क्या चीन एक विकसित देश है - kya cheen ek vikasit desh hai

हाल के वर्षो में चीन को विश्व की सबसे तेज़ गति से उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में जाना गया है। लेकिन चीन का सकल घरेलू उत्पाद दर साल २०१४ में सिर्फ ७.४ प्रतिशत ही रही है । आर्थिक वृद्धि की यह दर साल २०१४ में पिछले दो दशक में सबसे कम रही है । साथ ही यह अनुमान लगाया जा रहा है की साल २०१५ में यह दर और कम हो सकती है एवं चीन भारत से इस क्षेत्र में पिछड़ सकता है। सालाना आर्थिक वृद्धि में गिरावट का मुख्य कारण अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्र खासकर रियल स्टेट एवं निर्माण में स्थिर निवेश का कम होना एवं श्रम मजदूरी का बढ़ना है।

आज के दौर में यह बात साफ़ तौर पर उभरकर सामने आई है कि केवल सकल घरेलू उत्पाद का दर विकास का पैमाना नही माना जा सकता एवं ज़रुरत इस बात की है कि विकास के विभिन्न आयामो को  समग्र रूप से समझा जाए।

पिछले ६५ सालों में चीन में विकास कि मायने बदले है। आर्थिक सफलता मुख्य रूप से राजनीतिक नेतृत्व एवं उसकी इच्छा शक्ति पर निर्भर करती है। चीन की १९४९ की साम्यवादी क्रांति मे ग्रामीण जनता खासकर किसानों ने सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाईं। चीन का यह अनुभव मार्क्स की ऐतिहासिक विकास की अवधारणा से अलग था। इसमे किसानों एवं ग्रामीण जनता के हित में नीतियाँ बनाने  का मार्ग प्रशस्त किया। इस व्यवस्था की प्रमुख उपलब्धिया साम्यवाद का खात्मा, भूमि सुधार एवं कम्यून व्यवस्था की स्थापना थी। इस व्यवस्था ने काफी हद तक एक समतावादी समाज की स्थापना की जिसमे सब लोगो ने करीब - करीब एक जैसे काम किये और करीब-करीब एक जैसे भुगतान पाया। कई विद्वान यह मानते है कि भले ही माओ के कार्यकाल  मे  आर्थिक  वृद्धि  की   दर  कम रही,  लेकिन इस काल  की मुख्य उपलब्धियाँ भूमि सुधार, सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा एवं स्वास्थ्य के कार्यक्रमों में देखे गए जो सरकार द्वारा संचालित थे। लेकिन इसी युग में १९५८-६१ के काल में अकाल की महान त्रासदी हुई जिससे लाखों लोगो को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा।

१९७० के दशक के अंतिम वर्षो में तंग श्येओफिंग चीन के सबसे शक्तिशाली नेता बनकर उभरे एवं चीन ने एक नई व्यवस्था की ओर रुख किया जिसका मूल कम्यून व्यवस्था की समाप्ति ओर आर्थिक सुधारों की शुरुआत थी।  सरकार  का मुख्य तर्क यह था की चुकि गरीबी समाजवाद नही है इसलिए चीन को उत्पादक शक्तिओ का विकास अपने तरीके से करना चाहिए। इसकी शुरुआत ग्रामीण चीन से की गई। कृषि के क्षेत्र में परिवार दायित्व व्यवस्था को लागू किया। इस व्यवस्था में भूमि का स्वामित्व सरकार के पास रहा लेकिन प्रबंध एवं कृषि कार्य किसानों पर छोड़ दिया गया इससे किसानों की आमदनी बढ़ी।

शहरी क्षेत्रो में विशेष आर्थिक क्षेत्रो (स्पेशल इकनोमिक ज़ोन्स)की स्थापना की गई एवं अन्य औद्योगिक सुधारो की शुरुआत की गई। चीन का बाजार को बाकी दुनिया के लिए खोल दिया गया। इस दौर में चीन के औद्योगिक विकास में पश्चिमी देशों खासकर अमेरिकी तकनीक का महत्वपूर्ण योगदान रहा। आर्थिक सुधारों ने लोगो कि आमदनी बढ़ाने के साथ - साथ गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीने वाले लोगो कि संख्या में कमी आई।

वर्तमान चीन में आर्थिक विकास के साथ सामाजिक बदलाव भी आसानी से देखे जा सकते है। कुछ नए वर्गों का उदय हुआ है इसमें सबसे प्रमुख है प्राइवेट उद्यमी जिनको प्रमुखता चीन कि कम्युनिस्ट पार्टी में भी काफी है। चीन में मध्यम वर्ग का उदय भी महत्वपूर्ण रहा है। चीन में किसान अब एक सजातीय वर्ग  नहीं रहा। इसका विभाजन प्रवासी एवं अन्य वर्गों में किया जाता है। उपभोक्तावाद संस्कृति का विकास खासकर शहरों में काफी तेज़ी से हुआ है। आज की  तारीख में पश्चिमी देशों के सभी विख्यात फैशन ब्रांड चीन में उपलब्ध है।

