ओजोन परत को नष्ट करने वाली कौन सी गैस है? - ojon parat ko nasht karane vaalee kaun see gais hai?

सवालिया क्या है कौन सी गैस ओजोन परत में छेद के लिए उत्तरदाई है ठीक है उसे धरती पर रहने वाले जीव धारियों मनुष्य जीव जंतु और पादप की रक्षा करता है कि बढ़ते जा रहा है ऐसा क्यों होता है ठीक है इसकी वजह क्या है कौन सा गैस के लिए उत्तरदाई है कि कैसे लिखते हैं ठीक है घर में रेफ्रिजरेटर यूज़ करते हैं उससे बहुत हानिकारक गैस क्लोरोफ्लोरोकार्बन निकल रही है

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एक स्टडी में पाया गया है कि चीन के पूर्वोत्तर में लगे कई उद्योग धंधों से बहुत बड़ी मात्रा में ओजोन परत को बेधने वाली गैसें निकल रही हैं. 2013 से इस इलाके से प्रतिबंधित रसायन सीएफसी-11 के उत्सर्जन में करीब 7,000 टन की बढ़ोत्तरी हुई है. स्टडी में शामिल वैज्ञानिकों की इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट 'नेचर' जर्नल में छपी है.

प्रमुख लेखक और वैज्ञानिक मैट रिगबी ने बताया, "स्ट्रैटोस्फीयर के ओजोन लेयर को नष्ट करने का मुख्य दोषी सीएफसी ही होते हैं. ओजोन की परत हमें सूर्य के अल्ट्रावायलेट विकिरण से सुरक्षित रखने का काम करती है." रिग्बी ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी में पर्यावरण से जुड़ी केमिस्ट्री पर रिसर्च करते हैं.

सीएफसी का पूरा नाम है क्लोरो फ्लोरो कार्बन-11. 1970 और 1980 के दशक में इस गैस का व्यापक रूप से इस्तेमाल होता था. चीजों को ठंडा रखने वाले रेफ्रिजरेंट मटीरियल के रूप में और फोम इंसुलेशन में सीएफसी-11 से खूब काम लिया जाता था. लेकिन फिर 1987 में मॉन्ट्रियाल प्रोटोकॉल हुआ जिसमें कई सीएफसी रसायनों और दूसरे औद्योगित एयरोसॉल रसायनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया. इस प्रतिबंध का आधार कई ऐसे अध्ययन थे, जिनमें ऐसे रसायनों से ओजोन परत को नुकसान पहुंचने की बात कही गई थी. खासतौर पर, अंटार्कटिक और ऑस्ट्रेलिया के ऊपर धरती से 10 से 40 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद ओजोन की रक्षा परत इन गैसों के कारण नष्ट हो रही थी.

प्रतिबंधों के लागू होने के समय से धीरे धीरे दुनिया भर में सीएफसी-11 के उत्सर्जन में कमी आती गई. यह कमी 2012 तक देखने को मिली. बाद में वैज्ञानिकों को पता चला कि 2012 के बाद से इसमें दर्ज हो रही कमी की दर आधी हो गई है. चूंकि यह गैस प्रकृति में नहीं पाई जातीं इसलिए वैज्ञानिक समुदाय यह पता लगाने की कोशिश में जुट गया कि आखिर सीएफसी की मात्रा फिर से कैसे बढ़ी. शुरुआती जांच में पूर्वी एशिया से इसके ताजा उत्सर्जन के सबूत मिले. लेकिन सटीक लोकेशन का पता नहीं लग पाया था.

अमेरिका की एमआईटी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और इस स्टडी के सह-लेखक रॉन प्रिन ने बताया, "हमारे मॉनिटरिंग स्टेशन असल में संभावित स्रोतों से काफी दूर दराज के इलाकों में लगे थे." बीते साल आई पर्यावरण जांच एजेंसी की रिपोर्ट में चीनी फोम फैक्ट्रियों की ओर इशारा किया गया, जो कि बीजिंग के पास के तटीय इलाकों में बसी थीं. इन पर संदेह तब और गहरा गया जब प्रशासन ने इनमें से कुछ फैक्ट्रियां अचानक बिना कोई वजह बताए बंद करवा दीं.

जांच को आगे बढ़ाने के लिए पर्यावरण वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम वहां पहुंची. उन्होंने जापान और ताइवान के निगरानी केंद्रो से अतिरिक्त डाटा इकट्ठा किया. स्टडी में शामिल एक अन्य लेखक चीन के सुनयुंग पार्क ने कहा, "इन औद्योगिक इलाकों से आई हवा के कारण हमारे माप में 'उभार' दिखाई दिए."  इन रुझानों को परखने के लिए टीम ने कई कंप्यूटर टेस्ट किए और अंत में यह पुष्ट रूप से पता चला कि सीएफसी-11 के अणु कहां से आ रहे थे.

