नाड़ी दोष कब नहीं माना जाता? - naadee dosh kab nahin maana jaata?

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नाड़ी दोष क्या होता है? कुंडली में यह दोष होने पर निवारण के लिए करें ये उपाय, जानिए इसके प्रभाव

हिंदू धर्म में 16 संस्कारों में विवाह को सबसे महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है। शादी से पूर्व वर और कन्या के जन्म और नामानुसार गुण मिलान किए जाते हैं। ज्योतिशास्त्र में विवाह के लिए कुछ 36 गुणों का...

नाड़ी दोष कब नहीं माना जाता? - naadee dosh kab nahin maana jaata?

Saumya Tiwariलाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीWed, 06 Jan 2021 09:51 PM

हिंदू धर्म में 16 संस्कारों में विवाह को सबसे महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है। शादी से पूर्व वर और कन्या के जन्म और नामानुसार गुण मिलान किए जाते हैं। ज्योतिशास्त्र में विवाह के लिए कुछ 36 गुणों का मिलान होता है। जिसमें से 50 प्रतिशत गुण मिलान को विवाह के लिए शुभ माना जाता है। लेकिन कुंडली मिलान की प्रक्रिया में बनने वाले दोषों में एक दोष नाड़ी दोष है। ज्योतिष शास्त्र में नाड़ी दोष को ज्यादा अशुभ मानते हैं। कहा जाता है कि कुंडली मिलान में नाड़ी दोष बनने से निर्धता आना, वर-वधू में से एक या दोनों की मृत्यु जैसी विपत्तियों का सामना करना पड़ सकता है।

नक्षत्रों में ऐसा होने पर नहीं माना जाता नाड़ी दोष-

1. अगर लड़का-लड़की दोनों का जन्म एक ही नक्षत्र के अलग-अलग चरणों में हुआ हो तो नाड़ी दोष नहीं माना जाता है।
2. अगर दोनों की जन्म राशि एक हो और नक्षत्र अलग-अलग हों तो नाड़ी दोष नहीं माना जाता है।
3. दोनों का जन्म नक्षत्र एक हो और जन्म राशियां अलग हों तो नाड़ी दोष खत्म हो जाता है।

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इन उपायों से मिलता है लाभ-

1. वर और कन्या दोनों की नाड़ी मध्य में हो तो पुरुष को प्राण का भय रहता है। इस स्थिति में पुरुष को महामृत्युंजय जाप कराना अति आवश्यक होता है। अगर वर और कन्या दोनों की नाड़ी आदि हो तो स्त्री को प्राण का भय रहता है। इस स्थिति में कन्या महामृत्युजंय जाप कराना अति आवश्यक होता है।

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2. नाड़ी दोष का प्रभाव कम करने के लिए किसी ब्राह्मण को गोदान या स्वर्णदान करना चाहिए। इसके अलावा सालगिराह पर अपने वजन के बराबर अन्न दान करना चाहिए। साथ ही ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्र दान करना चाहिए।

(नोट- कोई भी दान या पूजा कार्य किसी ज्योतिषी की सलाह से और उनके मार्गदर्शन में ही करें।)

नाड़ी दोष कब नहीं माना जाता? - naadee dosh kab nahin maana jaata?

Authored by

Rakesh Jha

| नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: Apr 24, 2022, 6:16 AM

16 संस्कारों में विवाह को सबसे महत्‍वपूर्ण संस्‍कार माना गया है। विवाह पूर्व वर और कन्‍या के जन्‍म और नामानुसार गुण मिलान करके ही रिश्‍ते तय किए जाते हैं। ज्योतिषशास्त्र में विवाह के लुए कुल 36 गुण माना जाते हैं जिनमें 50 प्रतिशत गुण मिलन को विवाह के लिए ठीक माना जता है। इससे ऊपर जितने गुण हो बेहतर माने जाते हैं। गुण मिलान की प्रक्रिया में बनने वाले दोषों में से एक है 'नाड़ी दोष' जिसे सबसे अधिक अशुभ दोष माना जाता है तथा अनेक वैदिक ज्योतिषी यह मानते हैं कि कुंडली मिलान में नाड़ी दोष बनने से निर्धनता आना, संतान न होना और वर अथवा वधू दोनों में से एक अथवा दोनों की मृत्यु हो जाना जैसी भारी विपत्तियों का सामना करना पड़ सकता है।

