पास्को एक्ट में कितने दिन में जमानत होती है? - paasko ekt mein kitane din mein jamaanat hotee hai?

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मुंबई6 महीने पहले

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बॉम्बे हाईकोर्ट ने POCSO अधिनियम के एक आरोपी को जमानत देते हुए कहा- होठों पर किस करना या प्यार करना अप्राकृतिक यौन अपराध नहीं है। एक शख्स पर 14 साल के बच्चे से यौन शोषण का आरोप था। शख्स पर इंडियन पीनल कोड की धारा 377, 384, 420 और सेक्शन 8 व 12 (यौन उत्पीड़न) में मुकदमा दर्ज था।

आरोपी ने जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई ने इसे अपराध न बताते हुए आरोपी को जमानत दे दी है।

कोर्ट ने कहा-याचिकाकर्ता जमानत का हकदार
जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई ने कहा- पीड़ित के बयान और FIR से पता चलता है कि याचिकाकर्ता ने पीड़ित को होठों पर किस किया और उसके प्राइवेट पार्ट्स को छुआ था। यह प्रथमदृष्टया भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत अपराध नहीं है। कोर्ट ने कहा कि पॉक्सो की धारा 8 और 12 के तहत इस मामले में अपराधी को अधिकतम 5 साल तक की कैद की सजा है। वहीं याचिकाकर्ता एक साल से हिरासत में था। उस पर अभी आरोप तय नहीं हुआ है और हाल फिलहाल मुकदमा शुरू होने की संभावना नहीं है। ऐसे में वह जमानत का हकदार है।

कोर्ट ने आरोपी को दिया ये निर्देश
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 30 हजार रुपए के निजी बॉन्ड जमानत के साथ जमा करने का निर्देश दिया है। साथ ही वो हर 2 महीने में एक बार पुलिस थाने में रिपोर्ट करेगा। कोर्ट ने कहा- आरोपी, शिकायतकर्ता या गवाहों पर दबाव नहीं बनाएगा और न ही सबूतों से छेड़छाड़ करेगा। आरोपी मुकदमे के संचालन में सहयोग करेगा और सभी तारीखों पर ट्रायल कोर्ट रूम में पेश होगा।

बेटे ने बताया, मेरा यौन शोषण हुआ था
पीड़ित के पिता ने बेटे के साथ यौन शोषण का मामला दर्ज कराया था। पिता ने बताया, मेरी अलमारी से कुछ पैसे गायब थे। इस बारे में अपने बेटे से पूछने पर पता चला कि वो ऑनलाइन गेम खेलता है। इसके लिए पड़ोस की एक दुकान पर रिचार्ज कराने जाता है। उसने अलमारी से पैसे निकालकर रिचार्ज करवाया था। बेटे ने यह भी बताया कि एक दिन दुकानदार ने उसका यौन शोषण किया था।

पॉक्सो के तहत क्या-क्या यौन अपराध की श्रेणी में आता है?
पॉक्सो एक्ट के तहत 18 साल से कम उम्र के सभी बच्चों के प्रति यौन शोषण को कवर किया गया है। खास बात ये है कि ये कानून जेंडर न्यूट्रल है यानी 18 साल से कम उम्र के लड़के, लड़कियां और ट्रांसजेंडर बच्चों के लिए कानून में समान रूप से नियम है।

पास्को एक्ट में कितने दिन में जमानत होती है? - paasko ekt mein kitane din mein jamaanat hotee hai?

एडवोकेट और सोशल एक्टिविस्ट अपर्णा गीते से समझते हैं, आखिर क्या-क्या पॉक्सो के तहत चाइल्ड सेक्शुअल क्राइम की कैटेगरी में आता है।

  • गलत नीयत से बच्चों के साथ अश्लील बातें, इशारे करना।
  • बच्चों के संवेदनशील या प्राइवेट पार्ट्स को गलत इरादे से या यौन हमले के इरादे से टच करना।
  • बच्चों का पीछा करना, अकेले में ले जाकर गलत नीयत से बातें करना।
  • बच्चे को एक्सपोज करना या बच्चे के सामने खुद एक्सपोज होना।
  • बच्चे को पोर्नोग्राफिक मटेरियल दिखाना, या उनका इस्तेमाल जबरदस्ती पोर्नोग्राफिक मटेरियल प्रोड्यूस करने में करना।
  • बच्चों को अश्लील साहित्य पढ़ाना।
  • पॉक्सो में ऑनलाइन हैरेसमेंट को भी कवर किया गया है। सोशल मीडिया पर बच्चों को अश्लील फोटो या मैसेज भेजना भी अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे मामलों में IT एक्ट के तहत भी कार्रवाई की जाती है।

खास बात ये है कि पॉक्सो में नीयत पर ज्यादा फोकस किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में यही कहा है कि भले ही स्किन टू स्किन टच न हुआ हो, लेकिन खराब नीयत ही जुर्म का आधार है।

कानून में बच्चे की प्राइवेसी का भी पूरा ख्याल
पॉक्सो कानून में शिकायत से लेकर सुनवाई तक की पूरी प्रक्रिया में बच्चे की प्राइवेसी और मानसिक/शारीरिक स्थिति का पूरा ख्याल रखा जाता है।

  • बच्चे के साथ-साथ परिवार की भी पूरी पहचान गोपनीय रखी जाती है। न मीडिया वाले बच्चे के फोटो/नाम छाप सकते हैं और न ही कोर्ट में बच्चे का नाम प्रकाशित किया जाता है।
  • कोर्ट में भी वकील, जज और बच्चे के अलावा केवल जरूरी लोग ही मौजूद रह सकते हैं, ताकि बच्चे को कम्फर्टेबल फील हो और प्राइवेसी भी बनी रहे।

पास्को एक्ट में कितने दिन में जमानत होती है? - paasko ekt mein kitane din mein jamaanat hotee hai?

