Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 2 संरचना तथा भू-आकृति विज्ञान Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes. Show
Bihar Board Class 11 Geography संरचना तथा भू-आकृति विज्ञान Text Book Questions and Answers(क) बहुवैकल्पिक प्रश्न एवं उनके उत्तर प्रश्न 1. प्रश्न
2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. (ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 30 शब्दों में दीजिए प्रश्न
1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. (ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में दीजिए प्रश्न 1. अरब सागर के द्वीपों में लक्षद्वीप और मिनिकॉय शामिल हैं। ये द्वीप 80° उत्तर से 12° उत्तर और 71° पूर्व से 74° पूर्व के बीच बिखरे हुए हैं। ये केरल तट से 280 किलोमीटर से 480 किलोमीटर दूर स्थित है। पूरा द्वीप समूह प्रवाल निक्षेप से बना है। यहाँ 36 द्वीप हैं और इनमें से 11 पर मानव आवास हैं। मिनिकॉय सबसे बड़ा द्वीप है जिसका क्षेत्रफल 453 वर्ग किलोमीटर है। पूरा द्वीप समूह 11 डिग्री चैनल द्वारा दो भागों में बाँटा गया है, उत्तर में अमीनी द्वीप दक्षिण में कनानोरे द्वीप । इस द्वीप समूह पर तूफान निर्मित पुलिन है जिस पर आबद्ध गुटिकायें शिंगिल, गोलश्मिकाएँ तथा गोलाश्म पूर्वी समुद्र तट पर पाए जाते हैं। प्रश्न 2. कश्मीर हिमालय में श्रीनगर का डल झील एक रोचक प्राकृतिक स्थल है। कश्मीर घाटी में झेलम नदी प्रौढ़ावस्था में निर्मित होने वाली विशिष्ट आकृति विसों का निर्माण करतीहै। प्रदेश के दक्षिणी भाग में अनुदैर्ध्य घाटियाँ पाई जाती हैं जिन्हें दून कहा जाता है। हिमाचल हिमालय के दो महत्त्वपूर्ण स्थालाकृतियाँ शिवालिक और दून हैं। दार्जिलिंग और सिक्किम हिमालय की पर्वत श्रेणियाँ उत्तर से दक्षिण दिशा में तेज बहती हुई गहरे गॉर्ज बनाने वाली नदियों द्वारा विच्छेदित होती हैं। कामेंग; सुबनसरी, दिहांग, दिबांग, लोहित और तीस्ता यहाँ की प्रमुख नदियाँ हैं, जो बहुत से जल-प्रपात बनाती हैं। मणिपुर घाटी के मध्य एक झील स्थित है जिसे ‘लोक ताक’ झील कहा जाता है। उत्तरी भारत के मैदान में हिमालय पर्वत श्रेणियों से बाहर निकलती नदियाँ यहाँ पर भारी जल-भार, जैसे-शैल और गोलाश्म जमा कर देती हैं और कभी-कभी स्वयं इसी में लुप्त हो जाती है। विशाल नदियाँ अपने मुहाने पर विश्व के बड़े-बड़े डेल्टाओं का निर्माण करती हैं, जैसे सुंदर वनन का डेल्टा। प्रायद्वीपीय पठार में बहने वाली नदियाँ टार, ब्लॉक पर्वत, भ्रंश घाटियाँ पर्वत स्कंध नग्न चट्टान संरचना, टेकरी (hummocky) पहाड़ी, शृंखला और क्वार्ट्साइट भित्तियाँ आदि का निर्माण करती हैं। प्रायद्वीपीय पूर्वी-घाट अवतरित नहीं हैं और महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियों द्वारा अपरदित हैं। यहाँ की कुछ श्रेणियाँ जावदी पहाड़ियाँ पालकोण्डा श्रेणी, नल्लामाला पहाड़ियाँ और महेंद्रगिरि पहाड़ियाँ हैं। मरुस्थल में बहने वाली नदियाँ थोड़ी दूरी तय करने के बाद लुप्त हो जाती हैं या किसी झील में या प्लाया में मिल जाती हैं। पश्चिमी तटीय मैदान