रोगी हो गया हो तो भी पतिव्रता स्त्री को अपने पति का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। जीवन के हर सुख-दु:ख में पति की बात मानना चाहिए। 15. रजस्वला होने पर पत्नी को तीन दिन तक अपने पति को मुंह नहीं दिखाना चाहिए अर्थात उससे अलग रहना चाहिए। जब तक वह स्नान करके शुद्ध न हो जाए तब तक अपनी कोई बात भी पति के कान में नहीं पड़ने देना चाहिए।

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16. मैथुन काल के अलावा किसी अन्य समय पति के सामने धृष्टता नहीं करना चाहिए। 17. पतिव्रता स्त्री को ऐसा काम करना चाहिए, जिससे पति का मन प्रसन्न रहे। ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए, जिससे पति को बुरा लगे। 18. पति की आयु बढ़ने की अभिलाषा रखने वाली स्त्री को हल्दी, रोली, सिंदूर, काजल, मांगलिक आभूषण, केशों को संवारना, हाथ-कान के आभूषण, इन सबको अपने से दूर नहीं करना चाहिए यानी पति की प्रसन्नता के लिए सज-संवरकर रहना चाहिए। 19. पतिव्रता स्त्री को सुख और दु:ख दोनों ही स्थिति में अपने पति की आज्ञा का पालन करना चाहिए। 20. यदि घर में किसी वस्तु की आवश्यकता आ पड़े तो अचानक ये बात नहीं कहनी चाहिए बल्कि पहले पति को प्रसन्न करना चाहिए, उसके बाद ही उस वस्तु के बारे में बताना चाहिए।

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21. जो स्त्री अपने पति को बाहर से आते देख अन्न, जल आदि से उसकी सेवा करती है, मीठे वचन बोलती है, वह तीनों लोकों को संतुष्ट कर देती है। 22. पतिव्रता स्त्री के पुण्य पिता, माता और पति के कुलों की तीन-तीन पीढ़ियों के लोग स्वर्गलोक में सुख भोगते हैं, ऐसा शिवपुराण में लिखा है। 23. रजोनिवृत्ति के बाद शुद्धतापूर्वक स्नान करके सबसे पहले अपने पति का चेहरा देखना चाहिए, अन्य किसी का नहीं। अगर पति न हो तो भगवान सूर्यदेव के दर्शन करना चाहिए। 24. पतिव्रता स्त्रियों को चरित्रहीन महिलाओं के साथ बात नहीं करनी चाहिए। 25. पति से द्वेष रखने वाली स्त्री का कभी आदर नहीं करना चाहिए और न ही कभी अकेले खड़ा रहना चाहिए।

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पतिव्रता स्त्री की पहचान क्या है?

जो स्त्री अपने पति की बातों को सुनती है और उसका पालन करती है. इसके अवाला पति के मन को चोट पहुंचाने वाली कोई बात नहीं करती है ऐसी स्त्री के लिए पति कुछ भी करने को तैयार रहते हैं. पतिव्रता- वह स्त्री जो अपने पति के अलावा किसी अन्य पुरुष के बारे में नहीं सोचती. धर्मग्रंथों में ऐसी ही पत्नी को पतिव्रता कहा गया है.

पतिव्रता स्त्री को कैसे रहना चाहिए?

*पतिव्रता स्त्री को अपने पति की आज्ञा के बिना कहीं नहीं जाना चाहिए। पति की आज्ञा के बिना व्रत-उपवास भी नहीं करना चाहिए। *धर्म में तत्पर रहने वाली स्त्री को अपने पति के भोजन कर लेने के बाद ही भोजन करना चाहिए। पति के सोने के बाद सोना चाहिए और जागने से पहले जाग जाना चाहिए

पत्नी का पहला धर्म क्या है?

इसके अलावा एक पत्नी को एक विशेष प्रकार के धर्म का भी पालन करना होता है। विवाह के पश्चात उसका सबसे पहला धर्म होता है कि वो अपने पति और परिवार के हित में सोचे। ऐसा कोई काम न करे जिससे पति या परिवार का अहित हो।

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सावित्री : महाभारत अनुसार सावित्री राजर्षि अश्वपति की पुत्री थी।.