प्राचीन काल से ही भारत नदियों का देश रहा है, भारत की भूमि में नदियाँ ऐसे बिछी हैं जैसे मानो शरीर में नसें, नसों में बहने वाला खून तथा नदियों में बहने वाला पानी दोनों ही जीवन के लिए उपयोगी होते हैं। नदियों ने ही विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं को अपने गोद में रखकर पाला था, जिनकी गौरव गाथाएं आज भी इतिहास बड़े गर्व से गाता है। सैकड़ों सभ्यताओं की
जन्मदात्री, ऋषि-मुनियों कि अराध्य देवी, जीव-जन्तु तथा वनस्पतियों के जीवन का आधार होने के बाद भी वर्तमान समय में नदियों का जो हाल है, वो मानव के लज्जाहीन एवं एहसान फरामोश होने के साथ-साथ भविष्य से अनभिज्ञ होने का भी संकेत देता है। यहाँ मैं निबंध के माध्यम से आप लोगों को नदी प्रदूषण के बारे में कुछ जानकारियां
दूँगा, मुझे पूर्ण आशा है कि इनके माध्यम से आप नदियों के प्रदूषित होने के कारण, उनके निवारण तथा उसके प्रभाव को भलि- भाँति समझ सकेंगे। प्रस्तावना नदी जल प्रदूषण से हमारा तात्पर्य, घरों से निकलने वाला कूड़ा-कचरा, उद्योगों से निकलने वाले रासायनिक अपशिष्टों, नदी में चलने वाले वाहन के अपशिष्टों एवं उनके ऱासायनिक रिसाव आदि का जल में मिलकर उसको दूषित करने से है। नदियों के दूषित जल में आक्सीजन की कमी हो जाती है जिसके
कारण यह जलीय जीवों के साथ-साथ जैव विविधता के लिए भी अत्यधिक घातक सिद्ध होता है। इसमें उपस्थित विभिन्न औद्यौगिक रासायन सिंचाई के माध्यम से कृषि भूमि की उर्वरा क्षमता को भी घटा देते हैं। नदियों के प्रदूषण के कारण नदी प्रदूषण के लिए वर्तमान समय में निम्नलिखित कारक उत्तरदायी है- नदियों को
प्रदूषित होने से बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय किये जाने चाहिए निष्कर्ष नदियों का समस्त जीवित प्राणियों के जीवन में अपना एक महत्व है। मानव इसके जल का उपयोग सिंचाई एवं विद्युत उत्पादन में, पशु-पक्षी इसके जल का उपयोग पीने में तथा जलीय जीव इसका उपयोग अपने आवास आदि के रुप में करते हैं। परन्तु वर्तमान समय में नदियों के जल को प्रदूषित होने से, इसका उपयोग करने वाले जीवों के जीवन में काफी बदलाव आया है। जैसे- सिंचाई से भूमि की उर्वरा क्षमता में ह्रास एवं इसके उपयोग से बिमारियों में वृद्धि आदि। नदियों की उपयोगिता को देखते हुए अगर कोई उचित कदम नहीं उठाया गया तो इनका बढ़ता प्रदूषण मानव सभ्यता पर बिजली बनकर गिरेगा और सब कुछ जलाकर राख कर देगा। नदियों में बढ़ रहे प्रदूषण पर बड़ा निबंध – 600 शब्दप्रस्तावना प्राचीन काल से अब तक मानव तथा अन्य स्थलीय एवं जलीय जीवों के लिए नदियों का महत्व बढ़ता ही गया और साथ-साथ इनके जलों का प्रदूषित होना भी जारी रहा। आज स्थिति यह है कि प्राचीन काल में जिन नदियों को जीवन का आधार समझा जाता था वो अब धीरे-धीरे रोगों का आधार बनती जा रही हैं और यह सब उनमें बढ़ रहे प्रदूषण के कारण है। नदी प्रदूषण को अगर परिभाषित करना हो तो हम कह सकते हैं कि नदी जल में घरेलू कूड़ा-कचरा, औद्यौगिक रसायनों तथा जलीय वाहन के अपशिष्टों आदि का मिलना ही नदी जल प्रदूषण कहलाता है। नदी जल प्रदूषण के प्रकार नदी जल प्रदूषण को निम्नलिखित तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है-
नदी प्रदूषण के कारण नदी प्रदूषण निम्नलिखित दो स्रोतों से होता है – 1– प्राकृतिक स्रोत
2- मानवीय स्रोत इसके अन्तर्गत नदी प्रदूषण के वो कारक आते हैं जो मानवीय गतिविधियों द्वारा उत्पन्न होते हैं। जैसे-
जैसे- मृत्यु के बाद शव को पानी में बहाना, मूर्तियों का विसर्जन, स्नान आदि।
नदी जल प्रदूषण के रोकथाम व उपाय वर्तमान में पूरा विश्व प्रदूषित जल की चपेट में है, चारों ओर हाहाकार मचा हुआ है, जनता तथा सरकारें मिलकर इससे लड़ने को प्रयासरत हैं। हालांकि इसे पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता परन्तु कुछ उपायों के माध्यम से इसपर अंकुश जरूर लगाया जा सकता है, जो निम्नलिखित है-