में बहने वाली नदियाँ डेल्टा नहीं बनाती। पूर्वी तटीय मैदान में बहने वाली नदियाँ लम्बे-चौड़ें डेल्टा बनाती है। इसमें महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी का डेल्टा शामिल है। प्रश्न 3. (घ) परियोजना कार्य (Project Work) प्रश्न 1. प्रश्न 2. उसके परिणामस्वरूप हिमालय पर्वत श्रेणियों से बाहर निकलती नदियाँ यहाँ पर भारी जल-भार, जैसे-बड़े शैल और गोलाश्म जमा करा देती हैं और कभी-कभी स्वयं इसी में लुप्त हो जाती है। तराई से दक्षिण में मैदान है जो नए जलोढ़ से बना होने के कारण बाँगर और खादर कहलाता है। जैसे-बालू-रोपिका, विसर्प, गोखुर झीलें और गुंफित नदियाँ पाई जाती हैं। ब्रह्मपुत्र घाटी का मैदान नदीय द्वीप और बालू-रोधिकाओं की उपस्थिति के लिए जाना जाता है। ‘उत्तर भारत के मैदान में बहने वाली विशाल नदियाँ अपने मुहाने पर विश्व के बड़े-बड़े डेल्टाओं का निर्माण करती हैं, जैसे-सुन्दर वन डेल्टा। हरियाणा और दिल्ली राज्य सिंधु और गंगा नदी तंत्रों के बीच जल-विभाजक है। गंगा नदी द्वारा निर्मित जलोढ़ मैदानों में गेहूँ, चावल, गन्ना और जूट उगाई जाती है। [ आर्थिम कार्यों का विश्लेषण अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।] Bihar Board Class 11 Geography संरचना तथा भू-आकृति विज्ञान Additional Important Questions and Answersअतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21. प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न 24. प्रश्न 25. प्रश्न 26. प्रश्न 27. प्रश्न
28. प्रश्न 29. प्रश्न 30. प्रश्न 31. प्रश्न 32. प्रश्न 33. लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर प्रश्न 1.
प्रश्न 2.
उक्त पर्वत श्रेणियों को तीन अन्य नामों से भी पुकारा जाता है –
प्रश्न 3.
प्रश्न 4.
प्रश्न 5.
प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8.
प्रश्न 9.
कश्मीर घाटी को भी हिमालय पर्वत में एक दन की संज्ञा दी जाती है। प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12.
प्रश्न 13.
प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18.
प्रश्न 19. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर प्रश्न 1.
उत्तर: प्रश्न 2. 1. प्रायद्वीपीय पठार – इस पठार की रचना कैम्ब्रियन पूर्व युग में हुई है। कुछ विद्वानों की धारणा है कि यह उत्खण्ड (HORST) है जिसका उत्थान समुद्र से हुआ है। इस पठारके पश्चिमी भाग में अरावली पर्वत का उत्थान दक्षिण में नाला मलाई पर्वतमाला का एक उत्थान विंध्य-महायुग में हुआ है। इस स्थिर भाग में एक लम्बे समय तक भू-गर्भिक हलचलों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। कुछ भागों में धरातल पर भ्रंश पड़ने के कारण धसाव के प्रमाण मिलते हैं। हिमालय के निर्माण के पश्चात् पठार के उत्तर:पश्चिम भाग के धंसने के कारण अरब सागर का निर्माण प्लीओसीन युग में हुआ है। इस पठार को विशाल गोंडवाना महाद्वीप का भाग माना जाता है। इसका कुछ भाग अब भी उत्तरी मैदान के नीचे छिपा हुआ है। हिमालय के उत्थान के समय पठार के उत्तर:पश्चिमी भाग में विस्तृत रूप से ज्वालामुखी उदगार हुए जिससे दक्कन लावा क्षेत्र (Deccan Trap) का निर्माण हुआ। पठार के पश्चिम भाग में निमज्जन से पश्चिमी घाट ऊपर उभरे। दूसरी ओर पूर्वी तट शान्त क्षेत्र रहे। 