लोकसभा में विपक्ष के नेता, लोकसभा के एक निर्वाचित सदस्य हैं जो भारत की संसद के निचले सदन में आधिकारिक विपक्ष का नेतृत्व करते हैं। विपक्ष का नेता लोकसभा में सबसे बड़े राजनीतिक दल का संसदीय अध्यक्ष होता है जो सरकार में नहीं होता है (बशर्ते कि उक्त राजनीतिक दल के पास लोकसभा में कम से कम 10% सीटें हों)। यह पद 26 मई 2014 से रिक्त है, क्योंकि किसी भी विपक्षी दल के पास 10% सीटें नहीं हैं।[1][2] संदर्भ[संपादित करें]
विपक्ष की भूमिका क्या है?विपक्ष का अर्थ है विरोधी दल। यहाँ ध्यान रहे पक्ष का विलोम विपक्ष नहीं है, क्योंकि विपक्ष भी एक पक्ष होता है। किसी भी निर्णय में दो सम्भावनाएं होती हैं एक किसी का साथ देने वाला दूसरा विरोध करने वाला और तीसरा तटस्थ। यहाँ विरोध करने वाले पक्ष को विपक्ष कहा जाता है।
लोकसभा में सदस्यों की संख्या कितनी है?संविधान में व्यवस्था है कि सदन की अधिकतम सदस्य संख्या 552 होगी – 530 सदस्य राज्यों का प्रतिनिधित्व करेंगे, 20 सदस्य संघशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करेंगे तथा 2 सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा एंग्लो-इण्डियन समुदाय से नामित किया जाएगा।
राष्ट्रपति लोक सभा को कब भंग कर सकते हैं?राष्ट्रपति के पास संसद के किसी भी सदन की बैठक बुलाने और सत्रावसान करने अथवा लोक सभा को भंग करने का अधिकार है। 26 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान प्रभावी हुआ।
वर्तमान समय में लोकसभा के उपाध्यक्ष कौन हैं?अध्यक्ष के बाद उपाध्यक्ष लोकसभा का कार्य निर्वाहन करता है। लोकसभा के उपाध्यक्ष को विपक्ष से चुने जाने की परंपरा है। लोकसभा के सदस्य अपने में से किसी एक का उपाध्यक्ष के रूप में चुनाव करते हैं। यदि संबंधित सदस्य का लोकसभा की सदस्यता खत्म हो जाती है तो उसका अध्यक्ष या उपाध्यक्ष पद भी खत्म हो जाता है।
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