महात्मा गांधी के पिता करमचंद गांधी किस रियासत के दीवान थे - mahaatma gaandhee ke pita karamachand gaandhee kis riyaasat ke deevaan the

अंग्रेजों के खि‍लाफ आजादी की लड़ाई लड़ने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को कौन नहीं जानता। लेकिन भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में अपने प्राण तक न्यौछावर करने वाले इस महात्मा के बारे में यह 10 बातें हर कोई नहीं जानता। जानिए महात्मा गांधी के बारे में यह रोचक बातें -  1 महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। मोहन के माता पिता कट्टर हिंदू थे।


2 महात्मा गांधी के पिता करमचंद गांधी, कबा गांधी के नाम से भी जाने जाते थे। वे पश्च‍िमी भारत के गुजरात राज्य की एक छोटी रियासत की राजधानी पोरबंदर के दीवान थे। इसके बाद वे राजकोट और बांकानेर में भी दीवान रहे।


3 गांधी जी की माता पुतलीबाई, उनके पिता करमचंद गांधी की चौथी पत्नी थीं। पुतलीबाई अत्यंत धार्मिक महिला थीं और उनकी दिनचर्या घर और मंदिर में ही बंटी हुई थी। मोहनदास उनकी आखरी संतान थे।

General Knowledge Quiz In Hindi: प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल करने के लिए जनरल नॉलेज स्ट्रॉन्ग होना बेहद जरूरी है. करेंट अफेयर्स के साथ-साथ भूगोल, इतिहास की अच्छी समझ होना बेहद आवश्यक है. सामान्य ज्ञान के बिना प्रवेश परीक्षा से लेकर सरकारी नौकरी के लिए दी जाने वाली प्रतियोगी परिक्षाओं तक में कामयाब होना मुश्किल होता है.

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महात्मा गांधी के पिता करमचंद गांधी किस रियासत के दीवान थे - mahaatma gaandhee ke pita karamachand gaandhee kis riyaasat ke deevaan the

GK Quiz In Hindi

महात्मा गांधी के पिता करमचंद गांधी किस रियासत के दीवान थे - mahaatma gaandhee ke pita karamachand gaandhee kis riyaasat ke deevaan the

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 सितंबर 2022,
  • (अपडेटेड 29 सितंबर 2022, 6:46 AM IST)

Quiz In Hindi: प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल करने के लिए इतिहास, भूगोल और करेंट अफेयर्स की अच्छी जानकारी होना जरूरी है. सामान्य ज्ञान के बिना प्रवेश परीक्षा से लेकर सरकारी नौकरी के लिए दी जाने वाली प्रतियोगी परिक्षाओं तक में कामयाब होना मुश्किल होता है. अगर आप भी कॉम्पिटेटिव एग्जाम क्रैक करना चाहते हैं तो जनरल नॉलेज दुरुस्त करनी जरूरी है.

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सवाल: महात्मा गांधी के पिता करमचंद गांधी किस रियासत के दीवान थे?
जवाब: राजकोटी

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जवाब: साल 1951


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महात्मा गाँधी - शांति के दूत

महात्मा गाँधी का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था। उन्होंने अपने असाधारण कार्यों एवं अहिंसावादी विचारों से पूरे विश्व की सोच बदल दी। आज़ादी एवं शांति की स्थापना ही उनके जीवन का एक मात्र लक्ष्य था। गांधी जी द्वारा स्वतंत्रता और शांति के लिए शुरू की गई इस लड़ाई ने भारत और दक्षिण अफ्रीका में कई ऐतिहासिक आंदोलनों को एक नई दिशा प्रदान की। भारतीय राष्ट्रीय पोर्टल इस विशेष आलेख के माध्यम से 'बापू' को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करता है।


