BSEB Bihar Board 12th Political Science Important Questions Short Answer Type Part 5 are the best resource for students which helps in revision. Show Bihar Board 12th Political Science Important Questions Short Answer Type Part 5प्रश्न 1.
प्रश्न 2. इसने परस्पर-विरोधी हितों के विभिन्न समूहों को एक साथ जोड़कर किसानों, उद्योगपतियों, शहर और गाँव के निवासियों, मजदूरों और मालिकों, मध्य, निम्न और उच्च वर्ग तथा सभी जातियों के लोगों को जगह दिया। धीरे-धीरे जब काँग्रेस के नेतृत्व वर्ग का विस्तार हुआ तब इसके अंतर्गत ऐसे लोगों को भी स्थान मिला जो अबतक खेती-गृहस्थी तथा गाँवों-देहातों तक ही अपने को सीमित रखते थे। स्वतंत्रता के समय तक काँग्रेस का स्वरूप एक सतरंगे इंद्रधनुष जैसा हो गया था, जिसके अंतर्गत सामाजिक गठबंधन का शक्ल स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रही थी। काँग्रेस के इस सतरंगे सामाजिक गठबंधन में वर्ग, जाति, धर्म, भाषा तथा अन्य हितों का प्रतिनिधित्व भारत की अनेकता में एकता के दर्शन का बोध करा रहा था। प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. 2. श्रीलंका की राजनीति पर बहुसंख्यक सिंहली समुदाय का दबदबा रहा है। तथा तमिल सरकार एवं नेताओं पर उनके (तमिलों के) हितों की उपेक्षा करने का दोषारोपण करते रहे हैं। 3. तमिल अल्पसंख्यक हैं। ये लोग भारत छोड़कर श्रीलंका आ बसी एक बड़ी तमिल आबादी के खिलाफ हैं। तमिलों का बसना श्रीलंका के आजाद होने के बाद भी जारी रहा। सिंहली राष्ट्रवादियों का मानना था कि श्रीलंका में तमिलों के साथ कोई रियायत’ नहीं बरती जानी चाहिए क्योंकि श्रीलंका सिर्फ सिंहली लोगों का है। 4. तमिलों के प्रति उपेक्षा भरे बर्ताव से एक उग्र तमिल राष्ट्रवाद की आवाज बुलंद हुई। 1983 के बाद से उग्र तमिल संगठन ‘लिबरेशन टाइगर्स ऑव तमिल ईलम’ (लिट्टे) श्रीलंकाई सेना के साथ सशस्त्र संघर्ष कर रहा है। इसने ‘तमिल ईलम’ यानी श्रीलंका के तमिलों के लिए एक अलग देश की माँग की है। श्रीलंका के उत्तर पूर्वी हिस्से पर लिट्टे का नियंत्रण है। प्रश्न 7. (b) भारत-बांग्लादेश के बीच आपसी असहमति के मसले- बांग्लादेश और भारत के बीच गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी के जल में हिस्सेदारी सहित कई मुद्दों पर मतभेद हैं। भारतीय सरकारों के बांग्लादेश से नाखुश होने के कारणों में भारत में अवैध आप्रवास पर ढाका के खंडन, भारत-विरोधी इस्लामी कट्टरपंथी जमातों को समर्थन, भारतीय सेना को पूर्वोत्तर भारत में जाने के लिए अपने इलाके से रास्ता देने से बांग्लादेश के इंकार, ढाका के भारत को प्राकृतिक गैस निर्यात न करने के फैसले तथा म्यांमार को बांग्लादेशी इलाके से होकर भारत को प्राकृतिक गैस निर्यात न करने देने जैसे मसले शामिल हैं। बांग्लादेश की सरकार का मानना है कि भारतीय सरकार नदी-जल में हिस्सेदारी के सवाल पर क्षेत्रीय दादा की तरह बर्ताव करती है। इसके अलावा भारत की सरकार पर चटगाँव पर्वतीय क्षेत्र में विद्रोह को हवा देने; बांग्लादेश के प्राकृतिक गैस में सेंधमारी करने और व्यापार में बेईमानी बरतने के भी आरोप हैं। रोटय्या शरणार्थियों का मामला भी दोनों देशों के आपसी असहमति का कारण है। प्रश्न 8. 2. नेपाल की चीन के साथ दोस्ती को लेकर भारत सरकार ने अक्सर अपनी अप्रसन्नता जतायी है। नेपाल सरकार भारत-विरोधी तत्वों के खिलाफ कदम नहीं उठाती। इससे भी भारत नाखुश है। 