मार्च 2022 में प्रदोष कब है? - maarch 2022 mein pradosh kab hai?

हिन्दुओं में प्रत्येक महीने की त्रयोदशी तिथि यानी प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है और इस दिन शिव पूजन मुख्य रूप से फलदायी माना जाता है। 

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों यानी कि कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। हिन्दुओं में प्रदोष व्रत बहुत ज्यादा मायने रखता है और ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन पूरी श्रद्धा से भगवान शिव का पूजन करता है उसकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ति होती है और भगवान शिव की कृपा दृष्टि उन पर सदैव बनी रहती है। हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का महत्व बहुत ज्यादा बताया गया है। 

त्रयोदशी तिथि पूर्ण रूप से भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होती है। त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में पूजन करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। प्रत्येक महीने में जब प्रदोष का व्रत जब सोमवार को पड़ता है तब इसे सोम प्रदोष कहा जाता है, जब यह व्रत मंगलवार को पड़ता है तब इसे भौम प्रदोष और यदि यह शनिवार के दिन पड़ता है तब इसे शनि प्रदोष कहा जाता है। इन सभी प्रदोष व्रतों का अपना अलग महत्व है और इस दौरान शिव पूजन अत्यंत फलदायी माना जाता है। आइए अयोध्या के पंडित राधे शरण शास्त्री जी से जानें मार्च के महीने में कब पड़ेगा पहला प्रदोष व्रत और इस व्रत के दौरान पूजन करना किस मुहूर्त में और किस तरह से फलदायी होगा। 

मार्च 2022  के पहले प्रदोष व्रत की तिथि 

मार्च 2022 में प्रदोष कब है? - maarch 2022 mein pradosh kab hai?

मार्च के महीने में पहला प्रदोष व्रत 15 मार्च, मंगलवार के दिन पड़ेगा। दरअसल इसी दिन फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है और प्रदोष काल भी इसी तिथि के दिन प्राप्त हो रहा है इसलिए इस दिन प्रदोष काल में शिव पूजन अत्यंत फलदायी होगा। ऐसा माना जाता है कि प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में ही पूजन करने से कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। चूंकि इस बार प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड़ रहा है इसलिए इसे भौम प्रदोष व्रत (भौम प्रदोष व्रत का महत्व) कहा जाएगा और इसका महत्व और अधिक बढ़ जाएगा। 

मार्च प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त 

  • मार्च महीने के पहले प्रदोष व्रत की त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ - 15 मार्च, दोपहर 01:12
  • प्रदोष व्रत की त्रयोदशी तिथि समाप्त - 16 मार्च, दोपहर 01:39 
  • प्रदोष काल-  15 मार्च सायं  06:29 से रात्रि 08:53 

प्रदोष व्रत पूजा विधि 

मार्च 2022 में प्रदोष कब है? - maarch 2022 mein pradosh kab hai?

  • प्रदोष व्रत के दिन प्रातः जल्दी उठें और स्नान आदि से मुक्त होकर साफ़ वस्त्र धारण करें। 
  • शिव पूजन के साथ प्रदोष व्रत का संकल्प लें और व्रत का पालन करें। 
  • शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और बेल पत्र और फूलों से सुसज्जित करें। 
  • शवलिंग पर सफ़ेद फूल चढ़ाएं लेकिन भूलकर भी केतकी का फूल न चढ़ाएं। 
  • पूरे दिन भगवान शिव का पूजन करें और साफ़ मन से व्रत का पालन करें। 
  • प्रदोष व्रत वाले दिन भगवान शंकर की पूजा में 'ऊं नम: शिवाय:' मंत्र  का 108 बार जाप करें। 
  • इसके बाद भगवान शिव की बेल पत्र,(शिवलिंग पर ऐसे चढ़ाएं बेलपत्र) गंगाजल, अक्षत और धूप-दीप आदि समर्पित करें। 
  • प्रदोष काल में एक बार पुनः स्नान करें और भगवान शिव को चंदन लगाकर विधि-विधान से पूजा करें। 
  • इसके बाद प्रदोष व्रत की कथा सुनें और पढ़ें। 

भौम प्रदोष व्रत का महत्व 

ऐसा माना जाता है कि जिस महीने में मंगलवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ता है उसे भौम प्रदोष कहा जाता है और इस व्रत का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। इस दिन भगवान् शिव के साथ हनुमान जी का पूजन भी करना विशेष फलदायी होता है और हनुमान चालीसा का पाठ करना भी फलदायी होता है। इस दिन व्रत एवं पूजन करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सभी पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही, कर्ज में जकड़े हुए व्यक्ति को कर्ज से मुक्ति भी मिलती है। इसलिए भौम प्रदोष व्रत का पालन पूरी श्रद्धा भाव से करना चाहिए। 

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भौम प्रदोष व्रत कथा

मार्च 2022 में प्रदोष कब है? - maarch 2022 mein pradosh kab hai?