  • शुरूआती जीवन : साधारण एवं शर्मीला व्यक्तित्व
  • लंदन में शिक्षा
  • दक्षिण अफ्रीका की रेल यात्रा
  • नमक सत्याग्रह - प्रसिद्ध दांडी यात्रा
  • अंतिम यात्रा
  • अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस
  • गांधी जी द्वारा बताई गई कुछ प्रसिद्ध सूक्तिया
  • संबंधित वेबसाइटों


महात्मा गाँधी के जीवन एवं तत्कालीन समाज की जानकारी

  1. महात्मा गांधी का जन्म

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    महात्मा गांधी का जन्म

    मोहनदास करमचंद गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को वर्तमान गुजरात राज्य के पोरबंदर जिले के मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गाँधी एवं उनकी माता का नाम पुतलीबाई था। वे अपने तीन भाईयों में सबसे छोटे थे। उनकी माँ पुतलीबाई बहुत सज्जन एवं धार्मिक स्वभाव की थीं जिसने गांधीजी के व्यक्तित्व पर बहुत गहरा प्रभाव डाला।

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  2. शुरूआती जीवन : साधारण एवं संकोची व्यक्ति

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    गांधी जी की मां पुतलीबाई

    बापू बहुत ही सीधे एवं ईमानदार व्यक्ति थे। वे अपनी दृढ़ता एवं निष्ठा के लिए जाने जाते थे। जिस छोटे से घर में गाँधीजी का जन्म हुआ था, वे घर आज "कीर्ति मंदिर" के नाम से विख्यात है। उनकी माँ पुतलीबाई एक पारंपरिक हिन्दू महिला थीं जो धार्मिक प्रवृत्ति वाली एवं संयमी थी। उन्होंने अपना पूरा जीवन अपने घर एवं परिवार के लिए समर्पित कर दिया था। गाँधीजी की माँ के व्यक्तित्व ने उनके व्यक्तित्व को बहुत प्रभावित किया।

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  3. कस्तूरबा गाँधी : आदर्श एवं सेवानिष्ठ पत्नी

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    महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी

    कस्तूरबा गाँधी का जन्म 11 अप्रैल 1869 को पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता गोकुलदास माखन जी एक धनी व्यवसायी थे। कस्तूरबा गाँधी शादी से पहले तक अनपढ़ थीं। शादी के बाद गाँधीजी ने उन्हें लिखना एवं पढ़ना सिखाया।

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  4. लंदन में शिक्षा एवं गाँधीजी के लिए विकट परिस्थितियाँ

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    गांधीजी के प्राथमिक विद्यालय, राजकोट

    उच्च विद्यालय से दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद गाँधीजी ने भावनगर के सामलदास महाविद्यालय में प्रवेश लिया, लेकिन उन्हें वहाँ का माहौल पढ़ाई के अनुकूल नहीं लगा।

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  5. दक्षिण अफ्रीका की रेल यात्रा : प्रजातिवाद के विरुद्ध संघर्ष की शुरुआत

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    पीटरमैरिट्सबर्ग रेलवे स्टेशन

    दक्षिण अफ्रीका गाँधीजी के जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुआ। यहाँ उन्हें अलग-अलग तरह की कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। परिणामतः इन अनुभवों ने उनके जीवन को पूरी तरह बदल दिया।

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  6. गाँधीजी का भारत आगमन : सत्याग्रह की शुरुआत

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    सत्याग्रह की शुरुआत

    भारतीय राहत अधिनियम के पारित होने के पश्चात गाँधीजी अफ्रीका में जारी विरोध को छोड़ जनवरी 1915 में भारत लौट आये। भारत लौटने पर सबने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।

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  7. सुधारक के रूप में गाँधीजी का पहला सत्याग्रह

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    हजारीमल की धर्मशाला

    गाँधीजी ने अपना पहला सत्याग्रह सन् 1917 ई० में बिहार के चंपारण जिले से शुरू किया। अंग्रेज़ यहाँ के नील बगान के मालिकों का शोषण किया करते थे।

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  8. असहयोग आंदोलन - गाँधी युग की शुरुआत