पिछले कुछ  सालों में चीन में ग्रामीण समस्या उभर कर सामने आई है। कृषि एक  उत्पादक क्षेत्र नही रह गया है और इसलिए कृषि पर आधारित लोगो के आय बहुत कम बढ़ पा रही है। ग्रामीण क्षेत्रो में आधारभूत संरचनाओं का भी अभाव है। भ्रष्टाचार अपनी जड़े जमा चूका है तथा ग्रामीणो एवं स्थानीय अधिकारियों के बीच संबंध बिगड़े है। इसका मुख्य कारण ज़मीन का मसला है। स्थानीय अधिकारियों द्वारा कई बार अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर ग्रामीण  जनता की ज़मीन व्यावसायिक एवं अन्य कार्यो के लिए निजी उधमियों को दे दिया जाता है। इससे ग्रामीणो में असंतोष बढ़ा है क्योकि इसमें मुआवजा भी काफी कम दिया जाता है। इन सब कारणों से चीन में सरकार एवं पार्टी के विरोध में भी प्रदर्शन हुए है।

आर्थिक सुधार के दौर में चीन  में असामनता बढ़ने के पूरे प्रमाण है। निस्संदेह चीन के शहरों में विकास  दिखता है लेकिन मुख्य रूप से यह देश के तटीय या पूर्वी क्षेत्रो में सिमटा हुआ है जबकि चीन के पश्चिमी क्षेत्रो में रहने वाली जनसंख्या को अभी विकास की लंबी दूरी तय करनी है। सरकार ने पश्चिमी क्षेत्रो के विकास के लिए कई नई योजनाओं को कार्यान्वित किया है लेकिन अभी स्थिति में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ है।

चीन के सरकारी आकड़ों के हिसाब से शहरी लोगो की आय  ग्रामीण लोगो की आय के औसतन तीन गुना ज्यादा है। चीन के कुछ प्रसिद्ध विद्वानों ने अपने अध्ययनों से यह स्थापित किया है कि शहरी एवं ग्रामीण जनता के बीच यह अंतर ६ गुणा से भी ज्यादा है। ऐसे भी  गांव है जहाँ प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से १० गुणा का अंतर है। कई  अध्य्यनों ने यह स्थापित किया है कि चीन में फैली असमानता भारत से ज्यादा है।

ग्रामीण चीन में स्वास्थ्य एक ऐसा  क्षेत्र है जहाँ सरकार ने अपने हाथ काफी हद तक खींच लिए हैं। अब किसी गावं में सरकारी डाक्टर नही मिलते। हाल के दिनों में चीन में इलाज का खर्च नही उठा पाने के कारण ग्रामीण जनता के सामने बहुत तरह की समस्याएँ सामने आई है। शिक्षा के क्षेत्र में भी समस्या आई है खासकर चीन के पश्चिमी क्षेत्र में।

ग्रामीण समस्याओं ने बड़ी संख्या में लोगो को शहरों की ओर पलायन के  लिए बाध्य किया है इनकी संख्या करीब २५ करोड़ है। हाल तक चीन में गावों से शहरों की ओर स्थांतरण अवैध था लेकिन स्थिति को  देखते हुए सरकार ने  लचीलापन दिखया है। स्थांतरित लोगो ने देश की आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है लेकिन इनकी स्थिति अच्छी नही है। इन्हे कई तरह की सुविधाओं से वंचित किया जाता है जो शहरी मज़दूरों को दिए जाते है।

राष्ट्रपति शी चिनफिंग के कार्यकाल में आर्थिक सुधारो का नया दौर शुरू हुआ है। साथ ही चीन की सरकार ने असमानता एवं ग्रामीण समस्या को दूर करने की लिए समावेशी विकास पर बल देने का दावा किया है। फिलहाल चीन की सामने मुख्य चुनौती यह है कि वह अपने राष्ट्र हित में संतुलित विकास को बढ़ावा दे एवं समस्याओं का निवारण करें।

क्या चीन एक विकासशील देश है?

चीन की गणना अभी विकासशील देशों में ही होती है लेकिन अनुमानित है कि वर्ष 2035 तक चीन एक विकसित देश बन जाएगा। चीन को विकसित देश कहलाने में क्यों है परहेज? विश्व के सभी देशों को विकसित और विकासशील वर्ग में रखा जाता है और इन वर्ग में रहने वाले देशों को कुछ लाभ और हानि होते हैं।

दुनिया का सबसे विकसित देश कौन सा है?

दुनिया के कितने देश विकसित इसमें सबसे पहला नाम नॉर्वे का है. इसके बाद अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, जर्मनी, कनाडा, फ्रांस, रूस, ऑस्ट्रेलिया, इटली, स्वीडन और स्विटजरलैंड ऐसे देश हैं जो इस लिस्ट में शुमार हैं. दुनिया में सबसे अधिक विकसित लोकतंत्र और न्यायिक देश नॉर्वे को माना जाता है.

क्या भारत विकसित हो रहा है?

इसे आप एक दुर्भाग्य ही कह सकते हैं कि भारत के पास क्षमता होने के बावजूद भारत एक विकसित देश अभी तक नहीं बना सका है। भारत अभी एक विकासशील देश है और विश्व में सबसे तेजी से तरक्की करने वालों के देश में शीर्ष पर आता है उम्मीद है के भारत जल्द ही विकसित देशों में शामिल हो सके। क्या यह आपके समय के हिसाब से उपयुक्त था?

विकसित देशों में भारत कितने नंबर पर है?

- सबसे ज्यादा जीडीपी के मामले में भारत अभी दुनिया में 7वें नंबर पर है. वर्ल्ड बैंक के आंकड़े बताते हैं कि 2021 में भारत की जीडीपी 3.17 ट्रिलियन डॉलर रही थी. यानी, अभी अमेरिका और भारत की जीडीपी में लगभग 20 ट्रिलियन डॉलर का अंतर है. - विकसित देश होने का एक पैमाना प्रति व्यक्ति आय भी है.