खड़ा होकर पानी पीने से कौन सा रोग होता है? - khada hokar paanee peene se kaun sa rog hota hai?

हम सभी ने 200 साल पुराने मंदिर और किले तो देखें हैं लेकिन अस्पताल नहीं। इसका कारण सीधा सा है कि 200 साल पहले अस्पताल थे ही नहीं। आधुनिक लोग कहते हैं कि आज का समय विज्ञान का समय है और पुराना युग अज्ञान का था। विज्ञान के समय में यदि अस्पताल और बीमारियां हैं और अज्ञान के समय में सब स्वस्थ थे तो आप ही बताएं हमें कौन सा समय चाहिए? एलोपैथे ने विष्णु सहस्त्रनाम की तरह पूरा रोग सहस्त्रनाम बना दिया। एक ही बीमारी को अलग-अलग नाम देकर इलाज के नाम पर लूटा जा रहा है जबकि रोग से बचने के तरीके और उनकी जड़ का पता लगाने के तरीके हमारे घर में ही मौजूद हैं। हम प्राणी हैं और हमारे जीवन का आधार प्राण हैं। लेकिन एलोपैथी के किसी भी डॉक्टर को प्राण के बारे में कोई जानकारी नहीं दी इसलिए एलोपैथी को मैं बेकार मानता हूं।

पानी बैठकर और दूध खड़े होकर पिएं

यदि आप पानी खड़े होकर पीते हैं तो दुनिया का कोई डॉक्टर, वैद्य और हकीम घुटने का दर्द ठीक नहीं कर सकता। पानी हमेशा नीचे बैठकर पीएं। 50 फीसदी दर्द खत्म हो जाएगा। गर्म दूध में हल्दी और देसी गाय का घी मिलाकर गर्म पिएं। 15 दिनों मेरे दोस्त का 70 फीसदी तक दर्द कम हुआ है। गर्मियों में हल्दी की मात्रा एक चौथाई रखें। जंगल में घूमने वाली देसी गाय का घी कई बीमारियों का इलाज है। मेरी दादी को लकवे का दौरा पड़ा। मुंह टेढ़ा हो गया। तत्काल ही देसी गाय का घी गर्म कर नाक में डाला तो 15 मिनट में सारा टेढ़ापन चला गया। बच्चों का गुस्सा, हायपर एक्टिविटी, लगातार छींकें अाने, तनाव कम करने, नींद नहीं आने और खर्राटे जैसी समस्याओं के लिए ये उपायोगी है।

इलाज प्राणियों का लेकिन एलोपैथी को प्राण जानकारी ही नहीं

एक व्याख्यान में डॉक्टर्स ने कहा अपनी बातों का वैज्ञानिक आधार बताएं। मैंने कहा आप पहले एलोपैथी का वैज्ञानिक आधार बताएं। मैंने चार सवाल किए। किसी मरीज़ के मरने पर आप क्या कहते हैं। इनका प्रोटीन खत्म हो गया है या आयरन अंत हो गया, या प्राणांत हो गया है। जीवन का आधार प्राण है लेकिन प्राण के बारे में एलोपैथी के पास कोई जानकारी नहीं है। सबसे ज्यादा हार्ट अटैक सुबह आते हैं। क्यों? डॉक्टर्स तो हार्ट पेशेंट के मरीज को बेड रेस्ट की सलाह देते हैं फिर सुबह ही घातक अटैक क्यों आते हैं? सर्दी गर्मी बरसात, सुबह, शाम एक ही दवाई देती हैं क्या समय बदलने पर दवाई का असर नहीं बदलता? सर्दियों में सुबह मूली खाना फायदेमंद लेकिन दोपहर शाम या रात खाने पर साइड इफेक्ट होता है। ऐसे ही गर्मियों में चना भी शाम के बाद पेट फुलता है जबकि दिन में खाना फायदेमंद होता है। चना और मूली जैसी मामूली चीज़ समय के अनुसार अलग व्यवहार करती है तो दवाई भी करती होगी? डॉक्टरों के पास इन बातों का कोई जवाब नहीं था। बीमारी का कारण सीधा है। किसी अंग की प्राणशक्ति कम हो जाए तो वो ठीक से काम नहीं करता। यही बीमारी है।

कुछ बातें जो हमेशा स्वस्थ रखेंगी

• पानी हमेशा बैठकर, दूध खड़े होकर पिएं

• प्याज़ आहार नहीं औषधि है उसी तरह खाएं

• बारिश में पकौड़े वायरल से बचाते हैं लेकिन रिफाइंड ऑइल में न बनाएं। पकौड़ी खाने के बाद गर्म चीज़ पिएं, सादा पानी भी न पिएं

• साल के हर समय तांबे का पानी न पिएं। शरद ऋतु तक चांदी और उसके बाद सर्दी में तांबे के बर्तन का पानी फायदेमंद

अक्सर लोगों को खड़े होकर पानी पीने की आदत होती है। किसी को काम की जल्दबाजी है तो किसी को पानी पीने के लिए बैठने में आलस आता है। ऐसे में लोग खड़े-खड़े ही पानी पी लेते हैं। खड़े होकर पानी पीना या घूमते टहलते हुए पानी पानी आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। खासतौर इसका असर आपके लिवर पर पड़ता है। इसलिए बेहतर होगा कि आप खड़े होकर पानी पीने की बजाय बैठकर इसका सेवन करें। जानिए खड़े होकर पानी पीने से क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं?