नदी प्रदूषण का जलीय जीवों व आस पास के लोगों के जीवन पर प्रभाव नदियों के जल में उपस्थित प्रदूषण के कारण मछलियाँ रोग ग्रसित हो जाती है जिसके कारण अधिकांश मछलियाँ मर जाती है। यहीं हाल जल में पाए जाने वाले अन्य जीवों एवं वनस्पतियों का भी होता है। नदियों का बढ़ता प्रदूषण जलीय पारिस्थितिकी के संतुलन को बिगाड़ रहा है, जिससे जुड़े रोजगार एवं करोड़ों उपभोक्ता भी प्रभावित हो रहे हैं। किसी का रोजगार खतरे में है तो किसी का स्वास्थ्य खतरे में है। दूसरी तरफ ध्यान दें तो पता चलेगा की नदी प्रदूषण से किसान भी परेशान है, क्योंकि नदी के जल से सिंचाई करने पर उसमें उपस्थित रासायनिक प्रदूषकों के कारण मिट्टी की उर्वरा क्षमता भी प्रभावित होती है। जिसके कारण उत्पादन में कमी आती है और किसानों की परेशानियों में वृद्धि होती है। अप्रत्यक्ष रूप से ही सही नदी प्रदूषण ने सभी जीवित प्राणियों को प्रभावित किया है। नदी प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम समय-समय पर भारत सरकार ने नदियों के सफाई के लिए कदम उठाए हैं, जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण कदम निम्नलिखित हैं-
इस परीयोजना की शुरुआत वर्ष 2014 में गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से की गई थी। इस परियोजना का क्रियान्वयन गंगा कायाकल्प मंत्रालय, केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय तथा नदी विकास मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।
2014 में नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा लागू की गई स्वच्छ गंगा परियोजना, कार्य योजना आदि के आभाव असफल रहीं। निष्कर्ष उपरोक्त तमाम बातें वनस्पतियों, जीव-जन्तुओं तथा मानव जीवन में नदियों के महत्व को उजागर करती हैं एवं साथ ही इनके सम्मान पर चल रहे प्रदूषण रूपी तलवार की भी व्याख्या करती हैं। जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि मानव ने अपने विकास के लिए जो भी कदम उठाए हैं उसने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नदियों के जल को प्रदूषित किया है। धीरे-धीरे लोग इसके प्रति जागरुक हो रहे हैं, सरकारों ने भी नदी प्रदूषण से लड़ने के लिए कमर कस लिया है। परन्तु ऐसा लगता है कि ये सारे प्रयास कागजों तक ही सीमित है, वास्तविकता से इनका कोई नाता नहीं है। अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions on Increasing Pollution in Rivers)प्रश्न.1 केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board- CPCB) का मुख्यालय कहाँ स्थित है? उत्तर- नई दिल्ली (New Delhi) प्रश्न.2 जल प्रदूषण को कैसे मापा जाता है? उत्तर- हवाई रिमोट सेंसिंग द्वारा। (Aerial Remote Sensing) प्रश्न.3 भारत के केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का गठन कब हुआ था? उत्तर- सितम्बर, 1974 प्रश्न.4 विश्व की सबसे प्रदूषित नदी कौन सी है? उत्तर- सीतारुम नदी (Citarum River), इंडोनेशिया नदियों को प्रदूषित होने से कैसे रोका जा सकता है?नदी किनारे बसे लोगों को नदी में गंदे कपड़े नहीं साफ करने चाहिए। क्योंकि गंदे व दूषित कपड़े के रोगाणु पानी में दूर-दूर तक फैलकर बीमारी फैला सकते हैं। नदी में डिटर्जेट पाउडर, साबुन का प्रयोग और जलीय जीवों के शिकार से परहेज करना चाहिए। क्योंकि नदी के जीवों जैसे मछली, कछुआ, घड़ियाल, मेढ़क आदि प्रदूषण को दूर करते हैं।
नदी प्रदूषण के कारण क्या हैं कैसे रोका जा सकता है?कारखानों, घरों, अस्पतालों आदि के कचरे से जल निकाय प्रदूषित हो जाते हैं और आम प्रदूषक कीटनाशक और अन्य हानिकारक रसायन और रोग पैदा करने वाले कीटाणु हैं। 1. अपशिष्ट जल को जल निकायों में छोड़ने से पहले उपचारित किया जाना चाहिए ।
नदियों में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए आप क्या कर सकते हैं लिखिए?Solution : जल - प्रदूषण को निम्न छः विधियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है <br> ( 1 ) प्रत्येक घरों में सेप्टिक टैंक होना चाहिए । <br> ( 2 ) जल स्त्रोतों में जानवरों की सफाई न करना । <br> ( 3 ) व्यर्थ पदार्थों को नदी , तालाब व पोखरों में न बहाना । <br> ( 4 ) कीटनाशी व उर्वरकों का अधिकता में प्रयोग न करना ।
नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए क्या करना चाहिए?जो पानी विनाश का कारण बन सकता है। वही पानी विकास का कारण बन सकता है। जल का उपयोग करना हमें गुजरात से सीखना चाहिए।
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