स्किन टू स्किन टच के बिना रेप नहीं, वाला फैसला
इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस गनेडीवाला ने POCSO एक्ट के मामले में ऐसा ही फैसला सुनाया था। उन्होंने कहा- यदि आरोपी और पीड़ित के बीच 'कोई सीधा शारीरिक संपर्क, यानी स्किन टू स्किन टच' नहीं हुआ है तो यह POCSO अधिनियम की धारा 7 के तहत यौन उत्पीड़न के अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा। इस फैसले का देशभर में काफी विरोध हुआ। नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के इन फैसलों को खारिज कर दिया था।

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि लड़की और आरोपी के बीच ‘‘प्रेम संबंध’’ और कथित तौर पर ‘‘शादी से इनकार’’ जैसे आधारों का पॉक्सो के मामले में जमानत के मुद्दे पर कोई असर नहीं पड़ेगा। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम 2012 के तहत दर्ज मामले में एक आरोपी को जमानत देने के झारखंड उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के आदेश को रद्द कर दिया।

पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया अदालत के समक्ष सामग्री से प्रतीत होता है कि जब कथित अपराध हुआ था तो अपीलकर्ता की उम्र बमुश्किल तेरह वर्ष की थी। इसने कहा कि इन दोनों आधारों का जमानत देने पर कोई असर नहीं पड़ेगा कि अपीलकर्ता (लड़की) और प्रतिवादी (आरोपी) के बीच ‘प्रेम संबंध’ थे और साथ ही कथित तौर पर शादी से इनकार करने वाली परिस्थितियां थीं।

पीठ ने सोमवार को पारित अपने आदेश में कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष की उम्र और अपराध की प्रकृति एवं गंभीरता को देखते हुए जमानत देने का कोई मामला नहीं बनता।’’ शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि आरोपी को तुरंत आत्मसमर्पण करना चाहिए। लड़की की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर और अधिवक्ता फौजिया शकील ने कहा कि पीड़िता की जन्म तिथि एक जनवरी 2005 है और कथित अपराध के समय उसकी उम्र केवल तेरह वर्ष थी।

आरोपी की ओर से पेश अधिवक्ता राजेश रंजन की इस दलील पर कि उनका मुवक्किल एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने वाला छात्र है और उसे पूरे मुकदमे के दौरान जमानत नहीं मिलेगी, पीठ ने कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए विशेष न्यायाधीश, पॉक्सो इस आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तारीख से छह महीने के भीतर मुकदमा पूरा करेंगे।

शीर्ष अदालत ने उल्लेख किया कि 27 जनवरी, 2021 को रांची जिले के कांके थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों के तहत दंडनीय अपराधों के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। प्राथमिकी में याचिकाकर्ता लड़की ने आरोप लगाया था कि जब वह नाबालिग थी तो आरोपी उसे एक आवासीय होटल में ले गया था और उसने शादी करने का आश्वासन देकर उसके साथ यौन संबंध बनाए थे।

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उसने आरोप लगाया था कि आरोपी उससे शादी करने से इनकार कर रहा है और उसने उसके पिता को कुछ अश्लील वीडियो भेजे हैं। शीर्ष अदालत ने उल्लेख किया कि आरोपी के अग्रिम जमानत आवेदन को विशेष न्यायाधीश पॉक्सो, रांची ने 18 फरवरी, 2021 को खारिज कर दिया था, जिसके बाद उसने तीन अप्रैल, 2021 को आत्मसमर्पण कर दिया था और जमानत मांगी थी।

पुलिस ने 24 मई, 2021 को विशेष न्यायाधीश के समक्ष आरोपपत्र दायर किया था और झारखंड उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने आरोपी की जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया था।

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पोक्सो एक्ट के तहत पीड़ित की अधिकतम उम्र क्या है?

संसद की एक प्रमुख समिति ने पॉक्सो कानून (Pocso Act) के तहत गंभीर मामलों में शामिल किशोरों के लिए उम्र सीमा 18 साल से कम करके 16 साल करने पर जोर नहीं देने का फैसला किया है. इससे पहले सरकार ने कहा कि इस आयु वर्ग के किशोरों द्वारा किये जाने वाले जघन्य अपराधों से निपटने के लिए मौजूदा कानून पर्याप्त हैं.

376 पास्को धारा क्या है?

आईपीसी धारा 376: बलात्संग के लिए दंड वह कठोर काराबास से, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम की नहीं होगी, किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, जिससे उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास अभिप्रेत होगा, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।

पास्को एक्ट क्या कहलाता है?

पॉक्सो अधिनियम, 2012 यह कानून लैंगिक समानता पर आधारित है। इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है। इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है।