क्या एक चतुर्भुज की रचना की जा सकती है यदि उसके दो विकर्ण और दो भुजाएं दी हों ? - kya ek chaturbhuj kee rachana kee ja sakatee hai yadi usake do vikarn aur do bhujaen dee hon ?

क्या एक चतुर्भुज की रचना की जा सकती है यदि उसके दो विकर्ण और दो भुजाएं दी हों ? - kya ek chaturbhuj kee rachana kee ja sakatee hai yadi usake do vikarn aur do bhujaen dee hon ?

चार सरल रेखाओं से घिरी बन्द आकृति को चतुर्भुज (Quadrilateral) कहते हैं। यूक्लिडियन समतल ज्यामिति में, चतुर्भुज एक बहुभुज है जिसमें चार किनारे (या भुजा) और चार शीर्ष (या कोने) होते हैं।

चतुर्भुज सरल (स्वप्रतिच्छेदी नहीं) या जटिल (स्वप्रतिच्छेदी) होते हैं। सरल चतुर्भुज उत्तल या अवतल होते हैं।

एक साधारण (और समतलीय) चतुर्भुज ABCD के आंतरिक कोणों का योग 360° होता है, अर्थात-

यह आन्तरिक कोण योग सूत्र (n - 2) × 180° द्वारा प्राप्त होता है। (यहाँ n, बहुभुज की भुजाओं की संख्या है)

चतुर्भुज

क्या एक चतुर्भुज की रचना की जा सकती है यदि उसके दो विकर्ण और दो भुजाएं दी हों ? - kya ek chaturbhuj kee rachana kee ja sakatee hai yadi usake do vikarn aur do bhujaen dee hon ?

भुजाएँ व शीर्षों की संख्या 4
सभी आंतरिक कोणों का योग 360°

सरल चतुर्भुज[संपादित करें]

कोई भी चतुर्भुज जो स्व-प्रतिच्छेदी नहीं है, एक साधारण चतुर्भुज होता है।

उत्तल चतुर्भुज

एक उत्तल चतुर्भुज में, सभी आंतरिक कोण 180° से कम होते हैं और दोनों विकर्ण चतुर्भुज के अंदर स्थित होते हैं।

अनियमित चतुर्भुज (Irregular Quadrilateral): कोई भी भुजाएँ समानांतर नहीं होती है।

समलंब चतुर्भुज (Trapezium): सम्मुख भुजाओं का कम से कम एक युग्म समानांतर होता है। समांतर चतुर्भुज एक समलंब चतुर्भुज होता है।

समद्विबाहु समलंब चतुर्भुज (isosceles trapezium): सम्मुख भुजाओं का कम से कम एक युग्म समानांतर होता है और आधार कोण माप में बराबर होते हैं। वैकल्पिक परिभाषा के अनुसार, यह समान लंबाई के विकर्णों वाला समलंब चतुर्भुज होता है।

समांतर चतुर्भुज (Parallelogram): समानांतर भुजाओं के दो युग्मों वाला एक चतुर्भुज। ऐसा चतुर्भुज, जिसमें सम्मुख(आमने-सामने की) भुजाएँ बराबर; सम्मुख कोण बराबर; या विकर्ण एक दूसरे को समद्विभाजित करते हैं। समचतुर्भुज (और वर्ग आदि) समांतर चतुर्भुज होते हैं।

समचतुर्भुज (Rhombus): सभी चारों भुजाएँ समान होती हैं और दोनों विकर्ण एक दूसरे को लंब-समद्विभाजित करते हैं। वर्ग, एक समचतुर्भुज होता है।

आयत (Rectangle): सम्मुख भुजाएँ समान होती हैं, चारों कोण समकोण होते हैं, विकर्ण एक दूसरे को समद्विभाजित करते हैं और लंबाई में बराबर होते हैं। वर्ग, एक आयत होता है।

वर्ग (नियमित चतुर्भुज) (Square): सभी चारों भुजाएँ समान होती हैं, और चारों कोण समकोण होते हैं। सम्मुख भुजाएँ समानांतर होती हैं (वर्ग, एक समांतर चतुर्भुज होता है), विकर्ण एक दूसरे को समद्विभाजित करते हैं और समान लंबाई के होते हैं। एक चतुर्भुज एक वर्ग होगा यदि वह एक समचतुर्भुज भी हो और एक आयत भी।

