कैसे होम्योपैथी में शक्ति का चयन करने के - kaise homyopaithee mein shakti ka chayan karane ke

विश्व होम्योपैथी दिवस आज

एलोपैथी से किया होम्योपैथी का रुख तो दिखे कई पॉजिटिव रिजल्ट

Madhuri.sengar

@timesgroup.com

टीएचए : होम्योपैथी का नाम सुनते ही हम सबके दिमाग में छोटी शीशी और उसमें रखी छोटी-छोटी सफेद मीठी गोलियों का खयाल आता है। आप सोच रहे होंगे कि हम इन गोलियों की बात क्यों कर रहे हैं। आज विश्व होम्योपैथी दिवस है। इसके जन्मदाता डॉ. सैमुएल हैनमैन के जन्मदिन को ही विश्व होम्योपैथी दिवस के रूप में मनाया जाता है। सिटी में कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने एलोपैथी छोड़ होम्योपैथी इलाज शुरू किया और उन्हें काफी फायदा पहुंचा।

जड़ से ईलाज करती है होम्योपैथी

होम्योपैथी स्पेशलिस्ट डॉ. मीनू भार्गव ने बताया कि लोगों का यह मानना है कि इस पद्धति में इलाज काफी देर तक चलता है, लेकिन ऐसा नहीं है। अगर आपको सर्दी, जुकाम या कफ है तो ऐसे में एलोपैथी इलाज 5 दिन चलता है। वहीं, होम्योपैथी में भी 5 दिन में इलाज पूरा होता है और इसके रिजल्ट भी अच्छे देखे जाते हैं। होम्योपैथी में थोड़ा समय जरूर लगता है, लेकिन इसमें बीमारी जड़ से खत्म हो जाती है।

कैंसर पेशंट भी लेते हैं होम्योपैथी ईलाज

डॉ. पूनम पवार ने बताया कि आज कैंसर का इलाज भी होम्योपैथी के जरिए संभव है। कैंसर पेशंट कीमोथैरेपी के साइड इफेक्ट्स से बचने के लिए होम्योपैथी कोर्स करते हैं। जिसका उन्हें काफी अच्छा रिजल्ट भी मिला है। चिकनगुनिया, स्वाइन फ्लू से लेकर डेंगू तक के लिए इसमें इलाज से लोगों को काफी राहत मिली है। बस इसमें थोड़ा सब्र रखने की जरूरत तो होती है।

एग्जिमा हुआ जड़ से खत्म

इंदिरापुरम में रहने वाली अर्पिता की उम्र 7 साल है। उन्होंने बताया कि उन्हें एग्जिमा था। पहले उन्होंने एलोपैथी दवा ली। करीब 7 महीने तक दवाई लेने के बाद भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने होम्योपैथी का कोर्स शुरू किया। 18 महीनें के इलाज के बाद अब एग्जिमा जड़ से खत्म हो चुका है और वह काफी संतुष्ट भी हैं।

साइनस से मिली काफी राहत

साइनस से पीड़ित इंदिरापुरम में रहने वाली 35 वर्षीय पारूल ने करीब 6 महीने तक एलोपैथी दवा का कोर्स किया। इसके बाद भी उन्हें रिजल्ट नहीं मिला। उन्होंने बताया कि अपने परिवार की सलाह पर उन्होंने होम्योपैथी इलाज शुरू करवाया और करीब 6 महीने के कोर्स में उनकी बीमारी काफी हद तक ठीक हो चुकी हैं। अब दो हफ्ते का कोर्स बाकी है।

होम्योपैथी ईलाज से छूट गई बैसाखी

वैशाली में रहने वाले डेढ़ साल के अर्नव को हिप बोन में टीबी की परेशानी थी। एलोपैथी दवाइयों से उन्हें कोई राहत नहीं मिली। ऐसे में उन्हें क्रच लगा दिए गए और वह इसी के सहारे की चल रहे थे। रिश्तेदारों की सलाह पर उन्होंने इंदिरापुरम में होम्योपैथी स्पेशलिस्ट से इलाज शुरू कराया। दो साल के कोर्स के बाद उनकी बैसाखी हट गई और हिप बोन की टीबी में भी राहत मिली। डॉक्टर का कहना है कि होम्योपैथी इलाज के बाद अर्नव की हिप की हड्डी में भरा पस पूरी तरह से निकल गया है । अब वह चल-फिर और दौड़ भी सकता है।

