क़िस्मत ही है, किसी दिन पलट जायेगी। रोटी कमाने निकलों तो सिर पर ताज रख देता है। हम कीमत से नहीं किस्मत से मिला करते है। पनाह मेरे दिल में, यूं तो हर शख़्स को, जन्नत का पता नहीं मिलता| क्या पता अपनी किस्मत में हमसफ़र भी लिखा हो। मैं किस्मत में नहीं, खुद पर यकीं रखती हूं। तभी इंसान से जमकर मेहनत होती है। देर से किस्मत खुलने वालो का दुगुना फायदा हो। जवानी में ऐसी बातें लगती है अजीब, कर्म करके तू लिख दे अपना नसीब, दुनिया भी कहे इंसान था वो अजीब। कुछ इस कदर बदल देंगे हम अपनी किस्मत को। उनकी यादें कसम से कमाल की होती हैं। चाँद ढूँढते ढूँढते तारों में खो जाता है। उठा के हाथ देखो बदलती है किस्मत। मैं जो सोता हूँ तो जाग उठती है क़िस्मत मेरी। कई बार सिर झुकाने से भी बदलती है किस्मत। अपनी उम्मीदों को मैंने हौसलों से जोड़ दिया। सोचता हूँ खरीद लू, पर लेता नहीं ये रिश्वत। किस्मत है, किसी दिन पलट जाएगी। कभी घमंड मत करों, क्योंकि सुबह उनकी भी होती है, जिन्हें कोई याद नहीं करता है। हर सुबह खुल जाती। कौन जाने कब किस्मत माँग ले इसको सर छुपाने के लिए। जो वक़्त बीत गया मुझ को आज़माने में। लकीरों के आगे उंगलियाँ, खुदा ने भी किस्मत से, पहले मेहनत लिखी है। मेरी चमकी हुई किस्मत का खज़ाना हो तुम। हैं चंद लकीरें उलझी सी, हाथों में रखा ही क्या। इन्हें बना दो किस्मत हमारी, हमें नहीं चाहिये ज़माने की खुशियाँ, अगर मिल जाये मोहब्बत तुम्हारी। किसको क्या सौगात मिले, किसी को खाली सीप मिले, किसी को मोती साथ मिले। जिनमें कुछ कर गुजरने की हिम्मत होती है। आए थे गुलशन में गुल, कुछ बहारों में खिले, कुछ ख़िज़ाँ में खो गए। किस्मत से जरा कह दो, अभी तन्हा नही हूँ मैं। मैं उसके फैसलें से तंग और वो मेरे हौसले से दंग रही। |