ख लेखन के अनुसार स्वातंत्र्योत्तर भारत की सबसे बड़ी ट्रेजडी क्या है और कैसे? - kh lekhan ke anusaar svaatantryottar bhaarat kee sabase badee trejadee kya hai aur kaise?

लेखक के अनुसार स्वातंत्र्योत्तर भारत की सबसे बड़ी ट्रैजडी क्या है?

लेखक के अनुसार स्वातंत्र्योत्तर भारत के शासन वर्ग ने औद्योगीकरण को भारत के विकास और प्रगति के रूप में चुना। उनका मानना था कि औद्योगीकरण को अपना कर भारत को पुनः अपने पैरों पर खड़ा किया जा सकता है। यह मात्र पश्चिमी देशों की नकल स्वरूप थी। हमने इस भेड़चाल में जो प्रकृति और संस्कृति से प्रेमभरा संबंध था, उसे नष्ट कर डाला। हम चाहते तो यह प्रयास कर सकते थे कि यह संबंध भी नष्ट नहीं होता और हम विकास और प्रगति को प्राप्त कर जाते। हमने अपनी क्षमताओं पर विश्वास ही नहीं किया और पश्चिमी देशों की नकल करने पर उतारू हो गए। यही स्वातंत्र्योत्तर भारत की ट्रेजडी है।

Concept: गद्य भाग

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लेखक के अनुसार स्वातंत्र्योत्तर भारत की सबसे बड़ी ट्रेजडी क्या है और कैसे?

हमने इस भेड़चाल में जो प्रकृति और संस्कृति से प्रेमभरा संबंध था, उसे नष्ट कर डाला। हम चाहते तो यह प्रयास कर सकते थे कि यह संबंध भी नष्ट नहीं होता और हम विकास और प्रगति को प्राप्त कर जाते। हमने अपनी क्षमताओं पर विश्वास ही नहीं किया और पश्चिमी देशों की नकल करने पर उतारू हो गए। यही स्वातंत्र्योत्तर भारत की ट्रेजडी है

ख प्रकृति के कारण विस्थापन और औद्योगीकरण के कारण विस्थापन में क्या अंतर है?

उत्तर: प्रकृति के कारण विस्थापन, तब होता है जब कोई प्राकृतिक आपदा आती है जैसे बाढ़, भूकंप इत्यादि जिससे घर , खेत खलियान सब तहस नहस हो जाता है । प्राकृतिक आपदा के कारण विस्थापित हुए लोग पुनः अपने गाँव तथा घर वापस आ जाते है। परन्तु औद्योगीकरण विस्थापित हुए लोग अपने गाँव तथा घर कभी वापस नहीं आ पाते है।

अमझर से आप क्या समझते हैं अमझर गांव में सूनापन क्यों है?

अमझर गाँव नवागाँव के क्षेत्रफल में आता है, तो उसे भी उजाड़ा जाएगा। यह सूचना मानो प्रकृति को भी पता चल गई है। अतः इस वजह से अमझर गाँव में सूनापन है।

अमझर से आप क्या समझते हैं?

अमझर दो शब्दों से मिलकर बना हैः आम तथा झरना। इस आधार पर अमझर शब्द का अर्थ हुआ वह स्थान जहाँ आम झरते हों। जबसे यह घोषणा गाँव में पहुँची है कि अमरौली प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए नवागाँव के बहुत से गाँव को नष्ट कर दिया जाएगा। तबसे इस गाँव के आम के पेड़ों ने फलना-फूलना छोड़ दिया है।