3. भारत की सुरक्षा एजेंसियाँ नेपाल के चल रहे नक्सल आंदोलन को अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानती हैं क्योंकि भारत में उत्तर बिहार से लेकर दक्षिण में आन्ध्र प्रदेश तक विभिन्न प्रांतों में नक्सलवादी समूहों का उभार हुआ है। नेपाल में बहुत से लोग यह सोचते हैं कि भारत की सरकार नेपाल के अंदरूनी मामले में दखल दे रही है और उसके नदी जल तथा पनबिजली पर आँख गड़ाए हुए है। 4. चारों तरफ से जमीन से घिरे नेपाल को लगता है कि भारत उसको अपने भू-क्षेत्र से होकर समुद्र तक पहुंचने से रोकता है। बहरहाल भारत-नेपाल के संबंध एकदम मजबूत और शांतिपूर्ण हैं। विभेदों के बावजूद दोनों देश व्यापार, वैज्ञानिक सहयोग, साझे प्राकृतिक संसाधन, बिजली उत्पादन और जल प्रबंधन ग्रिड के मसले पर एक साथ हैं। नेपाल में लोकतंत्र की बहाली से दोनों देशों के बीच संबंधों के और मजबूत होने की उम्मीद बंधी है। प्रश्न 9. प्रश्न 10. 2. विशेषताएँ- (i) इस सम्मेलन में 170 देश, हजारों स्वयं सेवी संगठन तथा अनेक बहुराष्ट्रीय निगमों ने भाग लिया। वैश्विक राजनीति के दायरे में पर्यावरण को लेकर बढ़ते सरोकारों को इस सम्मेलन में एक ठोस रूप मिला। (ii) इस सम्मेलन मे पाँच साल पहले (1987) अवर कॉमन फ्यूचर’ शीर्षक बर्टलैंड रिपोर्ट छपी थी। रिपोर्ट में चेताया गया था कि आर्थिक विकास के चालू तौर-तरीके आगे चलकर टिकाऊ साबित नहीं होंगे। विश्व के दक्षिणी हिस्से में औद्योगिक विकास की माँग ज्यादा प्रबल है और रिपोर्ट में इसी हवाले से चेतावनी दी गई थी। (iii) रियो-सम्मेलन में यह बात खुलकर सामने आयी कि विश्व के धनी और विकसित देश यानी उत्तरी गोलार्द्ध तथा गरीब और विकासशील देश यानी दक्षिणी गोलार्द्ध पर्यावरण के अलग-अलग अजेंडे के पैरोकार हैं। उत्तरी देशों की मुख्य चिंता ओजोन परत की छे और वैश्विक तापवृद्धि (ग्लोबल वार्मिंग) को लेकर थी। दक्षिणी देश आर्थिक विकास और पर्यावरण प्रबंधन के आपसी रिश्ते को सुलझाने के लिए ज्यादा चिंतित थे। (iv) रियो-सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन जैव-विविधता और वानिकी के संबंध में कुछ नियमाचार निर्धारित हुए । इसमें ‘एजेंडा-21’ के रूप में विकास के कुछ तौर-तरीके भी सुझाए गए लेकिन इसके बाद भी आपसी अंतर और कठिनाइयाँ बनी रहीं। (v) सम्मेलन में इस बात पर सहमति बनी कि आर्थिक वृद्धि से पर्यावरण को नुकसान न पहुँचे इसे ‘टिकाऊ विकास’ का तरीका कहा गया लेकिन समस्या यह थी कि ‘टिकाऊ विकास’ पर अमल कैसे किया जाएगा। कुछ आलोचकों का कहना है कि ‘एजेंड-21’ का झुकाव पर्यावरण संरक्षण को सुनिश्चित करने के बजाय आर्थिक वृद्धि की ओर है। प्रश्न 11. (ii) दोहन और प्रदूषण- 2. इस अर्थ में 1980 के दशक के मध्य में अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन परत में छेद की खोज एक आँख खोल देनेवाली घटना है। 3. ठीक इसी तरह वैश्विक संपदा के रूप में बारी अंतरिक्ष के इतिहास से भी पता चलता है कि इस क्षेत्र में प्रबंधन पर उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों के बीच मौजूद असमानता का असर पड़ा है। धरती के वायुमंडल और समुद्री सतह के समान यहाँ भी महत्वपूर्ण मसला प्रौद्योगिकी और औद्योगिक विकास का है यह एक जरूरी बात है क्योंकि बाहरी अंतरिक्ष में जो दोहन-कार्य हो रहे हैं उनके फायदे न तो मौजूदा पीढ़ी में सबके लिए बराबर हैं और न आगे की पीढ़ियों के लिए। प्रश्न 12.
प्रश्न 13.
प्रश्न 14. प्रश्न 15. जनता पार्टी की स्थापना आपात्कालीन स्थिति के दौरान ही हो चुकी थी, लेकिन इसकी विधिवत स्थापना 1 मई, 1977 को हुई जब जनसंघ, सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय लोकदल, ‘संगठन कांग्रेस, प्रजातांत्रिक कांग्रेस इत्यादि ने अपने पुराने स्वरूप को त्याग दिया। इन दलों ने जनता पार्टी में अपनी आस्था व्यक्त की। कृपलानी तथा लोकनायक जयप्रकाश नारायण का आशीर्वाद पाकर केन्द्र में जनता पार्टी ने मोरारजी देसाई के नेतृत्व में 28 जुलाई, 1979 तक अपना शासन किया। जनता पार्टी की सरकार बनने के जिम्मेवार कारण निम्नलिखित थे- 1. जयप्रकाश के नेतृत्व में बिहार आंदोलन,
4. 42वाँ सांविधानिक संशोधन। प्रश्न 16. प्रश्न 17. 2. प्रमुख कार्य एवं उपलब्धियाँ (Main works and achievements)- सन् 1942 में गाँधीजी द्वारा छेड़े भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) के महानायक बन गए। उन्हें स्वतंत्रता के उपरांत जवाहरलाल नेहरू के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में देखा गया। उन्होंने विनोबा भावे के भूआंदोलन में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया था। उन्हें कई बार देश के राष्ट्रपति तथा नेहरू मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए कहा गया लेकिन उनहोंने ऐसा करने से इंकार कर दिया। वे निस्वार्थी महान् नेता थे। उन्होंने 1955 में सक्रिय राजनीति छोड़ दी। वे गाँधीवादी होकर भूदान आंदोलन में बहुत ही सक्रिय हो गए। वे वस्तुतः लोक नायक थे। उन्होंने नागा विद्रोहियों से सरकार की ओर से सुलह की बातचीत की। उन्होंने कश्मीर में शांति प्रयास किए। उन्होंने चंबल (घाटी) के डकैतों से सरकार के समक्ष आत्मसमर्पण कराया। उन्होंने सन् 1970 के बाद लाए गए बिहार आंदोलन का नेतृत्व स्वीकार किया। वे अधिकांश विरोधी राजनीतिक दलों को एक मंच पर इंदिरा गाँधी द्वारा लगाई गई (जून 1975) की आपातकाल के घोर विरोधी के प्रतीक बन गए थे। उन्होंने जनता पार्टी के गठन में अहम भूमिका निभाई। सन् 1979 में उनका निधन हो गया। प्रश्न 18. (ii) ताड़ी व्यवसाय को लेकर अपराध एवं राजनीति के बीच एक गहरा नाता बन गया था। राज्य सरकार को ताड़ी की बिक्री से काफी राजस्व प्राप्ति होती थी इसलिए वह इस पर प्रतिबंध नहीं लगा रही थी। (ii) स्थानीय महिलाओं के समूहों ने इस जटिल मुद्दे को अपने आंदोलन में उठाना शुरू किया। वे घरेलू हिंसा के मुद्दे पर भी खुले तौर पर चर्चा करने लगीं। आंदोलन ने पहली बार महिलाओं को घरेलू हिंसा जैसे निजी मुद्दों पर बोलने का मौका दिया। (iv) ताड़ी-विरोधी आंदोलन महिला आन्दोलन, का एक हिस्सा बन गया। इससे पहले घरेलू हिंसा दहेज प्रथा, कार्यस्थल एवं सार्वजनिक स्थानों पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ काम करने