Show मस्सा (wart) शरीर पर कहीं कहीं काले रंग का उभरा हुआ मांस का छोटा दाना जो चिकित्साविज्ञान के अनुसार एक प्रकार का चर्मरोग माना जाता है। यह प्रायः सरसों अथवा मूँग के आकार से लेकर बेर तक के आकार का होता है। यह प्रायः हाथों और पैर पर होता है किन्तु शरीर के अन्य अंगों पर भी हो सकता है। मस्से विषाणु संक्रमण से पैदा होते हैं। प्रायः 'मानव पेपिल्लोमैविरस' नामक विषाणु की कोई प्रजाति इसका कारण होती है। लगभग दस प्रकार के मस्से होते हैं। मस्से संक्रमण (छुआछूत) से हो सकते हैं और शरीर में वहाँ प्रवेश करते हैं जहाँ त्वचा कटी-फटी हो। प्रायः ये कुछ माह में स्वयं समाप्त हो जाते हैं किन्तु कभी-कभी वर्षों तक बने रह सकते हैं या पुनः हो सकते हैं ।[1] प्रकार[संपादित करें]मस्सों के कई प्रकार की किस्मों की पहचान की गई है जो विभिन आकार, प्रभावित जगहों एवं साथ ही साथ मानव (ह्यूमन) पेपिलोमा वायरस के किस्म के शामिल होने के आधार पर तय किये जाते हैं। [2][3] इनमें शामिल हैं: सामान्य मस्सा (वररुका वुलगरिस ): एक उठा हुआ मस्सा जो रूखे सतह जैसा होता है एवं हाथों पर यह सामान्य रूप से पाया जाता है। लेकिन शरीर पर यह कहीं भी विकसित हो सकता हैं। कभी कभी इसे पामर मस्सा या जूनियर मस्सा के नाम से जाना जाता है। फ्लैट मस्सा (वररुका प्लाना): एक छोटी, चिकना चपटा मस्सा जो चमड़े के रंग का होता है एवं बड़ी संख्या में भी हो सकता है। सामान्यता यह चेहरे, गर्दन, हाथ, कलाई और घुटनों पर सबसे ज्यादा पाया जाता है। फिलिफॉर्म या प्रांगुलित मस्सा: यह एक धागे या अंगुली की तरह होता है और विशेष रूप से पलकों और होठों के पास पाया जाता है। जननांग मस्सा (वररुका अकुमिंटा ): एक प्रकार का मस्सा जो जननांग पर अमूमन पाया जाता है। मोज़ेक मस्सा: यह सामान्यतः हाथ या पैर के तलवों पर होता है। परिंगुअल मस्सा: एक फूलगोभी की तरह का मस्सा, सामान्यता नाखून के आसपास होता है। प्लांटर मस्सा (वररुका , वररुका प्लान्टरीस) कारण[संपादित करें]मुख्य लेख: मानव पैपिलोमा वायरस मस्सों का मुख्य कारण मानव (ह्यूमन) पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) होता है।इस मानव (ह्यूमन) पैपिलोमा वायरस के 130 प्रकार होते हैं।[4] कई प्रकार के एचपीवी एक धीमी विकास करते है। सबसे सामन्य एचपीवी और मस्सा के प्रकार नीचे सूचीबद्ध हैं। आम मस्सा: एचपीवी टाइप २ और 4। कैंसर और जननांग डिसप्लासिया : "उच्च जोखिम" एचपीवी प्रकार, कैंसर के साथ जुड़े रहे हैं विशेष रूप से गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर, प्लांटर वार्ट्स (मयरमेश) – एचपीवी टाइप 1 (सबसे सामान्य) . लो-रिस्क : फ्लैट आर्ट्स – बुचर 'स आर्ट्स –एचपीवी टाइप 7। हेक'स रोग (फोकल एपिथेलियल हयपरपलसिा ) – एचपीवी टाइप 13 और 32। कीटाणुशोधन[संपादित करें]वायरस अपेक्षाकृत काफी सख्त और कई आम कीटाणुनाशक के विरुद्ध प्रतिरक्षण पैदा कर लेता है। अन्य जानवर[संपादित करें]इन्हें भी देखें: पॅपिलोमावाइरस और बोवाइन पेपिलोमा वायरस यह वायरस सूखने और गर्मी के लिए प्रतिरोधी है, लेकिन 100 डिग्री सेल्सियस (212 ° एफ) और पराबैंगनी विकिरण के द्वारा मार डाला जाता है। [5] उपचार[संपादित करें]मस्से के कई उपचार हैं। इनमें से सलिसिलिक अम्ल (salicylic acid and lactic acid collodion) का मस्से पर प्रयोग सबसे कारगर पाया गया है। अन्य उपचार हैं - क्रायोथिरैपी (cryotherapy) तथा प्लेसिबो (placebo)। दवा लगाने पर मस्से हट जाते हैं किन्तु वे फिर से प्रकट हो सकते हैं - यही मुख्य जटिलता है। बरगद के पेड़ के पत्तों का रस मस्सों के उपचार के लिए बहुत ही असरदार होता है। इस प्रयोग से त्वचा सौम्य हो जाती है और मस्से अपने आप गिर जाते हैं। एक