ऑक्सीजन कहां से प्राप्त होता है - okseejan kahaan se praapt hota hai

समुद्र विश्व के सबसे बड़े इको सिस्टम हैं। लेकिन, मानवों ने इन्हें लगभग तहस-नहस कर डाला है। समुद्रों के खत्म होने से सब कुछ खत्म हो जाएगा। इस स्थिति पर इन आंकड़ों की रोशनी में गौर कीजिए। 

  • धरती की 80% जैव विविधता और 97 % पानी समुद्रों में है।
  • धरती की 50 % ऑक्सीजन समुद्र बनाते हैं।
  • आर्कटिक की बर्फ से समुद्रों में 14 हजार टन पानी हर सेकंड जाता है।
  • पिघलती बर्फ से समुद्रों का जलस्तर हर वर्ष 3 मिलीमीटर बढ़ रहा।
  • समुद्रों में हर वर्ष नदियों से 12 लाख से 20 लाख टन प्लास्टिक वेस्ट जा रहा है।
  • समुद्रों में सबसे ज्यादा प्लास्टिक वेस्ट प्रशांत महासागर में हवाई और कैलिफोर्निया के बीच है। यह वेस्ट लगभग 16 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में है।
  • विश्व के सभी समुद्रों की 80% मछलियों का शिकार हो चुका है।

ऑक्सीजन कहां से प्राप्त होता है - okseejan kahaan se praapt hota hai
ऑक्सीजन बात पेड़ों की करें तो इनका सबसे पहला फायदा तो यही है कि हमारी थोड़ी सी मेहनत के बदले में ये हमें देते हैं प्राणवायु। यह है ऑक्सीजन, जिसके बिना नहीं की जा सकती है जीवन की कल्पना।

शुद्ध हवा की महत्ता का अनुमान इस तरह लगा सकते हैं कि मनुष्य भोजन के बिना कई दिनों तक जीवित रह सकता है लेकिन उसे प्राणवायु यानी ऑक्सीजन न मिले तो उसका जीवित रहना असम्भव है। अभी तक वैज्ञानिक मान रहे थे कि साइनोबैक्टीरिया ऑक्सीजन का निर्माण करने वाले पहले सूक्ष्म जीव थे, पर अब ब्रिटेन के इम्पीरियल कॉलेज के शोधकर्ताओं के एक शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि आज से करीब 3.6 अरब वर्ष पहले ही पृथ्वी पर ऑक्सीजन का निर्माण शुरू हो गया था। गौरतलब है कि मनुष्य दिनभर में जो कुछ भी ग्रहण करता है, उसका 75 फीसदी भाग ऑक्सीजन ही होता है।

देती है ऊर्जा

इंसान का शरीर सुचारू रूप से तभी काम करता है जब उसके सभी भागों में ऑक्सीजन की पूर्ति आवश्यकतानुसार होती है। ऑक्सीजन की ये पूर्ति पूरे शरीर में खून के जरिए होती है। हमारे शरीर को 90 फीसदी ऊर्जा ऑक्सीजन की वजह से मिलती है शेष भोजन और पानी से मिलती है। जब शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 90 फीसदी से नीचे चला जाता है तो उसे ऑक्सीजन की कमी माना जाता है।

लाभ ही लाभ

प्रातः काल टहलने से तथा गहरी साँस लेने से शरीर को भरपूर ऑक्सीजन मिलती है। इससे रक्त प्रवाह तेज होता है तथा स्फूर्ति आती है। शुद्ध हवा से हड्डियों तथा मांसपेशियों को मजबूती मिलती है और नई कोशिकाओं का निर्माण होता है। सुबह की शुद्ध हवा शरीर में लाल रक्त कणों का निर्माण करती है। मनोचिकित्सकों का कहना है कि बेचैनी तथा घबराहट से निदान पाने के लिये खुली हवा उत्तम है तथा सुबह की स्वच्छ हवा से तमाम मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा टी.बी., दमा, अस्थमा तथा फेफड़ों के रोगों में सुबह की स्वच्छ हवा लाभकारी है। अनिद्रा में स्वच्छ तथा निर्मल हवा रामबाण का काम करती है।

वनस्पतियाँ हैं ऑक्सीजन फैक्ट्री

कहा जाता है कि वातावरण में मौजूद 70 से 80 फीसदी ऑक्सीजन समुद्री पौधे देते हैं। माना जाता है कि जमीन का अधिकांश हिस्सा समुद्री होने की वजह से ये पौधे जमीनी पौधों से ज्यादा ऑक्सीजन देते हैं। पीपल, नीम, बरगद तथा तुलसी दूसरे पेड़ों के मुकाबले ज्यादा ऑक्सीजन देते हैं। पीपल का पेड़ 24 घंटे ऑक्सीजन देता है। बाँस तेजी से बढ़ने वाली वनस्पति है, जो हवा को साफ करने के अलावा अन्य पेड़-पौधों के मुकाबले 30 फीसदी अधिक ऑक्सीजन छोड़ती है।

