खड़ा हिमालय बता रहा है - सोहन लाल द्विवेदीखड़ा हिमालय बता रहा है, डरो न आंधी पानी में। खड़े रहो तुम अविचल होकर, सब संकट तूफानी में। डिगो न अपने प्रण से तो तुम, सब कुछ पा सकते हो प्यारे। तुम भी ऊँचे उठ सकते हो, छू सकते हो नभ के तारे। अटल रहा जो अपने पथ पर, लाख मुसीबत आने में। मिली सफलता जग में उसको, Popular posts from this blog
प्राचीन काल में बच्चे गुरुकुल में पढ़ने जाते थे। वहाँ पर गुरु अपने शिष्यों को पढ़ाते थे। एक गांव के एक आश्रम में वरदराज नाम का बालक पढता था। वह पढ़ने में बहुत कमजोर था सब उसका मजाक उड़ाते थे। गुरूजी जो पढ़ाते थे उसे वह समझने में कठिनाई होता और याद नहीं रख पाता था इसलिए उसका मन पढाई में नहीं लगता था। उसके सभी सहपाठी उच्च कक्षा में चला जाता था और वो एक ही कक्षा में रह जाता था। गुरूजी ने उसे पढ़ाने में बहुत मेहनत की लेकिन उसपर असर नहीं हुआ अंत में हारकर गुरूजी ने उसे आश्रम से निकाल दिया। गीता पढ़ रहे एक आदमी की सचाई घटना वह भारी मन से दुखी होकर वहां से जाने लगा, रास्ते में वो सोचने लगा की घर जा कर पिताजी के सामने क्या मुँह दिखाऊंगा कैसे कहूंगा की गुरूजी ने मुझे निकाल दिया है। जाते-जाते रास्ते में उसे प्यास लग गयी उसने एक कुआँ देखा उसके नजदीक गया और वहाँ रखे बाल्टी से पानी निकाल कर पिया। पानी पिने के बाद उसने देखा की कुँए की जगत(सील) पर रस्सी से से बार बार घिसने से गड्ढे और निसान पड़ गए है। उसने सोचा की यदि बार-बार एक नरम रस्सी घिस घिस कर कठोर पत्थर पर निसान कर सकता है तो में क् KISI KE HAQ MAARNE KA PHAL - किसी के हक मारने का फल
एकबार एक गांव में दो दोस्त रहते थे। दोनों बहुत गरीब थे, जैस- तैसे करके वह अपने परिवार का गुजारा करते थे। वे लोग अपने घर की आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए शहर जाकर काम करने का फैसला किया। अगले दिन वह दोनों शहर गए और उन्हें एक कारखाने में काम मिला, वह वहीं काम करने लगे। उनलोगों का गांव शहर से ज्यादा दूर नहीं था इसलिए वह रोजाना काम करते और शाम को घर वापस आ जाते। एकदिन काम ज्यादा होने के कारन काम करते - करते रात हो गयी थी। वह लोग जल्दी-जल्दी काम खत्म करके घर जाने लगे। दूसरे दोस्त को घर जल्दी पहुंचने के लिए एक छोटा रास्ता पता था। वे दोनों उसी छोटे रास्ते से जाने लगे लेकिन अंधरे के वजह से उन्हें सही से रास्ता समझ नहीं आ रहा था और तब अचानक वे लोग एक गड्ढे में गिर गए। उस गड्ढे मे पहले दोस्त को एक चमक दिखाई दी। उसने दूसरे दोस्त से कहा - दोस्त, देखो उधर एक चमक नजर आ रही है। दोनों ने सामने जाकर देखा वहां एक हीरा है। वह लोग बहुत खुश हो गए। पहले दोस्त ने कहा की हमलोग इसे बेचकर समान - समान पैसे ले लेंगे और अपनी गरीबी दूर कर लेंगे। दोनों गड्ढे से बाहर आये और घर की और जाने लगे। जो दूसरा दोस्त था, उसक खड़ा हिमालय हमें क्या बता रहा है?डरो न आंधी पानी में। खड़े रहो तुम अविचल हो कर सब संकट तूफानी में।
युग युग से अपने पथ पर कौन खड़ा है?हिमालय युग युग से है अपने पथ पर देखो कैसा खड़ा हिमालय! डिगता कभी न अपने प्रण से रहता प्रण पर अड़ा हिमालय! जो जो भी बाधायें आईं उन सब से ही लड़ा हिमालय, इसीलिए तो दुनिया भर में हुआ सभी से बड़ा हिमालय!
|