चम्मच कोथमीर के रस में एक चुटकी हल्दी डालकर सेवन करने से मस्सों से राहत मिलती है। कच्चे आलू का एक स्लाइस नियमित रूप से दस मिनट तक मस्से पर लगाकर रखने से मस्सों से छुटकारा मिल जायेगा। केले के छिलके को अंदर की तरफ से मस्से पर रखकर उसे एक पट्टी से बांध लें। और ऐसा दिन में दो बार करें और लगातार करते रहें जब तक कि मस्से ख़तम नहीं हो जाते। अरंडी का तेल नियमित रूप से मस्सों पर लगायें। इससे मस्से नरम पड़ जायेंगे और धीरे धीरे गायब हो जायेंगे। अरंडी के तेल के बदले कपूर के तेल का भी प्रयोग कर सकते हैं। लहसून के एक टुकड़े को पीस लें, लेकिन बहुत महीन नहीं और इस पीसे हुए लहसून को मस्से पर रखकर पट्टी से बांध लें। इससे भी मस्सों के उपचार में सहायता मिलती है। एक बूँद ताजे मौसमी का रस मस्से पर लगा दें और इसे भी पट्टी से बांध लें। ऐसा दिन में लगभग 3 या 4 बार करें। ऐसा करने से मस्से गायब हो जायेंगे। बंगला, मलबारी, कपूरी, या नागरबेल के पत्ते के डंठल का रस मस्से पर लगाने से मस्से झड़ जाते हैं। अगर तब भी न झड़ें, तो पान में खाने का चूना मिलाकर घिसें। अम्लाकी को मस्सों पर तब तक मलते रहें जब तक मस्से उस रस को सोख न लें। या अम्लाकी के रस को मस्से पर मल कर पट्टी से बांध लें। कसीसादी तेल मस्सों पर रखकर पट्टी से बांध लें। मस्सों पर नियमित रूप से प्याज़ मलने से भी मस्से गायब हो जाते हैं। पपीता के क्षीर को मस्सों पर लगाने से भी मस्सों के गायब होने में मदद मिलती है। थूहर का दूध या कार्बोलिक एसिड सावधानीपूर्वक लगाने से मस्से निकल जाते हैं। मस्सों पर अलो वेरा को दिन में तीन बार लगायें। ऐसा एक सप्ताह तक करते रहें, मस्से गायब हो जायेंगे। विटामिन में को मस्सों पर लगाने से भी लाभ मिलता है। दुगने लाभ के लिए आप उसपर कच्चा लहसून भी लगा सकते हैं। दोनों को मस्सों पर लगाकर उसपर पट्टी बांधकर एक सप्ताह तक रहने दें। एक सप्ताह बाद पट्टी खोलने पर आप पाएंगे की मस्से गायब हो गए हैं। बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
मस्से की बीमारी कैसे ठीक होती है?मस्सों को साफ़ पानी से धो कर इसे किसी कपड़े से पोंछ लें और अरंडी के इस तेल से मस्सों पर हलके हाथों से मालिश करें। इस देसी नुस्खे को दिन में 2 बार करने से मस्सों की सूजन, दर्द, खारिश और जलन में आराम मिलता है। : थोड़ी सी हल्दी को सेहुंड के दूध में मिलाकर इसकी 1 बूंद मस्से पर लगाने से मस्सा ठीक हो जाता है।
मसा की बीमारी क्यों होती है?मस्से विषाणु संक्रमण से पैदा होते हैं। प्रायः 'मानव पेपिल्लोमैविरस' नामक विषाणु की कोई प्रजाति इसका कारण होती है। लगभग दस प्रकार के मस्से होते हैं। मस्से संक्रमण (छुआछूत) से हो सकते हैं और शरीर में वहाँ प्रवेश करते हैं जहाँ त्वचा कटी-फटी हो।
मस्से को जड़ से खत्म कैसे करें?मस्से बिगाड़ रहे हैं आपकी सुंदरता?. बेकिंग सोडा और अरंडी का तेल बेकिंग सोडा और अरंडी के तेल का मिक्स तैयार करें। ... . लहसुन का पेस्ट हटाएगा मस्सा लहसुन की कलियों को छीलकर इनका पेस्ट बना लें। ... . ताजा ऐलोवेरा जेल ... . ACV से दूर करें मस्सों की समस्या ... . इस तरह उपयोग करें सेब का सिरका. मस्से का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?प्याज का रस
आप प्याज के रस को भी मस्से हटाने के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं। मस्से हटाने के लिए कई आयुर्वेदिक प्रोडक्ट मौजूद हैं, जिनमें प्याज के रस का इस्तेमाल किया जाता है। आप घर में ही प्याज का रस निकालकर इसका उपयोग कर सकते हैं। आपको बस प्याज का रस निकालकर एक शीशी में भर लेना है और नियमित रूप से अपने मस्से पर लगाना है।
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