पतंगाकार चतुर्भुज (Kite): आसन्न भुजाओं के दो युग्म बराबर लंबाई के होते हैं। तात्पर्य यह है कि इसका एक विकर्ण, चतुर्भुज को दो सर्वांगसम त्रिभुजों में विभाजित करता है, और इसलिए समान भुजाओं के दो युग्मो के बीच के कोण बराबर होते हैं। इसके दोनों विकर्ण एक दूसरे के लम्बवत होते हैं।

स्पर्शी चतुर्भुज (Tangential Quadrilateral): चारों भुजाएँ एक अंतःवृत्त की स्पर्श रेखाएं होती हैं। एक उत्तल चतुर्भुज, एक चक्रीय चतुर्भुज होगा यदि इसकी सम्मुख भुजाओं का योग समान हो।

चक्रीय चतुर्भुज (Cyclic Quadrilateral): चतुर्भुज के चारों शीर्ष एक परिवृत्त पर स्थित होते हैं। एक उत्तल चतुर्भुज, चक्रीय होगा यदि उसके सम्मुख कोणों का योग 180° हो।

अवतल चतुर्भुज

एक अवतल चतुर्भुज में, एक आंतरिक कोण 180° से बड़ा होता है और दोनों विकर्णों में से एक विकर्ण, चतुर्भुज के बाहर स्थित होता है।

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जटिल चतुर्भुज[संपादित करें]

ऐसा चतुर्भुज, जो स्वयं को प्रतिच्छेद करे, जटिल चतुर्भुज कहलाता है।

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विशेष रेखाखंड[संपादित करें]

विकर्ण (diagonals): चतुर्भुज के दो विकर्ण होते हैं, जो विपरीत(या सम्मुख) शीर्षों को जोड़ते हैं।

द्विमाध्यिकाएँ (bimedians): एक उत्तल चतुर्भुज में दो द्विमाध्यिकाएँ होती हैं जो विपरीत भुजाओं के मध्य बिन्दुओं को जोड़ती हैं। ये दोनों, चतुर्भुज के केंद्रक पर प्रतिच्छेद करती हैं।

चतुर्भुज का क्षेत्रफल[संपादित करें]

एक उत्तल चतुर्भुज ABCD जिसमें भुजाएँ a = AB, b = BC, c = CD and d = DA हैं, का क्षेत्रफल ज्ञात करने के लिए विभिन्न सामान्य सूत्र हैं।

त्रिकोणमितीय सूत्र

किसी चतुर्भुज का क्षेत्रफल , त्रिकोणमितीय पदों में निम्न प्रकार व्यक्त किया जा सकता है-

जहां और विकर्णों की लम्बाइयाँ हैं और उनके बीच कोण है।

चतुर्भुज का क्षेत्रफल, इसकी द्विमाध्यिकाओं के पदों में भी व्यक्त किया जा सकता है-

जहां और , चतुर्भुज की द्विमाध्यिकाओं की लम्बाइयाँ हैं और उनके बीच का कोण है।

ब्रेट्सनाइडर का सूत्र, चतुर्भुज की भुजाओं और दो विपरीत कोणों के संदर्भ में क्षेत्रफल को व्यक्त करता है:

जहां (क्रमशः) चतुर्भुज की भुजाएँ हैं और चतुर्भुज का अर्द्ध परिमाप है, और और दो विपरीत कोण हैं।

भुजाओं और कोणों के पदों में एक और क्षेत्रफल का सूत्र, जहां कोण , भुजाओं b और c के मध्य, और कोण , भुजाओं a और d के बीच का कोण है।

चक्रीय चतुर्भुज के लिए, सूत्र निम्न होता है-

समांतर चतुर्भुज के लिए (जिसमें सम्मुख कोण और सम्मुख भुजाएँ समान होती हैं), यह सूत्र निम्न होता है-

वैकल्पिक रूप से, हम चतुर्भुज की भुजाओं और विकर्णों के मध्य कोण θ के पदों में क्षेत्रफल का सूत्र निम्न प्रकार लिख सकते हैं-

समांतर चतुर्भुज के लिए, यह सूत्र निम्न होता है-

भुजाओं वाले चतुर्भुज के क्षेत्रफल का एक अन्य सूत्र-

जहां , विकर्णों के मध्यबिंदुओं के बीच की दूरी है और द्विमाध्यिकाओं के बीच का कोण है।