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Updated: | Thu, 02 Jun 2016 02:43 PM (IST)

जयपुर। क्‍या आपने कभी सोचा है कि होम्‍योपैथी की दवा से आंखों की रोशनी लौट सकती है? एक होम्‍योपैथी डॉक्‍टर ने अचानक लगभग आंखों की रोशनी खो चुकी बच्‍ची की रोशनी लौटाने का दावा किया है। उसने दावा किया है कि केवल तीन दिन में ही होम्‍योपैथी दवा के सहारे यह संभव हो पाया।

यह मामला दूदू के पास बिचून गांव का है। यहां रहने वाले शंकर लाल की 12 साल की बेटी वेनिस को अचानक दिखना बंद हो गया था। उन्‍होंने जयपुर के नामी निजी अस्‍पताल में विशेषज्ञों से परामर्श लिया लेकिन वे आंखों के रोशनी जाने का कारण नहीं ढूंढ पाए। इसके बाद उन्‍होंने होम्‍योपैथी चिकित्‍सा का सहारा लिया।

होम्‍योपैथी डॉक्‍टर लेखराम गुर्जर ने लक्षणों के आधार पर दवा नेट्रमम्‍यूर का चयन कर मरीज को सात दिन का ट्रीटमेंट दिया। बच्‍ची की आंखों की रोशनी तीन दिन में ही लौटना शुरू हो गई। इस ट्रीटमेंट के बाद वेनिस को दिखना फ‍िर शुरू हो गया। पिता शंकर लाल का कहना है कि नेत्ररोग विशेषज्ञ से परामर्श लेने के बाद वे काफी परेशान हो गए थे लेकिन होम्‍योपैथी उपचार ने उनकी बेटी की आंखों की रोशनी फ‍िर लौटा दी।

यह भी पढ़ें: राजस्थान में बंद हुई 18 हजार खानें, दो लाख मजदूरों की रोजी रोटी का संकट

डॉ. लेखराम ने बताया कि वेनिस का लगभग पूरी तरह से विजन लॉस हो गया था। उनका दावा है कि सही दवा के चयन से यह संभव हो पाया है।

निया भर में अनेक चिकित्सा पद्धतियां है लेकिन ऐसा माना जाता है कि पूर्ण कोई नही है। एलोपैथी चिकित्सा पद्वति में दवाओं के साइड इफेक्ट का कोई तोड़ चिकित्सा विज्ञानी नही ढूंढ पाए है। इन सभी बातों को ध्‍यान में में रखकर WHO ने हर्बल आधारित चिकित्सा पद्वतियों के महत्व को स्वीकाते हुए सबके लिए स्वास्थ्य में होम्योपैथी और आयुर्वेद जैसी चिकित्सा पद्वतियों के सहयोग लेना तय किया है।

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आयुष

होम्योपैथी से त्वचा रोगों का निदान

Posted On: 12 OCT 2020 11:15AM by PIB Delhi

बहुत से लोग प्रमाणित करते हैं कि होम्योपैथी त्वचा संबंधी वायरल रोगों के मामलों में चमत्कार कर सकती है। हाल ही में एवाईयूएचओएम यानी पूर्वोत्‍तर आयुर्वेद एवं होम्योपैथी संस्‍थान, शिलांग के अनुसंधान जर्नल  में प्रकाशित एक मामले के अध्ययन से इस बात का पता चलता है। मामले के अध्‍ययन का लेखन  संगीता साहा, रीडर, मेडिसन विभाग और महाकास मंडल, पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी, डिपार्टमेंट ऑफ प्रैक्टिस ऑफ मेडिसिन, कलकत्ता होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के साथ-साथ कौशिल्या भारती, पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ होम्योपैथी, कोलकाता ने किया है।

पांच भिन्‍न त्वचा रोगों से पीड़ित रोगियों के होम्योपैथी उपचार के उल्लेखनीय परिणाम मिले हैं, जो ऐसे त्वचा रोगों पर होम्योपैथिक दवा के सकारात्मक प्रभावों के प्रति विश्वास को बढ़ावा देते हैं।

कई प्रकार के त्वचा रोग होते हैं, जो न केवल भारत, बल्कि विश्व स्तर पर सभी उम्र के लोगों में अक्सर होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं हैं। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज के अनुमान से पता चला है कि त्वचा रोग दुनिया भर में गैर-घातक बीमारी के बोझ का चौथा प्रमुख कारण है। होम्योपैथी उपचार से जुड़े विशेषज्ञ बताते हैं कि आम वायरल त्वचा रोगों के लिए होम्योपैथिक उपचार बड़ी संख्या में लोगों को सस्ती और प्रभावी समाधान प्रदान करने में निर्णायक हो सकता है।

