पूरी दुनिया में भारत का क्या महत्व है? - pooree duniya mein bhaarat ka kya mahatv hai?

  • Hindi News
  • National
  • What Will India Think Of Us After 50 Years

प्रतीकात्मक फोटो।

  • संदर्भ- मौजूदा विवादों, स्वास्थ्य के खतरों और मंद अर्थव्यवस्था के बीच 2070 की कल्पना

प्रिय शिक्षक, हमें 2020 में भारत में रहने वाले हमारे दादा-दादी की पीढ़ी के बारे में लिखने का काम देने के लिए धन्यवाद। यह बहुत पुराना सा लगता है। अगर हमें यह काम नहीं दिया गया होता तो हमें यह अहसास ही नहीं होता कि हमें आज हमारे चारों ओर की चीजों को कैसे महत्व देना चाहिए। आज हम भारत को बहुत महत्व नहीं देते हैं। लगभग हर किसी के पास कार व घर है। लोगों को अच्छे अस्पताल व स्कूल उपलब्ध हैं। सड़कें अच्छी हैं और सार्वजनिक परिवहन निजी कार से भी बेहतर है। हमारी प्रति व्यक्ति आय 60 हजार डॉलर है। निश्चित ही यह हमारी औसत आय का उच्च स्तर है, जिससे अधिकतर भारतीयों को अच्छा जीवन मिल पाता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं, 2020 में हमारी प्रति व्यक्ति आय सिर्फ 2000 डॉलर थी। किसी समय, शायद हमारे माता-पिता के समय में भारत ने विकास पर ध्यान केंद्रित किया। हालांकि, हमारे दादा-दादी के समय 2020 में ऐसा नहीं हुआ। 2020 में भारत कई दशकों में सबसे कम विकास दर का सामना कर रहा था। नौकरी पाना मुश्किल था और ऑटो से लेकर रियल एस्टेट व बैंक जैसे व्यापार भी संकट में थे। जरा अंदाजा लगाओ कि तब तक हमारे दादा-दादी ने किस बात पर फोकस किया होगा? हिंदू-मुस्लिम मुद्दे पर। निश्चित ही तब भारत में हिंदू और मुस्लिम एक-दूसरे को पसंद नहीं करते थे। राजनेता इसका इस्तेमाल लाेगों को बांटने और वोट पाने के लिए करते थे। बिल्कुल, अब यह सब पूरी तरह अवैध है। हकीकत में आज के भारत में हम सामाजिक रूप से उन लोगों को बहुत ही बुरी नजर से देखते हैं, जो बांटने वाली बात करते हैं। हमारे पास कानून हैं, जो भगवान और राष्ट्रवाद के नाम पर हिंसा नहीं होने देते। 2020 में तो यह सबके लिए आम था। हमारे दादा-दादी कम आय, खराब सड़कों और बुरी स्वास्थ्य सेवाओं की परवाह नहीं करते थे। मेरा मतलब है कि उनकी प्राथमिकता में यह बहुत नीचे था। जब वोट देने की बारी आती थी तो यह कोई मुद्दा नहीं होता था। सोचिए कि यह कितना मूर्खतापूर्ण रहा होगा? 2020 में दो प्रमुख राजनीतिक दल थे। उनमें से एक भाजपा मजबूत थी और उसके पास बड़ा बहुमत भी था। वे लगातार जीत रहे थे, इससे साफ था कि लोग उन्हें चाहते थे। जब वे धर्म व राष्ट्रवाद की बात करते थे तो लोग पसंद करते थे। असल में उन्हांेने जब भी आर्थिक सुधारों की कोशिश की, लोगों ने इसे पसंद नहीं किया। उन्होंने इसे सूट-बूट की सरकार कहा। सूट-बूट की सरकार में गलत क्या है? क्या वे नहीं चाहते थे कि सभी भारतीयों के पास सूट-बूट हों, जैसे कि आज हमारे पास है। दूसरी पार्टी कांग्रेस ने लगातार दो चुनावों में हार का सामना किया। हालांकि, इसके बावजूद वह जरा नहीं बदली। देश के पहले प्रधानमंत्री की बेटी के बेटे का बेटा उनका प्रधानमंत्री पद का दावेदार था। इसलिए उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि लोग क्या चाहते हैं। 2020 में पूरी दुनिया कोरोना वायरस से डरी हुई थी। इसका चीन पर सबसे अधिक असर हुआ। इससे पूरी दुनिया में मंदी आ गई और इसका भारत पर भी असर पड़ा। इस वायरस के बाद दुनिया निर्माण के क्षेत्र में चीन से अपनी निर्भरता को कम करना चाहती थी, भारत इस अवसर को ले सकता था। लोगों ने उस समय अर्थव्यवस्था की बहुत कम चिंता की। लोग पूरे दिन हिंदू-मुस्लिम की बात करना चाहते थे। जैसे कि कौन अच्छा था और कौन बुरा। हालांकि, दोनों में ही अच्छे लोग भी थे और बुरे भी, लेकिन उन्होंने इसे कभी नहीं समझा। वे इतिहास से यह साबित करना चाहते थे कि मुस्लिम बुरे हैं या हिंदू बुरे हैं। यही प्राइम टाइम की बहस होती थी। हमारे दादा-दादी अपने भूतकाल से बाहर नहीं निकल पा रहे थे। कई बार सड़कों पर दंगे होते थे और लोग मारे जाते थे। वे गरीब लोग होते थे और हमारे देश में तब बहुत थे, इसलिए मायने नहीं रखते थे। बाद में तेल की कीमतें गिर गईं, वायरस और फैल गया और भारतीय व्यापार को भारी क्षति पहुंच गई। जो कोई भी कहता था कि हमें अर्थव्यवस्था पर फोकस करना चाहिए, उसे उबाऊ कहा जाता था और कम महत्व दिया जाता था। दुर्भाग्य से जीडीपी का कोई धर्म नहीं था। कुछ लोगों ने स्वास्थ्य, विकास दर, रोजगार और शिक्षा जैसे वास्तविक मुद्दों पर बात करने की कोशिश की। हालांकि, वे संख्या में बहुत कम थे। वे एक सोशल मीडिया एप ट्विटर का इस्तेमाल करते थे, जो आज मौजूद भी नहीं है। इन लोगों को इसलिए नजरअंदाज कर दिया गया, क्योंकि ट्विटर पर लोग दिनभर हिंदू-मुस्लिम मसलों पर चर्चा करते थे। 