ओजोन परत को नष्ट करने वाली कौन सी गैस है? - ojon parat ko nasht karane vaalee kaun see gais hai?
अंटार्कटिक के ऊपर ओजोन परत की स्थिति.तस्वीर: NASA's Goddard Space Flight Center/Katy Mersmann

जलवायु परिवर्तन से लड़ने में भी इस स्टडी की अहम भूमिका होगी. लंदन के इंपीरियल कॉलेज की प्रोफेसर योआना हेग का मानना है, "लंबे समय तक टिकने वाली ग्रीन हाउस गैस के रूप में सीएफसी की भूमिका काफी बड़ी हो जाती है."  दो दशक पहले सीएफसी गैसों का इंसान के कारण होने वाली ग्लोबल वॉर्मिंग में करीब 10 फीसदी योगदान था. जलवायु परिवर्तन के लिहाज से यह कार्बनडायोक्साइड या मीथेन से ज्यादा बुरी है. 21वीं सदी की शुरुआत में ओजोन परत का छेद सबसे बड़ा हो चुका था. तब पांच फीसदी घट चुकी इस परत को घटने से बचाने की तमाम कोशिशें हुईं. नतीजतन, अब धरती के दक्षिणी ध्रुव के ऊपर का "ओजोन छिद्र" छोटा होता दिख रहा है.

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आरपी/आईबी (एएफपी)

ओजोन परत को नष्ट करने वाली कौन सी गैस है? - ojon parat ko nasht karane vaalee kaun see gais hai?

Abhishek Mishra

8 months ago

मानवीय क्रियाकलापों ने वायुमंडल में कुछ ऐसी गैसों की मात्रा को बढ़ा दिया है जो पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करने वाली ओज़ोन परत को नष्ट कर रही हैं। ओज़ोन परत में हो रहे क्षरण के लिये क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैस प्रमुख रूप से उत्तरदायी है।

अब चार नई गैसें हैं ओजोन के लिए ख़तरा

  • मैट मैग्राथ
  • पर्यावरण संवाददाता, बीबीसी न्यूज़

10 मार्च 2014

वैज्ञानिकों को ऐसी चार नई मानव-निर्मित गैसों का पता चला है, जो ओज़ोन परत को नुक़सान पहुँचा रही हैं.

इनमें से दो गैसें ओज़ोन परत को इतनी तेज़ी से नुकसान पहुँचा रही हैं कि वैज्ञानिक इसे लेकर काफ़ी चिंतित हैं.

ज़मीन से 15 से 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर वायुमंडल में पाई जाने वाली ओज़ोन की परत मनुष्यों और जानवरों को हानिकारक अल्ट्रावायलट (यूवी) किरणों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यूवी किरणों से मनुष्यों में कैंसर होता है. जानवरों की प्रजनन क्षमता पर भी इनका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

ओज़ोन परत में बढ़ते छेद के कारण 1980 के दशक के मध्य से क्लोरोफ़्लोरोकार्बन (सीएफ़सी) गैस के उत्पादन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

गैस की उत्पत्ति

सीएफ़सी से मिलती-जुलती इन गैसों की उत्पत्ति का सटीक कारण अभी भी रहस्य है.

सबसे पहले ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे के वैज्ञानिकों ने 1985 में अंटार्कटिक के ऊपर ओज़ोन परत में एक बड़े छेद की खोज की थी.

वैज्ञानिकों को पता चला कि इसके लिए सीएफ़सी गैस ज़िम्मेदार है, जिसकी खोज 1920 में हुई थी. इस गैस का प्रयोग रेफ्रिज़रेटर, हेयरस्प्रे और डिऑडरेंट बनाने वाले प्रोपेलेंट में अधिकता से होता है.

सीएफ़सी पर नियंत्रण पाने के लिए 1987 में दुनिया के देशों में सहमति बनी और इसके उत्पादन को नियंत्रित करने के लिए मांट्रियल संधि अस्तित्व में आई.

साल 2010 में सीएफ़सी के उत्पादन पर वैश्विक स्तर पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया.

इंसान ने बनाया

इमेज स्रोत, BBC World Service

इमेज कैप्शन,

ओज़ोन परत में छेद का पता सबसे पहले ब्रितानी वैज्ञानिकों ने 1985 में लगाया था.

इन चार नई गैसों की मौज़ूदगी का पता लगाया है ईस्ट एंजिलिया विश्वविद्लय के शोधकर्ताओं ने.

इनमें से तीन गैसें सीएफ़सी हैं और एक गैस हाइड्रोक्लोरोफ़्लोरोकार्बन (एचसीएफ़सी) है, यह गैस भी ओज़ोन परत को नुक़सान पहुँचा सकती है.

इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर जॉनसन लाउबे कहते हैं, ''हमारे शोध से पता चलता है कि ये चार गैसें 1960 तक वायुमंडल में नहीं थीं यानी ये मानवनिर्मित गैसें हैं.''

वैज्ञानिक ध्रुवीय बर्फ़ से निकाली गई हवा के विश्लेषण से पता लगा सकते हैं कि आज से 100 साल पहले कैसा वायुमंडल कैसा था.

शोधकर्ताओं ने इनकी तुलना वर्तमान वायुमंडल में पाई जाने वाली गैसों के नमूने से भी की. इसके लिए तस्मानिया के दूर-दराज़ के इलाक़े से नमूने लाए गए.

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि वायुमंडल में 74 हज़ार टन ऐसी गैस मौजूद हैं. इनमें से दो गैसें ओज़ोन परत में क्षरण की दर में उल्लेखनीय वृद्धि कर रही हैं.

डॉक्टर लाउबे कहते हैं, ''इन चार गैसों की पहचान बहुत चिंताजनक है, क्योंकि वो ओज़ोन परत के क्षरण में योगदान देंगी.''

बहुत बड़ा ख़तरा नहीं

वो कहते हैं, ''हम यह नहीं जानते कि इन नई गैसों का उत्सर्जन कहाँ से हो रहा है, इसकी जाँच की जानी चाहिए. कीटनाशक के निर्माण में उपयोग होने वाला कच्चा माल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अवयवों की धुलाई में काम आने वाले विलायक इसके संभावित स्रोत हो सकते हैं.''

वो कहते हैं कि ये तीन सीएफ़सी वायुमंडल में बहुत धीरे-धीरे नष्ट होते हैं. इसलिए अगर इनके उत्सर्जन को तत्काल प्रभाव से रोक भी दिया जाए, तो भी वो कई दशक तक वायुमंडल में बने रहेंगे.

वहीं अन्य वैज्ञानिकों का मानना है कि अभी इन गैसों की मात्रा कम है और इनसे अभी कोई तात्कालिक ख़तरा नहीं है लेकिन इनके स्रोत का पता लगाने की ज़रूरत है.

लीड्स विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर पाइरस फॉरेस्टर को कहते हैं, ''इस अध्ययन से पता चलता है कि ओज़ोन परत का क्षरण अभी भी पुरानी बात नहीं हुई है.''

वो कहते हैं, ''जो चार गैसें खोजी गई हैं, उनमें से सीएफ़सी-113ए ज़्यादा चिंता पैदा करने वाली प्रतीत हो रही है क्योंकि कहीं से इसका मामूली उत्सर्जन हो रहा है, लेकिन यह बढ़ता जा रहा है. हो सकता है कि यह कीटनाशकों के निर्माण से पैदा हो रही हो. हमें इसकी पहचान करनी चाहिए और इसका उत्पादन रोक देना चाहिए."

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ओजोन नष्ट करने वाली कौन सी गैस है?

मानवीय क्रियाकलापों ने वायुमंडल में कुछ ऐसी गैसों की मात्रा को बढ़ा दिया है जो पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करने वाली ओज़ोन परत को नष्ट कर रही हैं। ओज़ोन परत में हो रहे क्षरण के लिये क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैस प्रमुख रूप से उत्तरदायी है।

ओजोन परत को कैसे नष्ट किया?

ओजोन कैसे नष्ट होती है?.
बाहरी वायुमंडल की पराबैंगनी किरणें सी.एफ.सी. ... .
मुक्त क्लोरीन परमाणु ओजोन के अणु पर आक्रमण करता है और इसे तोड़ देता है। ... .
वायुमंडल का एक मुक्त ऑक्सीजन परमाणु क्लोरीन मोनोऑक्साइड पर आक्रमण करता है तथा एक मुक्त क्लोरीन परमाणु और एक ऑक्सीजन अणु का निर्माण करता है।.

ओजोन गैस की परत को क्या कहते हैं?

इस क्षेत्र की ओजोन को ही सामान्यतः हम ओजोन परत (Ozone Layer) कहते हैं। समतापमंडल में ओजोन का निर्माण लगातार पराबैंगनी किरणों (लघु तरंगदैर्ध्य) द्वारा होता रहता है। समतापमंडल का ओजोन अच्छा ओज़ोन कहलाता है, क्योंकि यह सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों (95%) को अवशोषित कर, पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करता है।

ओजोन परत में छिद्र कहाँ पर है?

अंटार्कटिक ओजोन परत को "ओजोन छिद्र" के रूप में जाना जाता है, यह गंभीर कमी विशेष रूप से मौसम संबंधी और रासायनिक स्थितियों के कारण होती है। अंटार्कटिका समताप मंडल में सर्दियों के बहुत कम तापमान के कारण ध्रुवीय समताप मंडल (पीएससीएस) बनते हैं।