मामले का अध्‍ययन मस्सा, हरपीज ज़ोस्टर और मोलस्कैन कॉन्टैगिओसम से पीडि़त पांच रोगियों पर किया गया था। केराटिनोसाइट्स के संक्रमण के कारण त्वचा के मस्से ट्यूमर होते हैं। वैरिकाला-ज़ोस्टर वायरस के पुन सक्रिय होने के कारण हरपीस ज़ोस्टर  उत्पन्न होता है। दूसरी ओर, मोलस्कैन कॉन्टागिओसम एक विषाणुजनित त्वचा संक्रमण है, जो पॉक्स वायरस से संबंधित प्रकारों के कारण होता है, और खासकर गर्म जलवायु में दुनिया भर में बच्चों के साथ आम है। यह ज्ञात है कि होम्योपैथी रोगी का इलाज करती है, रोग का नहीं। इस प्रकार, इन मामलों में होम्योपैथी के सिद्धांतों का पालन करते हुए, आंतरिक दवा के माध्यम से त्वचा के रोगों का इलाज किया गया था। और, परिणाम बेहद उत्साहवर्द्धक हैं।

ऑर्गनन ऑफ मेडिसिन के दिशानिर्देशों के अनुसार और प्रत्येक रोगी की व्यक्तिगत संवेदनशीलता के अनुसार अलग-अलग चरणों में संकेतित दवाओं को लागू करने के बाद, यह सामने आया है कि दवाएं न केवल त्वचा के घाव को कुशलता से हटाने या विघटित करने में सक्षम थीं, बल्कि रोगी के संबंधित लक्षणों से राहत प्रदान करने में भी सक्षम थीं। इतना ही नहीं, उपचार के दौरान किसी भी रोगी ने किसी भी प्रतिकूल प्रभाव के बारे में शिकायत नहीं की।

मामले के अध्ययनों को एक पायलट परियोजना के रूप में माना जा सकता है। अगले चरण में बड़े नमूने के आकार के साथ नियंत्रित परीक्षणों को लिया जा सकता है, ताकि वायरल त्वचा रोगों के लिए होम्योपैथी की चिकित्सा शक्ति पर निर्णायक साक्ष्‍य तैयार किया जा सके।

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होम्योपैथिक का कोर्स कितने दिन का होता है?

इसे सुनेंरोकेंवहीं, होम्योपैथी में भी 5 दिन में इलाज पूरा होता है और इसके रिजल्ट भी अच्छे देखे जाते हैं। होम्योपैथी में थोड़ा समय जरूर लगता है, लेकिन इसमें बीमारी जड़ से खत्म हो जाती है।

होम्योपैथिक दवा कितनी कारगर होती है?

होम्‍योपैथी दवाओं का असर इस बात पर निर्भर करता है कि मरीज का रोग एक्यूट है या क्रॉनिक. एक्यूट रोगों में यह 5 से 30 मिनट और क्रॉनिक बीमारियों में यह 5 से 7 दिन में असर दिखाती है. जो काम 2 गोली करती है वही चार गोलियां करेंगी. इसलिए ज्यादा या कम दवा लेने से कोई फर्क नहीं पड़ता.

होम्योपैथी में पोटेंसी क्या है?

होम्योपैथी इलाज के दौरान तंबाकू, शराब, सिगरेट या किसी अन्य नशीली चीज का सेवन न करें। एलोपैथी में जिस तरह 400 से 500 एमजी की गोली होती है, उसी तरह होम्योपैथी में तीन से लेकर एक लाख की पोटेंसी (पावर) होती है।

होम्योपैथी में मदर टिंचर क्या होता है?

होम्योपैथी में हैं करीब तीन हजार दवाएं, एक अवधि के बाद बेअसर हो जाती हैं मदर टिंचर मेडिसिन होम्योपैथी की दवाओं को दो श्रेणियों अल्कोहल डाइल्यूशन व मदर टिंचर में बांटा जा सकता है। इनमें 90 फीसद तक अल्कोहल होता है। मदर टिंचर दवाएं एक अवधि के बाद जरूर बेअसर हो जाती हैं।