पिंजरे में बंद पक्षी क्या चाहता था? - pinjare mein band pakshee kya chaahata tha?

प्रश्न 1-1. हर तरह की सुख सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद क्यों नही रहना चाहते?

उत्तर : हर तरह की सुख सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद इसलिए रहना नहीं चाहते क्योंकि उन्हें स्वतंत्रता पसंद है, वे बंधन में रहना नही चाहते। वे खुले आकाश में आजादी पूर्वक उड़ना चाहते हैं।

प्रश्न 1-2. पक्षी उन्मुक्त रहकर अपनी कौन-कौन सी इच्छाएँ पूरी करना चाहते हैं?

उत्तर : पक्षी उन्मुक्त रहकर नदियों का शीतल जल पीना, कड़वी निबोरी खाना, पेड़ की सबसे ऊँची टहनी पर झूलना, खुले और विस्तृत आकाश में उड़ना, और क्षितिज के अंत तक उड़ने की इच्छाओं को पूरी करना चाहते हैं।

प्रश्न 1-3. भाव स्पष्ट कीजिए -
"या तो क्षितिज मिलन बन जाता/या तनती साँसों की डोरी।"

उत्तर : इस पंक्ति में कवि ने बताया है कि पक्षी स्वतंत्र होकर क्षितिज यानी आकश और धरती के मिलन के स्थान तक जाने की इच्छा रखते हैं। वे या तो इसे प्राप्त करना चाहते हैं नहीं तो अपने प्राणों को न्योछावर कर दें।

प्रश्न 1-1. बहुत से लोग पक्षी पालते हैं -
(क) पक्षियों को पालना उचित है अथवा नहीं? अपना विचार लिखिए।

उत्तर : पक्षियों का पालना अनुचित कार्य है क्योंकि इससे उनकी आजादी का हनन होता है। उनके पास पंख हैं, वे आसमान में उड़ना चाहती हैं। वे प्रकृति की छाँव में खुलकर रहना चाहती हैं ना की हमारे बंद पिंजरों में। जिस तरह हमें आजादी पसंद है उसी तरह वे भी स्वछंदता पसंद करती हैं क्योंकि बंधन में रहकर मिलने वाली सुविधाओं से आजादी की स्थिति श्रेष्ठ है।

बहुत सारे लोगो को पक्षी पालना बहुत पसंद होता है.इसलिए वे अक्सर अपने घर में चिड़िया,कबूतर या तोते को पाल लेते है.पर हमारे वास्तुशास्त्र में पक्षियों को घर में पालने से मना किया गया है.वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में पक्षियों को पिंजरे में बंद नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से आपके परिवार के लोगो के स्वास्थ्य पर  बुरा असर पड़ सकता है और इसके अलावा घर में नकारात्मक ऊर्जा भी फैलती है.आज हम आपको इसी बारे में जानकारी देने जा रहे है की आखिर क्यों घर में पक्षियों को पिंजरे में बंद करके नहीं रखना चाहिए. 

पक्षी हमेशा खुले आकाश से ही प्रेम करते है.और अगर उन्हें पिंजरे में बंद कर दिया जाये तो वो पिंजरा उनके लिए जेल के समान हो जाता है.हमारे धर्मशास्त्रों में पक्षियों को दाना खिलाना बहुत ज़्यादा पुण्य का काम माना जाता है. इसलिए अगर आप पक्षियों को पिंजरे में बंद कतरे है तो पाप के भागीदारी बन जाते हैं. अगर किसी भी पक्षी को पिंजरे में बंद कर दिया जाये तो वह बहुत हिंसक हो जाता है और ऐसा होना घर में नकारात्मक उर्जा फैलने का कारन बन सकता है.

पक्षियों को सुख समृद्धि और सफलता के सूचक माना जाता है.और अगर इन्हें ही पिंजरे में बंद कर दिया जायेगा तो ये घर में स्थिरता, आर्थिक हानि का कारण बन सकते हैं. 

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पक्षियों को पिंजरे में बंद करने से केवल उनकी आजादी का हनन ही नहीं होता, अपितु पर्यावरण भी न प्रभावित होता है। इस विषय पर दस पंक्तियों में अपने विचार लिखिए।

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लिखित उत्तर

Solution : यह ठीक बात है कि पक्षियों को पिंजरे में बन्द करने से केवल आजादी का ही हनन नहीं होता, क्योंकि उनका सहज स्वाभाविक स्वभाव होता है, .उड़ना.। उड़े बिना वे में नहीं रह सकते। पिंजरे में बन्द करके तो हम उनकी आजादी छीन लेते हैं। जिससे वे उड़ने के लिए पिंजरे में ही छटपटाते रहते हैं। इसके साथ ही हमारा पर्यावरण भी प्रभावित होता न है, क्योंकि पर्यावरण में संतुलन बनाये रखने में पक्षियों की बहुत बड़ी भागीदारी होती है। पक्षियों के न रहने पर यह । सन्तुलन बिगड़ने लगता है। बहुत से पक्षी कीड़े-मकोड़ों को खाकर पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में सहयोग करते रहते हैं। इससे हमारा पर्यावरण सन्तुलित रहता है। इसके साथ ही पक्षी फलों को खाकर उनके बीजों का प्रकीर्णन करते हैं। इस प्रकार पक्षी पेड़-पौधे के उगने तथा उनकी वृद्धि करने में भी सहायक होते हैं।