सहायक हैं ये सुपरफूड

शरीर के विभिन्न अंगो के विकास के लिये अॉक्सीजन बेहद जरूरी है। डाइट में ऐसे फूड्स शामिल करें जो खून में अॉक्सीजन की मात्रा को अधिक सोखने का काम करते हैं। अंकुरित अनाज फाइबर के भरपूर स्रोत होते हैं। ऐवोकैडो, किशमिश, खजूर, अदरक, गाजर तथा हरी सब्जियों में एंटीअॉक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में पाया जाता है। विटामिन से भरपूर फल खून में अॉक्सीजन अधिक सोखने में भी सहायक होते हैं। आयरन वाले आहारों के सेवन से भी आप अॉक्सीजन ग्रहण कर लेते हैं।

घातक है अॉक्सीजन की कमी

शरीर के अंगो को उचित प्रकार से कार्य करने के लिये मनुष्य को एक निश्चित स्तर तक अॉक्सीजन की आवश्यकता होती है। अॉक्सीजन का स्तर शरीर में कम हो जाए तो उस स्थिति को हाइपोजेमिया कहा जाता है, जिसका मुख्य लक्षण साँस लेने में तकलीफ के रूप में सामने आता है। मस्तिष्क, लीवर और किडनी समेत अनेक अंगो को पर्याप्त अॉक्सीजन न मिले तो ये अंग खराब भी हो सकते हैं। सो खूब पानी पीजिए, यह भी अॉक्सीजन का अच्छा स्रोत है।

अॉक्सीजन गायब हो जाए तो

यदि 5 सेकेंड के लिये ही धरती से अॉक्सीजन गायब हो जाए तो दिन में अंधेरा छा जाएगा। धरती बहुत ठंडी हो जाएगी। धातुओं के टुकड़े बिना वेल्डिंग के ही आपस में जुड़ जाएँगे। 21 फीसदी अॉक्सीजन के अचानक लुप्त हो जाने के कारण कान के पर्दे फट जाएँगे। समुद्र का सारा पानी भाप बनकर उड़ जाएगा और हमारे पैरों तले की जमीन खिसककर 10-15 किलोमीटर नीचे चली जाएगी। सुनकर ही रूह काँप जाती है न मगर अफसोस फिर भी हम अपने ही हाथों अपने भविष्य पर कुल्हाड़ी चला रहे हैं। विकास के नाम पर पेड़ों का विनाश करने की प्रवृत्ति इसके अलावा और कहा भी क्या जा सकता है?

1. 117 लीटर अॉक्सीजन हर साल बनाती हैं औसत आकार के किसी पेड़ की पत्तियाँ।
2. दुनिया में सबसे अच्छी हवा वाला देश फिनलैंड तथा सबसे प्रदूषित देश है भारत।
3. अनुमानित रूप से वायुमंडल में करीब 6 लाख अरब टन हवा है। इसमें 78 फीसदी नाइट्रोजन, 21 फीसदी अॉक्सीजन, 0.03 फीसदी कार्बन डाइअॉक्साइड और 0.97 फीसदी अन्य गैसें होती हैं।
4. एक इंसान को साल भर साँस लेने के लिये जितनी अॉक्सीजन की जरूरत है, उसके लिये उसे कम-से-कम 5 वयस्क वृक्षों की आवश्यकता होती है। आज यह अनुपात बिगड़ने की वजह से ही बेशुमार बीमारियाँ फैल रही हैं।

ऑक्सीजन कहाँ से मिलता है?

ऑक्सीजन, वायुमण्डल में स्वतन्त्र रूप में मिलता है आयतन के अनुसार उसका लगभग पाँचवाँ भाग है। यौगिक रूप में पानी, खनिज तथा चट्टानों का यह महत्वपूर्ण अंश है

मनुष्य कौन सा ऑक्सीजन लेता है?

मनुष्य सांस (breathing) लेते वक्त, ऑक्सीजन अंदर करते है और कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ते हैं. दरअसल, हम हवा फेफड़ों में खींचते हैं और फेफड़ों से ही छोड़ते हैं. हवा में करीब 79 प्रतिशत नाइट्रोजन, 20 प्रतिशत ऑक्सीजन और 1 प्रतिशत अन्य गैसें व जलवाष्प होते हैं और अन्य गैसों में करीब 0.03 प्रतिशत कार्बन डाई-ऑक्साइड शामिल है.

ऑक्सीजन कैसे और कहां बनता है?

पहले जानिए कैसे बनती है ऑक्सीजन ऑक्सीजन गैस क्रायोजेनिक डिस्टिलेशन प्रोसेस के जरिए बनती है। इस प्रक्रिया में हवा को फिल्टर किया जाता है, ताकि धूल-मिट्टी को हटाया जा सके। उसके बाद कई चरणों में हवा को कंप्रेस (भारी दबाव डालना) किया जाता है।

पृथ्वी में ऑक्सीजन का मुख्य स्रोत क्या है?

प्रकाश संश्लेषण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा पौधे और सूक्ष्म जीव सूर्य के प्रकाश, पानी और कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग शर्करा के रूप में ऑक्सिजन और ऊर्जा बनाने के लिए करते हैं। पृथ्वी पर ऑक्सिजन का मुख्य स्रोत इस प्रक्रिया के जरिए ही पैदा होता है