पितृ दोष से मुक्ति कैसे पाए? - pitr dosh se mukti kaise pae?

लाल किताब के अनुसार पितृ दोष और पितृ ऋण से पीड़ित कुंडली शापित कुंडली कही जाती है। ऐसा व्यक्ति अपने मातृपक्ष अर्थात माता के अतिरिक्त मामा-मामी मौसा-मौसी, नाना-नानी तथा पितृपक्ष अर्थात दादा-दादी, चाचा-चाची, ताऊ-ताई आदि को कष्ट व दुख देता है और उनकी अवहेलना व तिरस्कार करता है। ज्योतिषानुसार पितृदोष के कारण सभी तरह के मांगलिक कार्य रुक जाते हैं। किसी भी कार्य में सफलता नहीं मिलती है और कई बार तो मृत्यु तुल्य कष्ट होता है। यहां प्रस्तुत है पितृदोष से मुक्ति के अचूक 5 उपाय।


पितृदोष से मुक्ति के शर्त यह है कि आप अपने कुल के धर्म परंपरा को निभाएं, घर की महिलाओं का सम्मान करें और कर्म को शुद्ध रखेंगे तो यह उपाय कारगर सिद्ध होंगे, अन्यथा नहीं।

1. परिवार के सभी सदस्यों से बराबर मात्रा में सिक्के इकट्ठे करके उन्हें मंदिर में दान करें। ऐसा आप 5 गुरुवार को करें। मतलब यह कि यदि आप अपनी जेब से 10 का सिक्का ले रहे हैं तो घर के अन्य सभी सदस्यों से भी 10-10 के सिक्के एकत्रित करने उसे मंदिर में दान कर दें। यदि आपके दादाजी हैं तो उनके साथ जाकर दान करें।

2. कर्पूर जलाने से देवदोष व पितृदोष का शमन होता है। प्रतिदिन सुबह और शाम घर में संध्यावंदन के समय कर्पूर जरूर जलाएं। कर्पूर को घी में डूबोकर फिर जलाएं और कभी कभी गुढ़ के साथ मिलाकर भी जलाएं।

3. कौए, चिढ़िया, कुत्ते और गाय को रोटी खिलाते रहना चाहिए। उक्त चारों में से जो भी समय पर मिल जाए उसे रोटी खिलाते रहें।

4. पीपल या बरगद के वृक्ष में जल चढ़ाते रहना चाहिए। केसर का तिलक लगाते रहना चाहिए। विष्णु भगवान के मंत्र जाप, श्रीमद्‍भागवत गीता का पाठ करने से पितृदोष चला जाता है। एकादशी के व्रत रखना चाहिए कठोरता के साथ।

5. दक्षिणमुखी मकान में कदापी नहीं रहना चाहिए। यदि दक्षिणमुखी, नैऋत्य कोण या आग्नेय कोण में मकान है तो मकान के सामन दरवाजे से दोगुनी दूरी पर नीम का पेड़ लगाकर उसकी सेवा करें।

कैसे पहचाने घर में पितृ दोष है?

कैसे पहचाने घर में पितृ दोष है ? ( पितृ दोष होने पर वैवाहिक जीवन में सदा तनाव बना रहता है. पति-पत्नी के बीच आए दिन झगड़े होते हैं. परिवार में एकता नहीं होती. अक्सर घर में क्लेश होते है, मानसिक शांति नहीं मिलती, बिना बात के घर में लड़ाई होना पितृ दोष के लक्ष्ण हैं.

पितृ दोष कैसे खत्म किया जाए?

पीपल के वृक्ष पर दोपहर में जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ाएं और स्वर्गीय परिजनों का स्मरण कर उनसे आशीर्वाद मांगें। 5. शाम के समय में दीप जलाएं और नाग स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र या रुद्र सूक्त या पितृ स्तोत्र व नवग्रह स्तोत्र का पाठ करें। इससे भी पितृ दोष की शांति होती है।

पितृ दोष कब तक रहता है?

पितृदोष कब तक रहता है यह दोष कई जन्मों तक साथ चलता है. मान्यता है कि कुल के अंत तक ये ऋण बना रहता है औश्र इससे मुक्ति के लिए हर अमावस्या और पितृपक्ष में पितरों को तपर्ण करना जरूरी होता है. साथ ही सदकर्म और दान-पुण्य से इस कष्ट को कम किया जा सकता है.

पितरों की शांति के लिए क्या करना चाहिए?

पितृ शांति के उपाय पितृ शांति के लिए अपने अपने पितरों की निर्वाण तिथि पर उनकी पसंद का भोजन जरूरतमंदों लोगों को खिलाएं या आप ब्राह्मण भोज का आयोजन भी कर सकते हैं। साथ ही रोजाना पितृ कवच का पाठ करने से भी पितृ दोष मिटता है। पितरों को प्रसन्न करने के लिए दोपहर के समय पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं।