महिलाओं में सफेद पानी की शिकायत क्यों होती है? - mahilaon mein saphed paanee kee shikaayat kyon hotee hai?

सफेद पानी का योनी मार्ग से निकलना Leukorrhea कहलाता है। यह हमेशा रोग का लक्षण नहीं होता।
अधिकतर महिलाएं इस गलत फैमी में होती है कि सफेद पानी के जाने से शरिर में कमजोरी आती है, चक्कर आता है, बदन में दर्द होता है। शरिर से तेजस्विता चली जाती है ऐसी भारत अौर पडोस के देश के कुछ प्रांतोमे गलत मान्यता पूर्वकाल से प्रचलित है।
वर्तमान में महिलाओं में ल्यूकोरिया की समस्या आम बात है, ज्यादातर महिलायें इसके कारण अपने दैनिक कार्यों को करने में असहज रहती है. इस रोग को आयुर्वेद की भाषा में श्वेत प्रदर कहते है जिसे बोलचाल की भाषा में सफेद पानी के नाम से भी जाना जाता है।
यह रोग हर उम्र की महिलाओ को हो सकता है, जिसमें अविवाहित लड़कियां भी शामिल है।

व्हाइट डिस्चार्ज की परेशानी बहुत ही आम है लेकिन इस परेशानी की सही वजह क्या है इस बात का अंदाजा बहुत सी महिलाओं को होता ही नहीं है। जानें किस रंग का डिस्चार्ज खतरे का संकेत।

महिलाओं का जीवन ढेर सारी समस्याओं से भरा होता है, जिनमें से कुछ को आम और जरूरी माना जाता है। इन्हीं में से एक है ल्यूकोरिया यानि योनि से सफेद पानी निकलना, जिसे आप व्हाइट डिस्चार्ज (White Discharge) के रूप में भी जानती होंगी। व्हाइट डिस्चार्ज की समस्या हर औरत की सामान्य परेशानी है फिर चाहे वे कहीं पर भी रहने वाली हो। व्हाइट डिस्चार्ज की परेशानी बहुत ही आम है लेकिन इस परेशानी की सही वजह क्या है इस बात का अंदाजा बहुत सी महिलाओं को होता ही नहीं है। कभी-कभी इस स्थिति में डिस्चार्ज के दौरान पानी का रंग बदल जाता है, जो आपकी परेशानी बढ़ने की ओर इशारा करता है। आइए जानत हैं कौन का रंग आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

किस उम्र में होता है व्हाइट डिस्चार्ज

व्हाइट डिस्चार्ज होना बहुत ही जरूरी है क्योंकि ये आपके शरीर से हानिकारक बैक्टीरिया को बाहर निकालने में मदद करता है। हालांकि सही उम्र में ये परेशानी होना वाजिब है लेकिन आपको पता होना चाहिए कि किस उम्र में व्हाइट डिस्चार्ज जरूरी हैः

1-आप गर्भवती है या फिर गर्भवती होना चाह रही है

2-आप किशोरावस्था (teenager) में हैं।

3- मध्य उम्र (midage) में आपको अपनी योनि स्राव पर ध्यान देना जरुरी होता है।

कितना डिस्चार्ज होना सामान्य

व्हाइट डिस्चार्ज को जब सामान्य माना जाता है तो दिन में कितना पानी निकलना सामान्य है, इस बात का पता होना बहुत ही जरूरी है। आपको बता दें कि रोजाना अगर किसी महिला को 1 से 5 मिलीलीटर यानि एक चम्मच के बराबर सफेद पानी या स्राव (Discharge) होता है तो उसे सामान्य माना जाता है। हां, स्राव का गाढ़ापन महिलाओं में अलग-अलग हो सकता है और यह इस बात पर निर्भर करता है की आपका मासिक चक्र कौन से पड़ाव पर है। मासिक चक्र की अवधि के दिनों पर कभी यह बहुत पतला तो कभी बहुत गाढ़ा हो जाता है।

कौन से रंग का स्त्राव हानिकारक

1-व्हाइट डिस्चार्ज के दौरान अक्सर महिलाओं को सफेद पानी आता है लेकिन कुछ महिलाओं को सफेद की जगह पीला या फिर हरे रंग का डिस्चार्ज होता है, जो कहीं न कहीं संक्रमण की ओर इशारा करता है। इस रंग का डिस्चार्ज होने पर आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

2-अगर आपका डिस्चार्ज बहुत ज्यादा गाढ़ा हो या फिर उसमें थक्के जमा होने लगे या फिर स्लेटी (Grey) रंग का डिस्चार्ज हो तो भी आपको डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है।

3-अगर पीरियड्स से 2 से 3 दिन पहले या 2-3 दिन बाद भी आपको लाल या फिर भूरे रंग का डिस्चार्ज होता है तो भी आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत पड़ सकती है।

क्यों जरूरी है व्हाइट डिस्चार्ज

वजाइना (Vagaina) महिलाओं का एक संवेदनशील अंग है, जिसमें से डिस्चार्ज होना बहुत ही जरूरी है क्योंकि ये प्रेगनेंसी के दौरान बहुत ही जरूरी है। रोजाना 1 से 5 मिलीलीटर डिस्चार्ज होना सामान्य माना जाता है। ये इसलिए भी जरूरी है कि अगर आपको संक्रमण होता है तो योनि स्राव से आपको इसका पता लग सकता है।

रेगुलर वैजाइनल डिस्चार्ज (regular vaginal discharge) एक स्वस्थ महिला प्रजनन प्रणाली का संकेत है. सामान्य वैजाइनल डिस्चार्ज सर्वाइकल म्यूकस, वैजाइनल फ्ल्यूड, डेड सेल्स और बैक्टीरिया का मिश्रण होता है. कामोत्तेजना या ओव्यूलेशन के दौरान महिलाओं को हैवी वैजाइनल डिस्चार्ज हो सकता है. हालांकि दुर्गंध के साथ बहुत ज्यादा वैजाइनल डिस्चार्ज होना या असामान्य दिखना किसी गंभीर स्थिति की ओर संकेत हो सकता है.

इस लेख में जानेंगे सफेद पानी यानि व्हाइट वैजाइनल डिस्चार्ज किस कमी के कारण होता है.

(और पढ़ें - सफेद पानी का आयुर्वेदिक इलाज)

श्वेत प्रदर या सफेद पानी का योनी मार्ग से निकलना Leukorrhea कहलाता है। यह हमेशा रोग का लक्षण नहीं होता।

अधिकतर महिलाएं इस गलत फैमी में होती है कि सफेद पानी के जाने से शरिर में कमजोरी आती है, चक्कर आता है, बदन में दर्द होता है। शरिर से तेजस्विता चली जाती है ऐसी भारत अौर पडोस के देश के कुछ प्रांतोमे गलत मान्यता पूर्वकाल से प्रचलित है। (culture bound dhat syndrome in females) [1] [2][3]

सफेद पानी का निकलना दो प्रमुख कारणोंसे होता है।

सफेद पानी निकलना प्राय: स्त्रियों में स्वाभाविक रूप से कुछ मात्रा में होता है।

विशेषत: माहवारी (मासिक धर्म) के पूर्व, माहवारी के बाद, अण्डोत्सर्ग (Ovulation)के समय अौर कामेच्छा उद्दिप्त होने पर स्वाभाविक है।

इसके लिए कोइ उपचार कि आवश्यकता नहीं होती| समुपदेशन, सही जानकारी देना पर्याप्त है। [4]

श्वेत प्रदर या ल्यूकोरिआ या लिकोरिआ (Leukorrhea) या "सफेद पानी आना" स्त्रिओं का एक रोग है जिसमें स्त्री-योनि से असामान्य मात्रा में सफेद रंग का गाढा और बदबूदार पानी निकलता है और जिसके कारण वे बहुत क्षीण तथा दुर्बल हो जाती है। महिलाओं में श्वेत प्रदर रोग आम बात है। ये गुप्तांगों से पानी जैसा बहने वाला स्त्राव होता है। यह खुद कोई रोग नहीं होता परंतु अन्य कई रोगों के कारण होता है।

श्वेत प्रदर वास्तव में एक बीमारी नहीं है बल्कि किसी अन्य योनिगत या गर्भाशयगत व्याधि का लक्षण है; या सामान्यतः प्रजनन अंगों में सूजन का बोधक है।

  • योनि स्थल पर खुजली होना
  • कमर दर्द होना
  • चक्कर आना
  • कमजोरी बनी रहना

स्चाभाविक श्वेत प्रदर

सफेद पानी का निकलना निम्नन परिस्थिती में स्वाभाविक होता है:

  1. नवजात बालिका
  2. कामेच्छा होनेपर
  3. रजो प्रवाह (मासिक) के कुछ दिन पूर्व
  4. बिजोत्पत्ती के दिन
  5. अज्ञान कारण से (idiopathic)

सफेद पानी का आविर्भाव अधिक मात्रा में काम उत्तेजना होने पर होता है। यह पानी चिकनाहट (lubrication) उत्पन्न करता है। कुदरत कि यह व्यवस्था संभोग के लिए अत्यंत उपयोगी है। यह सफेद पानी जब भी कामुक उत्तजना मन में हो तब तब निकलता है चाहे आप विवाहित हो या अविवाहित| इसके निकलनेसे ना कमजोरी, ना दर्द, ना अन्य किसीभी प्रकार का स्वास्थ पर हानिकारक प्रभाव होता है। कामइच्छा होने पर सही मात्रा में यह उत्तपन्न ना हो तो मैथुन दर्द दायक हो सकता है। इसका इलाज करना पड़ता है।

श्वेत पानी मासिक स्राव (bleeding) के कुछ दिन पहले अधिक मात्रा में होता है। बिजोतपत्ती (ovulation) के समय इस्ट्रोजन (Estrogen) कि मात्रा बडने से सफेद पानी ज्यादा बह सकता है। गर्भावस्था में भी सफेद पानी का निकलना अधिक मात्रा में होता है। [1] नवजात अर्भक बच्ची में भी माता के इस्ट्रोजन (Estrogen) कि वजह से सफेद पानी निकल सकता है।

अत्यधिक उपवास, उत्तेजक कल्पनाएं, अश्लील वार्तालाप, मुख मैथुन, सम्भोग में उल्टे आसनो का प्रयोग करना, सम्भोग काल में अत्यधिक घर्षण युक्त आघात, रोगग्रस्त पुरुष के साथ सहवास,दो तीन पुरूषों से एकसाथ अत्याधिक संभोग करना, सहवास के बाद योनि को स्वच्छ जल से न धोना व वैसे ही गन्दे बने रहना आदि इस रोग के प्रमुख कारण बनते हैं। बार-बार गर्भपात कराना भी सफेद पानी का एक प्रमुख कारण है। सफेद पानी (या श्वेत प्रदर) का एक और कारण प्रोटिस्ट हैं जो कि एक सूक्ष्म जीवों का समूह है।

इसके लिये सबसे पहले जरूरी है साफ-सफाई - योनि को धोने के लिये सर्वोत्तम उपाय फिटकरी के जल से धोना है; फिटकरी एक श्रेष्ठ जीवाणु नाशक सस्ती औषधि है, सर्वसुलभ है। बोरिक एसिड के घोल का भी प्रयोग करा जा सकता है और यदि अंदरूनी सफ़ाई के लिये पिचकारी से धोना (डूश लेना) हो तो आयुर्वेद की अत्यंत प्रभावकारी औषधि “नारायण तेल” का प्रयोग सर्वोत्तम होता है।

  • मैथुन के पश्चात अवश्य ही साबुन से सफाई करना चाहिए।
  • प्रत्येक बार मल-मूत्र त्याग के पश्चात अच्छी तरह से संपूर्ण अंग को साबुन से धोना।
  • बार-बार गर्भपात कराना भी सफेद पानी का एक प्रमुख कारण है। अतः महिलाओं को अनचाहे गर्भ की स्थापना के प्रति सतर्क रहते हुए गर्भ निरोधक उपायों का प्रयोग (कंडोम, कापर टी, मुँह से खाने वाली गोलियाँ) अवश्य करना चाहिए। साथ ही एक या दो बच्चों के बाद अपना या अपने पति का नसबंदी आपरेशन कराना चाहिए।
  • शर्म त्यागकर इसके बारे में अपने पति एवं डाक्टर को बाताना चाहिये।
  • इस रोग की प्रमुख औषधियां अशोकरिष्ट, अशोक घनबटी, प्रदरांतक लौह, प्रदरहर रस आदि हैं।

योनि स्राव और उसके संकेत[संपादित करें]

योनि मार्ग से सफेद, चिपचिपा गाढ़ा स्राव होना आज मध्य उम्र की महिलाओं की एक सामान्य समस्या हो गई है। सामान्य भाषा में इसे सफेद पानी जाना कहते हैं। भारतीय महिलाओं में यह आम समस्या प्रायः बिना चिकित्सा के ही रह जाती है। सबसे बुरी बात यह है कि इसे महिलाएँ अत्यंत सामान्य रूप से लेकर ध्यान नहीं देती, छुपा लेती हैं श्वेत प्रदर में योनि की दीवारों से या गर्भाशय ग्रीवा से श्लेष्मा का स्राव होता है, जिसकी मात्रा, स्थिति और समयावधि अलग-अलग स्त्रियों में अलग-अलग होती है। यदि स्राव ज्यादा मात्रा में, पीला, हरा, नीला हो, खुजली पैदा करने वाला हो तो स्थिति असामान्य मानी जाएगी। इससे शरीर कमजोर होता है और कमजोरी से श्वेत प्रदर बढ़ता है। इसके प्रभाव से हाथ-पैरों में दर्द, कमर में दर्द, पिंडलियों में खिंचाव, शरीर भारी रहना, चिड़चिड़ापन रहता है। इस रोग में स्त्री के योनि मार्ग से सफेद, चिपचिपा, गाढ़ा, बदबूदार स्राव होता है, इसे वेजाइनल डिस्चार्ज कहते हैं। इस रोग के कारणों की जांच स्त्री रोग विशेषज्ञ, लेडी डॉक्टर से करा लेना चाहिए, ताकि उस कारण को दूर किया जा सके।

योनिक स्राव क्या होता है और कब उसे असामान्य कहा जाता है?

ग्रीवा से उत्पन्न श्लेष्मा (म्युकस) का बहाव योनिक स्राव कहलाता है। अगर स्राव का रंग, गन्ध या गाढ़ापन असामान्य हो अथवा मात्रा बहुत अधिक जान पड़े तो हो सकता है कि रोग हो। योनिक स्राव (Vaginal discharge) सामान्य प्रक्रिया है जो कि मासिक चक्र के अनुरूप परिवर्तित होती रहती है। दरअसल यह स्राव योनि को स्वच्छ तथा स्निग्ध रखने की प्राकृतिक प्रक्रिया है वहीं अण्डोत्सर्ग के दौरान यह स्राव इसलिये बढ़ जाता है ताकि अण्डाणु आसानी से तैर सके। अण्डोत्सर्ग के पहले काफी मात्रा में श्लेष्मा (mucous) बनता है। यह सफेद रंग का चिपचिपा पदार्थ होता है। लेकिन कई परिस्थितियों में जब इसका रंग बदल जाता है तथा इससे बुरी गंध आने लगती है तो यह रोग के लक्षण का रूप ले लेता है।

सफेद योनिक स्रावः मासिक चक्र के पहले और बाद में पतला और सफेद योनिक स्राव सामान्य है। सामान्यतः सफेद योनिक स्राव के साथ खुजलाहट या चुनमुनाहट नहीं होती है। यदि इसके साथ खुजली हो रही है तो यह खमीर संक्रमण (yeast infection) को प्रदर्शित करता है। साफ और फैला (Clear and stretchy) हुआः यह उर्वर (fertile) श्लेष्मा है। इसका आशय है कि आप अण्डोत्सर्ग के चक्र में हैं। साफ और पानी जैसाः यह स्राव महिलाओं में सामान्य तौर पर पूरे चक्र के दौरान अलग-अलग समय पर होता रहता है। यह भारी तब हो जाता है जब व्यायाम या मेहनत का काम किया जाता है।

पीला या हराः यह स्राव सामान्य नहीं माना जाता है तथा बीमारी का लक्षण है। यह यह दर्शता है कि योनि में या कहीं तीव्र संक्रमण है। विशेषकर जब यह पनीर की तरह और गंदी बदबू से युक्त हो तो तुरंत चिकित्सक के पास जाना चाहिये। भूराः यह स्राव अक्सर माहवारी के बाद देख ने को मिलता है। दरअसल यह “सफाई” की स्वाभाविक प्रक्रिया है। पुराने रक्त का रंग भूरा सा हो जाता है सामान्य प्रक्रिया के तहत श्लेष्मा के साथ बाहर आता है।

रक्तिम धब्बे/भूरा स्राव: यह स्राव अण्डोत्सर्ग/मध्य मासिक के दौरान हो सकता है। कई बार बार शुरूआती गर्भावस्था के दौरान भी यह स्राव देखने को मिलता है। इस आधार पर कई बार इसे गर्भधारण का संकेत भी माना जाता है।

किन परिस्थितियों के कारण सामान्य योनिक स्राव में वृद्धि होती है?

सामान्य योनिक स्राव की मात्रा में निम्नलिखित स्थितियों में वृद्ध हो सकती है- योनपरक उत्तेजना, भावात्मक दबाव और अण्डोत्सर्ग (माहवारी के मध्य में जब अण्डकोष से अण्डे का सर्जन और विसर्जन होता है)

असामान्य योनिक स्राव के क्या कारण होते हैं?

असामान्य योनिक स्राव के ये कारण हो सकते हैं- (1) योन सम्बन्धों से होने वाला संक्रमण (2) जिनके शरीर की रोधक्षमता कमजोर होती है या जिन्हें मधुमेह का रोग होता है उनकी योनि में सामान्यतः फंगल यीस्ट नामक संक्रामक रोग हो सकता है।

असामान्य योनिक स्राव से कैसे बचा जा सकता है?

योनिक स्राव से बचने के लिए –

(1) जननेन्द्रिय क्षेत्र को साफ और शुष्क रखना जरूरी है।

(2) योनि को बहुत भिगोना नहीं चाहिए (जननेन्द्रिय पर पानी मारना) बहुत सी महिलाएं सोचती हैं कि माहवारी या सम्भोग के बाद योनि को भरपूर भिगोने से वे साफ महसूस करेंगी वस्तुतः इससे योनिक स्राव और भी बिगड़ जाता है क्योंकि उससे योनि पर छाये स्वस्थ बैक्टीरिया मर जाते हैं जो कि वस्तुतः उसे संक्रामक रोगों से बचाते हैं

(3) दबाव से बचें।

(4) योन सम्बन्धों से लगने वाले रोगों से बचने और उन्हें फैलने से रोकने के लिए कंडोम का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए।

(5) मधुमेह का रोग हो तो रक्त की शर्करा को नियंत्रण में रखाना चाहिए।

असामान्य योनिक स्राव के लिए क्या डाक्टर से सम्पर्क करना चाहिए?

हां, शीघ्र ही डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए। वे आपके लक्षणों की जानकारी लेंगे, जननेन्द्रिय का परीक्षण करेंगे और तदनुसार उपचार बतायेंगे।

सफेद पानी किसकी कमी से होता है?

ल्यूकोरिया के कारण इसके अलावा यह वेजाइनल हाइजीन की अस्वच्छता, हीमोग्लोबिन की कमी और पोषण की कमी से भी होता है। योनि में 'ट्रिकोमोन्स वेगिनेल्स' नामक बैक्टीरिया की उपस्थिति के कारण।

सफेद पानी की शिकायत हो तो क्या करना चाहिए?

यदि सफेद पानी निकलने की समस्या हो रही है तो एक गिलास दूध में आधा चम्मच घी डालकर इसमें केला मेश करके पी सकते हैं. इसका नियमित सेवन करने से सफेद पानी निकालना कुछ ही दिनों में ठीक हो जाएगा. इसके साथ ही इसके सेवन से शरीर की थकान भी दूर होगी.

सफेद पानी आने से क्या नुकसान होता है?

इससे शरीर कमजोर होता है और कमजोरी से श्वेत प्रदर बढ़ता है। इसके प्रभाव से हाथ-पैरों में दर्द, कमर में दर्द, पिंडलियों में खिंचाव, शरीर भारी रहना, चिड़चिड़ापन रहता है। इस रोग में स्त्री के योनि मार्ग से सफेद, चिपचिपा, गाढ़ा, बदबूदार स्राव होता है, इसे वेजाइनल डिस्चार्ज कहते हैं।

सफेद पानी रोकने के लिए क्या खाना चाहिए?

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