वाले महिला समूह आमतौर पर शहरी मध्यवर्गीय महिलाओं के बीच ही सक्रिय थे और यह बात पूरे देश पर लागू होती थी। महिला समूहों के इस सतत कार्य से यह समझदारी विकसित होनी शुरू हुई कि औरतों पर होने वाले अत्याचार और लैंगिक भेदभाव का मामला खासा जटिल है।। (v) आठवें दशक के दौरान महिला आंदोलन परिवार के अंदर और उसके बाहर होने वाली यौन हिंसा के मुद्दों पर केंद्रित रहा। इन समूहों ने दहेज प्रथा के खिलाफ मुहिम चलाई और लैंगिक समानता के सिद्धांत पर आधारित व्यक्तिगत एवं संपत्ति कानूनों की माँग की। (vi) इस तरह के अभियानों ने महिलाओं के मुद्दों के प्रति समाज में व्यापक जागरूकता पैदा की। धीरे-धीरे महिला आंदोलन कानूनी सुधारों से हटकर सामाजिक टकराव के मुद्दों पर भी खुले तौर पर बात करने लगा। (vii) नवें दशक तक आते-आते महिला आंदोलन समान राजनीतिक प्रतिनिधित्व की बात करने लगा था। आपको ज्ञात ही होगा कि संविधान के 73वें और 74वें संशोधन के अंतर्गत महिलाओं को स्थानीय राजनीतिक निकायों में आरक्षण दिया गया है। प्रश्न 19. ऑपरेशन विजय नामक कार्यवाही 17-18 दिसंबर, 1961 को शुरू की गई। इस कार्यवाही के कमांडर जनरल जे. एन. चौधरी थे। दोपहर के 2 बजकर 25 मिनट पर 19 दिसंबर, 1961 को ‘ऑपरेशन विजय’ नामक कार्यवाही समाप्त हो गई। यह कार्यवाही भारतीय स्वतंत्रता को पूर्ण करने वाली कार्यवाही थी। गोवा, दमन, दीव हवेली आदि में भारत का तिरंगा फहराया गया। निःसंदेह गोवा की स्वतंत्रता ने भारतीयों का स्वाभिमान बढ़ाया और उन्हें सुशोभित किया। वे भारत के अंग बन गए। भारत की भूमि से विदेशियों की अनाधिकृत उपस्थिति और वर्चस्व पूर्णतया समाप्त हो गया। प्रश्न 20. इसमें गोवा के लोगों से पूछा गया कि आप लोग महाराष्ट्र में शामिल होना चाहते हैं अथवा अलग बने रहना चाहते हैं। भारत में यही एकमात्र अवसर था जब किसी मसले पर सरकार ने जनता की इच्छा को जानने के लिए जनमत संग्रह जैसी प्रक्रिया अपनायी थी। अधिकांश लोगों ने महाराष्ट्र से अलग रहने के पक्ष में मत डालो। इस तरह गोवा संघशासित प्रदेश बना रहा। अंत: 1987 में गोवा भारत संघ का एक राज्य : बना। प्रश्न 21. (ii) सर्वोच्च अदालत ने शाहबानों के पक्ष में फैसला सुनाया। पुरातनपंथी मुसलमानों ने अदालत के इस फैसले को अपने ‘पर्सनल लॉ’ में हस्तक्षेप माना। कुछ मुस्लिम नेताओं की माँग पर सरकार ने मुस्लिम महिला (तलाक से जुड़े अधिकारों) अधिनियम (1986) पास किया। इस अधिनियम के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को निरस्त कर दिया गया। (iii) सरकार के इस कदम का कई महिला संगठन, मुस्लिम महिलाओं की जमात तथा अधिकांश बुद्धिजीवियों ने विरोध किया। भाजपा ने काँग्रेस सरकार के इस कदम की आलोचना की और इसे अल्पसंख्यक समुदाय को दी गई अनावश्यक रियायत तथा तुष्टिकरण’ करार दिया। प्रश्न 22. 2. हिंदुत्व और उसकी व्याख्या (Hinduism and its explanation)- (i) ‘हिंदुत्व’ अथवा ‘हिन्दपन’ शब्द को वी० डी० सावरकर ने गढा (coined) था और इसको परिभाषित (defined) करते हुए उन्होंने इसे भारतीय (और उनके शब्दों में हिन्दू) राष्ट्र की बुनियाद (नीव) बताया। उनके कहने का तात्पर्य यह था कि भारत राष्ट्र का नागरिक वही हो सकता है जो भारतभूमि को न सिर्फ ‘पितृभूमि’ बल्कि अपनी ‘पुण्यभूमि’ भी स्वीकार करे। (ii) हिंदुत्व के समर्थकों का तर्क है कि मजबूत राष्ट्र सिर्फ स्वीकृत राष्ट्रीय संस्कृति की बुनियाद पर ही बनाया जा सकता है। वे यह भी मानते हैं कि भारत के संदर्भ में राष्ट्रीयता की बुनियाद केवल हिन्दू संस्कृति (जो बहुत उदार एवं जिसकी पाचन शक्ति अद्भुत है) ही हो सकती है। प्रश्न 23. 2. 1999 के मई-जून में यह लड़ाई जारी रही। 26 जुलाई 1999 तक भारत अपने अधिकतर ठिकानों पर पुनः अधिकार कर चुका था। कारगिल की लड़ाई ने पूरे विश्व का ध्यान खींचा था क्योंकि इससे ठीक एक साल पहले दोनों देश परमाणु हथियार बनाने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर चुके थे। 3. जो भी हो यह लड़ाई सिर्फ कारगिल के क्षेत्र तक की सीमित रही। पाकिस्तान में इस लड़ाई को लेकर बहुत विवाद मचा। कहा गया कि सेना के प्रमुख ने प्रधानमंत्री को इस मामले में अँधेरे में रखा था। इस लड़ाई के तुरंत बाद पाकिस्तान की हुकूमत पर जनरल परवेज मुशर्रफ की अगुआई में पाकिस्तान सेना ने नियंत्रण कर लिया। प्रश्न 24. भारत ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा की जानेवाली शांति स्थापना के लिए सैनिक कार्यवाही में अपना सहयोग दिया है। भारत ने इस उद्देश्य के लिए कई देशों में अपनी सेनाएँ भेजी हैं। उदाहरण के लिए, 1950 में कोरिया के युद्ध में भारत ने चिकित्सा शिष्टमंडल भेजा था। इसी प्रकार कांगो में (1960-64), साप्रस (1964) मिश्र तथा गाजा में (1956) तथा अन्य राज्यों में भी संयुक्त राष्ट्र की प्रार्थना पर शांति स्थापना के लिए सैनिक टुकड़ियाँ भेजी हैं। प्रश्न 25. साथ ही लोकतांत्रिक का एक अर्थ यह भी है कि क्षेत्रीय मुद्दों और समस्याओं पर नीति निर्माण की प्रक्रिया में समुचित ध्यान दिया जाएगा और उन्हें इसमें भागीदारी दी जाएगी। ऐसी व्यवस्था में कभी-कभी तनाव या परेशानियाँ खड़ी हो सकती हैं। कभी ऐसा भी हो सकता है कि राष्ट्रीय एकता के सरोकार क्षेत्रीय आकांक्षाओं और जरूरतों पर भारी पड़े। कोई व्यक्ति ऐसा भी हो सकता है कि हम क्षेत्रीय सरोकारों के कारण राष्ट्र की वृहत्तर आवश्यकताओं से आँखें मूंद लें। जो राष्ट्र चाहते हैं कि विविधताओं का सम्मान हो साथ ही राष्ट्र की एकता भी बनी रहे। वहाँ क्षेत्रों की ताकतें, उनके अधिकार और अलग अस्तित्व के मामले पर राजनीतिक संघर्ष का होना एक आम बात है। प्रश्न 26. इस आग की दुर्घटना में 57 व्यक्ति जीवित जलकर मर गए। कुछ लोगों ने यह अफवाह फैला दी कि गोधरा के खड़े रेल के डिब्बे में आग मुसलमानों ने लगायी होगी अथवा लगवाई होगी। अफवाहें बड़ी खतरनाक और हानिकारक होती है। गोधरा की दुर्घटना से जुड़ी-अफवाह जंगल की आग की तरह संपूर्ण गुजरात में फैल गई। अनेक भागों में मुसलमानों के विरुद्ध बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। हिंसा का यह तांडव लगभग एक महीने तक चलता रहा। लगभग 1100 व्यक्ति इस हिंसा में मारे गए। मुसलमानों के विरुद्ध हुए दंगों को रोकने के लिए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने पीड़ित भुक्तभोगियों के परिजनों को राहत देने और दोषी दंगाईयों को तुरंत कानून के हवाले करने एवं पर्याप्त दंड देने के लिए कहा गया। आयोग का यह कहना था पुलिस और सरकारी मशीनरी ने अपने राजधर्म का निर्वाह नहीं किया है सरकार ने अनेक लोगों को राहत दी है। अनेक लोगों पर मुकदमें चल रहे हैं लेकिन यह मानना पड़ेगा कि आतंकवाद और साम्प्रदायिकता के कारण दंगे करना या कराना हमारे देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था (System) के किसी भी तरह से अनुकूल नहीं है। प्रश्न 27.
प्रश्न 28. रोडेशिया (जिम्वाब्बे) तथा दक्षिण अफ्रीका के गोरे शासन की नीतियों का भारत ने खुलकर निरंतर विरोध किया और अफ्रीकी जनता के स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग दिया है। इतना ही नहीं अफ्रीकी देशों में और विशेषत: दक्षिण अफ्रीका में गोरी अल्पसंख्यक सरकार ही अश्वेतों के विरुद्ध रंगभेद नीति के संबंध में भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ से कठोर रुख अपनाने का आग्रह किया। भारत के प्रयासों के परिणामस्वरूप संयुक्त राष्ट्र ने रंगभेद की नीति के विरुद्ध अनेक प्रस्ताव पारित किए हैं। प्रश्न 29. (ii) सभी सदस्यों को एक मत देने का अधिकार होना चाहिए और वह व्यक्तिगत तौर पर गुप्त मतदान के रूप में प्रयोग किया जाना चाहिए। सभी निर्णय महासभा में बहुमत से होने चाहिए। बड़ी शक्तियाँ अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी हेकड़ी या वर्चस्व बनाये रखने के लिए इसकी अनुमति नहीं देती हैं। (iii) सुरक्षा परिषद में पाँच की बजाय पंद्रह स्थायी सदस्य हों और वीटों का अधिकार समाप्त हो। यह सदस्यता विश्व के प्रमुख 50 राष्ट्रों को क्रमानुसार नम्बर दे दी जानी चाहिए, ऐसा पाँचों स्थायी सदस्य नहीं होने देना चाहते। (iv) बदले हुए विश्व वातावरण में भारत, जापान, जर्मनी, कनाडा, ब्राजील, दक्षिणी अफ्रीका को स्थायी सदस्यता दी जानी चाहिए। (v) पर्यावरण की समस्याओं, जनाधिक्य की समस्याओं, आतंकवाद की समस्याओं, परमाणु अस्त्र-शस्त्र को समाप्त करने के मामले में सभी संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों को पूरा सहयोग करना चाहिए। प्रश्न 30.
प्रश्न 31. घोषणा-पत्र के अंत में यह भी कहा गया है कि “प्रत्येक व्यक्ति का उस समुदाय के प्रति कर्तव्य है, जिसमें रसके व्यक्तित्व का पूर्ण विकास संभव है” नैतिकता सार्वजनिक व्यवस्था और जनकल्याण की दृष्टि में इन स्वतंत्रताओं के प्रयोग पर मर्यादाएँ लगाई जाएंगी। प्रश्न 32. उदाहरण- वैश्विक तापवृद्धि से अगर समुद्रतल 1.5-2.0 मीटर ऊँचा उठता है तो बांग्लादेश का 20 प्रतिशत हिस्सा डूब जाएगा; कमोबेश पूरा मालदीव सागर में समा जाएगा और थाइलैंड की 50 फीसदी आबादी को खतरा पहुँचेगा। प्रश्न 33. काका कालेलकर की सिफारिशों को अस्वीकृति (Non-acceptance of suggestion of Kaka Kalelkar Commission)- काका कालेलकर आयोग ने मार्च 1955 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस आयोजन ने 2399 जातियों को पिछड़ी जातियों की श्रेणी में रखा परंतु इस आयोग की सिफारिश को स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि इस आयोग ने उनके विकास के लिए किसी रियायत की सिफारिश नहीं की थी, क्योंकि कालेलकर स्वयं लोक सेवाओं में किसी भी समुदाय के लिए रियायत के विरुद्ध इस आधार पर था कि ‘सेवाएँ नौकरों के लिए नहीं परंतु समाज के लिए है।’ (Services are not for the servants but for the services of the entire society) प्रश्न 34. प्रश्न 35. 1. सकारात्मक आर्थिक और सामाजिक नीतियों द्वारा ऐसा वातावरण तैयार करना जिसमें महिलाओं का अपनी पूर्व क्षमता को पहचानने का मौका मिले और उनका पूर्ण विकास हो। 2. महिलाओं द्वारा पुरुषों की भाँति राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और नागरिक सभी क्षेत्रों में समान स्तर पर भी मानवीय अधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं का कानूनी और वास्तविक उपभोग। 3. स्वास्थ्य देखभाल, प्रत्येक स्तर पर उन्नत शिक्षा, जीविका एवं व्यावसायिक मार्गदर्शन रोजगार, समान पारिश्रमिक, व्यावसायिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और सार्वजनिक पदों आदि में महिलाओं को समान सुविधाएँ। 4. न्याय व्यवस्था को मजबूत बनाकर महिलाओं के विरुद्ध सभी प्रकार के भेदभाव का उन्मूलन राष्ट्रीय नीति के अनुसार, केंद्रीय तथा राज्य मंत्रालयों को केंद्रीय, राज्य स्तरीय महिला एवं शिशु कल्याण विभागों और राष्ट्रीय एवं राज्य महिला आयोगों के साथ सहभागिता के माध्यम से विचार-विमर्श करके नीति को ठोस कार्यवाही में परिणत करने के लिए समयबद्ध कार्य योजना बनानी होगी। प्रश्न 36.
मानवता की साझी विरासत में क्या क्या शामिल है?उन्हें 'वैश्विक संपदा' या 'मानवता की सांझी विरासत' कहा जाता है। इसमें पृथ्वी का वायुमंडल अंटार्कटिका, समुद्री सतह और बाहरी अंतरिक्ष शामिल हैं। दोहन और प्रदूषण 'वैश्विक संपदा' की सुरक्षा के सवाल पर अंतराष्ट्रीय सहयोग कायम करना टेढ़ी खीर है।
सांझी विरासत क्या है?विश्व की साझी विरासत ऐसे कुछ क्षेत्रों को कहा जाता है जो कि किसी एक देश के क्षेत्राधिकार में नहीँ आते बल्कि इसका प्रबन्धन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा साझे तौर पर किया जाता है। जैसे -पृथ्वी का वायुमण्डल ,अंटार्कटिका ,समुद्री सतह तथा बाहरी अंतरिक्ष इत्यादि।
साझी मानवता क्या है?समानता का हमारा आत्म-बोध कहता है कि साझी मानवता के कारण सभी मनुष्य बराबर सम्मान और परवाह के हकदार हैं। एक हालाँकि लोगों से बराबर सम्मान का व्यवहार करने का मतलब ज़रूरी नहीं कि हमेशा जैसा व्यवहार करना भी हो। कोई भी समाज अपने सभी सदस्यों के साथ सभी स्थितियों में पूर्णतया एक समान बरताव नहीं करता।
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