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    असहयोग आंदोलन

    भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में गाँधी युग की शुरुआत सन् 1920 ई० के असहयोग आंदोलन से हुई। भारत में असहयोग आंदोलन का मुख्य लक्ष्य ब्रिटिश सरकार के खिलाफ़ अहिंसक विरोध जताना एवं सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत करना था।

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  9. गाँधीजी की आत्मकथा

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    गाँधीजी की आत्मकथा

    गाँधीजी की आत्मकथा द स्टोरी ऑफ़ माय एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रूथ सन् 1927 ई० में प्रकाशित हुई। साढ़े तीन वर्षों के अन्दर ही इसकी तीन लाख प्रतियाँ बिक गईं। इस आत्मकथा का कई भारतीय एवं विदेशी भाषाओँ में अनुवाद किया गया है।

  10. नमक सत्याग्रह - प्रसिद्ध दांडी यात्रा

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    नमक सत्याग्रह - प्रसिद्ध दांडी यात्रा

    नमक सत्याग्रह एक ऐसा अभियान था जिसका उद्देश्य औपनिवेशिक भारत में ब्रिटिश नमक कर के खिलाफ अहिंसक विरोध प्रदर्शन करना था। इस अभियान की शुरुआत 12 मार्च 1930 को दांडी यात्रा के रूप में हुई।

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  11. गाँधीजी का अनशन

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    गाँधीजी का अनशन

    अगस्त 1932 में जब सामुदायिक अधिनिर्णय की घोषणा हुई, तब गाँधीजी जेल में थे। इस अधिनिर्णय के अंतर्गत अल्पसंख्यक वर्गों के लिए एक अलग निर्वाचन-क्षेत्र निर्धारित किया गया।

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  12. भारत छोड़ो आंदोलन

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    भारत छोड़ो आंदोलन

    सन 1942 में गाँधीजी ने 'भारत छोड़ो' का नारा दिया जो भारत में ब्रिटिश शासन के अंत का संकेत था। भारत एवं पाकिस्तान के विभाजन ने गाँधीजी को झकझोर कर रख दिया।

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  13. कस्तूरबा गाँधी का 74 वर्ष की आयु में निधन

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    महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी

    कस्तूरबा गाँधी बहुत दिनों से श्वासनली प्रदाह से पीड़ित थीं। भारत छोड़ो आंदोलन की गिरफ्तारी एवं साबरमती आश्रम में व्यतीत कठिन जीवन का तनाव उनकी बीमारी का कारण बना। उनका अंतिम संस्कार आगा खान महल के जेल में किया गया।

  14. गाँधीजी की हत्या के बाद गाँधी युग का अंत हुआ लेकिन उनकी देन एवं उनके मूल्य हमेशा कायम रहेंगें

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    अंतिम यात्रा

    गाँधीजी पर बम फेंकने की घटना को दस दिन हुए थे। 30 जनवरी 1948 को जब गाँधीजी दिल्ली स्थित बिड़ला मंदिर से अपनी संध्या प्रार्थना समाप्त कर बाहर निकल रहे थे, उसी समय नाथूराम गोडसे ने उनके सीने पर ताबड़तोड़ तीन गोलियाँ चलाईं। गोली लगते ही गाँधीजी जमीन पर गिर पड़े। मरते वक्त उन्होंने दो शब्द बोले - हे राम! उनका अंतिम संस्कार यमुना के तट पर किया गया।

  15. गाँधी स्मृति

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    गाँधी स्मृति

    गाँधी स्मृति नई दिल्ली के तीस जनवरी मार्ग पर स्थित पुराने बिड़ला घर का एक पवित्र भाग है। इसी जगह पर गाँधीजी के महान जीवन का अंत हुआ था।

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  16. गाँधी जयंती एवं अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस

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    अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस

    गाँधीजी के जन्म दिवस को प्रत्येक वर्ष 'गाँधी जयंती' के रूप में मनाया जाता है। भारत के लोग उन्हें प्यार से 'बापू' एवं 'राष्ट्र पिता' के नाम से पुकारते हैं। वे मानवता एवं शांति के प्रतीक हैं।

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गांधी जी द्वारा बताई गई कुछ प्रसिद्ध सूक्तियां

"अहिंसा सबसे बड़ा कर्तव्‍य है। यदि हम इसका पूरा पालन नहीं कर सकते हैं तो हमें इसकी भावना को अवश्‍य समझना चाहिए और जहां तक संभव हो हिंसा से दूर रहकर मानवता का पालन करना चाहिए।"

"उस प्रकार जिएं कि आपको कल मर जाना है। सीखें उस प्रकार जैसे आपको सदा जीवित रहना हैं।"

"आजादी का कोई अर्थ नहीं है यदि इसमें गलतियां करने की आजादी शामिल न हों।"

"बेहतर है कि हिंसा की जाए, यदि यह हिंसा हमारे दिल में हैं, बजाए इसके कि नपुंसकता को ढकने के लिए अहिंसा का शोर मचाया जाए।"

"व्‍यक्ति को अपनी बुद्धिमानी के बारे में पूरा भरोसा रखना बुद्धिमानी नहीं है। यह अच्‍छी बात है कि याद रखा जाए कि सबसे मजबूत भी कमजोर हो सकता है और बुद्धिमान भी गलती कर सकता है।"

"आपको मानवता में विश्‍वास नहीं खोना चाहिए। मानवता एक समुद्र है, यदि समुद्र की कुछ बूंदें सूख जाती है तो समुद्र मैला नहीं होता।"

"ईमानदार मतभेद आम तौर पर प्रगति के स्‍वस्‍थ संकेत हैं।"

संबंधित वेबसाइटों

  • गांधी विरासत पोर्टल
  • गांधी स्मृति और दर्शन समिति
  • अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस
  • महात्मा गांधी के जीवन
  • गांधीजी की आत्मकथा
  • चित्रों में गांधी जी
  • गांधीजी के जीवन पर फिल्में
  • गांधीजी के कार्टून
  • गांधीजी का ऑडियो
  • गांधी जी की टिकटें
  • गांधीजी की कलेक्टेड वर्क्स
  • गांधीजी की पत्रिकाएं


महात्मा गांधी के पिता कौन से रियासत के दीवान थे?

उनके पिता करमचंद गांधी पोरबंदर के राजा के दीवान थे मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म उत्तर-पश्चिमी भारत की पोरबंदर रियासत में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था. उनका परिवार एक अमीर ख़ानदान था. मोहनदास करमचंद गांधी के पिता, करमचंद (तस्वीर में ) पोरबंदर रियासत के राजा के दरबार में दीवान थे.

करमचंद गाँधी कहाँ के दीवान थे?

वो सात वर्ष के थे जब उनका परिवार राजकोट (जो काठियावाड़ में एक अन्य राज्य था) चला गया जहॉं उनके पिता करमचंद गांधी दीवान बने।

महात्मा गांधी परिवार की दाई कौन थी?

दरअसल गांधी कोई अपरिपक्व दाई मां नहीं थे. गांधी उस दौरान दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह आदि से जुड़े प्रयोग कर रहे थे. हालांकि वे अपनी वकालत में बहुत बिजी रहते थे क्योंकि उनके पास स्थानीय भारतीयों के बहुत से केस आते थे, फिर भी उन्होंने वक्त निकालकर दो घंटे एक चैरिटेबल हॉस्पिटल में फ्री सेवाएं देनी शुरू कर दी थीं.

महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता का संबोधन किसने तथा कब दिया?

किसने दी थी - 4 जून 1944 को सुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर रेडियो से एक संदेश प्रसारित करते हुए महात्मा गांधी को 'देश का पिता' (राष्ट्रपिता) कहकर संबोधित किया। बाद में भारत सरकार ने भी इस नाम को मान्यता दे दी।