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क्यों नहीं पीना चाहिए खड़े होकर पानी-

आयुर्वेद में खड़े होकर पानी पीने की मनाही है। इस तरह पानी पीने से एक तो व्यक्ति की प्‍यास पूरी तरह नहीं बुझती और दूसरा उसके शरीर के कई महत्‍वपूर्ण अंगों पर भी बुरा असर पड़ता है। आयुर्वेद के मुताबिक, जब हम खड़े होकर पानी पीते हैं तो, इससे हमारे पेट पर अधिक प्रेशर पड़ता है, क्योंकि खड़े होकर पानी पीने पर पानी सीधा इसोफेगस के जरिए प्रेशर के साथ पेट में तेजी से पहुंचता है। इससे पेट और पेट के आसपास की जगह और डाइजेस्टिव सिस्टम को नुकसान पहुंचता है। 

बैठकर पीना चाहिए पानी-
अध्ययन के अनुसार पानी बैठकर पीने से पानी सही तरीके से पचकर शरीर के सभी सेल्स तक पहुंचता है। व्यक्ति की बॉडी को जितने पानी की अवश्यकता होती है उतना पानी सोखकर वह बाकी का पानी और टॉक्सिन्स यूरीन के जरिए शरीर से बाहर निकल देता है। बैठकर पानी पीने से खून में हानिकारक तत्व नहीं घुलते बल्कि ये खून साफ करते हैं। इसीलिए बैठकर पानी पीने को अच्छा माना जाता है।

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खड़े होकर पानी पीने के नुकसान-

गठिया की परेशानी हो सकती है
खड़े होकर पानी पीने की वजह से पानी का प्रेशर आपके शरीर से होकर जोड़ों में जाकर रुक जाता है। जिससे हड्डियों और जोड़ों पर बुरा असर डाल सकता है, साथ ही हड्डियां कमजोर होना शुरू हो जाती हैं। ऐसे में कमजोर हड्डियों के कारण व्यक्ति गठिया जैसी परेशानियां हो सकती हैं।

किडनी के लिए घातक-
जब कोई खड़े होकर पानी पीता है तो पानी बिना फिल्टर हुए प्रेशर के साथ पेट में जाता है। जिसकी वजह से सभी इंप्योरिटीज ब्लैडर में जमा हो जाती हैं। जो किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है।

हो सकती है अपच की समस्या-
खड़े होकर पानी पीने की वजह से अपच की समस्या हो सकती है। दरअसल पानी बैठ कर पीने से मसल्स और नर्वस सिस्टम रिलैक्स हो जाती हैं जिसकी वजह से पानी आसानी से पच जाता है। लेकिन खड़े होकर पानी पीने से ऐसा नहीं होता और ऐसे में आपको कब्ज की समस्याएं हो सकती हैं।  

फेफड़ों पर पड़ता है बुरा असर-
जब आप खड़े होकर पानी पीते हैं तो फूड और विंड पाइप में होने वाली ऑक्सीजन की सप्लाई रुक जाती है जिससे फेफड़ों और दिल पर बुरा असर पड़ता है। 

एसिडिटी-
खड़े होकर पानी पीना आपको एसिडिटी की समस्या पैदा कर सकता है। जब आप खड़े होकर पानी पीते हैं तो ग्रासनली के निचले हिस्से में समस्या हो जाती है। जिसकी वजह से पेट में जलन होने लगती है। 

Disclaimer: यह जानकारी आयुर्वेदिक नुस्खों के आधार पर लिखी गई है। इंडिया टीवी इनके सफल होने या इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है। इनके इस्तेमाल से पहले चिकित्सक का परामर्श जरूर लें। 

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क्या खड़े होकर पानी पीना हानिकारक है?

फेफड़ों को होता है नुकसान जब आप खड़े होकर पानी पीते हैं, तो ज़रूरी पोषक तत्व और विटामिन लिवर और पाचन तंत्र तक नहीं पहुंचते और साथ ही यह सिस्टम से बहुत तेज़ी से गुज़र जाता है, जिससे आपके फेफड़ों और हृदय के काम को नुकसान पहुंचता है क्योंकि इससे ऑक्सीजन का स्तर गड़बड़ हो जाता है।

खड़े होकर पानी क्यों नहीं पीना चाहिए?

अगर आप खड़े होकर पानी पीते हैं, तो यह ठीक से फिल्टर नहीं होता है और यह किडनी और मूत्राशय में जमा हो सकता है, जिससे किडनी को नुकसान हो सकता है और यूरीनरी ट्रैक्ट डिसऑर्डर हो सकता है.

पानी कैसे पीना चाहिए बैठकर या खड़े होकर?

हमेशा बैठकर ही पानी पीना चाहिए। अध्ययन के अनुसार पानी बैठकर पीने से पानी सही तरीके से पचकर शरीर के सभी सेल्स तक पहुंचता है। व्यक्ति की बॉडी को जितने पानी की अवश्यकता होती है उतना पानी सोखकर वह बाकी का पानी और टॉक्सिन्स यूरीन के जरिए शरीर से बाहर निकल देता है।

क्या पानी बैठकर पीना चाहिए?

बैठकर इसलिए पीना चाहिए पानी दूसरी तरफ, बैठकर पानी पीने से ये शरीर के सभी हिस्सों तक अच्छे से पहुंचता है. शरीर को पानी की जितनी आवश्यकता होती है उतना पानी शरीर अच्छे से अब्सॉर्ब कर लेता है और बाकी टॉक्सिन यूरिन के जरिए बाहर कर देता है. बैठकर पानी पीने से खून में हानिकारक तत्व नहीं घुलते और खून साफ रहता है.