ईश्वर का शुक्र है कि किसी समय भारतीय जाग गए। उन्हें अहसास हो गया कि यह सब मूर्खता है और कुछ भी अच्छा नहीं करेगा। उन्हांेने बदलने का फैसला किया। उन्होंने कानून बनाए और ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार करना शुरू किया जो ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें करते थे, जिनका भारत की प्रगति और संपन्नता से कोई सरोकार नहीं था। उन्होंने सिर्फ विकास का फैसला किया। हिंदू और मुसलमान दोनों ने ही अपने बच्चों को शिक्षित करने, उन्हें व्यापार, नेटवर्किंग सिखाने के साथ ही उनकी कम्युनिकेशन क्षमताओं को बढ़ाया। मतदाताओं ने नेताओं को सिर्फ प्रदर्शन के आधार पर आंका। उन्होंने कहा कि अगले दो दशकों में हमें सिर्फ विकास करना है। अाज भारत अमीर और कीर्तिवान है। हम अमीर हैं, इसलिए हमें सौम्य माना जाता है। अब होली और दीपावली दुनियाभर में प्रसिद्ध है, क्योंकि भारत जैसा अमीर देश इन्हें मनाता है। यह वैसा ही है, जैसा 2020 में थैक्सगिविंग और हैलोवीन जैसे अमेरिकी त्योहार प्रसिद्ध थे। इससे हिंदू संस्कृति का विकास 2020 की तुलना में बेहतर हुआ है। मैं सोचता हूं कि हमारी पीढ़ी का क्या होता अगर भारत बदला न होता। वास्तव में हम बहुत भाग्यशाली हैं कि हम आज 2070 में रह रहे हैं, न कि 2020 के भारत में। (यह लेखक के अपने विचार हैं।)

पूरी दुनिया में भारत का महत्व क्या है?

भारत में विश्व बैंक 1.2 अरब से अधिक जनसंख्या वाला देश भारत, विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। पिछले दशक में, भारत विश्व की अर्थव्यवस्था से जुड़ा है और साथ ही उसका आर्थिक विकास भी हुआ है | भारत अब एक विश्व खिलाड़ी के रूप में उभरा है।

विश्व में भारत की क्या स्थिति है लिखो?

भारत भौगोलिक दृष्टि से विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा देश है, जबकि जनसंख्या के दृष्टिकोण से चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन(तिब्बत), नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं।

भारत का जन्म कब हुआ था?

भारत में मानव जीवन का प्राचीनतम प्रमाण १००,००० से ८०,००० वर्ष पूर्व का है।।

भारत के 7 नाम क्या है?

प्राचीनकाल से भारतभूमि के अलग-अलग नाम रहे हैं मसलन जम्बूद्वीप, भारतखण्ड, हिमवर्ष, अजनाभवर्ष, भारतवर्ष, आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान और इंडिया.

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग