परावर्तन किसे कहते हैं परावर्तन के नियम - paraavartan kise kahate hain paraavartan ke niyam

हेलो दोस्तों मेरा प्रश्न है परावर्तन किसे कहते हैं इसके नियम को लिखिए ठीक है दोस्तों प्रकाश का परावर्तन आइए हम लोग समझते हैं ठीक है तू तो उससे जब प्रकाश किसी अपारदर्शी वस्तु पर पड़ती है तो वह उसी माध्यम में पुणे टकराकर लौट जाती है मनी चाहिए कोई पृष्ठ है यह कोई अपारदर्शी अपारदर्शी सकता है ठीक है तुझे दोस्तों इस पर प्रकाश पड़ती है तो यह क्या होती है कि यहां पर प्रकाश की टकराने की क्रिया होती है ठीक है जब कोई प्रकाशित होती है तो यह क्या करती है इस से टकराने के फलस्वरूप उन्हें इसी माध्यम में टकरा कर के लौट जाती है ठीक है इस तरह से तो इसे ही हम तो प्रकाश के टकराने टकराकर के लौटने की इस घटना को हम लोग प्रकाश का परावर्तन कहते हैं तेरे दोस्तों माननी चाहिए ए बी सी ए ए बी किरण को हम लोग क्या कहते दोस्तों यह आप अतीत की जंग

जो किरण आती है और यह क्या होती है यह होती है परावर्तित किरण एसबीसी क्या है परावर्तित किरण ठीक है जो टकराकर के लौटती है तो दोनों के मध्य अगर हम लोग नाम डालते हैं यह क्या होता है लव स्कूटी बोल देते विधि क्या है इसे हम लोग क्या कहते हैं अभी लंब कहते हैं ठीक है अभी लाती है तो यही होता है दोस्तों प्रकाश का परावर्तन कि जब प्रकाश किसी अपारदर्शी वस्तु पर पड़ती है तो मैं टकरा कर पुनः उसी माध्यम में लौट जाती है जिसे प्रकाश का परावर्तन कहते हैं इसके नियम को गर्म लोग देखें दोस्तों तो प्रकाश के परावर्तन के दो नियम होता है पहला नियम है कि जो तू दूसरों जब कोई प्रकाशित होगी तो वह कोई गुण प्राप्त होगी और परावर्तित में कोई कौन पर होगी ठीक है तो अभिलंब से जो आप तन कोण का जो कौन बनता है इसको हम लोग क्या बोलते हैं अपवर्क

आपतन कोण कहते हैं ठीक है स्कूल को क्या कहते हैं आप पर कौन कहते हैं और जो पड़ाव परावर्तित किरण और अभिलंब के साथ कौन बनता है उसे हम लोग परावर्तन कोण कहते हैं ठीक है आप तुम कौन हो हम लोग आए थे इंसीडेंट राय से करते हैं एंगल आईएस ए और यह क्या होता है यह आर होता है रिफ्लेक्ट ठीक है तो दोस्तों पहला नियम यह कहता है कि आप तन कौन आप तन कोण परावर्तन कोण के बराबर होता है परावर्तन कोण के बराबर होता है ठीक है बराबर होता है अर्थात लिख सकते इसको हम लोग की कौन आई बराबर कौन ठीक है यह पहला नियम होता है प्रकाश के परावर्तन का दूसरा नियम यह है दोस्तों की दूसरा नियम होता है कि जैसा कि हम चित्र में देख रहे हैं कि हमारा अतीत किरण बराबर

किरण और अभिलंब तीनों क्या होता है एक ही पल पर होता है अतः लिख सकते हम लोग कि आप अतीत किरण आपतित किरण परावर्तित किरण और अभिलंब और अभिलंब क्या होता है तीनों एक ही पल में होता है एक ही पल में होता है यह दोस्तों क्या होता है हमारे परावर्तन का दूसरा नियम होता है और इसे चित्र में भी हम लोग देख सकते दोस्तों हमारा जो एबी आप आपके किरण है और जो सीबी परावर्तित किरण है और अभी लंबी दी है वह कह तीनों एक ही बिंदु पर है एक ही पल पर ठीक है तो यह दोस्तों यह दो तो क्या हो गया हमारे परावर्तन के दो नियम धन्यवाद दोस्तों

क्या आप सोच सकते हैं, कोई वस्तु आपको कैसे दिखाई देती है? जब हम किसी वस्तु को देखते हैं, तो उस वस्तु से प्रकाश हमारी आँखों में प्रवेश करता है, जिससे हमें वह दिखाई देती है। कुछ वस्तुएँ जैसे सूर्य, तारे, जलती हुई मोमबत्ती, लैम्प आदि जो स्वयं से प्रकाश को उत्सर्जित करती हैं, दीप्तिमान वस्तुएँ कहलाती हैं। कुछ अन्य वस्तुएँ किसी दीप्तिमान वस्तु से उन पर पड़ने वाले प्रकाश के कुछ भाग को वापस मोड़ देती हैं। किसी सतह पर प्रकाश के गिरने के पश्चात प्रकाश किरणों के मुड़ने की यह घटना, प्रकाश का परावर्तन कहलाती है।

इस प्रकार, जब प्रकाश पुंज किसी वस्तु के सम्पर्क में जाता है तो इसका कुछ भाग अथवा पूरा प्रकाश पुंज ही वस्तु से टकराकर वापस उसी माध्यम में लौट जाता है। यह घटना ‘प्रकाश का परावर्तन’ कहलाती है। कुछ वस्तुएँ जिनकी सतह चिकनी एवं चमकदार होती हैं, अन्य वस्तुओं की अपेक्षा बेहतर परावर्तन करती हैं। एक चिकनी एवं चमकदार सतह जो आपतित प्रकाश के अधिकतम भाग को परावर्तित कर देती है, ‘दर्पण’ कहलाती है।


 प्रकाश का परावर्तन

चित्र में समतल दर्पण से प्रकाश के परावर्तन को दर्शाया गया है। प्रकाश किरण के परावर्तन की घटना को समझने के लिए हम कुछ शब्दों को परिभाषित करते हैं।

प्रकाश के गमन की दिशा में एक प्रकाश पुंज में प्रकाश की कई किरणें समाहित होती हैं। परावर्तक तल (सतह) पर पड़नेवाली प्रकाश की किरण, आपतित किरण कहलाती है। परावर्तक तल के जिस बिन्दु पर आपतित किरण टकराती है, परावर्तक तल के उस बिन्दु से 90°C के कोण पर खींची गई रेखा अभिलम्ब कहलाती है। परावर्तक तल से वापस लौटनेवाली प्रकाश की किरण को, परावर्तित किरण कहते हैं। आपतित किरण एवं अभिलम्ब के बीच के कोण को ‘आपतन कोण’ तथा परावर्तित किरण एवं अभिलम्ब के बीच के कोण को ‘परावर्तन कोण’ कहते हैं।

परावर्तन के नियम

प्रकाश का परावर्तन

जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से निकलकर दूसरे माध्यम के चिकने या पालिशदार तल पर टकराती है तो उसका अधिकतर भाग प्रथम माध्यम से ही लौट आता है। प्रकाश की इस घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।

प्रकाश के परावर्तन के नियम

माना कि कोई प्रकाश किरण (IO) परावर्तक तल AB के O बिन्दु पर गिरती है तथा परावर्तन के पश्चात यह चित्र के अनुसार OR दिशा में चली जाती है। सतह से प्रकाश का परावर्तन दो नियमों के अनुसार होता है –

  1. आपतित किरण, परावर्तित किरण एवं आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते हैं।
  2. आपतन कोण का मान परावर्तन कोण के मान के बराबर होता है।

∠i = ∠r

परावर्तन के दौरान प्रकाश की गति, आवृत्ति तथा तरंगदैध्र्य में कोई परिवर्तन नहीं होता है। प्रकाश के परावर्तन को ‘नियमित परावर्तन’ एवं ‘विसरित परावर्तन’ में वर्गीकृत किया जा सकता है।

1. नियमित परावर्तन - जब परावर्तक तल बहुत ही चिकना होता है तथा इस पर पड़नेवाला प्रकाश सीधे ही परावर्तित हो जाता है, तो इसे ‘नियमित परावर्तन’ कहते हैं। 

2. विसरित परावर्तन - जब प्रकाश का परावर्तन किसी खुरदरे पृष्ठ (सतह) से होता है, तो चित्र के अनुसार प्रकाश परावर्तित होकर सभी दिशाओं में फैल जाता है। इसे ‘विसरित परावर्तन’ कहते हैं।

 खुरदरे सतह पर आपतित किरणें समान्तर हों तो परावर्तित किरणें समान्तर नहीं होतीं 

विसरित परावर्तन में सतह के खुरदरे होने के कारण आपतित समानान्तर किरणों के आपतन बिन्दु पर खींचे गए अभिलम्ब समानान्तर नहीं होते हैं, इसलिए परावर्तित किरणें सभी दिशाओं में परावर्तित होती हैं, किन्तु परावर्तन के नियमों का पालन करती हैं।

परावर्तन के कारण प्रतिबिम्बों का बनना - आपने अब तक यह सीख लिया होगा कि किसी वस्तु अथवा प्रतिबिम्ब को देखने के लिए वस्तु से प्रकाश का प्रेक्षक की आँखों तक पहुँचना आवश्यक है। अर्थात् किसी वस्तु अथवा बिम्ब से आनेवाला प्रकाश रेटिना पर पड़ना चाहिए जहाँ से दृक्-तंत्रिकाओं की सहायता से मस्तिष्क द्वारा संवेदित किया जाता है। जब किसी वस्तु से आनेवाली प्रकाश किरणें आँख के रेटिना पर मिलती हैं, अथवा मिलती हुई प्रतीत होती हैं, तब वह वस्तु हमें दिखाई देने लगती है, और हम कहते हैं कि रेटिना पर उस वस्तु का प्रतिबिम्ब बन गया है।

जब किसी वस्तु को किसी दर्पण के सामने रखा जाता है, तो परावर्तन द्वारा इसके प्रतिबिम्ब का निर्माण होता है। वस्तु का प्रत्येक बिन्दु एक बिन्दु-स्रोत के रूप में कार्य करता है जिससे कई किरणें निकलती हैं। बिन्दु-स्रोत के प्रतिबिम्ब को निर्धारित करने के लिए यह माना जा सकता है कि बिन्दु-स्रोत से अनेक किरणें निकलती हैं। लेकिन सुगमता के लिए, हम (बिन्दु-स्रोत से शुरू होनेवाली) प्रकाश की कोई दो किरणें लेते हैं।

दर्पण से परावर्तन होने का मार्ग अर्थात संगत परावर्तित किरणें परावर्तन के नियमों के आधार पर अनुरेखित किया जा सकता है। वह बिन्दु जहाँ ये दोनों परावर्तित किरणें वास्तव में मिलती हैं, बिन्दु-स्रोत का ‘वास्तविक प्रतिबिम्ब’ है। 

यदि ये किरणें वास्तव में नहीं मिलती हैं तथा केवल ऐसा आभास होता है, तो बिन्दु-स्रोत का ‘आभासी प्रतिबिम्ब’ बनता है। वास्तविक प्रतिबिम्ब, परावर्तित-किरणों के वास्तविक प्रतिछेदन से प्राप्त होती है, अत: इन्हें पर्दे पर प्रक्षेपित किया जा सकता है। आभासी प्रतिबिम्ब, तब बनते हैं, जब किरणें एक-दूसरे से मिलती प्रतीत होती हैं, लेकिन वास्तव में वे एक-दूसरे को नहीं काटती हैं। अत: आभासी प्रतिबिम्ब को पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता है।

प्रकाश का अपवर्तन

जब प्रकाश की किरणें विरल माध्यम से सघन माध्यम में जाती है तो ये अभिलम्ब की ओर मुड़ जाती है तथा जब ये सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती है तो अभिलम्ब से दूर हट जाती हैं।

अधिक सघन माध्यम में प्रकाश का वेग विरल माध्यम की तुलना में कम हो जाता है। जब प्रकाश की किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में जाती है तो अभिलंब की ओर झुक जाती है और जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती है तो अभिलम्ब से दूर हट जाती है। ।

प्रकाश का अपवर्तन के नियम

क्या आपने कभी पानी से भरे गिलास की तली में रखे सिक्के को देखा है? सिक्का इसकी वास्तविक गहराई से कम गहराई पर रखा दिखाई देता है। ऐसा क्यों होता है? प्रकाश की किरणें जहाँ मिलती हैं, अथवा वह बिन्दु जहाँ से प्रकाश आता हुआ प्रतीत होता है वहाँ हम एक प्रतिबिम्ब देखते हैं।

जब प्रकाश पानी से बाहर आता है, यह मुड़ जाता है जिसके कारण सिक्का चित्रा में दिखाए अनुसार ऊध्र्वाधरत: विस्थापित दिखाई देता है। क्या यह सदैव घटित होता है? नहीं। यह केवल तभी होता है जब प्रकाश की किरणें एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती हैं तथा अपने मार्ग से विचलित हो जाती हैं। प्रकाश का मुड़ना, माध्यमों के घनत्व पर निर्भर करता है।