पक्षी को कैद करके रखना महापाप है, अब छुड़वाने की जो बात है बड़ी गम्भीर है। आपने छुड़वा दिया और पक्षी उड़ने में असमर्थ हो गया तब? एक बार ऐसी घटना घटी, मुझे एक व्यक्ति ने बताया कि-” महाराज! मैंने दया करके पक्षी को छुड़ाया, वे पक्षी कई दिनों से कैद थे, पंख भी थोड़े-थोड़े काटे हुए थे, वे तोते थे, छुड़वाया तो वे उड़ नहीं पाए। पाँच तोतों में से तीन को बिल्ली खा गयी। वे पिंजरे में सुरक्षित थे, छुड़ा देने से वे असुरक्षित हो गए।

ये बड़ा गम्भीर और संवेदनशील मुद्दा है। अगर आप छुड़ाते हैं तो आप रक्षा के निमित्त बनते हैं। भाव अच्छा है, किन्तु अगर रक्षा के निमित्त छुड़ाने वाले भी हत्या में निमित्त बन जाए, तो यह एक गम्भीर मामला है। तो देख कर के, समझ कर के, विवेक पूर्वक बात करनी चाहिए। अगर पक्षी को आप बाहर निकालते हैं और वह उड़ने की स्थिति में है, तो से छुड़वा दीजिए। किन्तु यदि उड़ने लायक स्थिति नहीं है, तो उन्हें आप सम्भाल कर रख लीजिए। उनके रखरखाव की बात कीजिए। दया भी एक बहुत गम्भीर संवेदना का प्रतीक है।

मैं सागर में था, माँस निर्यात के विरुद्ध पूरे देश में एक बहुत बड़ा अभियान चल रहा था और उसकी शुरुआत सागर से हुई। हजारों लोग उसमें जुड़ें, एक युवक जो इस अभियान से प्रभावित था, वो एक पंसारी की दुकान में काम करता था। उसको रु १५०० तनख्वाह मिलती थी। उसने एक आदमी को मुर्गी लेकर जाता देखा, उससे रहा नहीं गया। उसने अपनी पूरी तनख्वाह, रु. १५०० देकर उससे ७-८ मुर्गियाँ खरीद लीं। अब ले तो लीं किन्तु रखे कहाँ! बड़ी समस्या, मुर्गियों को रखा कहाँ जाए? सुरक्षित रखना भी मुश्किल, बिल्ली से कुत्ते से बचाना। क्या करे? तो बड़ी दिक्कत आ गई कि यह ले लिया है परन्तु कहाँ रखें? मेरे पास आया, मैंने कहा शरणागत की रक्षा करना तो धर्म है। कसाई से तुम ने छुड़ाया और तुम्हारी भावना बड़ी सराहनीय कि १५०० रुपए की पगार मिली, पूरे १ महीने की तनखा, उसके लिए लगा दी। मेरे पास बिट्ठल भाई पटेल बैठे थे, बड़े अच्छे सामाजिक कार्यकर्ता, राजनेता थे, कवि भी थे! झूठ बोले कौवा काटे उन्हीं ने लिखा था। वे हमारे इस अभियान में साथ थे, आज दुनिया में नहीं है। उन्होंने कहा-“महाराज! अब यह दायित्त्व मुझे दिया जाए।” उनका एक बहुत बड़ा बगीचा था, बगीचे में उनको मुर्गियों को रखा गया और उनके लिए उनने पूरा नेट लगवाया। ताकि उस परिक्षेत्र में और कोई हमलावर प्राणी न घुस पाय। उन मुर्गियों ने अपनी आयु पूरी की। तो यह एक गम्भीर मामला है इसमें बहुत समझदारी का भाव रखना चाहिए।

पिंजरे में बंद पक्षी का क्या कहना है?

व्याख्या-पिंजरे में बंद पक्षियों का कहना है कि हम खुले आकाश में विचरण करने वाले पक्षी हैं। हम पिंजरे में बंद होकर नहीं रह सकते। सोने के पिंजरे की सलाखों से टकरा - टकराकर हमारे कोमल पंख टूट जाएँगे । वास्तव में कवि ने पक्षियों के माध्यम से स्वतंत्रता के महत्त्व को दर्शाना चाहा है।

पिंजरे का पंछी मुक्त होकर क्या करना चाहता है?

उत्तर:- पक्षी उन्मुक्त होकर वनों की कड़वी निबोरियाँ खाना, खुले और विस्तृत आकाश में उड़ना, नदियों का शीतल जल पीना, पेड़ की सबसे ऊँची टहनी पर झूलना और क्षितिज से मिलन करने की इच्छाओं को पूरी करना चाहते हैं।

पिंजरे में बंद पक्षी खुश क्यों नहीं हैं?

पिंजरे में बंद पक्षी खुश इसलिए नहीं है क्योंकि वे पिंजरे के अंदर कैद नहीं रहना चाहते हैं वे स्वतंत्र होकर कड़वी निबोरी खाना चाहते है और नदी का पानी पीना चाहते है।

पिंजरे में बंद होने पर पक्षी का कौन सा रूप समाप्त हो जाता है?

Solution. पक्षियों को पिंजरे में बंद करके उसकी स्वतंत्रता का हनन होता है, क्योंकि उनकी प्रवृत्ति है 'उड़ना'। अतः प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में पृथ्वी के सभी जीवों की समान रूप से महत्त्वपूर्ण भूमिका है।