2. हिमालय पर्वत – यह एक युवा तथा नवीन मोड़दार पर्वत है। मध्यजीवी काल तक यह पर्वत एक भू-अभिनति द्वारा घिरा हुआ था। इसे ‘टैथीस सांगर’ कहते हैं । टर्शियरी युग में टैथीस सागर में जमा तलछटों में बलन पड़ने से हिमालय पर्वत तथा इसकी शृखंलाओं का निर्माण हुआ। उत्तरी भू-खण्ड अंगारालैण्ड की ओर से दक्षिण-भूखण्ड गोंडवाना लैण्ड की ओर दबाव पड़ा। दक्षिणी भू-खण्ड के उत्तर अभिमुखी दाबाव ने टथीस सागर में जमा तलछट को ऊँचा उठा दिया जिससे हिमालय पर्वत में वलनों का निर्माण हुआ। हिमालय पर्वत नूतन युग में तथा तीसरी अवस्था उत्तर अभिनूतन युग में हुई। आधुनिक प्रमाणों के आधार पर ये पर्वत निर्माणकारी हलचले (Mountain Building) प्लेट-विवर्तनिकी (Plate tectonics) से सम्बन्धित हैं। भारतीय प्लेट उत्तर की ओर खिसकी तथा यूरेशिया प्लेट को नीचे से धक्का देने से हिमालय पर्वतमाला की उत्पत्ति हुई। 3. उत्तरी मैदान – भारत का उत्तरी मैदान हिमालय पर्वत तथा दक्षिण पठार के मध्यवर्ती क्षेत्र में फैला है। यह मैदान एक समद्री गर्त के भर जाने से बना है। इस गर्त में हिमालय पवर्त तथा दक्षिणी पठार से बहने वाली नदियाँ भारी मात्रा में मलवे का निक्षेप करती रही है। इस गर्त का निर्माण हिमालय से पर्वत के उत्थान के समय एक अग्रगामी गर्त (Fore-deep) के रूप में हुआ। इसका निर्माण प्रायद्वीपीय पठार के उत्तर अभिमुख दबाव के कारण हिमालय पर्वत के समान हुआ । यह सम्पूर्ण क्षेत्र निक्षेप क्रिया द्वारा लगातार पूरी होता रहा है। यह क्रिया चतुर्थ महाकल्प तक जारी है। इस प्रकार लम्बी अवधि में भारत के वर्तमान भौगोलिक स्वरूप का विकास हुआ मध्य हिमालय से आप क्या समझते हैं?हिमाचल पर्वतमाला (Himachal Range), जिन्हें लघु हिमालय (Lower Himalaya, Lesser Himalaya) या मध्य हिमालय (Middle Himalaya) भी कहा जाता है, हिमालय की मध्यवर्ती क्षेणी है। यह शिवालिक पर्वतमाला से उत्तर में है और उस से ऊँची है, लेकिन हिमाद्रि पर्वतमाला से दक्षिण में है और उस से कम ऊँचाई रखती है।
मध्य हिमालय कहाँ स्थित है?मध्य हिमालय मध्य हिमालय का क्षेत्रफल 1,16,800 वर्ग किमी है और संपूर्ण नेपाल इसमें स्थित है। पश्चिम में कर्नाली नदी, मध्य में गंडक और पूर्व में कोसी नदी द्वारा यहाँ के जल का निकास होता है। नेपाल की मध्य घाटी, जहाँ नेपाल की राजधानी काठमांडू: स्थित है, नेपाल को दो भागों में विभक्त करती है।
मध्य हिमालय का निर्माण कैसे हुआ?यह कराकोरम श्रेणी, लद्दाख श्रेणी और कैलाश श्रेणी के रूप में हिमालय की मुख्य श्रेणियों और तिब्बत के बीच स्थित है। इसका निर्माण टेथीज सागर के अवसादों से हुआ है। इसकी औसत चौड़ाई लगभग 40 किमी है। यह श्रेणी इण्डस-सांपू-शटर-ज़ोन नामक भ्रंश द्वारा तिब्बत के पठार से अलग है।
हिमालय के मध्य भाग को क्या कहते हैं?हिमालय के इस भाग में काराकोरम, लद्दाख, पीरपंजाल, धौलाधार व जास्कर प्रमुख श्रेणियाँ हैं।
|