पानी से भरे गिलास में रखा सिक्का

जब प्रकाश की किरण सघन-माध्यम से विरल-माध्यम में जाती है, तो वह अभिलम्ब से दूर मुड़ती है। जब यह विरल-माध्यम से सघन-माध्यम में प्रवेश करती है, तो यह अभिलम्ब की ओर मुड़ती है। प्रकाश के मुड़ने की यह घटना ‘प्रकाश का अपवर्तन’ कहलाती है। चित्र में प्रकाश का अपवर्तन दिखाया गया है।

प्रकाश का अपवर्तन

चित्र में प्रकाश अपने पथ से विचलित होता है लेकिन चित्र में यह अपने पथ से विचलित नहीं होता है। क्या यह अपवर्तन है अथवा नहीं? निश्चित रूप से यह अपवर्तन है। अभिलम्ब के समानान्तर आपतित प्रकाश की किरणें अपने मार्ग से विचलित नहीं होती है। अपवर्तन के दौरान प्रकाश की आवृत्ति अपरिवर्तित रहती है, लेकिन इसकी तरंगदैध्र्य बदल जाती है एवं इसी कारण प्रकाश की चाल भी बदल जाती है।

जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है, तो वह अपने मार्ग से विचलित हो जाती है। प्रकाश की किरण का अपने मार्ग से विचलन माध्यम के अपवर्तनांक एवं आपतन कोण पर निर्भर करता है। अपवर्तन के नियम हैं –

1. अपवर्तन का प्रथम नियम : आपतित-किरण, अपवर्तित-किरण एवं अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते हैं। 

2. अपवर्तन का द्वितीय नियम : प्रकाश की किरणों का अपवर्तन कितना होगा यह माध् यम पर निर्भर करता है। अपवर्तन के समय आपतन-कोण की ज्या (sine) एवं अपवर्तन कोण की ज्या (sine) का अनुपात किन्हीं दो माध्यमों के लिए स्थिर रहता है। इस राशि को पहले माध्यम के सापेक्ष, दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक कहते हैं। इसे ‘‘स्नैल का नियम’’ भी कहते हैं।

    आपतन कोण की ज्या 

    अपवर्तनांक (n) =  --------------------                              

    अपवर्तन कोण की ज्या क्या 

    या

    sin i

    n=-----------

    sin r

    अपवर्तन के दौरान प्रकाश का रंग बदल जाता है : प्रकाश की तरंगदैध्र्य एवं आवृत्ति, प्रकाश की चाल से, समीकरण ν = νλ के अनुसार सम्बन्धित होती है। जहाँ ν = प्रकाश की आवृत्ति एवं λ = प्रकाश का तरंगदैध्र्य है।

    परावर्तन किसे कहते हैं इसके कौन कौन से नियम है?

    जब कोई प्रकाश की किरण किसी एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो परावर्तक पृष्ठ से टकराकर वापस उसी माध्यम में लौट जाती है। इस घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते है। (i)आपतन कोण सदैव परावर्तन कोण के बराबर होता है। (ii) आपतित किरण, परावर्तित किरण और आपतन विन्दु पर अभिलम्ब तोनों सदैव एक ही तल में होते हैं

    प्रकाश का परावर्तन का नियम क्या है?

    जब कोई तरंग (प्रकाश, ध्वनि आदि) दो माध्यमों के मिलन-तल पर आकर उसी माध्यम में लौट जाता है (दूसरे माध्यम में नहीं जाता), तो इसे उस तरंग का परावर्तन (रिफ्लेशन) कहते हैं। सामान्य जीवन में प्रकाश, ध्वनि और जल तरंगों का परावर्तन सर्वत्र देखने को मिल जाता है।

    परावर्तन कितने प्रकार के होते हैं?

    Solution : प्रकाश का परावर्तन दो प्रकार का होता है नियमित परावर्तन और अनियमित परावर्तन

    परावर्तन के नियम कैसे लिखें?

    प्रकाश के परावर्तन के नियम प्रकाश के परावर्तन के दो नियम होते हैं। 1. आपतन कोण i, परावर्तन कोण r के बराबर होता है। आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा अभिलंब तीनों एक ही तल में होते हैं।

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