भौम प्रदोष व्रत कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक विधवा ब्राह्मणी अपने पुत्र को लेकर भिक्षा लेने जाती और संध्या को लौटती थी। एक दिन जब वह भिक्षा लेकर लौट रही थी तो उसे नदी किनारे एक सुन्दर बालक दिखाई दिया जो विदर्भ देश का राजकुमार धर्मगुप्त था। शत्रुओं ने उसके पिता को मारकर उसका राज्य हड़प लिया था और उसकी माता की मृत्यु भी हो गयी थी। ब्राह्मणी ने उस बालक को अपना लिया और उसका पालन-पोषण करना आरम्भ कर दिया। 

कुछ समय बाद ब्राह्मणी दोनों बालकों के साथ देवलोक को गई। वहां उसे महर्षि शांडिल्य के दर्शन हुए। महर्षि शांडिल्य ने ब्राह्मणी को बताया कि जो बालक उन्हें मिला है वह विदर्भ देश के राजा का पुत्र है जो युद्ध में मारे गए थे और उनकी माता की भी मृत्यु हो गयी है। ऋषि शांडिल्य ने ब्राह्मणी को प्रदोष व्रत करने के बारे में बताया और  ऋषि की आज्ञा से दोनों बालक प्रदोष व्रत रखने लगे।  एक दिन दोनों बालकों को वन में विचरण करते समय अंशुमती नाम की गंधर्व कन्या मिली और राजकुमार और कन्या एक दुसरे के प्रति आकर्षित हुए। भगवान शिव की आज्ञा से गंधर्वराज ने अपनी पुत्री का विवाह राजकुमार धर्मगुप्त से करा दिया। ऐसा माना जाता है कि प्रदोष व्रत के फलस्वरूप ही उन्हें यह प्राप्त हुआ इसलिए इस व्रत का महत्व बहुत ज्यादा माना जाता है। 

इस प्रकार प्रदोष व्रत का पालन और शिव पूजन विशेष रूप से फलदायी माना जाता है और इस दिन भगवान शिव का माता पार्वती समेत पूजन सभी पापों से मुक्ति का द्वार खोलता है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Image Credit: wallpapercave.com and freepik.com 

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मार्च महीने का दूसरा प्रदोष व्रत कब है?

त्रयोदशी 29 मार्च को दोपहर 2:38 बजे से शुरु होकर 30 मार्च 2022, बुधवार की दोपहर 1:19 मिनट तक रहेगी. प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ समय सायंकाल 6:37 से रात्रि 8:57 बजे तक रहेगा.

अप्रैल 2022 में प्रदोष कब है?

28 अप्रैल 2022, गुरुवार। गुरुवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है।

अप्रैल महीने में प्रदोष व्रत कब है?

इस साल चैत्र पक्ष के शुक्ल पक्ष त्रयोदशी 14 अप्रैल 2022, गुरुवार के दिन पड़ रहा है। चैत्र मास का दूसरा प्रदोष व्रत कब है? हिंदू पंचांग के अनुसार, त्रयोदशी तिथि भगवान शंकर को समर्पित होती है। चैत्र मास का दूसरा प्रदोष व्रत 14 अप्रैल, गुरुवार को रखा जाएगा।

2022 का दूसरा प्रदोष कब है?

Margashirsha Pradosh 2022: मार्गशीर्ष माह का दूसरा प्रदोष 5 दिसंबर 2022, सोमवार को रखा जाएगा. आइए जानते हैं मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत का मुहूर्त और महत्व. Share: Margashirsha Som Pradosh Vrat 2022: मार्गशीर्ष माह का दूसरा प्रदोष 5 दिसंबर 2022, सोमवार को रखा जाएगा.