क्यों कमल भारत का राष्ट्रीय फूल कहा जाता है? - kyon kamal bhaarat ka raashtreey phool kaha jaata hai?

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    भारत का राष्ट्रीय फूल क्या है (what is the national flower of India) आज के इस लेख में हम इस विषय पर discuss करने वाले है साथ ही हम राष्ट्रीय फूल के बारे में और इससे संबंधित भी जानकारी प्राप्त करेगे।

    क्यों कमल भारत का राष्ट्रीय फूल कहा जाता है? - kyon kamal bhaarat ka raashtreey phool kaha jaata hai?
    क्यों कमल भारत का राष्ट्रीय फूल कहा जाता है? - kyon kamal bhaarat ka raashtreey phool kaha jaata hai?

    भारत का राष्ट्रीय फूल “कमल” (Lotus) है। इसे scientific भाषा में नीलम्बो नूसपेरा गेरटन कहा जाता है।

    कमल को ही भारत का राष्ट्रीय फूल क्यों चुना गया है।

    कमल को भारत का राष्ट्रीय फूल इसलिए चुना गया है क्योंकि यह एक बहुत ही पवित्र फूल है जो कि प्राचीन समय से भारत में पाया जाता है साथ ही यह फूल प्राचीन समय से ही भारत की संस्कृति का मांगलिक प्रतीक रहा है और पौराणिक कथाओं में भी कमल का बहुत अधिक महत्व और गुणगान किया गया है यही कारण है कमल को भारत का राष्ट्रीय फूल घोषित किया गया।

    एक देश का राष्ट्रीय फूल संस्कृति के इतिहास और एक राष्ट्र की विरासत  के साथ संबंधित होता है। इसका मतलब यह है कि उस राष्ट्रीय पुष्प की छवि को दुनिया में मजबूत करता है और देश के वास्तविक गुणों को कायम रखने में इसकी एक बहुत बड़ी भुमिका होती है। कमल हमारे भारत का राष्ट्रीय फूल है।

    भारत का राष्ट्रीय फूल कमल पर निबंध – Long and Short Essay On National Flower Of India in Hindi

    यह एक जल में उगने वाला फूल है।इसे वैज्ञानिक रूप से ‘Nelumbo Nucifera’ के नाम से जानते हैं। कमल दो रंगों में पाया जाता है: सफेद एवं गुलाबी। यह बहुत ही कोमल होता है। इसकी सुन्दरता मनमोहनी होती है जिसे देखकर ही कहावत का प्रयोग होता है की ‘कीचड़ में भी कमल खिलता है’। प्राचीन भारत की कला में इसे बखूबी प्रयोग किया गया है।

    जिसे अक्सर संस्कृत में ‘पद्मा फूल कहा जाता है और भारतीय संस्कृति में इसको एक पवित्र स्थान दिया गया है। यह प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। भारतीय पौराणिक कथाओं के एक प्रमुख विशेषता के अनुसार, कमल, भारत की पहचान के साथ ही भारतीय मानस के मूल मूल्यों को दर्शाता है। हिन्दू मान्यता के अनुसार कमल धन की देवी लक्ष्मी का सिंहासन है और साथ ही ब्रह्मा जी भी कमल के फूल पर ही विराजते हैं। कमल का फूल सूर्योदय के साथ खिलता है और सूर्य के अस्त होने पर मुरझा जाता है। कमल का फूल केवल तीन दिन ही खिलता है।

    कमल आध्यात्मिक, सफलता, धन, ज्ञान और उज्ज्वलता का प्रतीक है। कमल के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह तलाब या कीचड़़ वाले जगहों पर होता है। दूसरी ओर कमल, ह्रदय और मन की पवित्रता का प्रतीक है। राष्ट्रीय फूल ‘कमल’ यह या पानी लिली नम्फैया प्रजातियों का एक जलीय पौधा है, इसकी विस्तृत अस्थायी पत्तियों और उज्जवल सुगंधित फूल हैं जो उथले पानी में ही बढते हैं।

    कमल की पत्तियां विस्तृत और अस्थायी होती हैं और उनका तना लम्बा होता है, जिसमें हवा एकत्रित होती है। कमल के फूलों में कई पंखुड़ियां होती हैं, जो आनुपातिक स्वरूप में अतिव्यापी होती है। यह पानी के नीचे कीचड़ के माध्यम से क्षैतिज रूप से प्रशस्त होता है। शांत सुंदरता से पोषित कमल को देखकर हमें आन्नद मिलता है, क्योंकि इसके फूल तालाब में जल की सतह पर खिलते हैं।

    कमल के पौधे के लिए गर्म जलवायु और उथला संदिग्ध जल आवश्यक है। कमल का तना जल की निचली सतह पर कीचड़ की मिट्टी में भूमिगत होता है। इसकी संरचना सभी फूलों से अलग है और इसकी जड़े बहुत ही छोटी होती है जो अपना कार्य  राइजोम की सहायता से करती हैं। कमल के फूल में डंठल होता है, डंठल के उपर कमल के फूल की पत्तियां होती हैं।

    डंठल, रिजोमोटास तने के ऊपर उभरे रहते हैं- डंठल, हरा, लंबा, गोल और खोखला होता है। डंठल पानी की सतह से 2,3 सेमी उँचाई पर होता है और पानी के ऊपर पत्तियां और फूल होते हैं। डंठल में छिद्र होते हैं जो कमल को जल में रहने में उसकी मदद करते हैं। पत्तियों की उपरी सतह मोम की तरह होती है। पीले रंग का भाग जिसमें निषेचन के बाद बीज विकसित होते हैं। बीज कठोर होते हैं, यह अंडाकार व भूरे रंग के होते हैं।

    अपने सौंदर्य के साथ साथ कमल के फूल में बहुत औषधीय गुण है। इस पौधे का हर हिस्सा उपभोग्य है। पंखुड़ियों का उपयोग अक्सर सजावटी इस्तेमाल में किया जाता है।

    परिपक्व पत्ते अक्सर भोजन करने के लिए उपयोग किये जाते हैं। भारत में कमल के पत्ते पर भोजन करना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है। चीन, कोरिया और इंडोनेशिया जैसे अधिकांश पूर्व एशियाई देशों में सब्जियों के रूप में इसके पत्ते के डंठल का उपयोग किया जाता है।

    कमल की पत्तियों से निकला हुआ रस डायरिया के रोगियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। इसके अलावा कमल की पत्तियां त्वचा के रोग में गुणकारी होती हैं। कमल का फूल भारत के सभी उष्ण भागों में और ऑस्ट्रेलिया में भी पाया जाता है।

    कमल के फूल के पत्ते लगभग गोल ढाल की तरह होते हैं। पत्तों से लंबी डंडी जुड़ी होती है और उससे रेशा भी निकला रहता है जिससे मंदिरों में आरती करने के लिए दीप जलाने की बत्तियां बनाई जाती हैं। कहते हैं, इस रेशे से बनाये गये कपड़े पहनने से अनेकों रोग दूर हो जाते हैं। कमल के तने सीधे और लंबे होते हैं। कमल की पत्तियां मोटी और चिकनी होती हैं इसके जड़ को सब्जी के रूप में खाया जाता है। धन्यवाद !