नवाब साहब यथार्थ को स्वीकार करने से क्यों डरते हैं?

विषयसूची

  • 1 लखनवी अंदाज पाठ में नवाब साहब की सनक को आप कहाँ तक उचित ठहराते हैं?
  • 2 लोग यथार्थ को स्वीकार करने में क्यों डरते हैं?
  • 3 डिब्बे में बर्थ पर कौन बैठा था?
  • 4 लेखक को नवाब साहब का मौन रहना भी अखर रहा था और बातें करना भी कचोटने जैसा क्यों?
  • 5 लखनवी अंदाज में लेखक ने किस वर्ग पर कटाक्ष किया है और क्यों?
  • 6 नवाब साहब ने गर्व से गुलाबी आंखों द्वारा लेखक की तरफ क्यों देखा?

लखनवी अंदाज पाठ में नवाब साहब की सनक को आप कहाँ तक उचित ठहराते हैं?

इसे सुनेंरोकेंलखनवी अंदाज. रचना में नवाब साहब की सनक को सकारात्मक कहा जा सकता है। सनक चाहे अंदाज की हो या बलिदान की उसको किस रूप से लेते हैं यह जरूरी है। देशभक्ति रखने वाला देश भक्त, संत, महात्माओं की भक्ति और परोपकार की सनक महापुरुषों की नव निर्माण की सनक सकारात्मक है, तो नवाब साहब की सनक भी सकारात्मक है, अर्थात‌ उचित है।

नवाब साहब के सामने क्या रखा था?

इसे सुनेंरोकेंआम खीरा तरबूज

लोग यथार्थ को स्वीकार करने में क्यों डरते हैं?

इसे सुनेंरोकेंलोग यथार्थ को स्वीकार करने से इसलिये डरते हैं क्योंकि वे एक दिखावे और आडंबरपूर्ण माहौल में जीने के आदी हो चुके होते हैं। वो अपने उस तथाकथित सुरक्षित क्षेत्र से बाहर आने से डरते हैं।

लेखक और नवाब में कौन अधिक अलगाव पसंद है और क्यों?

इसे सुनेंरोकेंExplanation: लेखक और नवाब के बीच में लेखक का व्यवहार अत्यंत सामाजिक है। नवाब साहब की नवाबी तो हट गई थी परंतु उनके व्यवहार नवाबी थे। उनके नवाबी चरित्र को प्रकट करने के लिए खीरे को उन्होंने खिड़की से बाहर फेंक दिया, ऐसा व्यवहार आज के दौर में करना अत्यंत ही असामाजिक है।

डिब्बे में बर्थ पर कौन बैठा था?

इसे सुनेंरोकेंअनुमान के प्रतिकूल डिब्बा निर्जन नहीं था। एक बर्थ पर लखनऊ की नवाबी नस्ल के एक सफेदपोश सज्जन बहुत सुविधा से पालथी मारे बैठे थे। सामने दो ताजे-चिकने खीरे तौलिए पर रखे थे। डिब्बे में हमारे सहसा कूद जाने से सज्जन की आँखों में एकांत चिंतन में विघ्न का अंसतोष दिखाई दिया।

लखनवी अंदाज के लेखक कौन सी आदत है?

इसे सुनेंरोकेंयशपाल-लखनवी अन्दाज़ ठाली बैठे, कल्पना करते रहने की पुरानी आदत है।

लेखक को नवाब साहब का मौन रहना भी अखर रहा था और बातें करना भी कचोटने जैसा क्यों?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer:— नवाब साहब के इन हाव-भावों को देखकर लेखक अनुमान लगा रहा था कि वे बातचीत करने के लिए किंचित भी उत्सुक …

तौलिया कहाँ रखा था?

इसे सुनेंरोकेंनवाब साहब ने खीरों के नीचे रखा तौलिया झाड़कर अपने सामने बिछा लिया।

लखनवी अंदाज में लेखक ने किस वर्ग पर कटाक्ष किया है और क्यों?

इसे सुनेंरोकें’लखनवी अंदाज़’ व्यंग्य किस सामाजिक वर्ग पर कटाक्ष करता है? उत्तरः ‘लखनवी अंदाज़’ व्यंग्य सामंती वर्ग पर कटाक्ष करता है, जो आज भी अपनी झूठी शान बनाए रखना चाहता है।

लेखक और नवाब साहब में से कौन अधिक अलगाव पसंद करता है लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंउत्तरः लखनऊ के नवाबों और रईसों के बारे में लेखक की धारणा व्यंग्यपूर्ण और नकारात्मक थी। वह उनकी जीवन-शैली की कृत्रिमता को, दिखावे को पसंद नहीं करता था। उसने आरंभ में ही डिब्बे में बैठे सज्जन को ‘नवाबी नस्ल का सफेदपोश’ कहा है।

नवाब साहब ने गर्व से गुलाबी आंखों द्वारा लेखक की तरफ क्यों देखा?

इसे सुनेंरोकेंखीरे की फाँकें खिड़की से फेंकने के बाद नवाब साहब ने गुलाबी आँखों से लेखक की ओर क्यों देखा? खीरे की फाँकें एक-एककर उठाकर सँधने के बाद नवाब साहब खिड़की से बाहर फेंकते गए। उन्होंने डकार ली और लेखक की ओर गुलाबी आँखों से इसलिए देखा क्योंकि उन्होंने लेखक को दिखा दिया था नवाब खीरे को कैसे खाते हैं।

नवाब साहब यथार्थ को स्वीकार करने से क्यों डरते थे?

चूंकि उन्होंने अपने चारों ओर एक दिखावटी और झूठी शान-शौकत वाला माहौल खड़ा कर रखा होता है, इसलिये इस माहौल के बाहर की दुनिया का यथार्थ स्वीकार करने पर उन्हें अपना वो आडंबरपूर्ण और दिखावे की इमारत ढहती हुई नजर आती है, इसलिये लोग यथार्थ को स्वीकार करने से डरते हैं।

लखनवी पाठ का मूल भाव क्या है अपने शब्दों में बताए?

'लखनवी अंदाज' नामक पाठ के माध्यम से लेखक यह संदेश देना चाहता है कि हमें अपना व्यावहारिक दृष्टिकोण विस्तृत करते हुए दिखावेपन से दूर रहना चाहिए। हमें वर्तमान के कठोर यथार्थ का सामना करना चाहिए तथा काल्पनिकता को छोड़कर वास्तविकता को अपनाना चाहिए जो हमारे व्यवहार और आचरण में भी दिखना चाहिए।

नवाब साहब का व्यवहार क्या दर्शाता है?

Solution : नवाब साहब के व्यवहार में तहजीब, नजाकत और दिखावेपन की प्रवृत्ति झलकती है। वह सामंती समाज के प्रतीक थे तथा उनमें नवाबी अकड़ भरी हुयी थी। वह स्वयं को दूसरों से अधिक शिष्ट व शालीन दिखाना चाहते हैं। खीरे की गंध को ग्रहण कर स्वाद का आनन्द लेकर बाहर फेंक देना हास्यास्पद लगता है।

मानवी अंदाज पाठ का उद्देश्य क्या है?

Answer: इस पाठ के माध्यम से यह बताना चाहता है कि बिना पात्रों, घटना और विचार के भी स्वतंत्र रूप से रचना लिखी जा सकती है। इस रचना के माध्यम से लेखक ने दिखावा पसंद लोगों की जीवन शैली का वर्णन किया है।