भुजाओं और भुजाओं तथा के बीच कोण वाले चतुर्भुज के क्षेत्रफल के लिए अंतिम त्रिकोणमितीय सूत्र निम्न है:

इस सूत्र को अवतल चतुर्भुज के क्षेत्रफल के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है ( यदि कोण अवतल भाग के विपरीत होता है), बस पहले + चिह्न को - से बदलना होगा।

गैर-त्रिकोणमितीय सूत्र

निम्नलिखित दोनों सूत्र भुजाओं a, b, c, d, अर्द्धपरिमाप s तथा विकर्णों p व q के पदों में क्षेत्रफल व्यक्त करते हैं-

द्विमाध्यिकाओं m, n और विकर्णों p, q के पदों में भी क्षेत्रफल का सूत्र व्यक्त किया जा सकता है-

वास्तव में, क्षेत्रफल के लिए m, n, p तथा q में से कोई तीन मान ही पर्याप्त हैं क्योंकि किसी चतुर्भुज में ये चारों मान निम्न प्रकार संबन्धित होते हैं-

अतः इस सूत्र में किन्हीं तीन का मान रखकर, चौथे चर का मान आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। तब, तीन किन्हीं पदों में चतुर्भुज के क्षेत्रफल का सूत्र निम्न है-

  • जब, दोनों द्विमाध्यिकाएँ व कोई एक विकर्ण दिया हो,

  • जब, दोनों विकर्ण व कोई एक द्विमाध्यिका दी हो,

सदिश सूत्र

किसी चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल, सदिशों का प्रयोग करके प्राप्त किया जा सकता है। माना सदिश AC और BD क्रमशः A से C और B से D तक के विकर्ण हैं। तब चतुर्भुज का क्षेत्रफल निम्न होगा:

जो सदिशों AC और BD के सदिश गुणन के परिमाण का आधा है। द्वि-विमीय यूक्लिडियन ज्यामिती में, कार्तीय तल में एक मुक्त सदिश के रूप में सदिश AC को (x1,y1) और सदिश BD को (x2,y2) व्यक्त करने पर, इसे निम्न प्रकार लिखा जा सकता है:

विकर्ण[संपादित करें]

कुछ चतुर्भुजों में विकर्णों के गुण

निम्न सारणी में सूचीबद्ध है कि कुछ सामान्य चतुर्भुजों में विकर्ण एक-दूसरे को विभाजित करते हैं या नहीं, उनके विकर्ण लंबवत हैं या नहीं, और उनके विकर्णों की लंबाई बराबर है या नहीं।

चतुर्भुज समद्विभाजक

विकर्ण

लम्बवत

विकर्ण

समान

विकर्ण

समलंब चतुर्भुजनहीं नोट 1 देखें नहीं
समद्विबाहु समलंब चतुर्भुजनहीं नोट 1 देखें हाँ
समांतर चतुर्भुजहाँ नहीं नहीं
पतंगाकार चतुर्भुजनोट 2 देखें हाँ नोट 2 देखें
आयत हाँ नहीं हाँ
समचतुर्भुजहाँ हाँ नहीं
वर्ग हाँ हाँ हाँ

नोट 1: सबसे सामान्य समलंबों और द्विसमबाहु समलंबों में लंबवत विकर्ण नहीं होते हैं, लेकिन कई ऐसे असमान समलंब और द्विसमबाहु समलंब होते हैं जिनमें लंबवत विकर्ण होते हैं। ऐसे चतुर्भुजों का कोई निश्चित नाम नहीं होता।

नोट 2: पतंगाकार चतुर्भुज में, एक विकर्ण दूसरे विकर्ण को समद्विभाजित करता है। सामान्य पतंगाकार चतुर्भुजों में असमान विकर्ण होते हैं, लेकिन कई ऐसे पतंगाकार चतुर्भुज होते हैं जिनमें विकर्णों की लंबाई बराबर होती है।

विकर्णों की लंबाई

एक उत्तल चतुर्भुज ABCD में विकर्णों की लंबाई, एक विकर्ण द्वारा बनाए गए प्रत्येक (दोनों) त्रिभुज पर कोज्या नियम तथा चतुर्भुज की किन्हीं दो भुजाओं का उपयोग करके ज्ञात की जा सकती है। इस प्रकार

तथा

चतुर्भुज के विकर्णों की लम्बाइयाँ ज्ञात करने के लिए अन्य सूत्र:

तथा

समांतर चतुर्भुज नियम का सामान्यीकरण और टाल्मी की प्रमेय

किसी उत्तल चतुर्भुज ABCD में, चारों भुजाओं के वर्गों का योग, दोनों विकर्णों के वर्गों और विकर्णों के मध्य बिन्दुओं को जोड़ने वाले रेखाखण्ड के वर्ग के योग के बराबर होता है। इस प्रकार

जहां , विकर्णों के मध्यबिंदुओं के बीच की दूरी है. इसे यूलर की चतुर्भुज प्रमेय के रूप में जाना जाता है और यही समांतर चतुर्भुज नियम का सामान्यीकरण होता है।

जर्मन गणितज्ञ कार्ल एंटन ब्रेट्सनाइडर ने 1842 में टॉल्मी के प्रमेय के सामान्यीकरण को बताया-

इस संबंध को चतुर्भुज के लिए कोज्या नियम माना जा सकता है। चक्रीय चतुर्भुज में, जहां A + C = 180°, यह सूत्र होता है। चूंकि cos (A + C) ≥ −1, यह टॉल्मी की असमानता का प्रमाण भी देता है।

अन्य संबंध

चतुर्भुज में, यदि X और Y, क्रमशः B और D से विकर्ण AC = p पर डाले गए अभिलम्बों के पाद हों, जहाँ , तब

एक उत्तल चतुर्भुज ABCD में, जहाँ भुजा a = AB, b = BC, c = CD, d = DA हों, और उसके विकर्ण बिन्दु E पर प्रतिच्छेद करें, तब

जहां

क्या एक चतुर्भुज की रचना की जा सकती है यदि उसके दो विकर्ण और दो भुजाएं दी हों ? - kya ek chaturbhuj kee rachana kee ja sakatee hai yadi usake do vikarn aur do bhujaen dee hon ?

एक उत्तल चतुर्भुज की आकृति और आकार, उसकी भुजाओं और किन्हीं दो सम्मुख शीर्षों के बीच के विकर्ण की लंबाई से निर्धारित होता है। चतुर्भुज के विकर्ण p, q और चारों भुजाएँ a, b, c, d केली-मेंगर सारणिक द्वारा निम्नानुसार संबंधित हैं:

वर्गीकरण[संपादित करें]

चतुर्भुज के एक पदानुक्रमिक वर्गीकरण को दाईं ओर आकृति में चित्रित किया गया है। निम्न वर्ग, उच्च वर्गों के विशेष रूप हैं जिनसे वे जुड़े हुए हैं।

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चतुर्भुज का एक पदानुक्रमिक वर्गीकरण

एक चतुर्भुज में कुल कितने अन्तः विकर्ण हो सकते हैं?

विकर्ण (diagonals): चतुर्भुज के दो विकर्ण होते हैं, जो विपरीत(या सम्मुख) शीर्षों को जोड़ते हैं

किसी चतुर्भुज की रचना के लिए कितनी विशेषताएं आवश्यक है?

एक चतुर्भुज की अद्वितीय रूप से रचना की जा सकती है, यदि उसकी तीन भुजाओं और दोनों विकर्णों की लंबाइयाँ दी हुई हों । एक चतुर्भुज की अद्वितीय रूप से रचना की जा सकती है, यदि इसकी दो आसन्न भुजाएँ और तीन कोण दिये हों । एक चतुर्भुज की अद्वितीय रूप से रचना की जा सकती है, यदि इसकी तीन भुजाएँ और दो अंतर्गत कोण दिये हों ।

चतुर्भुज का विकर्ण कैसे निकाले?

आप इस वर्ग का क्षेत्रफल आधार तथा ऊंचाई के गुणनफल से प्राप्त कर सकते हैं : 4 × 4 = 16 वर्ग मीटर। उदाहरण : एक वर्ग के दो समान विकर्णों की लम्बाई 10 सेमी है। आप इस वर्ग का क्षेत्रफल विकर्ण के सूत्र से प्राप्त कर सकते हैं: (10 × 10)/2 = 100/2 = 50 वर्ग सेमी.

चतुर्भुज की रचना कैसे की जाती है?

(i) जब चार भुजाएँ और एक विकर्ण दिया हो। (ii) जब तीन भुजाएँ और दो विकर्ण दिये हुए हो। (iii) जब चार भुजाएँ और एक कोण दिया हो।