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    ऐसी स्थिति में हो नाड़ी तो बनता है नाड़ी दोष

    नाड़ी तीन प्रकार की होती है, आदि नाड़ी, मध्या नाड़ी तथा ​अन्‍त्‍य नाड़ी। गुण का मिलान करते वक्‍त यदि वर-वधू दोनों की नाड़ी आदि होने की स्थिति में तलाक या अलगाव की प्रबल आशंका बनती है तथा वर-वधू दोनों की नाड़ी मध्य या अन्‍त्‍य होने से वर-वधू में से किसी एक या दोनों की मृत्यु की आशंका पैदा होती है।

  • नाड़ी दोष कब नहीं माना जाता? - naadee dosh kab nahin maana jaata?

    नक्षत्रों में ऐसा होने पर नहीं माना जाता नाड़ी दोष

    -यदि लड़का-लड़की दोनों का जन्‍म एक ही नक्षत्र के अलग-अलग चरणों में हुआ हो तो दोनों की नाड़ी एक होने पर भी दोष नहीं माना जाता।
    -यदि दोनों की जन्‍मराशि एक हो और नक्षत्र अलग-अलग हों तो वर-वधू की नाड़ी एक होने के पश्चात भी नाड़ी दोष नहीं बनता।
    -दोनों का जन्‍म नक्षत्र एक हो और लेकिन जन्‍म राशियां अलग-अलग होने पर वर-वधू की नाड़ी एक होने के पश्चात भी नाड़ी दोष नहीं बनता।

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    नाड़ी दोष के प्रभाव

    नारद पुराण के अनुसार भले ही वर-वधू के अन्य गुण मिल रहे हों, लेकिन अगर नाड़ी दोष उत्पन्न हो रहा है तो इसे किसी भी हाल में नकारा नहीं जा सकता, क्योंकि यह वैवाहिक जीवन के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण होता है। ऐसे रिश्ते या तो नर्क समान गुजरते हैं या बेहद दुखद हालातों में टूट जाते हैं, यहां तक कि जोड़े में किसी एक की मृत्यु भी हो सकती है।

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    इन उपायों से हो सकता है लाभ

    हालांकि नाड़ी दोष होने पर विवाह नहीं किए जाने की ही सलाह दी जाती है लेकिन कुछ परिस्थितियों में सामाजिक मजबूरियां कहें या अन्‍य कारण विवाह करना अनिवार्य हो जाता है। ऐसे में इन उपायों को आजामाने से नाड़ी दोष के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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    करवाना होगा महामृत्युंजय जाप

    वर एवं कन्या दोनों मध्य नाड़ी में उत्पन्न हो तो पुरुष को प्राण भय रहता है। इसी स्थिति में पुरुष को महामृत्युंजय जाप करना अतिआवश्यक है। यदि वर एवं कन्या दोनों की नाड़ी आदि या अन्‍त्‍य हो तो स्त्री को प्राणभय की आशंका रहती है, इसलिए इस स्थिति में कन्या महामृत्युंजय अवश्य करें।

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    ब्राह्मण को करें दान

    नाड़ी दोष होने पर संकल्प लेकर किसी ब्राह्यण को गोदान या स्वर्णदान करना चाहिए। इसके अलावा अपनी सालगिरह पर अपने वजन के बराबर अन्न दान करें, एवं साथ में ब्राह्मण भोजन कराकर वस्त्र दान करें।